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शादी की सालगिरह बहन के साथ
#42
(31-01-2019, 11:52 AM)neerathemall Wrote:
शादी की सालगिरह बहन के साथ 















Heart







अब वह कहानी 


-


शादी की पहली सालगिरह और मैं अपने घर पर अकेला था. मेरी बीवी मोना डेलिवरी के लिए अपने मयके गयी हुई थी. उसके बिना हमारा छोटा सा घर बिल्कुल सुना पड़ गया था. मुझे अपने उपर गुस्सा भी आया की अगर मोना इतनी जल्दी प्रेग्नेंट नही होती तो आज पहली सालगिरह हम दोनो साथ मानते. मैं ऑफीस से छुट्टी लेकर उसको घूमने ले जाता फिर किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में खाना ख़ाकेर घर वापस आते.

डिसेंबर का महीना था और हमारे शहर में थोड़ी ठंड पड़ने लगी थी. मैं खिड़की से बाहर झकने लगा और मुझे याद आया पिछले जाड़ों में मोना जब नयी नयी दुल्हन बनकर आई थी तो उसको ठंड से दिक्कत हुई थी. उन दीनो की मधुर यादें मेरे मॅन में घूमने लगी. कैसे मोना हरदम मेरी बाँहों में रहती थी गर्मी पाने के लिए. जाड़ों के वो भी क्या दिन थे और इस बार का जाड़ा मोना के बिना में बहुत अकेलापन महसूस कर रहा था.

फिर ध्यान भटकने के लिए मेने ऑफीस के काम के बारे में सोचा , ऑफीस में बहुत से प्रॉजेक्ट पेंडिंग पड़े थे. चलो ठीक है अकेलेपन से जो उदासी फील हो रही है उसको काम के बोझ से भूलने में मदद मिलेगी , ऐसा ही सही. मेने सोचा आज इतना काम है घर लौटे वक़्त देर हो जाएगी. आज के दिन साक्षी दीदी से भी मिलने का टाइम नही होगा. उसके घर जाने में कार से 1 घंटा लग जाता था.

तभी फोन की घंटी बजी देखा तो मोना की कॉल थी. उसने सालगिरह की विश की. विश करते हुए उसका गला रुंध गया और वो सुबकने लगी. अब 1000 km की दूरी फोन से तो मिट नही सकती थी.मेने उसे दिलासा दिया. वो ज़्यादा बोल नही पाई उसने फोन रख दिया. उससे बात करने के बाद मुझे अब और भी ज़्यादा अकेलापन महसूस होने लगा. 

जैसे ही मैं बाथरूम में घुसा फिर फोन आ गया. 

[Image: 9c4cgj.gif]

“हॅपी आनिवर्सयरी, समीर” साक्षी दीदी की खनकती आवाज़ थी.
उसकी आवाज़ सुनते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी.

मैं बोला, “थॅंक योउ , में अभी तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था की घर आने का टाइम मिले ना मिले.” 

वो बोली, “झूठ मत बोल, सालगिरह के दिन तू दीदी को नही अपनी बीवी को याद कर रहा होगा.”

मेने कहा, “ ये भी सही है. मोना को तो मैं मिस कर ही रहा हूँ. लेकिन मैं तुम्हे फोन करने वाला था की आज डिनर पर नही आ पाउँगा, ऑफीस में बहुत काम है.”

“मुझे मालूम था तू कुछ ना कुछ बहाने बना देगा. ये नौकरी भी ना तेरी दूसरी बीवी की तरह है. लेकिन तुझे नही लगता की कम से कम महीने में एक बार तो मेरे घर अपने दर्शन दिया कर , एक शहर में इतने नज़दीक़ होते हुए भी हम कितने दूर है.” उसकी आवाज़ में कुछ उदासी सी आ गयी.

“हन सो तो है, मैं कब से तुमसे नही मिल पाया हूँ.” मुझे कुछ गिल्टी फीलिंग सा हुआ.

“इसीलिए तो मैं यहाँ हूँ बुद्धू, ज़रा बाहर तो झाँक.” साक्षी दीदी हंसते हुए बोली.

