27-11-2024, 03:20 PM
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तब माँ ने कहा "ऐसे ही पड़े रो कुछ देर अच्छा लग रहा था" और शर्मा गई फिर मैंने फिर मेरा लिंग अंदर डालकर उनके ऊपर पडा रहा उनको किस करता रहा
और साथ मे उनके स्तन के साथ प्यार से खेलता रहा हम एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे माँ को अब दर्द नही हो रहा था
उनके बदन के पसीने की गंध से मेरा लण्ड फिर हार्ड होने लगा माँ मेरे लण्ड का कड़ापन महसूस करके हैरत से बोली
"ये क्या फिर से"कहते हुए मेरी तरफ हैरत और अभिमान से देखने लगी उनकी उस नजर से मुझे फिर से ताकत मिली और मैं फिर धीरे धीरे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा अभी कुछ देर पहले मैं अंदर झड़ा था इसलीए मेरे वीर्य से पूरी योनि अछि तरह चिकनाई युक्त हो गई थी माँ ने प्यार भरे गुस्से में मुझे देखा और धीरे से कहा
"ये क्या तुम फिर शरू हुये, क्या अब भी दिल नही भरा? अब एक बार हो तो गया है. "
माँ के ऐसे कहते ही मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि माँ को कितना दर्द हुआ था और मैं उन्हें आराम देने के बदले फिर सेक्स के बारे में सोचने लगा मैने झटसे अपना लिंग बाहर निकाला और माँ के ऊपर से उतर के अलग हुआ
मुझे यू अपने उपरसे हटते हुए देखकर माँ को हैरत का झटका लगा. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा
" क्या हुआ तुम हट क्यों गये"
मैंने कहा "सॉरी माँ मुझसे गलती हुई तुम्हे इतना दर्द था और मैं सिर्फ सेक्स के बारे में सोच रहा था मुझे माफ़ करो मुझसे गलती हुई"
माँ ने हस कर मेरी तरफ देखा और कहा
"बेटा तुम मुझसे इतना प्यार करते हो, मैं आज बहुत खुश हूं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझती हूं जो मुझे अपने साथी के रूप में तुम मिले, और मुझे इतना दर्द नही हो रहा है, मैं तो मजाक कर रही थी, मेरी भी इच्छा थी तुम मुझे प्यार करते रहो "
मैने माँ की आंखों में अपने लिए बेइंतहा प्यार देखा मेरी आँखों मे खुशी के आंसू आगये मैं माँ लिपटकर उन्हें पागलो की तरह चुमने लगा माँ भी मेरा साथ देने लगी मेरा ढीला पड़ा लिंग फिर हार्ड हो गया माँ की दोनो थाइस मेरी कमर से लिपट गई मैने अपना लिंग माँ की रसभरी योनि में फिर से घुसा दिया माँ के मुह से आनंददायक सिसकारी निकल गई मैं फिरसे माँ की चुदाई करने लगा माँ और मैंने का सेक्सुअल पार्ट्स एकदम चिपक चुका था... पूरा लण्ड माँ की योनि में घूसा बैठा था...
