27-11-2024, 03:20 PM
माँ के फेस से अब साफ़ दीख रहा था के उनको भी सेक्स करने में खूब मजा आ रहा है..
रेगुलर धक्को से माँ के चूतड़ बिस्तर में धस चुके थे..उनके सेक्सी टांगों को जो कभी तो मेरे हिप्स पर होते,,, तो कभी हवा में,,, और कभी मैंने उनको अपने शोल्डर पेर रख कर योनि को चोदता.,,, मेरे धक्कों के साथ साथ माँ के पायल की छन छन साउंड भी सुनाई देती. जिस जगह माँ के चूतड़ थे वहां पर से मैट्रेस भी नीचे घुस गया था..
मैं बिना रुके धक्के पर धक्के लगा रहा था. लगा के शायद मेरा लण्ड बहुत जल्दी पानी छोड़ देगा, क्योंकि ज़िंदगी मे पहली बार माँ की योनि का दर्शन किया था, मगर पूरे बीस मिनट हो चुके थे और अब भी रेगुलर मेरा लण्ड माँ की योनि की गहराई नाप रहा था.. मैं चुदाई ग के साथ साथ कभी माँ के स्तन को चूसता तो कभी लिप्स को चूसता.
मेरे चेहरे पर मजे के रंग आ रहे थे माँ भी उन्हें देख कर समझ रही थी की मुझे चुदाई में बहुत आनंद आ रहा है. उन्हें खुद भी बहुत मजा आ रहा था. आखिर यह माँ बेटे की पहली चुदाई जो थी.
मैं अब झड़ने वाला था.. तभी कोई दस धक्कों के बाद मैं गुर्राने लगा..ओर मैंने माँ को अपने बदनसे इस तरह से चिपका लिया के मानो हवा भी पार न हो पाये. आह आह आए माँ में आ रहा हूँ। अब नहीं रुक सकता।. ओह माँ ओह.और एक जटके के साथ मैंने अपने लण्ड का पानी माँ की योनि में डाल दिया..माँ भी साथ साथ चीख उठि.. आआह में भी झड़ रही हु.ओह माँ मर गई. आह
झड़ने के बाद मैं माँके ऊपर ही ढेर हो गया.. माँ के स्तन में मेरा सर पड़ा था. मैं बहुत थक चुका था मगर लण्ड अब भी योनि में ही घूसा बैठा था..दस मिनट बाद हमदोनो के बदन अलग हुये.. मैं माँ के साइड में लेट गया.
मेरी नज़र माँ पर गई तो देखा.. वो बेड पर टाँगे खोले पोजीशन में पड़ी थी.ऐसा लग रहा था के जैसे दोनों सेक्सी टाँगे इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बंद होने का नाम ही नहीं लें रही थी।
माँ का बदन पसीना पसीना हो रहा था.. माँ के पसीने की बूंदे पूरे बदन पर चमक रहीं थी. बाल गीले हो कर चेहरे से चिपक गए थे. मैंने ने खूब जम कर माँ के होंठों को चूसा था, होंठों का साइज खुल कर डबल हो गया था.. पूरे शरीर पर मेरे काटने के निशान थे.
मैंने दोनों टाँगो को और ख़ौल दिया और अपनी जन्मभूमि योनि के दर्शन किये. ओह भगवान. माँ के योनि का रंग बदल कर पूरा लाल हो गया था. लण्ड से चुदने के वजह से योनि के होंठों खुले के खुले ही रह गए थे.. योनि के अन्दर कई इंच तक साफ़ देखा जा सकता था.. मेरा ख़ूनमिश्रित वीर्य भी माँ के योनि से रिस रिस के बाहर आ रहा था.
