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दीदी की सहेली को उनकी शादी में चोदा
#10
फिर वो मेरी तरफ घूमी और सरक कर काफी करीब आ गयी.
उसने चुपके से मेरे कान में कहा- रुको दो मिनट, मैं धीरे से कपड़े उतार लेती हूं.



मेरा दिल धक धक होने लगा. डर भी लग रहा था और रोमांच भी बहुत था.

फिर उसने मेरा हाथ कमर से हटाया और धीरे से उठकर बैठ गयी.

उसने साड़ी निकाल कर पेटीकोट का नाड़ा खोल लिया. उसने अपनी गांड को हल्की सी ऊपर उठाया और फिर अपना पेटीकोट निकाल दिया और फिर ब्लाउज के हुक खोल दिए।

मैं तो पागल की तरह देख रहा था कि क्या हो रहा है।

ब्लाउज उतार कर उसने अपनी ब्रा भी उतार दी और लेट गई।

मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पहाड़ जैसे चूची पर रख दिया और दबाने लगा तो वो मज़े लेने लगी.
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैं हवस में पागल हो चुका था.

मैंने अपनी पैंट खोल ली और अपनी पैंट खोल कर उसके ऊपर लेट गया. मेरे लेटते ही उसने खुद ही रजाई ढक ली और धीरे से कान में बोली- जल्दी से करो, मुझे फिर सोना है.

फिर मैंने अपना शरीर ऊपर उठाया और निक्कर को घुटनों पर सरका दिया और लंड चूत में लगाने लगा.

हम दोनों खुले में चुदाई कर रहे थे तो डर बहुत था. इसी हड़बड़ाहट में मैं लंड को अंदर नहीं धकेल पा रहा था.
लंड उसकी चूत के सही निशाने पर लग ही नहीं रहा था.

फिर उसने अपने हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को खुद ही अपनी चूत के छेद में रख दिया.
अब मेरा रास्ता साफ था। एक धक्के में लंड उसकी चूत में उतर गया. उसकी हल्की सी आह्ह निकली जो उसने अंदर ही दबा ली.

मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया. चूत का मजा मिलते ही धक्के अपने आप लगने शुरू हो गये और धीरे धीरे मेरी रफ्तार बढ़ने लगी. मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूत को चोदने लगा.

वो भी मस्ती में चूर होकर हल्की सिसकारी भर रही थी। मुझे ज्यादा अच्छा तब लगता जब मेरा सीना उसकी छाती पर लगी फुटबाल जैसी चूचियों पर रगड़ता।

उफ्फ दोस्तो … मेरे शरीर के हर एक हिस्से में रोमांच उत्पन्न हो गया और मैं जन्नत की सैर कर रहा था.
चूत को चोदने का सुख ही सबसे अच्छा सुख लग रहा था.

मेरी उत्तेजना बहुत तीव्र थी और लंड काफी देर से खड़ा था इसलिए मैं ज्यादा देर अपने वीर्य के वेग को रोक नहीं पाया और फिर उसकी चूत में धक्के लगाते हुए जल्दी ही अंदर झड़ गया।

वो भी मेरे पीछे पीछे ही झड़ गई और शांत हो गई।
मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा और उसको चूमने लगा.

वो अपनी सांसें संभाल कर बोली- बड़ी तेज तेज कर रहे थे, क्या खाया था ऐसा?
मैंने भी धीरे से कान में बोला- अभी तो दूसरी बार करूंगा तब देखना।

फिर मैं उसकी चूची को मसलता रहा और चूसता रहा. वो भी मेरी कमर पर सहला रही थी।
आह्ह … दोस्तो, बहुत मज़ा आ रहा था।

कुछ देर उसकी चूचियों और चूत को सहलाने के बाद मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा. मैं लंड को उसकी चूत के आसपास रगड़ने लगा.
फिर वो खुद ही बोली- चलो शुरू करो.
मैंने कहा- तुम खुद ही हाथ से डलवा लो अंदर!

वो मेरे चेहरे को देखने लगी और खामोश हो गई।
शायद उसने मुझे पहचान लिया मगर वो कुछ नहीं बोली और मेरे लंड को चूत के मुहाने में फंसा दिया।

मैं फिर से उसकी चूत में लंड को अंदर घुसाकर धक्के बजाने लगा. वो भी अच्छे से चुद रही थी. मेरी कमर और सिर पर हाथ फेर कर मुझे प्यार कर रही थी.

बीच बीच में मैं भी उसको किस करता और फिर दोबारा से धक्के बजाने लगता. अबकी बार उसकी चूत चोदने में और ज्यादा मजा रहा था. एक बार मेरा वीर्य निकल चुका था इसलिए अब ज्यादा समय तक रुक पा रहा था.

