27-11-2024, 03:19 PM
मैं ने अपने लण्ड को ऐसे ही रखा.और फिर से माँ के होंठो को चूसने लगा. स्तन को दबाने लगा.कुछ समय के बाद माँ को अच्छा लगने लगा.
उनका दर्द कम हो गया. मैं ने माँ के होंठो को छोड़ दिया.और स्तन को भी...
माँ के चेहरे पर अब दर्द नही था बस प्यार ही प्यार दिख रहा था.
मैं लण्ड को धीरे से बाहर निकाल कर अंदर डालने लगा.धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा. अभी तक पांच इंच लण्ड अंदर था.मैं आराम से दो मिनट तक लण्ड को हिलाता रहा.
माँ बस बिना पलके झुकाए मुझे देख रही थी. क्या पता क्या देख रही थी.
मैं जो प्यार से लण्ड अंदर बाहर कर रहा था.मैं उसे ज़्यादा दर्द नही होने दे रहा था. शायद माँ यही देख रही थी.
मैं लण्ड को बड़े प्यार से माँ की योनि मे डाल रहा था. शायद माँ मेरा यही प्यार देख रही थी.
फिर धीरे धीरे गति बढ़ाने लगा.अब माँ का कुछ दर्द कम हुआ था. पर मैं ने अभी तक पूरा लण्ड अंदर नही डाला था.मैं इंतज़ार करने लगा कि कब माँ की योनि पानी छोड़ेगी.
पांच मिनट तक ऐसे ही चुदाई करने से माँ की योनि ने पानी छोड़ दिया.
माँ की योनि में पानी आ गया था. योनि अब गीली हो गयी थी. लण्ड के लिए जगह बन रही थी. माँ कुँवारी नही थी पर मेरा लण्ड ही बहोत बडा था नौ इंच लंबा और चार इंच चौड़ा और उसका सुपडा किसी जंगली आलू की तरह बडा था और माँ की योनि बहुत छोटी थी किसी छोटी बच्ची की तरह माँ की योनि और मेरे लिंग का कोई मेल ही नही था तो रिझल्ट तो ऐसे ही आना था मेरे लिंग ने माँ की योनि का बहोत बुरा हाल कर दिया था
फिर मैं ने आख़िरी झटका मारा और पूरा लण्ड अंदर चला गया. माँ की दबी हुई दर्द भरी चीख निकल गयी.
मैं माँ का बचा हुआ दर्द स्तन को दबा कर कम करने लगा.
मैं ने माँ से कहा बस हो गया.अब दर्द नही होगा... जितना दर्द होना तो हो गया...पूरा लण्ड अंदर चला गया है..,बस थोड़ी देर रूको सब ठीक हो जाएगा
माँ ने कहा., मुझे दर्द नही हो रहा है.
मुझे पता था कि माँ झूठ बोल रही थी.
मेरे लण्ड से दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
माँ की स्मॉल योनि मे दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
लण्ड अंदर जाने के बाद चीख निकली और दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
फिर भी माँ ने मेरे लिए कहा कि उन्हें दर्द नही हो रहा.
माँ की बात सुन ने के बाद मैं ने लण्ड को बाहर निकाल लिया. माँ के चेहरे पर जो भाव था वो ये बता रहा था कि माँ को कितना दर्द हो रहा है.
मैं समझ गया कि वो मेरे लिए,अपने प्यार के लिए दर्द बर्दास्त कर रही है.
मैं ने लण्ड को धीरे से फिर से अंदर डाल दिया और माँ के स्तन दबाते हुए लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया.
लण्ड के हिलने से माँ को दर्द हो रहा था.उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पे रख दिए. जैसे उनको दर्द होता वो अपने नाख़ून मेरे पीठ मे गाढ देती.और कहती कि मुझे दर्द नही हो रहा.