माँ बेहाल बेड पर पड़ी थी.. ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उनका रेप किया हो. माँ के योनि के नीचे की चादर पूरी गीली और लाल हो चुकी थी,,माँ चुदाई के दोरान ४-५ बार झड़ गई थी और सारा पानी चादर पर ही बह गया.. फिर हम दोनो बारी बारी से बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आगये और बेडसे बेडशीट बदल कर दोनों बेड पर पड़े थे. फिर मैं ने माँ को अपने बदन से चिपका लिया
फिर मैंने माँ की आँखों में जहाँ मेरे लिए प्यार ही प्यार था को देखा और माँ को कहा
"माँ आपका बहुत बहुत धन्यवाद् है की आप ने मेरी बात को माना. मैं कहता था न कि, पूरी दुनिया ने हम को छोड़ दिया है. हमारा कोई और सहारा नहीं है. बस हम दोनों माँ बेटा ही अब इस जीवन में एक दूजे के सहारे हैं. इसलिए हमे ही एक दुसरे की हर तरह की जरूरत का ध्यान रखें है और इस हर तरह की जरूरत में शरीर की जरूरत भी शामिल है. आज हमने माँ बेटे के संबंधों की आखरी दिक्कत भी दूर कर ली है और अब सारी जिंदगी इसी तरह हूँ एक दुसरे का सहारा बने रहेंगे। ठीक है न?
माँ की आँखों में मेरे लिए अनन्त प्यार दिखाई दे रहा था. वो भी बोली
"बेटा पहले तो मुझे तुम्हारी बात बहुत गलत लगी. पर फिर मैंने भी जब तुम्हारी बात पर ध्यान से और शांति से गौर किया तो मुझे भी लगा की तुम ठीक ही कह रहे हो. अब हम दोनों माँ बेटा को ही एक दुसरे का सहारा बनना है. चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ. अब बाकि की सारी जिंदगी हम दोनों इसी तरह गुजारेंगे।
दुनिआ के लिए हम माँ बेटा होंगे और घर के अंदर हम प्रेमी प्रेमिका, या जो भी नाम तुम हमारे इस नए रिश्ते को दो. लेकिन बस अब आगे से हमारे जीवन में प्यार ही प्यार होगा। "
यह कह कर माँ मेरे से जोर से चिपक गयी और मैंने भी माँ को अपनी आगोश में जकड लिया और फिर हम दोनों माँ बेटा नींद की वादियो मे खो गये..
हम अब जानते थे की हमारे जीवन से दुःख जा चूका है और आगे खुशियाँ ही खुशियां हैं.
समाप्त।
रेगुलर धक्को से माँ के चूतड़ बिस्तर में धस चुके थे..उनके सेक्सी टांगों को जो कभी तो मेरे हिप्स पर होते,,, तो कभी हवा में,,, और कभी मैंने उनको अपने शोल्डर पेर रख कर योनि को चोदता.,,, मेरे धक्कों के साथ साथ माँ के पायल की छन छन साउंड भी सुनाई देती. जिस जगह माँ के चूतड़ थे वहां पर से मैट्रेस भी नीचे घुस गया था..
मैं बिना रुके धक्के पर धक्के लगा रहा था. लगा के शायद मेरा लण्ड बहुत जल्दी पानी छोड़ देगा, क्योंकि ज़िंदगी मे पहली बार माँ की योनि का दर्शन किया था, मगर पूरे बीस मिनट हो चुके थे और अब भी रेगुलर मेरा लण्ड माँ की योनि की गहराई नाप रहा था.. मैं चुदाई ग के साथ साथ कभी माँ के स्तन को चूसता तो कभी लिप्स को चूसता.
मेरे चेहरे पर मजे के रंग आ रहे थे माँ भी उन्हें देख कर समझ रही थी की मुझे चुदाई में बहुत आनंद आ रहा है. उन्हें खुद भी बहुत मजा आ रहा था. आखिर यह माँ बेटे की पहली चुदाई जो थी.
मैं अब झड़ने वाला था.. तभी कोई दस धक्कों के बाद मैं गुर्राने लगा..ओर मैंने माँ को अपने बदनसे इस तरह से चिपका लिया के मानो हवा भी पार न हो पाये. आह आह आए माँ में आ रहा हूँ। अब नहीं रुक सकता।. ओह माँ ओह.और एक जटके के साथ मैंने अपने लण्ड का पानी माँ की योनि में डाल दिया..माँ भी साथ साथ चीख उठि.. आआह में भी झड़ रही हु.ओह माँ मर गई. आह
झड़ने के बाद मैं माँके ऊपर ही ढेर हो गया.. माँ के स्तन में मेरा सर पड़ा था. मैं बहुत थक चुका था मगर लण्ड अब भी योनि में ही घूसा बैठा था..दस मिनट बाद हमदोनो के बदन अलग हुये.. मैं माँ के साइड में लेट गया.
