15-11-2024, 02:37 PM
देवी - काल मतलब समय, इस मृत्यु लोक में सब काल ही तो नियंत्रित करता है | इतना कहकर उन्हें आंखे बंद कर ली और एक उर्जा का अहवान किया | पल भर में वहां आग की भयानक लपते उठने लगी | आग की तपिश असहनीय होती जा रही थी | लेकिन रीमा ने तो जैसे किलो भर चरस फूंक रखी हो | सभी आदम आग की तपिश से पीछे हटने लगे लेकिन रीमा तस से मस न हुई | उसका शरीर उस अग्नि के ताप से झुलसने लगा था फिर भी वो देवी के सौब्दर्य और आकर्षण में बंधी एक तक उन्हें निहारती रही | अग्नि ने का बवंडर रीमा के चारो तरफ मंडराने लगा, आदि शक्ति ने एक मंत्र पढ़ा और फिर सारी अग्नि उनके हाथ में पकडे चन्द्राकार भाले में समां गयी | आदि शक्ति ने वो भाला रीमा के सर पर दे मारा | रीमा चीखी और एक भयानक विस्फोट हुआ | भाले से असीमित अग्नि उर्जा निकल कर रीमा के जिस्म में समाती चली गयी | रीमा वही पर लुढ़क गयी | उसके मूर्क्षित होते मनो मस्तिष्क में सिर्फ यही स्वर सुनाई पड़ा - इन्हें मुक्ति दे दो, सिर्फ तुम्ही दे सकती हो | तुमारा कल्याण हो हर मनोकामना पूरी हो | आदि शक्ति ब्रम्हांड के जिस जगह से आई थी वही को फिर रवाना हो गयी | जब रीमा मूर्क्षित हुई थी तो उसे लगा था उसके प्राण पखेरू उड़ जायेगे | लेकिन कुछ ही पलो में सब फिर से वैसा हो गया | वो आदम डरते डरते रीमा के पास आये | रीमा की जैसे चेतना लौटी | खुद तो निवस्त्र देख उसने अपनी जांघे समेत ली और अपने हाथो से अपने स्तन ढक लिए | सारे आदम नंगे थे | बुढा आदम आगे बढ़कर जमीन पर दंडवत लेटकर रीमा को प्रणाम करता हुआ - हमें मुक्ति दे दो देवी | हमारे जीवन का कष्ट हर लो | मै उस मुर्ख के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | उसने जो भी किया अज्ञानता वस् किया | उसका आशय आपने शरीर का भोग करना कदापि नहीं था | वासना से वो ग्रसित हो गया था लेकिन उसे तो बस हम सबकी तरह मुक्ति चाहिए |
रीमा कुछ देर तक सबको घूरती रही, अब न उसके अंदर डर था न ही मरने का भय | सब दूर हो चूका था | वो अब इनके भयानक चेहरों से भयभीत नहीं थी |
रीमा - कौन हो तुम लोग, क्या चाहिए तुमे |
बुढा आदम - मुक्ति चाहिए देवी |
रीमा - मेरा मांस नोचकर खाओगे | मेरी बलि चढ़ावोगे |
बुढा आदम - नहीं देवी, हम सब काम वासना के शापित है, हमें वही मुक्ति दिला सकती है | हम किसी काल में अपने ही किसी देवी के काम वासना के कारण कोप का भाजन बने
रीमा - मतलब तुम सब, उनके गधे की साइज़ के लिंग की तरह इशारा करके, ये जानवर के साइज़ से मेरी दुर्गति करके मुक्ति मिलेगी | अभी जो इसने किया वही तुम सब करना चाहते हो |
