22-11-2024, 10:51 AM
(This post was last modified: 03-12-2024, 08:57 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
हम दोनों एक-दूसरें में समाने की भरपुर कोशिश कर रहे थे। वाणी शायद डिस्चार्ज हो गयी थी इस लिये फच-फच की आवाज आने लग गयी थी। उस की आँखें बंद थी वह किसी की कल्पना कर रही थी या और कुछ मुझे पता नहीं था। लेकिन मैं सिर्फ उसी को देख रहा था। उस के चहरे पर आनंद के क्षण दीख रहे थे। कुछ देर बाद मैं थक गया तो उस से उतर कर वाणी की बगल में लेट गया। वह मेरे ऊपर आ गयी और लिंग को योनि में डाल कर कुल्हें उपर नीचे करने लगी। उस की गति भी तेज होती गयी। शायद हम दोनों ही इस संभोग को जल्दी खत्म करना चाहते थे। इसी लिये उस ने करवट ली और मैं उस के ऊपर आ गया।
मैं जोर-जोर से धक्कें लगा रहा था। वह भी नीचे से अपने कुल्हें उछाल रही थी। फिर उस के पांव मेरी कमर पर कस गये, इस का मतलब था कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी। मेरी गति तेज ही थी। मैंने अपने शरीर को एक लकीर में सीधा किया और जोर-जोर से प्रहार करने लगा। धक्कों के कारण वाणी आहहहहह उहहहहह कर रही थी। कुछ देर बाद मेरी आँखे मुंद सी गयी और मैं वाणी के ऊपर लेट गया। कुछ देर बाद होश सही होने पर उस की बगल में आ गया। वह भी गहरी सांसे ले रही थी। मैंने उस की योनि पर हाथ लगा कर देखा तो वह योनि द्रव्य से भरी थी। योनि द्रव्य बाहर निकल रहा था। मुझे चिन्ता था कि वह जिस कार्य के लिये आयी है वह पुरा होगा या नहीं।
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मैं बेड से उठ गया और अपने कपड़ें पहनने लगा और वह भी उठ कर बैठ गयी। मैंने उस के कपड़ें उसे दे दिये। वह भी उन्हें पहनने लगी। कपड़ें पहनने के बाद वह बोली कि अब आप क्या करेगें? मैंने कहा कि जा कर शरीर को साफ करता हूँ ताकि सुगंध चली जाये। तुम भी अपने आप को साफ कर लो। वह मेरी तरफ देख कर बोली कि आप इतनी दूर की सोचते है तो लगता है कि आप इतने शरीफ नहीं है जितना दिखते है। मैंने हँस कर कहा कि वाणी जी शरीफ होता तो आपके साथ नहीं होता इस लिये जैसा समझ आ रहा है वैसा कर रहा हूँ। रमा को बुरा ना लगे यह भी तो देखना है। वह मेरी बात समझ गयी और अपने आप को साफ करने चली गयी। मैं भी वाशरुम में घुस गया।
कुछ देर बाद हम दोनों अपने-आप को साफ करके आ गये। मैंने वाणी से पुछा कि मिलन कैसा रहा?
सही था मुझे इस का कुछ-कुछ पहले से अंदाजा था कि मेरे साथ आप क्या करेगें
कैसे पता था
मेरे सोर्स है
सोर्स को कसना पड़ेगा, वह हर बात किसी को बताता रहता है यह तो अच्छी बात नहीं है
आप हम औरतों को सीखा नहीं सकते
अच्छा जी
हाँ जी
सवाल का जबाव नहीं दिया
दम ही निकाल दिया था, सारा शरीर टुट सा गया है
अगर ज्यादा ताकत लगा दी तो क्षमा चाहता हूँ
क्षमा किस बात की, ऐसा ही होना चाहिये
कोई गलती हो तो बताना
इस में क्या गलती हो सकती है
एक तो तुम ने बता दी है
ऐसी गलती तो हर औरत चाहती है कि उसके साथ बार-बार हो
लेकिन रोती जरुर है
हमें समझना मुश्किल काम है
सो तो है
कितनी बार डिस्चार्ज हुई?