मैं खिड़की के पास गया और बाहर देखा . साक्षी दीदी गेट से अंदर को आ रही थी. हमारी नज़रें मिली और वो दूर से ही मुस्कुराइ. मेने फोन बंद किया और दीदी को लेने दौड़ा. 

“दीदी आपने सुबह सवेरे आकेर क्या सर्प्राइज़ दिया है,” 

“मुझे मालूम था तू आज अकेलापन महसूस कर रहा होगा , इसलिए मेने सोचा सुबह आकर तुझे सालगिरह की विश कर दूं. फिर तो तू ऑफीस चला जाएगा.“

फिर हम सोफे पर बैठकर बातें करने लगे. बीच बीच में दीदी की हँसी से घर का सन्नाटा दूर हो गया.

कुछ देर बाद साक्षी दीदी बोली, “नाश्ते का क्या प्लान है?”

मैं हँसते हुए बोला, “ शाही नाश्ता , ब्रेड और बटर.”

दीदी ज़ोर से हंस पड़ी. उसे मालूम था बाकी मर्दों की तरह ही मुझे किचन में काम करना पसंद नही.
फिर उसने अपने बैग में से एक पॅकेट निकाला जो एक चमकदार पंनी में लिपटा हुआ था और टेबल पर रख दिया, “ आज सालगिरह के दिन तो अच्छे से नाश्ता कर ले.”

“थॅंक योउ दीदी, सो नाइस ऑफ योउ.” नाश्ते का पॅकेट देखकर मैने उसे धन्यवाद दिया.

हमारी गुप शुप फिर शुरू हो गयी. साक्षी दीदी सोफे पर बैठे बैठे बोलते समय कभी मेरी तरफ देखती , कभी सामने खिड़की से बाहर को देखती. वो मुझसे सिर्फ़ 2 साल बड़ी थी पर तुषार से उसकी शादी हुए 6 साल हो चुके थे. हंसते समय उसके गालों पर डिंपल पड़ते थे जो बहुत क्यूट लगते थे. मेरा ध्यान उसके चेहरे की तरफ चला गया. उसने सुबह की ठंड से बचने के लिए हल्के मरून कलर का शॉल ओड़ा हुआ था. तभी उसने मेरी तरफ देखा , और मुझे अपने को ताकते हुए पाया. उसकी आँखो में ऐसे भाव आए जैसे कह रही हो , ऐसे क्या देख रहा है.

मेने बात पलटने के लिए कह दिया, “ देखो ना दीदी , ये घर कितना सुना सुना लग रहा है.”

वो बोली, “जब तेरा बेबी आएगा ना यहा, तब सब सूनापन ख़तम हो जाएगा.”

“मुझसे इंतज़ार बर्दस्त नही होता”

“मुझे मालूम है, तुझे हर चीज़ की जल्दी हुई रहती है. तू हमेशा से ऐसा ही था, जल्दबाज़ी वाला. तभी तो मोना इतनी जल्दी प्रेग्नेंट हो गयी.” साक्षी दीदी आँख मारते हुए बोली, उसने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया.

दीदी के जोक से मैं शर्मा गया. बातचीत करते समय मेरे चेहरे या कंधे को वो हाथ से छूते रहती थी पर कभी भी उसने जाँघ पर हाथ नही रखा था. ये कुछ अजीब सी फीलिंग थी.

फिर वो एकद्म से सीरीयस होकर बोली, “ मैं चाहती हूँ की बेबी होने के बाद भी तू मोना की पहले जैसे ही केयर करना. बाप बनने के बाद बीवी को भूल मत जाना.” उसकी आवाज़ में कुछ उदासपन था.
मैं जनता था जीजाजी बिज़्नेस में बिज़ी रहने लगे थे. साक्षी दीदी का इशारा उन्ही की तरफ था .

मैं दीदी को दिलासा देते हुए बोला, “ जीजाजी अच्छे आदमी है, अपने परिवार के लिए ही तो वो इतनी मेहनत करते हैं बिज़्नेस में.”

“तुषार का बस चले तो वो ऑफीस में ही बेड रख ले” दीदी की आँखे गीली हो गयी.

“चलो , कुछ और बात करते हैं” मैं जल्दी से बोला, मुझे दर था कहीं दीदी रो ना पड़े.