बुढा आदम - नहीं देवी, आप गलत समझ रही है | ये हम सबमे सबसे छोटा है, जब हम शापित हुए थे तो ये केवल तेरह वर्ष का था | इसे तो स्त्री देह, उसकी गर्मी, वासना, योनि, सम्भोग, स्खलन कुछ नहीं पता | ये तो अबोध बालक जैसा था | इसने पिछली बार ४० साल पहले एक आदम को इसी तरह एक स्त्री के साथ करते देखा था तो मुक्ति की चाह में आपके भी .......... (एक लम्बी चुप्पी) मै उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | लेकिन इसी बहाने हमें ये तो पता चला की आप के स्पर्श से हम स्खलित हो सकते है | हम जीवन मृत्यु के उस चक्र में वापस लौट सकते है, जहां भूख है प्यास है, कामना है और मृत्यु भी। जीवन है तो संभोग है और फिर उस संभोग ने नवजीवन, यही जीवन प्रक्रिया है। आप हमने वो हाँड़ मांस का शरीर लौटा सकती हो, जिसका एक निश्चित समय है, उन निश्चित अवधि में इन मुर्दा लिंगो में फिर से रक्त संचार हो सकता है | इनमे फिर से तनाव आ सकता है | ये फिर से स्त्री का मर्दन कर सकते है मेरा आशय योनि मर्दन से था और मर्दन से स्खलन होगा और मुक्ति ।
रीमा - मै कुछ समझी नहीं तुम सब नपुंसक हो |
बुढा आदम - नहीं हम नपुंसक नहीं है लेकिन हमारा पुरुषत्व हमारी पुरुषत्व होने की सवेदना छीन ली गयी, हमारे लिंग सवेद्नाहीन कर दिए गए, रक्त संचार नहीं होता इनमे और न ही हम स्खलित होते है | जो उस बच्चे ने किया वो असली स्खलन है, जहां नवजीवन देने वाली कोशिकाएँ बनती है और बाहर निकलती है। 800 सालो से हम अपने तेज को संभाले ब्रम्चार्य का पालन करते हुए अपनी मुक्ति की राह देख रहे है |
रीमा - तुम 800 साल से जिन्दा हो |
बुढा आदम - इसमें आश्चर्य कैसा |
रीमा - इतने दिन कोई आदमी जिन्दा नहीं रह सकता |
बुढा आदम - आप जिस दुनिया से हो उसके लिए संभव है लेकिन हम इन जर्जर शरीरो में जीवित है यही सच है |
रीमा - कैसे |
बूढ़ा आदम - जब आप काल के चक्र में अपने परमाणुओं की गति को जितना धीमा कर देते हो, आपके शरीर की परिवर्तन की गति भी उतनी ही धीमी हो जाती है । इसलिए हम इतने सालो से जीवित है ।
बुढा आदम - हमें मृत्यु दे दो, मुक्ति मिल जाएगी |
रीमा - मै कैसे दे सकती हूँ |
बुढा आदम - आप के अलावा और कोई नहीं दे सकता | काल ने आपको ही नियुक्त किया है | आप ही हमे हमारे परमाणुओं की वो गति लौटा सकती हो ।
रीमा - मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा है, मै कैसे तुम्हे मार सकती हूँ | मैंने आज तक किसी की हत्या नहीं की (मन ही मन में गिरधारी को छोड़कर )|
बुढा आदम - आपको मारना नहीं है बस हमें मुक्ति के लिए जो चाहिए वो दे दीजिये |
रीमा - क्या चाहिए ?
बुढा आदम - योनि |
रीमा आश्चर्य से - क्या ? क्यों ?
बुढा - आपकी योनि ?
रीमा - तुम पागल हो गए हो, तुम क्या कहना चाहते हो, मेरी चूत से तुम्हे कैसे मुक्ति मिल जाएगी | आपकी बात चलो मान लेती हूँ लेकिन चुदाई से सम्भोग से मुक्ति मिल जाएगी कैसे , एक औरत की चूत चोदकर आपको मोक्ष मिल जायेगा बात कुछ गले के नीचे उतरी नहीं ?
