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प्रीति-मेरी बहन
#1
प्रीति-मेरी बहन


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मेरा नाम सुजीत है और में मध्य प्रदेश के एक छोटे शहर का रहने वाला हूँ। मुझे 19 साल की उम्र से ही सेक्स के प्रति बहुत ज़्यादा आकर्षण हो गया था और मैंने पोर्न विडियो देखना और अंतर्वासना वेबसाइट की कहानियाँ पढ़ना शुरू कर दिया था जिसके कारण मुझे बहुत ज़्यादा मूठ मरने की आदत पड़ गई। इसका मुझ पर सकारात्मक परिणाम रहा और मेरे लिंग का साइज 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा हो गया और सेक्स का टाइम भी बढ़ गया। हालाँकि लडकियों से बात करने में मुझे बहुत शर्म आती थी इस कारण मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं थी जिससे मैं सेक्स कर सकूं। पर शहर से कुछ दूरी पर देह व्यापार होता था वहाँ जाकर एक बार मैंने खूबसूरत सेक्स वर्कर से सम्बंध बनाए। उस वक्त मेरी उम्र 22 वर्ष थी।

सेक्स करने से पहले ही जब उस लड़की ने मेरे लिंग को देखा तो उसने मना कर दिया और बोली "मैं तेरे साथ सेक्स नहीं करूंगी तेरा लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है।" तब मुझे भी एहसास हुआ कि मेरा लंड सच में बहुत बड़ा है, पर मुझे सेक्स तो करना ही था इसलिए मैंने उसे आश्वासन दिया कि मैं पूरा लंड अंदर नहीं डालूंगा प्लीज मुझे सेक्स करने दो। यह सुनते ही वह समझ गई कि मेरा यह पहली बार है और वह मान गई। पहली बार ही मैं उसे केवल आधे घंटे तक चोद सका, पर बड़ी मुश्किल से केवल आधा लंड ही डाल सका क्योंकि लम्बा होने के साथ तीन इंच मोटा भी था और मुझे सेक्स करने का अनुभव भी नहीं था। आधे लंड से चुदने से ही वह लड़की आधे घंटे में तीन बार स्खलित हुई। जाते वक्त उसने मुझे धन्यवाद् कहा और बोली तुम को एक सलाह देती हूँ कि जब किसी लड़की के साथ सेक्स करना तो बहुत ध्यान से करना वरना जान ले लोगे तुम उसकी। मेने भी उसे धन्यवाद दिया और घर आ गया।

अब यहाँ मेरी कहानी की शुरुआत होती है...

ये मेरा सेक्स का दूसरा और सबसे यादगार अनुभव है जिसे पहली बार में आप लोगों से साझा कर रहा हूँ।

बात उस समय की है जब मैं 23 वर्ष का था। मेरे परिवार में मेरे माता पिता और मेरी छोटी बहन प्रीति जो 19 वर्ष की थी। मेरी बहन के बारे में आपको थोड़ा डिटेल में बता देता हूँ जिससे आपको मेरी कहानी का लुप्त लेने में ज़्यादा आनंद आएगा।

प्रीति का बदन 19 साल की उम्र में ही किसी शादी शुदा महिला कि तरह गदराया हुआ था, उसके मांसल बदन पर उभार वही अधिक थे जहाँ होना चाहिए। कमर और पेट तो स्लिम ही थे पर स्तन और कूल्हे बहुत ही बड़े, गोलमटोल कसे हुए और आकर्षक थे, रंग दूध की तरह गोरा, त्वचा इतनी चिकनी की संगेमरमर भी शरमा जाए और चेहरा बिल्कुल मासूम था और बाल बहुत ही घने और कमर तक लंबे थे, पर उसका स्वभाव बहुत ही शालीन और सरल था और वह हमेशा घर में ही रहती थी और पढ़ती रहती थी और न ही उसका कोई बॉयफ्रेंड था मतलब वह पूरी तरह वर्जिन थी। अब चूंकि मेने अंतर्वासना कि कहानियाँ पढ़ी थी और उसमे भाई बहन के बीच की सेक्स की कहानियाँ भी, तो निश्चित ही मेरा भी ध्यान बहन की और अकर्षित रहता था। हमेशा सोचता था कि काश प्रीति के साथ सेक्स कर सकूं तो जीवन धन्य हो जाए। पर यह सब तो सपने की तरह था। पर मेने सोचा नहीं था कि ऊपर वाला मेरा सपना सच का देगा।