दूसरा राउंड 15 मिनट चला और मैं उसकी चूत में दूसरी बार झड़ गया.
एक लम्बी चुदाई के बाद हम रुक गए। मैं दो तीन मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा और सांसें सामान्य होने लगीं.

उसने बोला- अब ऊपर से हटो, मुझे पेटीकोट पहनने दो.
मैं उठ गया और अपनी पैंट देखने लगा. बैठे बैठे ही हमने कपड़े पहन लिए। मैं अब अपनी रजाई छोड़कर उसकी रजाई में घुस गया.

वो बोली- और करना है क्या?
मैंने बोला- नहीं, मेरी रजाई में ठंड लग रही है।
तो वो बोली- मेरी रजाई में कौन सी गर्मी है?

मैंने उसके होठों पर चूमा और बोला- इतने टाइम से मेहनत कर रहा था. कुछ गर्मी तो बनी होगी तुम्हारी रजाई में.
वो हंसी और मेरी तरफ मुड़कर मेरे चेहरे पर चूमने लगी.

फिर उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया. बांहों में भरकर वो फिर से मुझे चूमने लगी. मैं भी उसके होंठों को चूसता रहा.

धीरे धीरे हम दोनों का नशा बढ़ता गया और उसका हाथ एक बार फिर से मेरे लंड पर चला गया.
वो लंड को पकड़ने लगी.

लंड अभी उठा नहीं था. उसने लंड को पूरी हथेली में पकड़ लिया और घिसने लगी.
इधर मैं उसकी चूची पर अपने हाथ से रगड़ रहा था और उसे अपनी तरफ खींचकर चूम रहा था.

अब वो गर्म होकर मुझसे बिल्कुल चिपक गई थी. दोस्तो क्या अहसास था वो … बहुत ही मद भरा आलम था.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने मेरे ऊपर आने की ख्वाहिश की.

फिर मैं सीधा लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गई. उसने अपने हाथ से एक बार फिर अपनी चूत में मेरे लंड को टिकाया और लंड को अंदर ले लिया.
फिर वो आगे पीछे हिलने लगी.

उफ्फ … ये मेरा सबसे अच्छा अनुभव था. मैंने देखा कि पूरा लंड उसकी चूत की खाई में उतर चुका है और उसकी जांघ के हिस्से मेरी जांघ पर रगड़ खा रहे हैं।

मुझे असीम चरम पर सुख मिल रहा था और वो अपनी गांड हिला हिला कर मेरा लन्ड चूत के अंदर रगड़ रही थी।
वो अपनी गांड उठा कर धक्के लगाने लगी और थोड़ी देर तक चुदने के बाद झड़ गई.

उसकी मादक आवाजें तेज सांसों में बदल गईं और मेरे ऊपर ही गिर गई।

मैं उसके कान के पास चूमते हुए बोला- मज़ा आया आपको?
वो बोली- हां, बहुत मज़ा आया. अब तुम ऊपर आ जाओ. मुझ में और हिम्मत नहीं रही।

मैं उसके ऊपर आ गया और मस्ती से चोदने लगा. फिर अगले दस मिनट तक मैंने उसको प्यार से मजे ले लेकर चोदा और फिर उसकी चूत में तीसरी बार खाली हो गया.

फिर हम दोनों सो गये. अबकी बार मैं अपनी रजाई में चला गया क्योंकि रात लगभग ढलने ही वाली थी. सुबह मुझे पता नहीं कब होश आता इसलिए मैंने रिस्क लेना ठीक नहीं समझा.

अगली सुबह जब मैं उठा तो सब लोग मुझसे पहले ही उठ चुके थे. मैं उस रजाई वाली भाभी को ढूंढने लगा. मगर वो मुझे कहीं नहीं दिखी. मैं भी फिर शादी के काम में लग गया.

पूरा दिन मेरी नजर उसको ढूंढती रही. उसको पहचानने की कोशिश करता रहा. मगर वो मुझे दिखी ही नहीं.

शादी भी हो गयी और सब लोग लौट भी गये मगर उस भाभी का पता नहीं लग पाया.

दोस्तो, इस बात को अब 3-4 साल हो गए हैं मगर अब तक भी मुझे समझ नहीं आया कि वो आखिर थी कौन? अगर उसको ऐतराज होता तो वो सेक्स क्यों करती?

जब उसने सेक्स कर ही लिया तो कहां गायब हो गयी, ये सब बातें मुझे अभी भी परेशान करती रहती हैं. मैं अभी भी उस भाभी को याद करता हूं. उस गर्म रजाई को मैं शायद भूल नहीं पाऊंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शादी में गया था, बगल में सोई को पूरी रात चोदा - by neerathemall - 02-12-2024, 12:11 PM



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