तुम्हें कैसे पता चला
चल जाता है
तुम्ही बताओ
मेरे ख्याल से दो बार तो डिस्चार्ज हुई थी, पहली बार जब फच की आवाज शुरु हुई, दूसरी बार जब तुम्हारी टाँगें मेरी कमर पर कस गयी थी
तुम प्यार कर रहे थे या यह सब नोट कर रहे थे
दोनों कर रहा था। पहली बार के कारण थोड़ा ज्यादा ध्यान दे रहा था
मुझे कुछ नहीं ध्यान मैं तो आँखें बंद करे पड़ी थी
शर्म के कारण
नहीं तो
किसी और का ध्यान कर रही थी
तुम ने डाक्टरी कर रखी है क्या
तुम्हारा ध्यान कही और था
हाँ था लेकिन मैं कुछ नहीं बताऊँगी
मैं कुछ पुछुगाँ भी नहीं
क्यों
तुम्हारी जिन्दगी है तुम्हारी कल्पना, मैं कौन होता हूँ कुछ पुछने वाला
सो तो है
अपना जो काम है वह कर रहे है
हाँ यह तो है
मैं आप का होता कौन हूँ जो आप से कुछ पुछु
आप मेरे सब कुछ होते है, अगर नहीं होते तो मैं आप को अपना सब कुछ नहीं सौपती
बुरा लगा तो माफ कर दो
हम तो लड़ रहे है
हाँ
क्यों
पता नहीं
लगता है यह लड़ाई प्यार होने की निशानी है
बड़ी खतरनाक बात कर रही हो पता भी है इसका क्या असर पड़ेगा
पता है लेकिन मैं जिस व्यक्ति को अपने बच्चों का पिता बना रही हूँ उस से प्यार तो कर सकती हूँ, एकतरफा ही सही
हम अपने संबंधों में बंधें हुये है, उस से बाहर निकलने की कोशिश करेगें तो विनाश ही करेगे
मुझे पता है, इस का कभी किसी को पता नहीं चलेगा, लेकिन आप मुझे ऐसा करने से रोक नहीं सकते।
रोक नहीं रहा हूँ लेकिन उस के असर को बता रहा हूँ, यह हमेशा हमारे दिमाग में रहना चाहिये
हमेशा रहेगा। मुझे एक बच्चा थोड़ी ना चाहिये, कम से कम दो या तीन तो चाहिये ही
बड़ी लम्बी लिस्ट है, हमारा नंबर कब आयेगा
मेरे बच्चों के बीच में जो समय होगा, वह आप के बच्चों का होगा
इतना सब सोच के रखा है
हाँ, सब सोच के रखा है
मैंने वाणी का सर प्यार से हिलाया और कमरे के बाहर निकल गया। पत्नी के आने से पहले हमें सामान्य हो जाना था।
कुछ देर बाद रमा अपनी बहन के साथ आ गयी। दरवाजा मैंने खोला और उस की आँखों के सवाल का आँखों से जवाब दे दिया। उस के चेहरे पर संतोष झलक गया। वह अंदर आ गयी। दोनों बहनें खरीदारी करके आयी थी और अपने लाई वस्तुयें वीणा को दिखाने लग गयी। मैं अकेला कमरे में बैठ कर सोचता रहा कि मेरी बीवी भी ना जाने कैसी है अपने पति के दूसरी स्त्री से बने संबंध को लेकर परेशान नहीं है। अपने पति पर इतना बड़ा विश्वास है। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं कभी उस के विश्वास को ना तोडूं। बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी मेरे कंधों पर।
पहली रात
रात को मेरे साथ सोते में उस ने मुझ से लिपट कर कहा कि मुझ से नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि पहले परेशान था लेकिन तुम से नाराज नहीं था। अब परेशान भी नहीं हूँ। जैसा तुम चाहती थी वैसा मैंने कर दिया। तुम बताओ खुश हो? वह मुझे चुम कर बोली कि तुम ने बहुत बड़ी समस्या दूर कर दी है। तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिये। बोला क्या चाहते हो? मैंने कहा कि सोना चाहता हूँ तो वह बोली कि इनाम किसी और दिन देगे। आज तुम आराम करो।