अब इस सपने के सच होने की शुरुआत केसे हुई, यह बताता हूँ... एक दिन मेरे महाराष्ट्र के रिश्तेदार का फोन आया कि मेरे नाना जी की तबीयत ज़्यादा खराब है तो मेरे मम्मी पापा ने अचानक महाराष्ट्र जाने का निर्णय लिया। चूंकि मेरा और प्रीति का पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए हम दोनों को छोड़कर पहली ट्रेन से वह 6-7 दिन के लिए महाराष्ट्र चले गए। मुझे लगा कि इससे अच्छा मौका मुझे नहीं मिल सकता इसलिए उस रात मेने सोचा कि एक रात तो केवल यही प्लान बनाना है कि प्रीति से मन भरकर सेक्स भी कर लूं और वह किसी को बताए भी ना और राज हम दोनों के बीच में ही रह जाए। प्रीति और मेरा बेडरूम अलग था, यह भी एक समस्या थी मेरे लिए। पर उस रात मैं रात भर सोचता रहा और सुबह तक एक बहुत ही अच्छा प्लान रेडी कर लिया मैंने। प्लान क्या था यह आपको मेरी कहानी में ही मालूम पड़ जाएगा।

रात भर जागने के कारण अगली दोपहर तक मैं सोता रहा। दोपहर में जब मैं जागा नहीं तो प्रीति मेरे लिए चाय बनाकर मेरे बेडरूम में आ गई।

अब मैंने प्लान का पहला पार्ट लागू किया। बिस्तर में मेरा लिंग पूरी तरह तना हुआ था और मेने लोअर और अंडरवियर भी नहीं पहना था। बस अत्यधिक ठंड के दिन होने के कारण मैंने रजाई ओढ़ रखी थी। जैसे ही प्रीति मेरे बेडरूम में आई तो मैंने नींद में होने का बहाना करते हुए पेरों से रजाई को हटा दिया और आंखों को बंद करके लेटा रहा। अब यह नजारा मेरी बहन के लिए अप्रत्याशित व चौका देने वाला था। 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड देख कर उसकी आँखो के आगे सितारे नाचने लगे। मैं भी हल्की-सी आँखे खोलकर उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देख रहा था। उसकी आँखे बड़ी हो गई थी और मुह खुला का खुला रह गया था। लगभग 2-3 मिनट तक निहारने के बाद अचानक उसे कुछ रियलाईज हुआ कि यह सही नहीं है इसलिए धीरे से वह उल्टे पैर बेडरूम से बाहर चली गई और दरवाजा धीरे से लगाकर आवाज दी "भईया उठ जाओ अब... क्या दिन भर सोते ही रहोगे?"

मैंने तुरंत उठ अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोला और बोला "मेरी प्यारी बहन मेरा कितना ध्यान रखती है।"

प्रीति "क्या भईया, क्या कर रहे थे रात भर जो इतनी देर तक सोते रहे?"

मैं बोला "मैं तेरे बारे में ही सोच रहा था।"

"क्यों? मेरे बारे में क्यों" प्रीति बोली

"कितना काम का बोझ है तेरे ऊपर, है ना, अब जब तक मम्मी पापा नहीं आ जाते तेरे सभी काम में मैं मदद करूंगा आज से।"
प्रीति बोली "अच्छा यह बात है, तो ठीक है फिर आज शाम का खाना तुम बनाओगे और जो मैं बोलूंगी वह काम भी करोगे।"






खाना खाने के बाद प्रीति मुझसे बोली "भइया बाहर बिजली कड़क रही है और मूसलाधार बारिश भी हो रही है, मुझे बहुत डर लग रहा है। क्या मैं तुम्हारे साथ बेडरूम में सो जाऊ? मैं यही तुम्हारे बेड के पास नीचे बिस्तर बिछा कर सो जाऊँगी।" यह सुनकर मेरी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मैं बोला "कैसी बात कर रही है प्रीति, तू ऊपर बेड पर सो जाना मैं बेड से नीचे सो जाऊंगा।" प्रीति बोली "थैंक्स भईया और एक बात, आपने कहा था आप मेरी सेवा करोगे तो एक काम करना कि सोने से पहले मेरे बालो मैं तेल लगा कर मेरे सर की मालिश कर देना, आज मेरा सिर बहुत दर्द कर रहा है।"