एक तरफ दर्द के वजह से नाख़ून से मेरे पीठ को खरॉच रही थी और दूसरी तरफ कह रही थी कि मुझे दर्द नही हो रहा.
माँ के साथ चुदाई करते हुए मुझे कोई जल्दी नही थी.
मैं हर एक धक्के को महसूस करना चाहता था. मैं ऐसा क्यू कर रहा था मुझे पता नही था.
पर हर एक धक्के के साथ मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
माँ भी अब मेरे धक्को को महसूस करके अपने दिलो दिमाग़ मे ये माँ बेटे की पहली चुदाई फिट कर रही थी.
मैं बड़े प्यार से माँ की चुदाई कर रहा था. आज मुझे क्या हुआ था कुछ समझ नही आरहा था.
ना माँ को जल्दी थी और ना मुझे जल्दी थी. ना माँ मुझसे अलग होना चाहती थी. और ना मैं माँ को अलग होने देना चाहता था
मैं लण्ड को माँ की योनि की गहराई तक अंदर डाल कर धक्के मारता गया. फिर भी उनका दर्द कम नही हुआ.पर मुझे लग रहा था कि उनका प्यार बढ़ रहा है.
चुदाई के बाद मैं माँ को क्या कहूँगा,उनका सामना कैसे करूँगा,इसकी मुझे कोई फिकर नही थी.
बस मैं धक्के मार कर अपने जीवन को सफल कर रहा था.
मैं लण्ड को धीरे से पूरा बाहर निकाल लेता फिर अंदर कर लेता. ऐसा कुछ देर करने के बाद माँ की योनि ने मेरे लण्ड के लिए जगह बना दी.और लण्ड आराम से अंदर जाने लगा.
योनि मे लण्ड के लिए जगह बनने से माँ का दर्द ख़तम हो गया. मैं धक्के लगाता रहा.
अब माँ भी अपने चूतड़ उपर करके मेरा साथ दे रही थी माँ अब सिसकिया ले रही थी पर खुल कर नही ले रही थी. वो मुझसे शरमा रही थी.
बस बीच बीच मे आहह आहह कर रही थी.दस मिनट तक मैं ने दिमाग़ को सेक्स से अलग रख कर दिल को माँ की चुदाई फील करने दे रहा था.
मैं माँ की ऐसे ही चुदाई करता रहा.फिर से माँ ने पानी छोड़ दिया.
फिर मैं ने माँ के पैरो को थोड़ा ज़्यादा फैला दिया और धक्के बहुत धीमी गति से मैं माँ की योनि मे धक्के मार रहा था.
मैं माँ को हर धक्के का मज़ा दे रहा था और ले भी रहा था. कमरे मे हमारे चुदाई का म्यूज़िक गूँज रहा था.
यह चुदाई का म्यूज़िक कब से बज रहा था ये ना माँ को पता था और ना मुझे पता था.
माँ ने ज़्यादा तर समय अपनी आँखो को बंद रखा था.पर माँ बीच बीच मे अपनी आँखो खोल कर मुझे धक्के मारते हुए देख कर फिर से अपनी आँखो बंद कर लेती.
माँ ने फिर एक बार पानी छोड़ दिया.इस लंबी चुदाई मे मुझे भी लग रहा था कि अब मेरा भी होने वाला है.
अब मुझे अपनी धक्के मारने की गति बढ़ानी थी.पर माँ को दर्द ना हो,इसके लिए दिल मुझे इसकी इजाज़त नही दे रहा था. अगर दिल की जगह दिमाग़ होता तो अब तक मैं ने अपनी गति बढ़ा दी होती और मेरा वीर्य माँ की योनि मे होता.
मैं बड़े प्यार के साथ आख़िरी झटके भी धीरे धीरे मार रहा था.
आख़िरी झटके वो भी धीरे धीरे मारने के लिए मुझे मेरे दिल ने बहुत मदद की.