मैं नींद में डुब गया। रात को मुझे लगा कि कोई नयी खुशबु मेरे नथुनों में आ रही है। फिर लगा कि पुरानी खुशबु भी है। दोनों खुशबुऐं मेरे दिमाग को चकरा रही थी। मैं उन में डुब सा गया था। किसी की टाँगें मेरी टाँगों से लिपटी हुई थी। किसी के हाथ मेरे बदन पर फिर रहे थे। मैं शायद नींद में कोई सपना देख रहा था। किसी की सुगंध ने मुझे नशा सा कर दिया था और मैं आकाश में तैर सा रहा था। फिर कुछ देर बाद में धरातल पर आ गया। पता नहीं क्या हो रहा था मेरे साथ मैं जाग्रत था या सो रहा था मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था ना मैं पता करना चाहता था।
सुबह उठा तो पत्नी मेरे पर टाँग रख कर सो रही थी यह उस की मनपसन्द पोजिशन थी सोने की। सुबह के तनाव की वजह से लिंग तना हुआ था लगा कि उस का तनाव कम करने के लिये बाथरुम जाना पड़ेगा लेकिन उठने का मन नहीं था सो पत्नी को सीधा किया कि उसे भोगा जाये और कपड़ें हटायें तो देखा कि लिंग तो पहले से ही चिपचिपा हुआ पड़ा था। शायद नाइटफॉल हुआ था जो मुझे होता नहीं था। शरीर से अलग तरह की सुगंध आ रही थी। इस लिये फिर से सो गया। पत्नी के उठाने पर जागा तो देखा कि वह मेरे कपड़ें सही कर रही थी।
मुझे जगा देख कर बोली कि नींद में भी चैन नहीं है कपड़ें गंदे कर लिये है। मैंने कहा कि तुमने किये होगे तो वह बोली कि नहीं मैंने कुछ नहीं किया है। अगले कुछ दिनों तक तो मैं ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकती हूँ। उस की बात सुन कर मैं वर्तमान में आ गया और सोचा कि हाँ अगले कुछ दिन तो हमने किसी और के नाम कर दिये है। मैं बिस्तर से उठ कर बाथरुम चला गया और वहाँ अपना प्रेशर रिलिज कर आया। वह बोली कि सभल जाओ, भाभी आने वाली होगी। उस की बात सही निकली, दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी और वाणी चाय ले कर कमरे में आ गयी। मैं उन्हें देख कर अचकचा गया और कमरे से बाहर निकल गया।
वाणी मेरे पीछे आयी और बोली कि जीजा जी आप की चाय अंदर रखी है पी लिजिये। मैं फिर से कमरे में लौट गया। रमा बोली कि बाहर क्यों चले गये थे? मुझे कोई जवाब नहीं सुझ रहा था इस लिये चुप रह कर चाय पीने लगा।
परेशान लग रहे हो
नहीं कोई खास बात नहीं है
पहले तो ऐसा नहीं करते थे
क्या
कोई आये तो कमरे के बाहर चले जाना
ऐसे ही चला गया था, किसी के कारण ऐसा नही किया था
किसी को ऐसा लग सकता है
अगर लगा है तो मैं क्षमा माँग लुगाँ
गुस्सा क्यों कर रहे हो
तुम बात का पतगड़ बना रही हो
वाणी को कमरे में आता देख हम दोनों चुप हो गये। वह बोली कि चाय सही बनी है, मैंने कहा कि हाँ चाय तो आप बढ़िया बनाती है
मुझे लगा कि शायद आप मेरे हाथ की चाय का स्वाद भुल गये है।
अच्छे स्वाद हमेशा याद रहते है।
मुझे लगता था कि हम बुरे स्वाद याद रखते है