मैने कहा "ठीक है, तू जो बोलेगी वह करूँगा, तू भी तो मेरा कितना ध्यान रखती है।" प्रीति की एक आदत थी कि रोज सोने से पहले वह नहाती थी, इसलिए वह नहाने चली गई। इस बीच मेने दो ग्लास दूध तैयार किया, एक प्रीति के लिए जिसमे नींद की गोली मिला चुका था और एक मेरे लिए ताकि सेक्स के लिए और शक्ति मिल सके। अब चुनौती थी कि सेक्स केसे हो, अभी तक तो सब प्लान के मुताबिक हो रहा था पर प्रीति अब तक राजी नहीं हुई थी। रात के नौ बज रहे थे, बाहर मूसलाधार बारिश हो रही और मेरे मन में भी सेक्स के लिए तड़प बढ़ती जा रही थी। इधर जैसे ही प्रीति बाथरूम से नहाकर बाहर निकली, मेरी आँखे उसे देखती रह गई। उसने लाल सुर्ख रंग का फूल लेंथ सिल्की चमकीला गाउन पहना था और वह अपने हाथों को ऊंचा करके अपने बालों को बाँध रही थी जिससे उसके बड़े-बड़े बूब्स अपनी अधिकतम ऊंचाई पर थे और उसकी निप्पल साफ उभरी हुई दिखाई दे रही थी और उसके गाउन में उसके स्तन और कूल्हों के उतार चढ़ाव गजब के कातिलाना दिख रहे थे।

कहीं ना कहीं मुझे भी लगा कि शायद प्रीति मुझे जानबूझ कर उकसा रही है, पर विश्वास से नहीं कह सकता। मुझे इस तरह देखता हुआ पाकर प्रीति ने एक कुटिल मुस्कान देते हुए मुझसे पूछा "क्या हुआ भईया?" मैंने कहा "कुछ नहीं, तुम्हारा गाउन देख रहा था, तुमने इसे पहले तो कभी नहीं पहना?"

प्रीति ने जवाब दिया "कल ही खरीदा है, अच्छा है ना।"

अब मैं उसे केसे बताता कि कोई भी कमजोर दिल का व्यक्ति उसे उस वक्त देखते ही अपना वीर्य स्खलित कर देता।

मैं बोला "बहुत अच्छा है, अब आ जाओ यह दूध पियो और आओ बेड पर मैं तुम्हारे सर की मालिश कर देता हूँ।"

मेरे बैड पर बैठते ही वह बोली "भईया तुम्हारा बैड तो बहुत स्पंजी और मुलायम है।" मैंने कहा हाँ, पर आज रात ये तुम्हारा है। मुझे तो नीचे ही सोना है ना। "

प्रीति बोली "सो तो है।" अब तुम्हें साथ में तो सुला नहीं सकती। यह कह कर वह हंसने लगी और मैं भी। पर इस मजाक से भी मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई।

प्रीति और मैंने ने दूध पिया और मैं बेड पर बैठ गया और प्रीति बेड पर सर टिका कर नीचे बैठ गई। अब मेने उसके बालों में तेल लगाया और उसके सर की मसाज शुरू की और अपने प्लान का अगला पार्ट लागू किया।

मैं बोला "प्रीति एक सवाल पूछूँ तुमसे।"

"बोलो" प्रीति बोली

मुझे गर्लफ्रेंड बनानी है, कुछ मदद कर ना मेरी।

प्रीति बोली "अरे, तू तो बहुत स्मार्ट है कोई भी लड़की पटा सकता है। क्या कमी है तुझमें।"

वो तो है पर मुझे तुझ जेसी लड़की चाहिये, बिल्कुल तेरी डुप्लिकेट चाहिए। सेम तू सेम तेरे जैसी।

