01-12-2024, 12:53 PM
मैं एकदम घबरा गई और अपनी छातियों को हाथों से ढकते हुए वहीं पानी में बैठ गई।
भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले, “क्या हुआ, ऐसे क्यों बैठ गई?”
नीचे गर्दन किए मैंने कहा, “मेरी ब्रा पानी में बह गई है।”
भैया ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?”
मैंने जवाब दिया, “मैं पूरी नंगी हो गई हूं भैया!”
भैया हंसते हुए बोले, “अरे! तो क्या हो गया, कुछ नहीं होगा। चल, खेलते हैं।”
फिर उन्होंने एक अजीब सी बात कही, “चल, मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हूं, तू भी उतार दे। फिर हम दोनों एक जैसे हो जाएंगे, तुझे शर्म भी नहीं आएगी।”
मैंने थोड़ा झिझकते हुए उनकी बात मान ली। पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के नीचे ही उतार दी और उसे किनारे पर फेंक दिया। फिर मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
भैया बोले, “अब मैं तैरता हूं, तू मुझे पकड़।”
हम दोनों पानी में खेलने लगे। कुछ देर बाद भैया पानी से बाहर भागने लगे, और मैं भी उनके पीछे-पीछे दौड़ी, यह भूलते हुए कि मैं पूरी नंगी थी। जैसे ही बाहर आई, मुझे अपनी हालत का एहसास हुआ। मैं हड़बड़ाकर अपने अंगों को ढकने लगी, लेकिन भैया ने मुझे देख लिया और मेरी ओर बढ़ने लगे।
भैया की टांगों के बीच में कुछ बड़ा और लटका हुआ दिखाई दे रहा था। मेरी नजर अनजाने में उस पर टिक गई। पास आते ही मैंने पूछा, “भैया, ये क्या है?”
भैया मेरी ओर ध्यान से देख रहे थे, और बोले, “ये लंड है, इसे जादुई छड़ी भी कहते हैं।”
मैं हैरान होकर बोली, “जादुई छड़ी!”
वो हंसते हुए बोले, “हां, अगर यकीन न हो तो इसे अपने हाथ में लेकर देख ले।”
मैंने हिचकिचाते हुए उसे हाथ में लिया, और सच में, वो लटकता हुआ अंग सख्त होने लगा। कुछ ही देर में वो लोहे जैसा कड़ा हो गया।
मैंने उत्सुकता से पूछा, “इसका क्या करते हैं?”
भैया ने मेरी चूत पर हाथ रखते हुए कहा, “इसे यहां डालते हैं, और कभी मुंह में भी।”
मैं शरमाकर उठने लगी तो भैया बोले, “किधर जा रही हो?”
मैंने कहा, “कपड़े पहनने के लिए।”
भैया ने हंसते हुए कहा, “अरे, खाना ऐसे अधूरा नहीं छोड़ते।”
मैंने आश्चर्य से पूछा, “खाना?”
भैया बोले, “हां, जो तुमने अभी गर्म किया है, उसे ठंडा तो करना ही पड़ेगा ना!”
फिर भैया मेरे पास आकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर किस करने लगे और धीरे-धीरे मेरे बूब्स को दबाने लगे। मुझे यह सब अच्छा लगने लगा क्योंकि इससे पहले किसी ने मेरे शरीर के साथ ऐसा नहीं किया था।
भैया ने कहा, “अब घूम कर झुक जाओ।” मैंने पूछा, “क्यों भैया?” वो बोले, “इसमें डालना है, तब ही इसे चैन मिलेगा।” मैंने घबराते हुए कहा, “नहीं भैया, मुझे डर लग रहा है।”
भैया ने हंसते हुए कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं, बस चुपचाप इसका मजा लो। मैं कब से इस पल का इंतजार कर रहा था।” फिर उन्होंने मुझे पलटा और मेरी पीठ को झुका दिया, और अपनी लंड को मेरी गांड के बीच रगड़ने लगे।
इसके बाद उन्होंने अपनी लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। भैया का लंड मेरी चूत के हिसाब से काफी बड़ा था। मैंने कहा, “ये तो नहीं जाएगा, भैया।” भैया गुस्से में बोले, “चुप रह, अब मुझे मत सिखा कि क्या बड़ा है और क्या छोटा।”
फिर धीरे-धीरे भैया ने जोर लगाया और उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया। मैंने इसे हटाने की कोशिश की, लेकिन भैया ने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगे।
मैंने दर्द से कहा, “भैया, बहुत दुख रहा है।” भैया बोले, “सिर्फ शुरुआत में दर्द होता है, फिर बहुत मजा आएगा।” इतना कहते हुए भैया ने पूरा जोर लगाया और अपना 9 इंच का लंड मेरी चूत के अंदर धकेल दिया।
दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी, लेकिन धीरे-धीरे भैया ने लंड को मेरी चूत में हिलाना शुरू किया। शुरुआत में दर्द था, पर थोड़ी देर बाद मुझे भी आनंद आने लगा।
अब मैं खुद ही कहने लगी, “भैया, और जोर से करो… आह्ह… और डालो… वाह, मजा आ रहा है!” भैया भी मेरी चूत में पूरी ताकत से लंड घुसाने लगे।
फिर भैया ने अपनी लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और मुझे चूसने के लिए कहा। मैंने उनके लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी। इससे मुझे भी अच्छा महसूस हो रहा था। कुछ देर बाद भैया का पानी मेरे मुंह में निकल गया, जिसे मैंने पी लिया और मुझे इससे काफी अच्छा लगा।
भैया ने मेरी तरफ देखा और बोले, “क्या हुआ, ऐसे क्यों बैठ गई?”