मैं तो अच्छे स्वाद याद रखता हूँ
रमा बोली कि मैं छोटी को चाय दे कर आती हूँ। उस के जाने के बाद वाणी बोली कि मुझे देख कर बाहर जाने की क्या आवश्यकता थी। मैंने उसे बताया कि मैं उसे देख कर नहीं बल्कि ऐसे ही बाहर गया था। उस के पीछे कोई कारण नहीं था। मेरे उत्तर से वह संतुष्ट नजर आयी। तभी रमा वापस आ गयी और बोली कि छोटी तो अभी सो रही है। मैंने कहा कि उसे सोने दो। उस ने जाग कर क्या करना है। वाणी ने सर हिलाया। रमा बोली कि भाभी नाश्ते में क्या खाना चाहती है? वाणी बोली कि जो जीजा जी को पसन्द हो वही चलेगा। रमा बोली कि संड़े को तो हम आलु के पराठें खाते है। वह बोली कि हम भी वही खायेगें। रमा हँस कर बोली कि मैं सोच रही थी कि पुरी आलु बना लूँ। वाणी बोली कि अगर जीजा जी को पसन्द है तो मैं भी खा लुगी। मैंने बात खत्म करने को कहा कि पुरी आलु ही सही रहेगा तुम यही बना लो। रमा कमरे से चली गयी।
वाणी बोली कि लगता है मुझ से अब तक नाराज है?
मैं आप का लगता क्या हूँ जो नाराज होऊँगा
कल इस बात का जवाब दे दिया था।
तुम्हारें पहले सवाल का जवाब भी मैंने कल ही दे दिया था
लेकिन आप का व्यवहार तो कुछ और ही कह रहा है
क्या कह रहा है, मैं कुछ परेशान सा हूँ, बस यही बात है
आप की परेशानी जानने की कोशिश कर रही थी
पहले मुझे तो परेशानी पता चले तभी तो आप को बताऊँगा
अच्छा तो यह बात है, परेशान है लेकिन क्यों है यह पता नहीं
हाँ ऐसा ही कुछ है।
जब पता चले तो जरुर बताइयेगा
जरुर
रमा को आता देख हम दोनों चुप हो गये। नाश्ता करने तक दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की।
दूसरी रात
दिन के खाने के बाद हम सब घुमने चले गये। शाम को आते में बाहर से खाना लाये और उसे खा कर सोने चल दिये। इस दिन भी मुझे पहले दिन जैसा ही लगा। वहीं मादक खुशबु और दो के बीच पीसने का अनुभव, लेकिन मैं अपने अनुभव को किसी को बता नहीं पाया अपनी पत्नी को भी नहीं। सुबह मेरे कपड़ें तो खराब ही निकले। यह रहस्य मेरी समझ से बाहर था। मेरे पास इस को सुलझाने का समय भी नहीं था। मैं उठा और अपने काम में लग गया। उसके बाद ऑफिस के लिये निकल गया। सारा दिन ऑफिस में व्यस्त रहने के कारण दिन में किसी से बात नहीं हुई।
तीसरी रात
शाम को जब घर आया तो पत्नी बोली कि आज का क्या करना है? तुम बताओ, मैं तो कही नहीं जा सकता, रात खराब नहीं कर सकता सुबह ऑफिस जाना है, सुबह जैसे हम करते है उस समय ही कर सकते है, तुम बताओ क्या कहती हो? रमा बोली कि हाँ यही सही रहेगा। मैं उन को सुबह जल्दी उठा दूँगी। वह चुपचाप आ जायेगी और मैं छोटी के पास लेट जाऊँगी। मैंने कहा कि तुम ऐसी गल्ती मत करना। इस से सब गड़बड़ हो जायेगी। भाभी के छोटी के पास ना होने से ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन अगर तुम उन की जगह सोती मिली तो बात गलत हो जायेगी। मेरी बात रमा की समझ में आ गयी। रात को अब दोनों ननद-भाभी के बीच बात हुई मुझे पता नहीं चला।….आगे…..