बुढा आदम - बहुत फर्क है देवी, भावना का फर्क है, लक्ष्य का फर्क है | क्या संतानोपत्ति के लिए किये गए सम्भोग और सामान्य वासना तृप्ति के सम्भोग में कोई अंतर नहीं | क्या गर्भ धारण करते समय दंपत्ति उत्तम संतान के समस्त ब्रम्हांड की सकारात्मक शक्तियों का, अपने पूज्य देवी देवताओं का अहवान नहीं करते | बहुत फर्क है देवी | भावना का फर्क है, कर्म का फर्क है और मिलने वाले कर्म फल का अंतर है |
बूढ़े के जवाब ने रीमा को निरुत्तर कर दिया |
रीमा - अभी भी मुझे भरोसा नहीं |
बुढा आदम - मेरी आखो में देखो, ये झुरियो से भरा चेहरा ये कंकाल शरीर, क्या लगता है क्या तुमारे कमनीय यौवन के रसपान का भूखा है | हम श्रापित है, हमें कोई कामना, कोई वासना की अभिलाषा नहीं है | हम करे भी तो उसे भोगने की इन्द्रियां शुन्य हो चुकी है | ये सब अपना विवेक चेतना विचार शक्ति रस गंध का भेद करने का ज्ञान, सब गँवा चुके है, ये पुरे वन आदम है आदि मानव की तरह | बस हममे से कुछ है जिन्होंने अपने आत्मबल और आत्मा की शुद्धता के कारन न केवल अपना अतीत याद रखा बल्कि सदियों से मुक्ति के लिए प्रयासरत रहे |
बुढा - देवी मानव जीवन की शुरुआत गर्भ से होती है और शिशु बालक योनि से इस दुनिया में आता है और मुक्ति भी योनि से ही मिलती है | बिना सम्भोग के किसे सहज मृत्यु आती है | आजीवन ब्रम्हचारी अपनी सजह मृत्यु कब मरते है, उन्हें मुक्ति किसी अन्य उपाय से ही मिलती है |
रीमा को बूढ़े की बात पर हँसी आ गयी थी - चुदाई से मुक्ति ।
बूढ़ा आदम - आप हंस सकती है क्योंकि आपको ये बात बहुत सतही लगेगी लेकिन सच यही है । हमे अपने शरीर के परमाणुओं की गति वापस पाने के लिए असल में आपके गर्भ में जाना चाहिए, लेकिन जन्म लिए मनुष्य का वापस गर्भ में जाना असंभव है इसलिए हम बस गर्भ मुख तक जायगें और वही से आप हमारे शरीर के परमाणु की गति को उलटा दिशा में पलट दोगी । आपने उस आदम का लिंग देखा है, जिसको रीमा ने काट डाला था, रीमा ने ज़मीन पर पड़े उस आदम के लिंग की तरफ नजर उठाई जो उसकी गाड़ को चीर कर अन्दर घुस गया था, उसके लिंग का साइज़ बिलकुल सामन्य था, सुघड़ चिकना और पूरी तरह से तना हुआ | वो शरीर से अलग होने के बाद भी न सिकुड़ा, न नरम हुआ, और बूढ़े आदम ने जाकर उसे फिर से उस आदम के शरीर में लगा दिया । रीमा हैरान रह गई, ये कैसे संभव है, जैसे ही बूढ़े आदम ने उस लिंग को सर कटे आदम को लगाया, उसने अपने हाथों से उसने कस कर जड़ से पकड़ कर मसलने लगा |
रीमा - ये कैसे संभव है, कैसे ।
बूढ़ा आदम - इसके परमाणुओं की स्थित अभी भी स्थिर है और वही है जो कटने के पहले थी, अगर ये भिन्न भिन्न अवस्था में पहुँच जाये तो लिंग का पुनः शरीर में अवस्थित होना असमभव था । ये बालक अभी भी उसी अवस्था में है जिस अवस्था में इसका सर विच्छेदन किया गया था इसलिए इसका चेहरा अभी भी प्रसन्नचित है ।
रीमा - फिर भी इसके लिंग में तनाव आने का कारण मुझे समझ नहीं आया, मेरे जिस्म में ऐसा क्या है ?