नीचे गर्दन किए मैंने कहा, “मेरी ब्रा पानी में बह गई है।”
भैया ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?”
मैंने जवाब दिया, “मैं पूरी नंगी हो गई हूं भैया!”
भैया हंसते हुए बोले, “अरे! तो क्या हो गया, कुछ नहीं होगा। चल, खेलते हैं।”
फिर उन्होंने एक अजीब सी बात कही, “चल, मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हूं, तू भी उतार दे। फिर हम दोनों एक जैसे हो जाएंगे, तुझे शर्म भी नहीं आएगी।”
मैंने थोड़ा झिझकते हुए उनकी बात मान ली। पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के नीचे ही उतार दी और उसे किनारे पर फेंक दिया। फिर मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
भैया बोले, “अब मैं तैरता हूं, तू मुझे पकड़।”
हम दोनों पानी में खेलने लगे। कुछ देर बाद भैया पानी से बाहर भागने लगे, और मैं भी उनके पीछे-पीछे दौड़ी, यह भूलते हुए कि मैं पूरी नंगी थी। जैसे ही बाहर आई, मुझे अपनी हालत का एहसास हुआ। मैं हड़बड़ाकर अपने अंगों को ढकने लगी, लेकिन भैया ने मुझे देख लिया और मेरी ओर बढ़ने लगे।
भैया की टांगों के बीच में कुछ बड़ा और लटका हुआ दिखाई दे रहा था। मेरी नजर अनजाने में उस पर टिक गई। पास आते ही मैंने पूछा, “भैया, ये क्या है?”
भैया मेरी ओर ध्यान से देख रहे थे, और बोले, “ये लंड है, इसे जादुई छड़ी भी कहते हैं।”
मैं हैरान होकर बोली, “जादुई छड़ी!”
वो हंसते हुए बोले, “हां, अगर यकीन न हो तो इसे अपने हाथ में लेकर देख ले।”
मैंने हिचकिचाते हुए उसे हाथ में लिया, और सच में, वो लटकता हुआ अंग सख्त होने लगा। कुछ ही देर में वो लोहे जैसा कड़ा हो गया।
मैंने उत्सुकता से पूछा, “इसका क्या करते हैं?”
भैया ने मेरी चूत पर हाथ रखते हुए कहा, “इसे यहां डालते हैं, और कभी मुंह में भी।”
मैं शरमाकर उठने लगी तो भैया बोले, “किधर जा रही हो?”
मैंने कहा, “कपड़े पहनने के लिए।”
भैया ने हंसते हुए कहा, “अरे, खाना ऐसे अधूरा नहीं छोड़ते।”
मैंने आश्चर्य से पूछा, “खाना?”
भैया बोले, “हां, जो तुमने अभी गर्म किया है, उसे ठंडा तो करना ही पड़ेगा ना!”
फिर भैया मेरे पास आकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर किस करने लगे और धीरे-धीरे मेरे बूब्स को दबाने लगे। मुझे यह सब अच्छा लगने लगा क्योंकि इससे पहले किसी ने मेरे शरीर के साथ ऐसा नहीं किया था।
भैया ने कहा, “अब घूम कर झुक जाओ।” मैंने पूछा, “क्यों भैया?” वो बोले, “इसमें डालना है, तब ही इसे चैन मिलेगा।” मैंने घबराते हुए कहा, “नहीं भैया, मुझे डर लग रहा है।”
भैया ने हंसते हुए कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं, बस चुपचाप इसका मजा लो। मैं कब से इस पल का इंतजार कर रहा था।” फिर उन्होंने मुझे पलटा और मेरी पीठ को झुका दिया, और अपनी लंड को मेरी गांड के बीच रगड़ने लगे।
इसके बाद उन्होंने अपनी लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। भैया का लंड मेरी चूत के हिसाब से काफी बड़ा था। मैंने कहा, “ये तो नहीं जाएगा, भैया।” भैया गुस्से में बोले, “चुप रह, अब मुझे मत सिखा कि क्या बड़ा है और क्या छोटा।”
फिर धीरे-धीरे भैया ने जोर लगाया और उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया। मैंने इसे हटाने की कोशिश की, लेकिन भैया ने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगे।
मैंने दर्द से कहा, “भैया, बहुत दुख रहा है।” भैया बोले, “सिर्फ शुरुआत में दर्द होता है, फिर बहुत मजा आएगा।” इतना कहते हुए भैया ने पूरा जोर लगाया और अपना 9 इंच का लंड मेरी चूत के अंदर धकेल दिया।
दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी, लेकिन धीरे-धीरे भैया ने लंड को मेरी चूत में हिलाना शुरू किया। शुरुआत में दर्द था, पर थोड़ी देर बाद मुझे भी आनंद आने लगा।
अब मैं खुद ही कहने लगी, “भैया, और जोर से करो… आह्ह… और डालो… वाह, मजा आ रहा है!” भैया भी मेरी चूत में पूरी ताकत से लंड घुसाने लगे।
फिर भैया ने अपनी लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और मुझे चूसने के लिए कहा। मैंने उनके लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी। इससे मुझे भी अच्छा महसूस हो रहा था। कुछ देर बाद भैया का पानी मेरे मुंह में निकल गया, जिसे मैंने पी लिया और मुझे इससे काफी अच्छा लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.