“ई आम सॉरी, मैं तो तुम्हे विश करने आई थी और अपने घर का रोना शुरू कर दिया.” दीदी अपने को सम्हलते हुए बोली.




19


मैं तुम्हारे लिए गरमागरम एक कप कॉफी बनाकर लता हूँ”, मैं सोफे से उठने लगा.

“ज़्यादा फॉरमॅलिटी मत करो,” कहते हुए दीदी ने हाथ पकड़कर मुझे वापस सोफे पर बैठा दिया.

मैने कहा, “तुम ठंड में आई हो , मेरे ख़याल से एक कप गरम कॉफी पीकर तुम्हे अच्छा लगेगा. “

“मैं उतनी दूर से एक कप कॉफी के लिए नही आई हूँ “ , साक्षी दीदी शरारत से मुस्कुराइ, फिर बोली,” मैं तुम्हारी सालगिरह पर तुम्हे बढ़िया नाश्ता कराने आई हूँ.”

मैं नाश्ते के पॅकेट की तरफ देखते हुए बोला , “ इतनी जल्दी ? अभी तो नाश्ते का टाइम नही हुआ है ?”

“ तू भी तुषार की तरह ही अँधा है” , फिर साक्षी दीदी मेरे नज़दीक़ खिसकते हुए धीमे स्वर में बोली , “ तुझे अपने सामने इतना बढ़िया नाश्ता नही दिख रहा ? एकद्म ताज़ा और गरमागरम.”

मुझे दीदी की बात सुनकर एक झटका सा लगा . 
साक्षी दीदी की पुरानी यादें एकद्म से मेरे दिमाग़ में घूमने लगी की कैसे शादी से पहले मैं उसे चोरी छिपे तकता था , शायद उसने भी कभी नोटीस किया हो. मेरे सपनो में आकर कई बार दीदी मुझे गीला कर गयी थी. पर वो पुरानी बातें थी. जिंदगी की भागदौड़ में हम एक दूसरे से बहुत दूर चले गये थे.

“ ठीक है मैं नाश्ते का पॅकेट खोल देती हूँ “ कहते हुए साक्षी दीदी ने मुस्कुराते हुए अपना शॉल हटाकर बगल में रख दिया.

मेने देखा अंदर साक्षी दीदी ने ग्रीन कलर का पंजाबी सूट पहना हुआ था जिसकी कमीज़ कड़ाई वाली और लो नेक की थी. उस सूट में वो बहुत सुंदर दिख रही थी. उसके क्लीवेज से उसकी गोरी गोरी चुचियों का उपरी भाग दिख रहा था. मेरी नज़र सीधे उन्ही पर गयी. उततेज़ना से मेरा गला सुख गया. जब हम साथ ही रहते थे तो चोरी छिपे मेने कई बार उनको देखने की कोशिश की थी पर आज दीदी खुद ही उन्हे मेरी आँखो के सामने ला रही थी. उन्हे देखकर दुनिया का कोई भी मर्द अपने उपर काबू नही रख सकता था और मैं भी कोई अपवाद नही था.

साक्षी दीदी ने मुझे एकटक अपनी छाती को घूरते हुए पाया तो वो मुस्कुराइ और मेरे चेहरे के नज़दीक़ अपना सर लाकर, मेरे बाए गाल पर अपने होठों से एक चुंबन ले लिया. मैं अभी भी बुत बनकर सिर्फ़ उसे ही देख रहा था और वो मेरी हालत पर मुस्कुरा रही थी. तभी मेने महसूस किया की मेरे पाजामे में तंबू बन चुका है.





“समीर, मैं तुम्हारी सालगिरह को यादगार बना देना चाहती हूँ” दीदी सीधे मेरी आँखो मेी देखते हुए मुस्कुरकर बोली. फिर एक झटके में उसने अपनी कमीज़ सर के उपर से उतार दी. अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी और फिर उसने अपने दोनो हाथ मेरी जाँघ पर रख दिए इससे उसकी ब्रा ठीक मेरी आँखो के सामने आ गयी.