मेरे धक्के की गति अपने आप थोड़ी बढ़ गयी थी शायद उस से माँ ने पता लगा लिया होगा कि मेरा होने वाला.
इस लिए वो अपने चूतड़ उठाकर मेरा साथ देने लगी.
मैंने माँ को प्यार से पूछा - "माँ मेरा होने वाला है. मैं अपना माल कहाँ निकालूँ? क्या अंदर ही छोड़ दूँ. कोई दिक्कत तो नहीं है न?'
माँ भी प्यार से बोली - "हाँ बेटा मेरे अंदर ही अपना माल छोड़ दो. मेरा अब माँ बनने का टाइम निकल चूका है. इसलिए कोई खतरा नहीं है. तुम आराम से अंदर ही अपना वीर्य छोड़ सकते हो. वैसे भी मैं पहली बार अपने बेटे के साथ यह सब कर रही हूँ तो तुम्हारा वीर्य मैं अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ. "
फिर एक आखरी धक्के के साथ मेरा वीर्य निकल गया.
मैं ने अपना वीर्य माँ की योनि मे डाल दिया.
मेरा वीर्य योनि मे महसूस कर के माँ ने आँखो खोल दी और मैं माँ के उपर गिर गया.
थोड़ी देर मैं माँ के उपर ही रहा.
फिर माँ नॉर्मल हो गयी.
अब माँ को अपने बदन मे दर्द महसूस हो रहा था.
क्यू कि मैं अभी तक माँ के उपर था
मुझे इस बात का अहसास हुआ.मैं माँ के उपर से अलग हो गया.
मैं ने अपने लण्ड को माँ की योनि से बाहर निकाल लिया.
मेरा लण्ड तो माँ की योनि से बाहर आने को तैय्यार नही था.
उसे हमेशा के लिए आखिर एक घर मिल गया था और वो वही रहना चाहता था.
दिल पर पत्थर रख कर लण्ड को बाहर निकाल लिया.
मेरे लण्ड पे माँ की चूत का रस और मेरा वीर्य लगा हुआ था.
माँ के योनि पर भी उनका अपना रस और उनके बेटे का वीर्य लगा हुआ था.
उनका दर्द कम हो गया. मैं ने माँ के होंठो को छोड़ दिया.और स्तन को भी...
माँ के चेहरे पर अब दर्द नही था बस प्यार ही प्यार दिख रहा था.
मैं लण्ड को धीरे से बाहर निकाल कर अंदर डालने लगा.धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा. अभी तक पांच इंच लण्ड अंदर था.मैं आराम से दो मिनट तक लण्ड को हिलाता रहा.
माँ बस बिना पलके झुकाए मुझे देख रही थी. क्या पता क्या देख रही थी.
मैं जो प्यार से लण्ड अंदर बाहर कर रहा था.मैं उसे ज़्यादा दर्द नही होने दे रहा था. शायद माँ यही देख रही थी.
मैं लण्ड को बड़े प्यार से माँ की योनि मे डाल रहा था. शायद माँ मेरा यही प्यार देख रही थी.
फिर धीरे धीरे गति बढ़ाने लगा.अब माँ का कुछ दर्द कम हुआ था. पर मैं ने अभी तक पूरा लण्ड अंदर नही डाला था.मैं इंतज़ार करने लगा कि कब माँ की योनि पानी छोड़ेगी.
पांच मिनट तक ऐसे ही चुदाई करने से माँ की योनि ने पानी छोड़ दिया.
माँ की योनि में पानी आ गया था. योनि अब गीली हो गयी थी. लण्ड के लिए जगह बन रही थी. माँ कुँवारी नही थी पर मेरा लण्ड ही बहोत बडा था नौ इंच लंबा और चार इंच चौड़ा और उसका सुपडा किसी जंगली आलू की तरह बडा था और माँ की योनि बहुत छोटी थी किसी छोटी बच्ची की तरह माँ की योनि और मेरे लिंग का कोई मेल ही नही था तो रिझल्ट तो ऐसे ही आना था मेरे लिंग ने माँ की योनि का बहोत बुरा हाल कर दिया था
फिर मैं ने आख़िरी झटका मारा और पूरा लण्ड अंदर चला गया. माँ की दबी हुई दर्द भरी चीख निकल गयी.