वो हंस कर मजाक में बोली "तो मुझे ही पटा ले ना। मैं तेरी बहन होने के साथ तेरी दोस्त भी तो हूँ।"

मैं हँस कर बोला तो ठीक है आज से हम दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड।

इस पर प्रीति बोली "पर मैं तुम्हें वह खुशी नहीं दे सकती जो एक रीयल गर्लफ्रेंड दे सकती है।"

मेने कहा "यही तो मेरा परेशानी है कि वह खुशी भी मुझे तेरी जेसी लड़की से ही चाहिए और तेरे जैसी लड़की भगवान ने दूसरी कोई बनाई ही नहीं।"

इस पर प्रीति हँस कर बोली "हाँ यह समस्या तो है। पर ऊपर वाला इसका कुछ समाधान तो निकाल ही लेगा, चलो अब सो जाते है मुझे बहुत नींद आज रही है। आओ मुझे बेड पर आने दो और तुम नीचे आ जाओ और हाँ एक डबल बेड साइज़ की रजाई भी दे दो, बाहर बहुत बारिश हो रही है इस कारण मुझे बहुत ठंड लग रही है।" मैं समझ गया कि नींद की गोली का असर होना शुरू हो गया है और मुझ पर भी वियाग्रा का असर होने लगा था। रात के 10 बजे थे और मेरा प्लान सही काम कर रहा था। मैंने उसे रजाई दी और अपने बिस्तर पर आ गया और प्रीति के गहरी नींद में जाने का इंतजार करने लगा।

लगभग आधे घंटे बाद ही प्रीति हल्के खर्राटे लेने लगी। नींद की गोली ने असर कर दिया था। अब मेरे प्लान का अगला पार्ट शुरू हुआ।

मैं आहिस्ता से प्रीति के बेड पर गया और उसके पास जाकर धीरे से बैठ गया। धीरे-धीरे उसको हिलाना शुरू किया पर वह नहीं उठी। अब उसको दो तीन बार नाम पुकार कर उठाया और उसके मुलायम गाल पर चार पांच थपकिया देने पर भी वह नहीं उठी। अब मुझे विश्वास हो गया कि लगभग अगले एक घंटे तक वह नहीं उठने वाली।

अब मुझसे रहा नहीं गया और मेने उसके शरीर से रजाई को हटा दी। उसके सुर्ख लाल गाउन में दमकता गोरा बदन और उसका प्यारा चेहरा देख कर मैं तो पागल हुआ जा रहा था, पर मुझे सब्र रखना था जिसका बहुत ही शानदार फल मुझे मिलना था।

मैंने घर के सारे खिड़की दरवाजे मजबूती से बंद किए और अपने बेडरूम का दरवाजा भी अच्छी तरह बंद कर दिया। वेसे मेरा बेडरूम घर के बीच में बना था और किसी भी प्रकार की आवाज ना तो अंदर आ सकती थी और ना ही बाहर जा सकती थी। वेसे बाहर बारिश भी इतनी जोर से हो रही थी कि कोई दूसरी आवाज उसमें सुनाई ही नहीं देगी। अब मैं और मेरी बहन प्रीति दोनों बेडरूम में थे और दूर-दूर तक हम दोनों को डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नहीं था। बस प्रीति की रजामंदी चाहिए थी।

वह इस समय सीधे पीठ के बल लेटी थी और रजाई हटाने से ठंड के कारण उसने अपना शरीर थोड़ा सिकोड़ लिया था। ठंड तो मुझे भी बहुत ज़्यादा लग रही थी पर इसी ठंड का ही तो मुझे इलाज करना था।

मैंने उसके शरीर को सीधा किया और उसके हाथों को सावधानी से उठकर उसके सिर के ऊपर कर दिए, जिससे उसके बड़े-बड़े बूब्‍स ने फिर से अपनी अधिकतम ऊंचाई को प्राप्त कर लिया। अब सबसे मुख्य चुनौती थी प्रीति को नींद में ही नंगा करने की जो मेरे प्लान जा अगला चरण था। बिना प्रीति की नींद खुले यह करना बहुत मुश्किल था। पर इसका तरीका भी मेरे पास था। मैंने एक कैंची ली और प्रीति के नए गाउन को नीचे पैरों के बीच से काटना शुरू किया और कैंची उसके पेट और बूब्‍स के बीच से काटती हुई गले के पास आकर रुकी। अब
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प्रीति का सुंदर गाउन बीच से दो हिस्सों में बंट गया था और उसके संगेमरमर से बदन को छुपाने में असमर्थ था। बस ब्रा और पेंटी ही उसके बदन को मेरी नजर से बचा पा रही थी। मैंने कटे हुए गाउन को आहिस्ता-आहिस्ता खींच कर उसके बदन के नीचे से निकाल लिया और एक कोने में फैंक दिया। अब बारी ब्रा और पेंटी की थी।