बूढ़ा आदम - तुमारे शरीर से उत्सर्जित होने वाली सूक्ष्म उर्जा की तरंगो (जो प्रकट रूप में परमाणु के अवयव है, अन्यथा ऊर्जा है ) ने वर्षो से सुसुप्त पड़े सवेदना धागों को सक्रीय कर दिया | इसलिए जब ये तुमारे शरीर के सपर्श में आकर इसने घर्षण किया तो इसके लिंग के सुसुप्त पड़े संवेदना तंतु के परमाणु उस सूक्ष्म ऊर्जा तरंगों से अपनी गति बदल कर सक्रीय हो उठे और लिंग में रक्त संचार बढ़ गया | ऐसा नहीं था की पहले रक्त संचार नहीं होता था लेकिन वो बस उतना था जितना उसे शरीर का हिस्सा बनाये रखने के लिए जरुरी था | रक्त भरने से लिंग में कठोरता आ गयी और आपस में संघर्ष करते दो शरीरो में ये समय भी आया जब सूखी लकड़ी जैसा खुदुरा, पूरी तरह से कठोर लिंग गुदा द्वार से जा टकराया और इसे तुमारा दुर्भाग्य कहूँगा और हम सबका सौभग्य की उस समय इतना भीषण दबाव् तुमारे गुदा द्वार पर पड़ा की लिंग गुदाद्वार को चीरता हुआ अन्दर घुस गया | तुमारी गुदा सुरंग रक्त रंजित हो गयी | तुम भीषण दर्द से चीखी और उस चीख से तुमारे शरीर की सारी उर्जा तुमारी गुदा छिद्र में आकर एकत्रित हो गयी | घायल गुदा अपनी पूरी शक्ति से संकुचन करने लगी, इतना सख्त संकुचन और असीम उर्जा के इकट्ठे होने से ये लिंग इसे सहन नहीं कर पाया और स्खलन शुरू हो गया | तुमारे शरीर का गुदा रस, रक्त और आदम का वीर्य तीनो का समागम ही इसके लिंग को मानव स्वरूर में ले आया, कुछ तो तुमारे शरीर के परमाणुओं में जो वो संपर्क में आने की गति बदल देते है । ये शरीर इन्ही भौतिकी का नियमों का पालन करता है ।
रीमा - इसके परमाणु सक्रिय हुए हो या नहीं लेकिन मेरी तो दुर्गति हो गई, कितना भीषण दर्द हुआ ।
बूढ़ा आदम - स्त्री के लिए संभोग कई बार कष्ट कर होता है और स्त्री के पास इसे सहने की शक्ति भी होती है , इसलिए स्त्री विशेष है ।
रीमा - कुल अर्थ ये है बिना लिंग के योनि या गुदा में जाये ये समागम पूर्ण नहीं होगा और मुक्ति नहीं मिलेगी ।
बूढ़ा आदम - यही एक मुक्ति मार्ग है ।
रीमा - आप कुछ भी कहे लेकिन हमारी दुनिया में इसे चुदाई ही कहते है, एक ने किया तो ये हाल है ।
बूढ़ा आदम - क्या संभोग से गर्भ नहीं ठहरता।
रीमा - हाँ संतान भी होती है ।
बूढ़ा आदम - तो संभोग का उद्देश्य क्या है, आनंद, नहीं वो तो उस प्रक्रिया का एक कारक है, परिणाम तो नव जीवन की रचना ही है । अब सोचिए जो गर्भ नये परमाणु बनाकर नया जीवन दे सकता है वो दुनिया में मौजूद परमाणु की दिशा और गति बदल सकता है ।
रीमा - इसका मतलब तुम मेरी योनि में लिंग डालोगे और मुक्ति पा जावोगे, तुम्हें मुझे चोदने की ज़रूरत नहीं है ।
रीमा कुछ देर तक सबको घूरती रही, अब न उसके अंदर डर था न ही मरने का भय | सब दूर हो चूका था | वो अब इनके भयानक चेहरों से भयभीत नहीं थी |
रीमा - कौन हो तुम लोग, क्या चाहिए तुमे |
बुढा आदम - मुक्ति चाहिए देवी |
रीमा - मेरा मांस नोचकर खाओगे | मेरी बलि चढ़ावोगे |
बुढा आदम - नहीं देवी, हम सब काम वासना के शापित है, हमें वही मुक्ति दिला सकती है | हम किसी काल में अपने ही किसी देवी के काम वासना के कारण कोप का भाजन बने
रीमा - मतलब तुम सब, उनके गधे की साइज़ के लिंग की तरह इशारा करके, ये जानवर के साइज़ से मेरी दुर्गति करके मुक्ति मिलेगी | अभी जो इसने किया वही तुम सब करना चाहते हो |