[Image: 9c4cok.gif]

अभी तक सारी पहल साक्षी दीदी ही कर रही थी मैं अवाक सा सिर्फ़ देख रहा था . सयद मेरे अंदर कहीं दर था की कहीं मैं कुछ ग़लत ना कर दूं और वो नाराज़ ना हो जाए . इसलिए मैने अपनी तरफ से कोई पहल नही की सब कुछ उसी को करने दिया. दूसरी बात ये भी थी की मुझे ये सब सपने जैसा लग रहा था मुझे विस्वास ही नही हो रहा था की ये हक़ीकत में हो रहा है , इसलिए मुझे कुछ भी नही सूझ रहा था की मुझे क्या करना है और मैं सिर्फ़ उसे ही देखता रहा.

फिर साक्षी दीदी ने अपनी टांग उठा कर मेरी टाँगों के उपर रख दी और मेरे चेहरे के नज़दीक़ अपना चेहरा लाकर धीमे से मादक स्वर में बोली, “ समीर, मैं चाहती हूँ की आज के दिन तुम मुझे मोना समझकर वैसे ही ट्रीट करो .”

अपने चेहरे पर दीदी की गरम साँसे पड़ते ही मैं अपने उपर कंट्रोल नही रख पाया और मेने एक हाथ से उसका सर पकड़कर अपने होठ साक्षी दीदी के रसीले होठों पर रख दिए और उन्हे चूसने लगा. आज मेरी वर्षों की दबी हुई इच्छा पूरी हो रही थी. फिर मेने उसके होठों के बीच से मुँह के अंदर जीभ डाल दी और उसके पूरे मुँह में जीभ घूमकर चूसने लगा. 

फिर हम दोनो एक दूसरे को चूमते हुए ही सोफे से नीचे कालीन पर आ गये. साक्षी दीदी मेरे उपर लेटी थी और उसके होठ मेरे होठ से चिपके हुए थे. उसकी चुचियाँ मेरी छाती में दबी हुई थी और मेरा लंड पाजामा के अंदर से ही दीदी के पेट के निचले भाग पर रगड़ खा रहा था. फिर दीदी ने पीछे को जाकर मेरे पाजामा का नडा खोलकर उसे मेरे पैरों से निकल दिया.

फिर साक्षी दीदी मेरे उपर चढ़ गयी और कपड़ों के उपर से ही अपना बदन मुझसे रगड़ने लगी . फिर वो आगे को झुकी तो उसके बालों ने मेरा चेहरा ढक लिया. उसने अपना सर झटक कर मेरे चेहरे से अपने बाल हटाए और फिर मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए. अपने दाये हाथ से वो मेरे सर के बालों को सहला रही थी. उसकी ब्रा में क़ैद चुचियाँ मेरी छाती पर दबी हुई थी और उसके ताने हुए निपल्स ब्रा के अंदर से ही मेरी छाती पर रगड़ खा रहे थे. मेने अपने हाथ साक्षी दीदी के सलवार के बाहर से ही उसके नितंबों पर रख दिए और उन्हे मसलने लगा. फिर मेने फर्श पर ही उसको नीचे पलटकर उसके उपर आ गया. साक्षी दीदी ने अपनी टाँगे मेरी कमर पर कस ली और मुझे अपने ओर नज़दीक़ खींच लिया. 

फिर मेने साक्षी दीदी के निप्पल को ब्रा के बाहर से ही मुँह में भर लिया . एक भीनी भीनी मादक सी खुसबु मुझे आई , शायद ब्रा में उसके पसीने की थी . उससे मुझे और भी मदहोशी छा गयी. थोड़ी देर तक ब्रा के साथ ही निप्पल चूसने के बाद मेने दीदी की ब्रा को उतार दिया . साक्षी दीदी की बड़ी बड़ी गोरी चुचियाँ अब खुली हवा में थी. मेने उसकी बाई चुचि को मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा. साक्षी दीदी मदहोशी में सिसकारियाँ भरने लगी.


मैं जीतने ज़ोर से चुचि को चूसता वो उतने ही ज़ोर से सिसकारियाँ लेती. मेने दीदी के उततेज़ना से ताने हुए निपल को अपने मुँह में भरकर चूसा . फिर निपल को चूस्टे हुए ही मैं अपने दोनो हाथों को दीदी के बदन के नीचे ले जाकर बड़े सुडोल नितंबों को ज़ोर से मसालने लगा. 





