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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मेरा मायका नासिक में है, वहीं मेरा बचपन बीता है। छोटी उम्र में कुछ घटनाएं मेरे साथ घटीं, जिनका मुझे तब खास मतलब नहीं समझ आया था। उस वक्त मुझे लगता था कि ये सब बस खेल जैसा था।

जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, मेरी ज़िन्दगी में अलग-अलग लोग आये और मेरी सोच बदलती गई। जब मैं 19 साल की थी, तब मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। ये वो साल था जब मेरी जिंदगी में पहली बार एक पुरुष आया।

वो शख्स कोई और नहीं बल्कि मेरा भाई था। उस वक्त उसकी उम्र 22 साल थी और मेरी फर्स्ट ईयर की परीक्षाएं खत्म हुई थीं। मैं घर लौट आई थी।

मेरी मां हमेशा काम में व्यस्त रहती थीं, और पापा भी ऑफिस चले जाते थे। भाई अक्सर घर में बैठकर टीवी देखता रहता था। एक दिन मैंने मां से कहा, “मुझे बाहर घूमने जाना है।” वो बोलीं, “अभी 2 दिन ही तो हुए हैं, आई है तू!”

मैंने कहा, “पढ़ाई से थक गई हूं, और एग्जाम्स भी खत्म हो चुके हैं। एक महीने से बाहर नहीं निकली हूं।” मां ने जवाब दिया, “ठीक है, तो अपने भाई के साथ पास वाले तालाब तक चली जा।”

मां की बात सुनकर मैं खुश हो गई। मैंने जल्दी से नहाने के कपड़े लिए और भाई के साथ साइकिल पर बैठकर निकल पड़ी। तालाब हमारे घर से लगभग डेढ़ घंटे की दूरी पर था, लेकिन भाई ने शॉर्टकट लिया।

रास्ता उबड़-खाबड़ था। एक जगह पर हमारी साइकिल एक गहरे गड्ढे में फंस गई, और भाई ने फुर्ती से मुझे पकड़ लिया। उसका हाथ मेरे सीने पर था। हम दोनों घबरा गए, मगर उसने साइकिल संभाल ली। लेकिन उसका हाथ अब भी मेरे बूब्स पर था और वो हल्के-हल्के दबा रहा था।

उस वक्त मेरे बूब्स का साइज 31 था। उस पल मुझे एहसास हुआ कि वो सिर्फ मेरे भाई नहीं, बल्कि एक पुरुष भी है। मैंने उसे अपने सीने से हाथ हटाने के लिए कहा, और हम आगे बढ़ गए।

शॉर्टकट लेने की वजह से हम आधे घंटे में तालाब पहुंच गए। वहां जाकर हमने तालाब के नज़ारों का मज़ा लिया और खूब मस्ती की। थोड़ी देर बाद हमने पानी में उतरने का सोचा।

दोपहर का वक्त हो चला था और घड़ी में एक बज रहा था। कुछ हल्का-फुल्का खाकर हमने तालाब में जाने की तैयारी की। तभी मुझे याद आया कि मैं स्विमिंग सूट लाना भूल गई हूं।

इस बात पर मैं काफी परेशान हो गई और गुस्से में बैठ गई। भैया पहले ही अपनी शर्ट-पैंट उतारकर निक्कर पहनकर पानी में जा चुका था। उसने मुझे भी बुलाया और मैंने उसे अपनी दिक्कत बताई।

भैया बोला, “कोई बात नहीं, तुमने अंदर से ब्रा और निक्कर तो पहनी ही होगी?” मैंने कहा, “हाँ, पहनी है।” वो बोला, “तो फिर तुम तौलिए का इस्तेमाल कर सकती हो, जल्दी आओ।”

मैंने कहा, “लेकिन भैया, मुझे शर्म आ रही है।” वो हंसकर बोला, “अरे, यहां तो हम दोनों ही हैं। और मौसम भी कितना अच्छा हो रहा है।”

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मैं सोचने लगी कि मैं किसी मर्द के सामने इस तरह आधी नंगी कैसे हो सकती हूं। फिर ख्याल आया कि ये तो मेरे अपने भाई हैं, उनके सामने क्या शर्माना?

मैंने थोड़ा संकोच करते हुए अपनी ब्रा और निक्कर में ही तालाब में उतरने का फैसला कर लिया। पानी में जाने के बाद मैं और भैया दोनों मज़े से खेलने लगे। हम पानी के छींटे एक-दूसरे पर मारते और खूब हंसी-मजाक चल रहा था। लेकिन जब मैं पानी से बाहर आने लगी, तभी मेरी ब्रा अचानक से बहकर पानी में कहीं चली गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
Meri Didi Ki Garam Jawani - by neerathemall - 29-01-2020, 11:22 AM
RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 01-12-2024, 12:47 PM



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