मैं जोर-जोर से धक्कें लगा रहा था। वह भी नीचे से अपने कुल्हें उछाल रही थी। फिर उस के पांव मेरी कमर पर कस गये, इस का मतलब था कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी। मेरी गति तेज ही थी। मैंने अपने शरीर को एक लकीर में सीधा किया और जोर-जोर से प्रहार करने लगा। धक्कों के कारण वाणी आहहहहह उहहहहह कर रही थी। कुछ देर बाद मेरी आँखे मुंद सी गयी और मैं वाणी के ऊपर लेट गया। कुछ देर बाद होश सही होने पर उस की बगल में आ गया। वह भी गहरी सांसे ले रही थी। मैंने उस की योनि पर हाथ लगा कर देखा तो वह योनि द्रव्य से भरी थी। योनि द्रव्य बाहर निकल रहा था। मुझे चिन्ता था कि वह जिस कार्य के लिये आयी है वह पुरा होगा या नहीं।
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मैं बेड से उठ गया और अपने कपड़ें पहनने लगा और वह भी उठ कर बैठ गयी। मैंने उस के कपड़ें उसे दे दिये। वह भी उन्हें पहनने लगी। कपड़ें पहनने के बाद वह बोली कि अब आप क्या करेगें? मैंने कहा कि जा कर शरीर को साफ करता हूँ ताकि सुगंध चली जाये। तुम भी अपने आप को साफ कर लो। वह मेरी तरफ देख कर बोली कि आप इतनी दूर की सोचते है तो लगता है कि आप इतने शरीफ नहीं है जितना दिखते है। मैंने हँस कर कहा कि वाणी जी शरीफ होता तो आपके साथ नहीं होता इस लिये जैसा समझ आ रहा है वैसा कर रहा हूँ। रमा को बुरा ना लगे यह भी तो देखना है। वह मेरी बात समझ गयी और अपने आप को साफ करने चली गयी। मैं भी वाशरुम में घुस गया।
कुछ देर बाद हम दोनों अपने-आप को साफ करके आ गये। मैंने वाणी से पुछा कि मिलन कैसा रहा?
सही था मुझे इस का कुछ-कुछ पहले से अंदाजा था कि मेरे साथ आप क्या करेगें
कैसे पता था
मेरे सोर्स है
सोर्स को कसना पड़ेगा, वह हर बात किसी को बताता रहता है यह तो अच्छी बात नहीं है
आप हम औरतों को सीखा नहीं सकते
अच्छा जी
हाँ जी
सवाल का जबाव नहीं दिया
दम ही निकाल दिया था, सारा शरीर टुट सा गया है
अगर ज्यादा ताकत लगा दी तो क्षमा चाहता हूँ
क्षमा किस बात की, ऐसा ही होना चाहिये
कोई गलती हो तो बताना
इस में क्या गलती हो सकती है
एक तो तुम ने बता दी है
ऐसी गलती तो हर औरत चाहती है कि उसके साथ बार-बार हो
लेकिन रोती जरुर है
हमें समझना मुश्किल काम है
सो तो है
कितनी बार डिस्चार्ज हुई?