मैं माँ का बचा हुआ दर्द स्तन को दबा कर कम करने लगा.
मैं ने माँ से कहा बस हो गया.अब दर्द नही होगा... जितना दर्द होना तो हो गया...पूरा लण्ड अंदर चला गया है..,बस थोड़ी देर रूको सब ठीक हो जाएगा
माँ ने कहा., मुझे दर्द नही हो रहा है.
मुझे पता था कि माँ झूठ बोल रही थी.
मेरे लण्ड से दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
माँ की स्मॉल योनि मे दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
लण्ड अंदर जाने के बाद चीख निकली और दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
फिर भी माँ ने मेरे लिए कहा कि उन्हें दर्द नही हो रहा.
माँ की बात सुन ने के बाद मैं ने लण्ड को बाहर निकाल लिया. माँ के चेहरे पर जो भाव था वो ये बता रहा था कि माँ को कितना दर्द हो रहा है.
मैं समझ गया कि वो मेरे लिए,अपने प्यार के लिए दर्द बर्दास्त कर रही है.
मैं ने लण्ड को धीरे से फिर से अंदर डाल दिया और माँ के स्तन दबाते हुए लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया.
लण्ड के हिलने से माँ को दर्द हो रहा था.उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पे रख दिए. जैसे उनको दर्द होता वो अपने नाख़ून मेरे पीठ मे गाढ देती.और कहती कि मुझे दर्द नही हो रहा.
एक तरफ दर्द के वजह से नाख़ून से मेरे पीठ को खरॉच रही थी और दूसरी तरफ कह रही थी कि मुझे दर्द नही हो रहा.
माँ के साथ चुदाई करते हुए मुझे कोई जल्दी नही थी.
मैं हर एक धक्के को महसूस करना चाहता था. मैं ऐसा क्यू कर रहा था मुझे पता नही था.
पर हर एक धक्के के साथ मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
माँ भी अब मेरे धक्को को महसूस करके अपने दिलो दिमाग़ मे ये माँ बेटे की पहली चुदाई फिट कर रही थी.
मैं बड़े प्यार से माँ की चुदाई कर रहा था. आज मुझे क्या हुआ था कुछ समझ नही आरहा था.
ना माँ को जल्दी थी और ना मुझे जल्दी थी. ना माँ मुझसे अलग होना चाहती थी. और ना मैं माँ को अलग होने देना चाहता था
मैं लण्ड को माँ की योनि की गहराई तक अंदर डाल कर धक्के मारता गया. फिर भी उनका दर्द कम नही हुआ.पर मुझे लग रहा था कि उनका प्यार बढ़ रहा है.
चुदाई के बाद मैं माँ को क्या कहूँगा,उनका सामना कैसे करूँगा,इसकी मुझे कोई फिकर नही थी.
बस मैं धक्के मार कर अपने जीवन को सफल कर रहा था.
मैं लण्ड को धीरे से पूरा बाहर निकाल लेता फिर अंदर कर लेता. ऐसा कुछ देर करने के बाद माँ की योनि ने मेरे लण्ड के लिए जगह बना दी.और लण्ड आराम से अंदर जाने लगा.
योनि मे लण्ड के लिए जगह बनने से माँ का दर्द ख़तम हो गया. मैं धक्के लगाता रहा.
अब माँ भी अपने चूतड़ उपर करके मेरा साथ दे रही थी माँ अब सिसकिया ले रही थी पर खुल कर नही ले रही थी. वो मुझसे शरमा रही थी.