पर इससे पहले मैंने अपने आप को पूरी तरह नंगा किया। मैंने देखा कि मेरा लिंग वियाग्रा के असर के कारण लोहे की तरह कठोर हो गया है और उसकी मोटाई और लंबाई में भी कुछ बढ़त है। एक बार तो लगा कि पता नहीं प्रीति का क्या होगा, पर मैंने सोचा उस कॉल गर्ल की तरह आज भी आधे लिंग से ही काम चला लेंगे। अब मैं बेड पर गया और प्रीति की दोनों जांघों को चिपका कर जांघों के दोनों और अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और पहले पैंटी को कैंची से काट कर उसके शरीर से अलग किया। पैंटी हटने पर मैं अचंभित रह गया। उसकी योनि पर बिल्कुल बाल नहीं थे। लगता था कि जैसे हाल ही में वीट से बाल साफ किए है। मेरे लिए तो अच्छा ही था। अब बारी उसकी ब्रा कि थी। सबसे शानदार नजारा अब दिखना था। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा को दोनों बूब्‍स के बीच से काटा, मानो किसी बाँध के टूटने पर जो तबाही होती ही वेसी ही तबाही उस नजारे में थी। मैंने अपने आप को संभाला और आगे की कार्यवाही शुरू की। अपने लिंग पर ढेर सारा नारियल का तेल लगाया ताकि आगे की कार्यवाही में असानी हो। इन सब गतिविधियों में आधा घंटा बीत चुका था और मेरे अनुमान से आधे घंटे बाद नींद की गोली का असर ख़त्म होने वाला था। अब मैंने हम दोनों के बदन पर रजाई ओढ़ ली और अपने शरीर का वजन अपनी कोहनी और घुटनों पर बांटते हुए उसके ऊपर मिशिनरी पोजिशन में आ गया और दोनों के शरीर पर रजाई ओढ़ ली। अब हिम्मत करके मेने उसके होंठों को चूसना शुरू किया। उसके होंठों को मेरे होंठों से पहला टच जैसे ही हुआ, मेरा बदन काँपने लगा। खुशी और डर एक साथ झलक रहे थे। पर उसके शरीर में कोई हलचल ना पाकर मुझमे हिम्मत बढ़ी और होंठों को अहिस्ता आहिस्ता चूसता रहा। इस बीच प्रीति के बूब्‍स की अधिक ऊंचाई के कारण मेरे सीने और प्रीति के बूब्‍स के बीच में दूरी बनाए रखना मेरे लिए मुश्किल साबित हो रहा था। जेसे ही मैं प्रीति के होंठों के चूसने लगता बूब्‍स के निप्पल मेरे सीने से टच होते और मुझे चरम सुख का एहसास होता। पर यह तो शुरुआत थी चरम सुख तो आना अभी बाकी था।