उसके बाद मेने साक्षी दीदी की सलवार और पनटी उतार दी. साक्षी दीदी अब मेरे सामने पूरी नंगी लेटी थी. उसकी चूत पर बाल नही होने से एकद्म चिकनी चूत नज़र आ रही थी. पूरी तरह से निर्वस्त्रा होने के बाद जब साक्षी दीदी ने मुझे अपनी चिकनी चूत को देखते पाया तो वो शर्मा गयी और उसने अपने दोनो हाथ आगे करके हाथों से अपनी चूत छिपा ली. मेने उसके हाथों को हटाकर चूत पर अपना मुँह लगा दिया और चूत के अंदर जीभ घुसकर चूत की गर्मी और गीलेपन का जयजा लिया. साक्षी दीदी ने मेरे सर के बाल पकड़ लिए और उततेज़ना में भरकर अपने नितंबों को मेरे मुँह पर उछालने लगी. मेने अपने दोनो हाथों में साक्षी दीदी के नरम नितंबों को पकड़ लिया . और फिर चूत चाटने के साथ साथ साक्षी दीदी के नितंबों को बुरी तरह से मसलने लगा. 
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मेरी जीभ के चूत की दीवारों पर रगड़ने से साक्षी दीदी का चूत रस बह निकला , वो ज़ोर ज़ोर से मदहोशी में सिसकारियाँ लेने लगी. और उसकी कमर उपर को उठ कर टेडी हो गयी . फिर मेने अपनी जीभ निकालकर दो उंगलियाँ साक्षी दीदी की चूत में डाल दी और तेज़ी से उन्हे अंदर बाहर करने लगा . साक्षी दीदी उततेज़ना से चीखने लगी.

उसके ऐसे चीखने से मैं भी बहुत उततेज़ीत हो गया और बोला,” दीदी , आज तुम बहुत अच्छा फील करोगी. जब तुम यहाँ से जाओगी तो तुम्हारे होठ सुज़ चुके होंगे और तुम्हारी चूत पहले से ज़्यादा चौड़ी हो चुकी होगी.”

साक्षी दीदी उततेज़ना में बोली,” आहह…… इस तरह की मादक बातें सुनने को मेरे कान तरस गये हैं….. और बोलो समीर …….और बोलो….”

थोड़ी देर में ही एक जबरदस्त ऑर्गॅज़म से दीदी झड़ गयी. मेरी उंगलियाँ उसकी चूत के रस से पूरी तरह भीग गयी.
थोड़ी देर तक उसका बदन अकड़ गया और वो तेज तेज साँसे लेती रही. 

कुछ पल बाद साक्षी दीदी बोली , “आह्ह समीर, बहुत मज़ा आया . आज बहुत दिन के बाद मुझे इतना तेज ऑर्गॅज़म आया है.”

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फिर मेने अपना अंडरवेर उतार दिया और साक्षी दीदी के उपर लेटकर उसके होठों को चूसने लगा. थोड़ी देर बाद उसने अपने होठ हटा लिए और मुझे नीचे गिराकर अपना उपर आ गयी. फिर वो मेरे माथे, चेहरे को चूमते हुए नीचे को बड़ी. छाती और पेट पर चुंबन लेने के बाद उसने अपने हाथ से मेरा तना हुआ लंड पकड़ लिया और उपर नीचे मूठ मरने लगी. फिर उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और लंड को अपने मुँह में भरकर लॉलीपॉप के जैसे चूसने लगी. 