मैंने माँ के शोल्डर्स को अपने हाथों में थाम लिया, फेस और लिप्स पर किसिंग करने लगा.. मैं अपने लण्ड को कुछ देर माँ की योनि में घूसा कर रखना चाहता था.. शायद इस तरह से माँ की योनि मेरे लण्ड के साइज की तरह हो जाए.... मैंने पूरा लण्ड धीरे धीरे योनि से बाहर निकाला और फिर झटके से पूरा अन्दर डाल दिया.. माँ दर्द से फिर चिल्ला उठि.. मैंने ने कोई १० - १५ धक्के इस तरह मारे..हर धक्के पर माँ के मुँह से हाय मर गइ..ओह माँ मा..अह निकल रहा था.. लण्ड योनि में अपनी जगह बनाने में लगा था.. धीरे धीरे जब मैंरे लण्ड ने माँ की टाइट योनि में अपनी जगह बना ली तो दर्द कुछ कम होने लगा. फिर मैंने माँ को चोदना शुरू कर दिया.. माँ मेरी बाँहों में पड़ी चुप चाप चुद रही थी.. थोड़ी देर में माँ का दर्द बिलकुल ख़तम हो गया और वो भी अब मेरा साथ देने लगी.. माँ ने मुझे अपने से लिपटा लिया. माँ के सेक्सी लेगस, उन लेग्स पर पायल, और सेक्सी रेड पेंटेड नेल्स चुदाई के टाइम बहुत मस्त लग रही थी. मैंने स्लो और तेज दोनों तरह से रेगुलर माँ की योनि चोद रहा था. माँ भी मुझ को अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.. हमदोनों का सेक्सुअल चुदाई इतना परफेक्ट दीख रहा था मानो हम एक दूसरे के साथ कई सालों से सेक्स कर रहा हो.. दोनों की सेक्सी अवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
इतने दिनों की प्रतीक्षा में दोनी का संयम अब टूट चुका था मैंने अब अपनी माँ को अब वह सुख दे रहा था जिसके लिए मां न जाने कितने सालो के लिये तरसी थी आज उसे वह सुख मिल रहा था जो वह भूल गई थी उनका पति पिछले १० साल पहले मर चूका था और तब से वह इस सुख से वंचित थी और उसने इसे अपना भाग्य मान लिया था
पर आज उनका बेटा ही उनका पति के स्थान पर उन्हें चोद रहा था, उनका अपने वो बेटा जो न केवल उसे प्यार करता है बल्कि सेक्स में भी बहुत जोरदार है जो उसे वह सुख दे रहा है जिसके लिए वह न जाने कबसे तड़पी थी पर अब उसे वह सुख मिल रहा था वह बहुत खुश थी तभी मेरी आवाज से वह सोच से बाहर आई.
तब माँ ने कहा "ऐसे ही पड़े रो कुछ देर अच्छा लग रहा था" और शर्मा गई फिर मैंने फिर मेरा लिंग अंदर डालकर उनके ऊपर पडा रहा उनको किस करता रहा
और साथ मे उनके स्तन के साथ प्यार से खेलता रहा हम एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे माँ को अब दर्द नही हो रहा था
उनके बदन के पसीने की गंध से मेरा लण्ड फिर हार्ड होने लगा माँ मेरे लण्ड का कड़ापन महसूस करके हैरत से बोली
"ये क्या फिर से"कहते हुए मेरी तरफ हैरत और अभिमान से देखने लगी उनकी उस नजर से मुझे फिर से ताकत मिली और मैं फिर धीरे धीरे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा अभी कुछ देर पहले मैं अंदर झड़ा था इसलीए मेरे वीर्य से पूरी योनि अछि तरह चिकनाई युक्त हो गई थी माँ ने प्यार भरे गुस्से में मुझे देखा और धीरे से कहा
"ये क्या तुम फिर शरू हुये, क्या अब भी दिल नही भरा? अब एक बार हो तो गया है. "
माँ के ऐसे कहते ही मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि माँ को कितना दर्द हुआ था और मैं उन्हें आराम देने के बदले फिर सेक्स के बारे में सोचने लगा मैने झटसे अपना लिंग बाहर निकाला और माँ के ऊपर से उतर के अलग हुआ
मुझे यू अपने उपरसे हटते हुए देखकर माँ को हैरत का झटका लगा. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा
" क्या हुआ तुम हट क्यों गये"
मैंने कहा "सॉरी माँ मुझसे गलती हुई तुम्हे इतना दर्द था और मैं सिर्फ सेक्स के बारे में सोच रहा था मुझे माफ़ करो मुझसे गलती हुई"
माँ ने हस कर मेरी तरफ देखा और कहा
"बेटा तुम मुझसे इतना प्यार करते हो, मैं आज बहुत खुश हूं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझती हूं जो मुझे अपने साथी के रूप में तुम मिले, और मुझे इतना दर्द नही हो रहा है, मैं तो मजाक कर रही थी, मेरी भी इच्छा थी तुम मुझे प्यार करते रहो "
मैने माँ की आंखों में अपने लिए बेइंतहा प्यार देखा मेरी आँखों मे खुशी के आंसू आगये मैं माँ लिपटकर उन्हें पागलो की तरह चुमने लगा माँ भी मेरा साथ देने लगी मेरा ढीला पड़ा लिंग फिर हार्ड हो गया माँ की दोनो थाइस मेरी कमर से लिपट गई मैने अपना लिंग माँ की रसभरी योनि में फिर से घुसा दिया माँ के मुह से आनंददायक सिसकारी निकल गई मैं फिरसे माँ की चुदाई करने लगा माँ और मैंने का सेक्सुअल पार्ट्स एकदम चिपक चुका था... पूरा लण्ड माँ की योनि में घूसा बैठा था...