आधा घंटा इस प्रक्रिया में कैसे गुजरा पता ही नहीं चला। लगभग रात 11 बजे का समय था और प्रीति के शरीर में कुछ हलचल शुरू हो गई थी और उसके चेहरे और माथे पर कुछ शिकन आने लगी थी। इस बीच मेरे लिंग और प्रीति की चूत के बीच मैंने आधे से एक इंच की दूरी मैंटेन रखी थी। पर मेरे अधिक कामुक होने के कारण लिंग से ढेर सारा प्री-कम निकल कर प्रीति की चूत की दरार में एकत्रित हो गया था जिससे मेरा काम और असान होने वाला था। वेसे मोसम बहुत ठंडा था। लगभग 10-12 डिग्री बेडरूम का तापमान होगा पर एक ही रजाई में मेरा प्रीति का नंगा बदन था, हालाकि मैंने बड़ी मुश्किल से दोनों के बदन के बीच थोड़ी दूरी बना के रखी थी इसके बाद भी रजाई के अंदर गर्मी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हो कि मेरा बदन पर पसीने की बूँदे एकत्रित होने लगी थी और प्रीति के बदन की गर्मी थोड़ी दूरी होने के बाद भी मैं मेरे शरीर पर महसूस कर पा रहा था, शायद इसी गर्मी के कारण प्रीति के माथे पर भी पसीने की बूँदे जमा होने लगी थी और इस कारण वह थोड़ी हिलने लगी थी और उसके चेहरे पर थोड़ी परेशानी दिखने लगी थी। अब समय आ गया था अंतिम संघर्ष का।
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मैंने मोर्चा संभालते हुए अपने पैरों के घुटनों और जांघों के बीच प्रीति के पैरों को अच्छी तरह से जकड़ लिया और उसके दोनों हाथों को उसके सिर के ऊपर ही अपने एक हाथ से मजबूती से जकड़ लिया और दूसरे हाथ की कोहनी से दोनों के बदन की दूरी बनाने के लिए उपयोग में रखा। इस जकड़न के कारण प्रीति की नींद पूरी तरफ़ खुल गई। उसने जैसे ही आँखे खोली और अपने खूबसूरत चेहरे के बिल्कुल नजदीक मेरे चेहरे को पाया वह घबरा गई। वह चिल्लाती या मुझे कुछ बोल पाती उससे पहले ही मैंने अपने हाथ से उसके मुह को दबा दिया। मेरी एसी हरकत देखकर उसकी आँखें बड़ी हो गई और शरीर मेरे द्वारा बनाई जकड़ से छूटने के लिए वह पुरजोर ताकत लगाने लगी। पर ताकत में तो मैं ही मजबूत था इस कारण 2-3 मिनट की झटपटाहट के बाद उसने शरीर ढीला कर दिया और उसकी बड़ी आँखो से आँसू आने लगे।

प्लान के मुताबिक अब बारी मेरी थी।

मैंने अपनी इमोशनल स्पीच शुरू की "प्रीति मेरी प्यारी बहन, प्लीज मुझे माफ कर देना। तेरे जैसी लड़की पाने की लालसा में मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गई। मुझे पता है कि तेरे जैसी कोई भी लड़की मुझे इस जन्म में तो क्या अगले कई जन्मों में नहीं मिल सकती। एक तू ही है जिसे भी भगवान ने मेरी बहन बना दिया। तुझे नहीं पता कि तेरे लिए ना जाने कितनी रातें तड़पा हूँ मैं, इसलिए आज एसी हरकत करने को मजबूर हो गया। क्या करूँ तुझसे दूरी सहन ही नहीं कर पा रहा था। मर जाऊँगा मैं अगर तू नहीं मिली मुझे तो। पर तू आंसू मत बहा, तुझे रोता भी नहीं देख सकता मैं। तेरी इच्छा के बिना मैं तुझसे कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। अब तक मुझसे जो भी हरकत हुई उसके लिए मुझे माफ कर देना और मम्मी पापा को कुछ मत बताना वरना मुझे जान देना पड़ेगी। अब अगर तू हाँ करती है तो ही मैं तुझे हासिल करूंगा और अगर तू अभी ना कर देती है तो मैं हट जाऊँगा यहाँ से।"

मैने लड़खड़ाते स्वर में बोला "बोल... हाँ... या... ना..."

ऐसा कह कर मैंने उसके मुह से हाथ हटा लिया और उसके शरीर से पकड़ भी ढीली कर दी पर अभी भी उसी मीशिनरी पोजिशन में उसके ऊपर बना रहा और मेरे शरीर का वजन घुटनों और कोहनीयों पर उठा के रखा था।

अब प्रीति बड़े ही आश्चर्य और गुस्से से मेरे चेहरे की और देख रही थी और ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। मैंरा दिल बड़े ही जोर-जोर से धड़क रहा था और प्रीति का भी, यह एक ही रजाई में होने के कारण मुझे साफ पता चल रहा था।

