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गर्म रजाई में अनजान लड़की की चुदाई
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गर्म रजाई में अनजान लड़की की चुदाई



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मैं शिवम मामा की बेटी की शादी में गया था. शादी एक गांव में थी तो मैं अपनी मम्मी को लेकर 4 दिन पहले ही पहुंच गया. वहां पर एक दो रिश्तेदार तो हमसे पहले ही पहुंचे हुए थे. 

दो दिन के बाद वहां बाकी सब मेहमान भी आने लगे. भीड़ का माहौल बनने लगा.

दिसंबर में ठंड भी होती है तो हम रात में सोने के लिए टेंट हाउस जाकर बिस्तर ले आए। जिन लोगों ने गांव की शादी देखी है वो इस कहानी को ज्यादा अच्छे से महसूस कर सकते हैं।

शादी से दो दिन पहले की बात है. हम सब काफी देर तक अपने बिस्तर पर बैठ कर बातें करते रहे। शादी में काफी महिलाएं भी आईं थी मगर मैं किसी को जानता ही नहीं था। 

मैं बस अपने मामा के बच्चों के साथ ही लगा रहता था लेकिन वो भी ज्यादा देर तक साथ नहीं रह पाते थे. सब घर के काम उनको ही करने पड़ते थे। 

अब गरम रजाई की बात करते हैं।

काफी रात हो गई. हम सब जिस बरामदे में सो रहे थे वहां की लाइट भी बंद हो गई थी।
फिर मैं सो गया.


पता नहीं कब अचानक से मेरी आंख किसी के खर्राटों से खुल गयी. शायद कोई लेडी थी जो जोर से खर्राटें ले रही थी. 

मैंने अपनी रजाई से बाहर मुंह निकाल कर देखा तो मेरे ठीक पास वाले बिस्तर से ये आवाज आ रही थी।

वैसे मैं वहां सबको जानता भी नहीं था और बरामदे में लाइट भी नहीं थी तो मैं पहचान नहीं पाया कि वो कौन है। 

देखने के बाद मैं फिर से अपनी रजाई ढक कर सोने की कोशिश करने लगा मगर मैं सो नहीं पा रहा था. आवाज के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी अब.
काफी देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा लेकिन नींद नहीं आयी. 


मैंने सोचा कि कुछ करना पड़ेगा वर्ना ये मुझे सोने नहीं देगी। मैंने उनकी रजाई को देखा तो वो लगभग सीने तक ओढ़ी हुई थी. मुझे विचार आया कि रजाई को पूरी तरह ढ़क दूं तो आवाज कम हो जाएगी। 

उठकर मैंने सावधानी से उनकी रजाई पकड़ी और खींचकर मुंह तक ओढ़ाने लगा. मगर रजाई उनके पैरों के नीचे दबी हुई थी तो पूरा नहीं ढक सका. मेरा प्रयास असफल हो गया था. बिना ढके उसकी आवाज कम होना संभव होना नहीं था. 

अब मेरी नींद गायब हो चुकी थी और गुस्सा भी आ रहा था तो मैं कान पर हाथ रख कर सोने की कोशिश करने लगा। मगर वो लगातार मुझे परेशान कर रही थी।

मैंने कुछ और सोचने के लिए अपनी रजाई उतार दी और बैठ गया और उनको देखने लगा। 

उन्होंने अपनी रजाई फिर से मुंह से हटा दी थी और वो मेरी तरफ करवट बदल कर खर्राटें भर रही थी।
मैंने फिर से रजाई ढकने की कोशिश की।


मैं रजाई को पकड़ने लगा तो मैं उनके मुंह के पास चला गया।
उनकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं।


मैंने रजाई पकड़ी और खींची तो देखा कि अबकी बार रजाई उनकी कमर के नीचे दबी हुई थी. बस दूसरी तरफ से रजाई थोड़ा सा ऊपर हुई। 

मैं अब थक गया था कि क्या करूं! फिर मैं लेट गया और उनकी तरफ देखने लगा।
वो 28-30 साल की विवाहित महिला थी। उसके कान में कुण्डल थे।


अब मेरी नींद की तो लंका लग चुकी थी तो मैं लगातार उसको देखे जा रहा था. 

कुछ देर के बाद वो पलटी तो उसकी कमर के नीचे जो रजाई दबी थी वो निकल गयी. मैंने फिर से एक हाथ से रजाई पकड़ी और खींचने लगा तो मेरा हाथ उनकी नंगी कमर को छू गया. 
शायद उन्हें लगा कि जैसे कमर पर कोई खुजली कर रहा है या कोई कीड़ा काट रहा है तो उन्होंने अपनी कमर पर हाथ फेरा मगर उससे पहले ही मैंने अपना हाथ वापस खींच लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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गर्म रजाई में अनजान लड़की की चुदाई - by neerathemall - 02-12-2024, 12:14 PM



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