तुम्हें कैसे पता चला
चल जाता है
तुम्ही बताओ
मेरे ख्याल से दो बार तो डिस्चार्ज हुई थी, पहली बार जब फच की आवाज शुरु हुई, दूसरी बार जब तुम्हारी टाँगें मेरी कमर पर कस गयी थी
तुम प्यार कर रहे थे या यह सब नोट कर रहे थे
दोनों कर रहा था। पहली बार के कारण थोड़ा ज्यादा ध्यान दे रहा था
मुझे कुछ नहीं ध्यान मैं तो आँखें बंद करे पड़ी थी
शर्म के कारण
नहीं तो
किसी और का ध्यान कर रही थी
तुम ने डाक्टरी कर रखी है क्या
तुम्हारा ध्यान कही और था
हाँ था लेकिन मैं कुछ नहीं बताऊँगी
मैं कुछ पुछुगाँ भी नहीं
क्यों
तुम्हारी जिन्दगी है तुम्हारी कल्पना, मैं कौन होता हूँ कुछ पुछने वाला
सो तो है
अपना जो काम है वह कर रहे है
हाँ यह तो है
मैं आप का होता कौन हूँ जो आप से कुछ पुछु
आप मेरे सब कुछ होते है, अगर नहीं होते तो मैं आप को अपना सब कुछ नहीं सौपती
बुरा लगा तो माफ कर दो
हम तो लड़ रहे है
हाँ
क्यों
पता नहीं
लगता है यह लड़ाई प्यार होने की निशानी है
बड़ी खतरनाक बात कर रही हो पता भी है इसका क्या असर पड़ेगा
पता है लेकिन मैं जिस व्यक्ति को अपने बच्चों का पिता बना रही हूँ उस से प्यार तो कर सकती हूँ, एकतरफा ही सही
हम अपने संबंधों में बंधें हुये है, उस से बाहर निकलने की कोशिश करेगें तो विनाश ही करेगे
मुझे पता है, इस का कभी किसी को पता नहीं चलेगा, लेकिन आप मुझे ऐसा करने से रोक नहीं सकते।
रोक नहीं रहा हूँ लेकिन उस के असर को बता रहा हूँ, यह हमेशा हमारे दिमाग में रहना चाहिये
हमेशा रहेगा। मुझे एक बच्चा थोड़ी ना चाहिये, कम से कम दो या तीन तो चाहिये ही
बड़ी लम्बी लिस्ट है, हमारा नंबर कब आयेगा
मेरे बच्चों के बीच में जो समय होगा, वह आप के बच्चों का होगा
इतना सब सोच के रखा है
हाँ, सब सोच के रखा है
मैंने वाणी का सर प्यार से हिलाया और कमरे के बाहर निकल गया। पत्नी के आने से पहले हमें सामान्य हो जाना था।
कुछ देर बाद रमा अपनी बहन के साथ आ गयी। दरवाजा मैंने खोला और उस की आँखों के सवाल का आँखों से जवाब दे दिया। उस के चेहरे पर संतोष झलक गया। वह अंदर आ गयी। दोनों बहनें खरीदारी करके आयी थी और अपने लाई वस्तुयें वीणा को दिखाने लग गयी। मैं अकेला कमरे में बैठ कर सोचता रहा कि मेरी बीवी भी ना जाने कैसी है अपने पति के दूसरी स्त्री से बने संबंध को लेकर परेशान नहीं है। अपने पति पर इतना बड़ा विश्वास है। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं कभी उस के विश्वास को ना तोडूं। बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी मेरे कंधों पर।
पहली रात
रात को मेरे साथ सोते में उस ने मुझ से लिपट कर कहा कि मुझ से नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि पहले परेशान था लेकिन तुम से नाराज नहीं था। अब परेशान भी नहीं हूँ। जैसा तुम चाहती थी वैसा मैंने कर दिया। तुम बताओ खुश हो? वह मुझे चुम कर बोली कि तुम ने बहुत बड़ी समस्या दूर कर दी है। तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिये। बोला क्या चाहते हो? मैंने कहा कि सोना चाहता हूँ तो वह बोली कि इनाम किसी और दिन देगे। आज तुम आराम करो।