लगभग 15 मिनट तक प्रीति मुझे यूँ ही देखती रही। मेने भी सोच लिया था कि उसकी ना होने पर मैं उसके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। पर इतना समय बीतने के बाद भी वह न तो ना कर रही थी और न ही हाँ।

अचानक उसके चेहरे से गुस्सा और आश्चर्य गायब हो गया और वह नॉर्मल हो गई। पर उसने अब तक हाँ नहीं बोला था। तभी मुझे मेरे पेरों में एहसास हुआ कि वह अपने पैरों को दूर करना चाहती है। मैंने अभी अपने घुटनों को एक-एक करके उसके दोनों पैरों के बीच में कर लिया। अब मेरे दोनों पैर उसके दोनों पैरों के बीच थे और वह अपनी जांघों के बीच लगभग दो फीट की जगह बना चुकी थी। अब मैंने आश्चर्य से प्रीति के चेहरे की और देखा तो वह हल्की मुस्कुरा रही थी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैं मानो सातवें असमान पर चला गया। बिना कुछ कहे ही प्रीति ने सब कुछ कह दिया। मैंने तुरंत अपना सारा वजन प्रीति पर डाल दिया और बाहों में भर कर उसको चूमने लगा। उसने भी अपने हाथों और पेरों की जकड़ से मेरा भरपूर स्वागत किया। लगभग 15 मिनट चूमा चाटी के बाद प्रीति ने मेरा चेहरा पकड़ा और अपने चेहरे से थोड़ी दूरी पर रोक कर बोली "मेरे प्यारे भइया बस करो और मेरी बात ध्यान से सुनो।" मैं भी बड़े ध्यान से उसकी बात सुनने लगा।

प्रीति "एक तो यह राज केवल हम दोनों भाई बहन के बीच रहना चाहिए और दूसरी बात यह कि तुम्हारी प्यारी बहन अभी पूरी तरह से कुँवारी है। थोड़ा ध्यान रखना मेरा, क्योंकि तुम्हारा वह देखा है आज सुबह मैंने। कितना बड़ा और मोटा है। तुम इंसान हो या राक्षस।"

यह सुन कर मुझे हंसी आ गई और में प्रीति से बोला "तुम्हारे भाई की खुशी के लिए तुम कितना दर्द सहन कर सकती हो?"

प्रीति कुछ समय खामोश रही फिर बोली "आज रात जान दे सकती हूँ तुम्हारे लिए।"

बस इतना सुनते ही मैंने सोचा कि आज तो चुनौती है मेरे लिए।

बस अब असली काम शुरू करके का समय आ चुका था। रात के लगभग 12 बजे थे।

मेरा लिंग अपने अधिकतम आकार और कठोरता में था।

मैंने लिंग के मुहाने को प्रीति की योनि के मुह पर जैसे ही रखा प्रीति और मेरे मुह से एक साथ कामुक और संतुष्टि की सिसकारी निकली। प्रीति ने अपनी बाहों में मुझे इस कदर कस कर जकड़ा कि मानो उसकी जान लेने वाला था मैं। प्रीति ने अपने पेरों की कैंची बना कर मेरे पेरों पर कसना शुरू कर दी, क्योंकि उसको होने वाले दर्द का एहसास बहुत अच्छी तरह से था।

अब मैंने अपनी कमर और लिंग का दबाव उसकी योनि पर डालना शुरू किया। पर जहाँ मेरे लिंग की मोटाई तीन इंच थी वही प्रीति की योनि पैरों को पूरी तरह दूर करने के बाद भी बमुश्किल एक इंच खुल पा रही थी।

प्रीति भी थोड़ी नर्वस थी और डर भी रही थी।
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अब यहाँ मेरी परीक्षा थी। मेने ठान लिया कि अंदर करना है तो प्रीति को दर्द तो देना ही होगा। मैंने महसूस किया कि लिंग पर तेल तो लगा था और मेरा प्री-कम भी योनि पर बहुत सारा है पर जब तक प्रीति का प्री-कम आना शुरू नहीं होगा तब तक काम नहीं बनेगा।

मैंने लिंग का दबाव कम किया और प्रीति के बूब्‍स को जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा और एक हाथ की उंगलियों से योनि पर मसाज करने लगा। 5-10 मिनट में ही योनि पूरी तरह पनिया गई। इस बीच बेडरूम प्रीति की सिसकारीयों से गूंजता रहा।

अब मैंने प्रीति के चेहरे को करीब से देखकर उसकी आँखों में आँखे मिला कर उससे पूछा "अपने भाई के लिए बेतहाशा दर्द के लिए तैयार हो?"

