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प्रीति-मेरी बहन
#6
कुछ ही सेकंड मेरा लिंग प्रीति के हाथ के पकड़ की क्षमता से बाहर हो गया। जिन हाथो से कुछ सेकंड पहले प्रीति ने पूरे लिंग को जकड़ रखा था, वहीं लिंग अब इतना मोटा और लंबा हो गया था कि प्रीति के हाथों की उँगलियों के घेरे में लिंग की आधी गोलाई ही आ रही थी।

यह देख कर प्रीति ने तुरंत ही अपने हाथों को लिंग से हटाया और अपने दोनों हाथो की माला बना कर मेरे गले में डाल दी और चुंबन लेते हुए मुझ पर लगभग झूलने लगी। मैंने भी तुरंत उसके कुल्हों सहारा देते हुए उसके पूरे शरीर को ऊपर उठाया और उसके दोने पैरों को मेरी कमर के आसपास बाँध कर प्रीति को लगभग अपने मज़बूत लिंग पर बैठा लिया।

प्रीति ने इस पोजिशन में आने की कल्पना भी नहीं की थी। उसने महसूस किया कि इस वक़्त वह मेरे सख्त लिंग पर बैठी है। उसने मेरे लिंग की ताकत जाँचने के लिए मेरे गले में पड़ी अपने हाथों की माला को ढीला किया, जिससे प्रीति का लगभग सारा वज़न फिसलकर मेरे लिंग पर आ गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्रीति-मेरी बहन - by neerathemall - 01-12-2024, 12:28 PM



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