मेरी नज़र माँ पर गई तो देखा.. वो बेड पर टाँगे खोले पोजीशन में पड़ी थी.ऐसा लग रहा था के जैसे दोनों सेक्सी टाँगे इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बंद होने का नाम ही नहीं लें रही थी।
माँ का बदन पसीना पसीना हो रहा था.. माँ के पसीने की बूंदे पूरे बदन पर चमक रहीं थी. बाल गीले हो कर चेहरे से चिपक गए थे. मैंने ने खूब जम कर माँ के होंठों को चूसा था, होंठों का साइज खुल कर डबल हो गया था.. पूरे शरीर पर मेरे काटने के निशान थे.
मैंने दोनों टाँगो को और ख़ौल दिया और अपनी जन्मभूमि योनि के दर्शन किये. ओह भगवान. माँ के योनि का रंग बदल कर पूरा लाल हो गया था. लण्ड से चुदने के वजह से योनि के होंठों खुले के खुले ही रह गए थे.. योनि के अन्दर कई इंच तक साफ़ देखा जा सकता था.. मेरा ख़ूनमिश्रित वीर्य भी माँ के योनि से रिस रिस के बाहर आ रहा था.
माँ बेहाल बेड पर पड़ी थी.. ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उनका रेप किया हो. माँ के योनि के नीचे की चादर पूरी गीली और लाल हो चुकी थी,,माँ चुदाई के दोरान ४-५ बार झड़ गई थी और सारा पानी चादर पर ही बह गया.. फिर हम दोनो बारी बारी से बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आगये और बेडसे बेडशीट बदल कर दोनों बेड पर पड़े थे. फिर मैं ने माँ को अपने बदन से चिपका लिया
फिर मैंने माँ की आँखों में जहाँ मेरे लिए प्यार ही प्यार था को देखा और माँ को कहा
"माँ आपका बहुत बहुत धन्यवाद् है की आप ने मेरी बात को माना. मैं कहता था न कि, पूरी दुनिया ने हम को छोड़ दिया है. हमारा कोई और सहारा नहीं है. बस हम दोनों माँ बेटा ही अब इस जीवन में एक दूजे के सहारे हैं. इसलिए हमे ही एक दुसरे की हर तरह की जरूरत का ध्यान रखें है और इस हर तरह की जरूरत में शरीर की जरूरत भी शामिल है. आज हमने माँ बेटे के संबंधों की आखरी दिक्कत भी दूर कर ली है और अब सारी जिंदगी इसी तरह हूँ एक दुसरे का सहारा बने रहेंगे। ठीक है न?
माँ की आँखों में मेरे लिए अनन्त प्यार दिखाई दे रहा था. वो भी बोली
"बेटा पहले तो मुझे तुम्हारी बात बहुत गलत लगी. पर फिर मैंने भी जब तुम्हारी बात पर ध्यान से और शांति से गौर किया तो मुझे भी लगा की तुम ठीक ही कह रहे हो. अब हम दोनों माँ बेटा को ही एक दुसरे का सहारा बनना है. चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ. अब बाकि की सारी जिंदगी हम दोनों इसी तरह गुजारेंगे।
दुनिआ के लिए हम माँ बेटा होंगे और घर के अंदर हम प्रेमी प्रेमिका, या जो भी नाम तुम हमारे इस नए रिश्ते को दो. लेकिन बस अब आगे से हमारे जीवन में प्यार ही प्यार होगा। "
यह कह कर माँ मेरे से जोर से चिपक गयी और मैंने भी माँ को अपनी आगोश में जकड लिया और फिर हम दोनों माँ बेटा नींद की वादियो मे खो गये..
हम अब जानते थे की हमारे जीवन से दुःख जा चूका है और आगे खुशियाँ ही खुशियां हैं.
समाप्त।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.