प्रीति ने अपनी आँखे बन्द की और अपना सिर हिला कर स्वीकृति दी।

मैंने तुरंत मोर्चा संभाला और अपने हाथों से उसके पेरों की दोनों जांघों के नीचे से घुमा कर ऊपर की और खींच लिया और उसकी बाहों को मजबूती से पकड़ लिया जिससे उसके दोनों पैर मेरे कंधे तक आ गए और योनि का मुह थोड़ा और खुल गया। अब होंठों को चूसते हुए अपना लिंग की मुह उसकी योनि के छेद पर टिका दिया पर कुछ देर तक दबाव नहीं डाला। 15मिनट तक उसके होठों को चूसा और अपनी जबान को प्रीति के मुह में डाल कर पूरे मुह में घुमा-घुमा कर मुह के हर हिस्से को महसूस किया और उसका लाजवाब स्वाद भी लिया। अब मेरी इस हरकत का प्रीति भी बिल्कुल वैसा ही जवाब देने में लगी हुई थी और इस किसिंग का भरपूर लुफ्त उठा रही थी।[Image: 52904616_002_21f8.jpg]

अब जैसे ही मैंने पाया कि प्रीति का सारा ध्यान मेरे होठों को चूसने में लगा है तो मैंने मोके का फायदा उठाकर अपनी सारी ताकत लगाकर लिंग का एक जोरदार झटका प्रीति योनि में दिया।
उस पल में क्या हालत थे मैं शब्दो में नहीं बता सकता। प्रीति की जोरदार चीख मुझसे चुंबन लेने के कारण मेरे मुह में दब गई पर उसका शरीर दर्द के मारे झटपटा रहा था। उसकी आंखो में आंसू आ रहे थे और नीचे के जो हालात थे उसके बारे में क्या बताऊँ दोस्तों। लगभग 2-3 तीन इंच लिंग ही अंदर जा सका था पर योनि कि झिल्ली फटने के कारण बहुत सारा खून मेरे लिंग पर लगा था और उसकी कूल्हों की दरार में से होता हुआ बेडशीट पर आ गया था।[Image: 52904616_003_1d07.jpg] मैंने अपनी बहन का कुंवारापन भंग कर दिया था। कुछ देर तक मैने कोई हरकत नहीं की और प्रीति के शांत होने का इंतजार किया। प्रीति दर्द से बहुत देर तक झटपटाती रही और फिर उसका शरीर थोड़ा शांत होने लगा। अब मेने लिंग को प्रीति की योनि से बाहर निकाला और लिंग से और योनि से खून को अच्छी तरह से साफ किया। 
[Image: 52904616_011_ec1e.jpg]We 

प्रीति बोली भईया अखिर हासिल कर ही लिया तुमने मुझे, हो गई तुम्हारी इच्छा पूरी। ऎसा कह कर वह रोने लगी। यह सुन कर मैं भी उसको बाहों में भर कर रोने लगा और उससे कहा मेरी जान हो तुम प्रीति। तुमने बहुत बड़ा एहसान कर दिया मुझ पर आज। अगर तुम आज "ना" कर देती तो शर्मिंदगी के कारण मुझे कल जान देना पड़ती अपनी। बोलो क्या चाहिए तुम्हें मुझसे, मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूंगा। ऎसा सुन कर प्रीति ने कहा पहली इच्छा तो यह है कि आज के बाद कभी जान देने की बात मत करना और दूसरी यह कि आज रात तुम्हें अपना पूरा लिंग मेरी योनि में डालना है, चाहे मेरी जान क्यों ना चली जाए। मैं बोला "पागल हो गई है क्या तू? सहन नहीं कर सकेगी इस दर्द को मेरी।"

[Image: 82509762_052_1016.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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प्रीति-मेरी बहन - by neerathemall - 27-11-2024, 03:26 PM



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