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साक्षी दीदी के नरम होठों का स्पर्श मेरे लंड पर लगते ही में आनंद से भर गया. उसके मुँह के अंदर अपने लंड को मैं गायब होते देख रहा था. वो पूरी तन्मयता से मेरा लंड चूस रही थी. साक्षी दीदी ने इतनी अच्छी तरह से मेरा लंड चूसा की मैं अपने उपर काबू नही रख पाया और कुछ देर बाद मेरे लंड से वीर्या की धार दीदी के मुँह में गिरने लगी . साक्षी दीदी ने पूरा वीर्या निगल लिया . झड़ने के बाद मेरा लंड सिकुड गया. साक्षी दीदी ने फिर से मेरे मुरझाए हुए लंड को अपने हाथों में पकड़ा और उसे उपर नीचे हिलने लगी. थोड़ी ही देर में साक्षी दीदी के हाथों का जादू काम कर गया और मेरा लंड फिर से टन कर खड़ा हो गया.
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लंड के तनते ही साक्षी दीदी ने जल्दी से अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर के दोनो तरफ रख दी. फिर उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के छेद पर लगाया और धीरे धीरे लंड पर नीचे को बैठने लगी. मेरा पूरा लंड साक्षी दीदी की प्यासी चूत की गहराईयों में जड़ तक जा घुसा. फिर साक्षी दीदी लंड पर उपर नीचे होकर मुझे चोदने लगी. थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद मैं भी जोश में आ गया और साक्षी दीदी के दोनो नितंबों को अपने दोनो हाथों में पकड़कर नीचे से धक्के मरते हुए मेने साक्षी दीदी को उपर उछालना शुरू कर दिया. साक्षी दीदी अपने निचले होठ को मुँह में दबाकर मादक अंदाज़ में चुदती रही . हम दोनो ही कामांध हो चुके थे.
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साक्षी दीदी के मुँह से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ निकलने लगी. जो मेरा घर कुछ ही देर पहले तक सुनसानी का शिकार था वो साक्षी दीदी की मादक सिसकारियों के संगीत से गूंजने लगा. मैं तो जैसे जिंदा ही स्वर्ग के आनंद का अनुभव कर रहा था. मेने सपने में भी नही सोचा था की मैं कभी साक्षी दीदी को चोद पाउँगा. इससे पहले तो मेने कभी उनकी चुचि भी नग्न नही देखी थी और आज वो मेरे उपर नंगी होकर चुदवा रही थी.
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मेरे तेज तेज धक्कों से साक्षी दीदी की गोरी बड़ी चुचियाँ हवा में उपर नीचे उछाल रही थी. कुछ देर बाद साक्षी दीदी की सिसकारियाँ चीखों में बदल गयी . मैं समझ गया अब वो झड़ने वाली है. मेने धक्कों की स्पीड और तेज कर दी . साक्षी दीदी इतनी ज़ोर से चीखने लगी की मुझे लगा कोई पड़ोसी ना आ जाए. फिर साक्षी दीदी एक और ऑर्गॅज़म से झड़ गयी. अब मैं खुद ज़्यादा देर नही रुक पाया और मेने साक्षी दीदी की चूत अपने वीर्या से लबालब भर दी. हम दोनो ही दो बार झड़ चुके थे. 
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साक्षी दीदी आगे को झुककर मेरे उपर लेट गयी . उसके घने काले बालों से मेरा चेहरा ढक गया. उसकी बड़ी चुचियाँ मेरी छाती में दबी हुई थी. 
कुछ देर बाद जब साक्षी दीदी की सांस लौटी तो उसने अपना चेहरा उठाया और मुस्कुराने लगी . उसके चेहरे पर पूर्ण संतुस्टी के भाव थे. 

साक्षी दीदी बोली, “ समीर, कैसा लगा तुझे नाश्ता ?”

मेने उसके सर को नीचे झुकाकर कहा, “ बहुत ही अच्छा.” और फिर उसके होठ अपने होठों से चिपका लिए और पूरी तन्मयता से दीदी के होठों को चूसने लगा. जी भरकर चूसने के बाद मेने उसके होठों से अपने होठ अलग किए.

साक्षी दीदी मुस्कुराते हुए बोली, “ जब मैं आई थी तो तूने कैसे शक़ल बना रखी थी और अब देखो.”

उसकी इस बात पर हम दोनो खिलखिलाकर हंस पड़े.

फिर साक्षी दीदी बोली, “ मेने कहा था ना की मैं तेरी सालगिरह यादगार बना दूँगी. करेगा ना अब याद ?”

मैं हँसते हुआ बोला, “ दीदी , इस सालगिरह को तो मैं जिंदगी भर नही भूलूंगा.”

फिर साक्षी दीदी बोली, “ तुझे नाश्ता अच्छा लगा ……पर अगर तू आज ऑफीस से छुट्टी ले ले ……तो मुझे लंच सर्व करने में भी कोई एतराज़ नही है.”
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