मैं नींद में डुब गया। रात को मुझे लगा कि कोई नयी खुशबु मेरे नथुनों में आ रही है। फिर लगा कि पुरानी खुशबु भी है। दोनों खुशबुऐं मेरे दिमाग को चकरा रही थी। मैं उन में डुब सा गया था। किसी की टाँगें मेरी टाँगों से लिपटी हुई थी। किसी के हाथ मेरे बदन पर फिर रहे थे। मैं शायद नींद में कोई सपना देख रहा था। किसी की सुगंध ने मुझे नशा सा कर दिया था और मैं आकाश में तैर सा रहा था। फिर कुछ देर बाद में धरातल पर आ गया। पता नहीं क्या हो रहा था मेरे साथ मैं जाग्रत था या सो रहा था मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था ना मैं पता करना चाहता था।
सुबह उठा तो पत्नी मेरे पर टाँग रख कर सो रही थी यह उस की मनपसन्द पोजिशन थी सोने की। सुबह के तनाव की वजह से लिंग तना हुआ था लगा कि उस का तनाव कम करने के लिये बाथरुम जाना पड़ेगा लेकिन उठने का मन नहीं था सो पत्नी को सीधा किया कि उसे भोगा जाये और कपड़ें हटायें तो देखा कि लिंग तो पहले से ही चिपचिपा हुआ पड़ा था। शायद नाइटफॉल हुआ था जो मुझे होता नहीं था। शरीर से अलग तरह की सुगंध आ रही थी। इस लिये फिर से सो गया। पत्नी के उठाने पर जागा तो देखा कि वह मेरे कपड़ें सही कर रही थी।
मुझे जगा देख कर बोली कि नींद में भी चैन नहीं है कपड़ें गंदे कर लिये है। मैंने कहा कि तुमने किये होगे तो वह बोली कि नहीं मैंने कुछ नहीं किया है। अगले कुछ दिनों तक तो मैं ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकती हूँ। उस की बात सुन कर मैं वर्तमान में आ गया और सोचा कि हाँ अगले कुछ दिन तो हमने किसी और के नाम कर दिये है। मैं बिस्तर से उठ कर बाथरुम चला गया और वहाँ अपना प्रेशर रिलिज कर आया। वह बोली कि सभल जाओ, भाभी आने वाली होगी। उस की बात सही निकली, दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी और वाणी चाय ले कर कमरे में आ गयी। मैं उन्हें देख कर अचकचा गया और कमरे से बाहर निकल गया।
वाणी मेरे पीछे आयी और बोली कि जीजा जी आप की चाय अंदर रखी है पी लिजिये। मैं फिर से कमरे में लौट गया। रमा बोली कि बाहर क्यों चले गये थे? मुझे कोई जवाब नहीं सुझ रहा था इस लिये चुप रह कर चाय पीने लगा।
परेशान लग रहे हो
नहीं कोई खास बात नहीं है
पहले तो ऐसा नहीं करते थे
क्या
कोई आये तो कमरे के बाहर चले जाना
ऐसे ही चला गया था, किसी के कारण ऐसा नही किया था
किसी को ऐसा लग सकता है
अगर लगा है तो मैं क्षमा माँग लुगाँ
गुस्सा क्यों कर रहे हो
तुम बात का पतगड़ बना रही हो
वाणी को कमरे में आता देख हम दोनों चुप हो गये। वह बोली कि चाय सही बनी है, मैंने कहा कि हाँ चाय तो आप बढ़िया बनाती है
मुझे लगा कि शायद आप मेरे हाथ की चाय का स्वाद भुल गये है।
अच्छे स्वाद हमेशा याद रहते है।
मुझे लगता था कि हम बुरे स्वाद याद रखते है
मैं तो अच्छे स्वाद याद रखता हूँ