मैंने माँ के शोल्डर्स को अपने हाथों में थाम लिया, फेस और लिप्स पर किसिंग करने लगा.. मैं अपने लण्ड को कुछ देर माँ की योनि में घूसा कर रखना चाहता था.. शायद इस तरह से माँ की योनि मेरे लण्ड के साइज की तरह हो जाए.... मैंने पूरा लण्ड धीरे धीरे योनि से बाहर निकाला और फिर झटके से पूरा अन्दर डाल दिया.. माँ दर्द से फिर चिल्ला उठि.. मैंने ने कोई १० - १५ धक्के इस तरह मारे..हर धक्के पर माँ के मुँह से हाय मर गइ..ओह माँ मा..अह निकल रहा था.. लण्ड योनि में अपनी जगह बनाने में लगा था.. धीरे धीरे जब मैंरे लण्ड ने माँ की टाइट योनि में अपनी जगह बना ली तो दर्द कुछ कम होने लगा. फिर मैंने माँ को चोदना शुरू कर दिया.. माँ मेरी बाँहों में पड़ी चुप चाप चुद रही थी.. थोड़ी देर में माँ का दर्द बिलकुल ख़तम हो गया और वो भी अब मेरा साथ देने लगी.. माँ ने मुझे अपने से लिपटा लिया. माँ के सेक्सी लेगस, उन लेग्स पर पायल, और सेक्सी रेड पेंटेड नेल्स चुदाई के टाइम बहुत मस्त लग रही थी. मैंने स्लो और तेज दोनों तरह से रेगुलर माँ की योनि चोद रहा था. माँ भी मुझ को अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.. हमदोनों का सेक्सुअल चुदाई इतना परफेक्ट दीख रहा था मानो हम एक दूसरे के साथ कई सालों से सेक्स कर रहा हो.. दोनों की सेक्सी अवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
इतने दिनों की प्रतीक्षा में दोनी का संयम अब टूट चुका था मैंने अब अपनी माँ को अब वह सुख दे रहा था जिसके लिए मां न जाने कितने सालो के लिये तरसी थी आज उसे वह सुख मिल रहा था जो वह भूल गई थी उनका पति पिछले १० साल पहले मर चूका था और तब से वह इस सुख से वंचित थी और उसने इसे अपना भाग्य मान लिया था
पर आज उनका बेटा ही उनका पति के स्थान पर उन्हें चोद रहा था, उनका अपने वो बेटा जो न केवल उसे प्यार करता है बल्कि सेक्स में भी बहुत जोरदार है जो उसे वह सुख दे रहा है जिसके लिए वह न जाने कबसे तड़पी थी पर अब उसे वह सुख मिल रहा था वह बहुत खुश थी तभी मेरी आवाज से वह सोच से बाहर आई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.