बस बीच बीच मे आहह आहह कर रही थी.दस मिनट तक मैं ने दिमाग़ को सेक्स से अलग रख कर दिल को माँ की चुदाई फील करने दे रहा था.
मैं माँ की ऐसे ही चुदाई करता रहा.फिर से माँ ने पानी छोड़ दिया.
फिर मैं ने माँ के पैरो को थोड़ा ज़्यादा फैला दिया और धक्के बहुत धीमी गति से मैं माँ की योनि मे धक्के मार रहा था.
मैं माँ को हर धक्के का मज़ा दे रहा था और ले भी रहा था. कमरे मे हमारे चुदाई का म्यूज़िक गूँज रहा था.
यह चुदाई का म्यूज़िक कब से बज रहा था ये ना माँ को पता था और ना मुझे पता था.
माँ ने ज़्यादा तर समय अपनी आँखो को बंद रखा था.पर माँ बीच बीच मे अपनी आँखो खोल कर मुझे धक्के मारते हुए देख कर फिर से अपनी आँखो बंद कर लेती.
माँ ने फिर एक बार पानी छोड़ दिया.इस लंबी चुदाई मे मुझे भी लग रहा था कि अब मेरा भी होने वाला है.
अब मुझे अपनी धक्के मारने की गति बढ़ानी थी.पर माँ को दर्द ना हो,इसके लिए दिल मुझे इसकी इजाज़त नही दे रहा था. अगर दिल की जगह दिमाग़ होता तो अब तक मैं ने अपनी गति बढ़ा दी होती और मेरा वीर्य माँ की योनि मे होता.
मैं बड़े प्यार के साथ आख़िरी झटके भी धीरे धीरे मार रहा था.
आख़िरी झटके वो भी धीरे धीरे मारने के लिए मुझे मेरे दिल ने बहुत मदद की.
मेरे धक्के की गति अपने आप थोड़ी बढ़ गयी थी शायद उस से माँ ने पता लगा लिया होगा कि मेरा होने वाला.
इस लिए वो अपने चूतड़ उठाकर मेरा साथ देने लगी.
मैंने माँ को प्यार से पूछा - "माँ मेरा होने वाला है. मैं अपना माल कहाँ निकालूँ? क्या अंदर ही छोड़ दूँ. कोई दिक्कत तो नहीं है न?'
माँ भी प्यार से बोली - "हाँ बेटा मेरे अंदर ही अपना माल छोड़ दो. मेरा अब माँ बनने का टाइम निकल चूका है. इसलिए कोई खतरा नहीं है. तुम आराम से अंदर ही अपना वीर्य छोड़ सकते हो. वैसे भी मैं पहली बार अपने बेटे के साथ यह सब कर रही हूँ तो तुम्हारा वीर्य मैं अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ. "
फिर एक आखरी धक्के के साथ मेरा वीर्य निकल गया.
मैं ने अपना वीर्य माँ की योनि मे डाल दिया.
मेरा वीर्य योनि मे महसूस कर के माँ ने आँखो खोल दी और मैं माँ के उपर गिर गया.
थोड़ी देर मैं माँ के उपर ही रहा.
फिर माँ नॉर्मल हो गयी.
अब माँ को अपने बदन मे दर्द महसूस हो रहा था.
क्यू कि मैं अभी तक माँ के उपर था
मुझे इस बात का अहसास हुआ.मैं माँ के उपर से अलग हो गया.
मैं ने अपने लण्ड को माँ की योनि से बाहर निकाल लिया.
मेरा लण्ड तो माँ की योनि से बाहर आने को तैय्यार नही था.
उसे हमेशा के लिए आखिर एक घर मिल गया था और वो वही रहना चाहता था.
दिल पर पत्थर रख कर लण्ड को बाहर निकाल लिया.
मेरे लण्ड पे माँ की चूत का रस और मेरा वीर्य लगा हुआ था.
माँ के योनि पर भी उनका अपना रस और उनके बेटे का वीर्य लगा हुआ था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.