रमा बोली कि मैं छोटी को चाय दे कर आती हूँ। उस के जाने के बाद वाणी बोली कि मुझे देख कर बाहर जाने की क्या आवश्यकता थी। मैंने उसे बताया कि मैं उसे देख कर नहीं बल्कि ऐसे ही बाहर गया था। उस के पीछे कोई कारण नहीं था। मेरे उत्तर से वह संतुष्ट नजर आयी। तभी रमा वापस आ गयी और बोली कि छोटी तो अभी सो रही है। मैंने कहा कि उसे सोने दो। उस ने जाग कर क्या करना है। वाणी ने सर हिलाया। रमा बोली कि भाभी नाश्ते में क्या खाना चाहती है? वाणी बोली कि जो जीजा जी को पसन्द हो वही चलेगा। रमा बोली कि संड़े को तो हम आलु के पराठें खाते है। वह बोली कि हम भी वही खायेगें। रमा हँस कर बोली कि मैं सोच रही थी कि पुरी आलु बना लूँ। वाणी बोली कि अगर जीजा जी को पसन्द है तो मैं भी खा लुगी। मैंने बात खत्म करने को कहा कि पुरी आलु ही सही रहेगा तुम यही बना लो। रमा कमरे से चली गयी।
वाणी बोली कि लगता है मुझ से अब तक नाराज है?
मैं आप का लगता क्या हूँ जो नाराज होऊँगा
कल इस बात का जवाब दे दिया था।
तुम्हारें पहले सवाल का जवाब भी मैंने कल ही दे दिया था
लेकिन आप का व्यवहार तो कुछ और ही कह रहा है
क्या कह रहा है, मैं कुछ परेशान सा हूँ, बस यही बात है
आप की परेशानी जानने की कोशिश कर रही थी
पहले मुझे तो परेशानी पता चले तभी तो आप को बताऊँगा
अच्छा तो यह बात है, परेशान है लेकिन क्यों है यह पता नहीं
हाँ ऐसा ही कुछ है।
जब पता चले तो जरुर बताइयेगा
जरुर
रमा को आता देख हम दोनों चुप हो गये। नाश्ता करने तक दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की।
दूसरी रात
दिन के खाने के बाद हम सब घुमने चले गये। शाम को आते में बाहर से खाना लाये और उसे खा कर सोने चल दिये। इस दिन भी मुझे पहले दिन जैसा ही लगा। वहीं मादक खुशबु और दो के बीच पीसने का अनुभव, लेकिन मैं अपने अनुभव को किसी को बता नहीं पाया अपनी पत्नी को भी नहीं। सुबह मेरे कपड़ें तो खराब ही निकले। यह रहस्य मेरी समझ से बाहर था। मेरे पास इस को सुलझाने का समय भी नहीं था। मैं उठा और अपने काम में लग गया। उसके बाद ऑफिस के लिये निकल गया। सारा दिन ऑफिस में व्यस्त रहने के कारण दिन में किसी से बात नहीं हुई।
तीसरी रात
शाम को जब घर आया तो पत्नी बोली कि आज का क्या करना है? तुम बताओ, मैं तो कही नहीं जा सकता, रात खराब नहीं कर सकता सुबह ऑफिस जाना है, सुबह जैसे हम करते है उस समय ही कर सकते है, तुम बताओ क्या कहती हो? रमा बोली कि हाँ यही सही रहेगा। मैं उन को सुबह जल्दी उठा दूँगी। वह चुपचाप आ जायेगी और मैं छोटी के पास लेट जाऊँगी। मैंने कहा कि तुम ऐसी गल्ती मत करना। इस से सब गड़बड़ हो जायेगी। भाभी के छोटी के पास ना होने से ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन अगर तुम उन की जगह सोती मिली तो बात गलत हो जायेगी। मेरी बात रमा की समझ में आ गयी। रात को अब दोनों ननद-भाभी के बीच बात हुई मुझे पता नहीं चला।….आगे…..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