बुढा आदम - नहीं देवी, आप गलत समझ रही है | ये हम सबमे सबसे छोटा है, जब हम शापित हुए थे तो ये केवल तेरह वर्ष का था | इसे तो स्त्री देह, उसकी गर्मी, वासना, योनि, सम्भोग, स्खलन कुछ नहीं पता | ये तो अबोध बालक जैसा था | इसने पिछली बार ४० साल पहले एक आदम को इसी तरह एक स्त्री के साथ करते देखा था तो मुक्ति की चाह में आपके भी .......... (एक लम्बी चुप्पी) मै उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | लेकिन इसी बहाने हमें ये तो पता चला की आप के स्पर्श से हम स्खलित हो सकते है | हम जीवन मृत्यु के उस चक्र में वापस लौट सकते है, जहां भूख है प्यास है, कामना है और मृत्यु भी। जीवन है तो संभोग है और फिर उस संभोग ने नवजीवन, यही जीवन प्रक्रिया है। आप हमने वो हाँड़ मांस का शरीर लौटा सकती हो, जिसका एक निश्चित समय है, उन निश्चित अवधि में इन मुर्दा लिंगो में फिर से रक्त संचार हो सकता है | इनमे फिर से तनाव आ सकता है | ये फिर से स्त्री का मर्दन कर सकते है मेरा आशय योनि मर्दन से था और मर्दन से स्खलन होगा और मुक्ति ।
रीमा - मै कुछ समझी नहीं तुम सब नपुंसक हो |
बुढा आदम - नहीं हम नपुंसक नहीं है लेकिन हमारा पुरुषत्व हमारी पुरुषत्व होने की सवेदना छीन ली गयी, हमारे लिंग सवेद्नाहीन कर दिए गए, रक्त संचार नहीं होता इनमे और न ही हम स्खलित होते है | जो उस बच्चे ने किया वो असली स्खलन है, जहां नवजीवन देने वाली कोशिकाएँ बनती है और बाहर निकलती है। 800 सालो से हम अपने तेज को संभाले ब्रम्चार्य का पालन करते हुए अपनी मुक्ति की राह देख रहे है |
रीमा - तुम 800 साल से जिन्दा हो |
बुढा आदम - इसमें आश्चर्य कैसा |
रीमा - इतने दिन कोई आदमी जिन्दा नहीं रह सकता |
बुढा आदम - आप जिस दुनिया से हो उसके लिए संभव है लेकिन हम इन जर्जर शरीरो में जीवित है यही सच है |
रीमा - कैसे |
बूढ़ा आदम - जब आप काल के चक्र में अपने परमाणुओं की गति को जितना धीमा कर देते हो, आपके शरीर की परिवर्तन की गति भी उतनी ही धीमी हो जाती है । इसलिए हम इतने सालो से जीवित है ।
बुढा आदम - हमें मृत्यु दे दो, मुक्ति मिल जाएगी |
रीमा - मै कैसे दे सकती हूँ |
बुढा आदम - आप के अलावा और कोई नहीं दे सकता | काल ने आपको ही नियुक्त किया है | आप ही हमे हमारे परमाणुओं की वो गति लौटा सकती हो ।
रीमा - मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा है, मै कैसे तुम्हे मार सकती हूँ | मैंने आज तक किसी की हत्या नहीं की (मन ही मन में गिरधारी को छोड़कर )|
बुढा आदम - आपको मारना नहीं है बस हमें मुक्ति के लिए जो चाहिए वो दे दीजिये |
रीमा - क्या चाहिए ?
बुढा आदम - योनि |
रीमा आश्चर्य से - क्या ? क्यों ?
बुढा - आपकी योनि ?
रीमा - तुम पागल हो गए हो, तुम क्या कहना चाहते हो, मेरी चूत से तुम्हे कैसे मुक्ति मिल जाएगी | आपकी बात चलो मान लेती हूँ लेकिन चुदाई से सम्भोग से मुक्ति मिल जाएगी कैसे , एक औरत की चूत चोदकर आपको मोक्ष मिल जायेगा बात कुछ गले के नीचे उतरी नहीं ?
बुढा आदम - बहुत फर्क है देवी, भावना का फर्क है, लक्ष्य का फर्क है | क्या संतानोपत्ति के लिए किये गए सम्भोग और सामान्य वासना तृप्ति के सम्भोग में कोई अंतर नहीं | क्या गर्भ धारण करते समय दंपत्ति उत्तम संतान के समस्त ब्रम्हांड की सकारात्मक शक्तियों का, अपने पूज्य देवी देवताओं का अहवान नहीं करते | बहुत फर्क है देवी | भावना का फर्क है, कर्म का फर्क है और मिलने वाले कर्म फल का अंतर है |
बूढ़े के जवाब ने रीमा को निरुत्तर कर दिया |
रीमा - अभी भी मुझे भरोसा नहीं |
बुढा आदम - मेरी आखो में देखो, ये झुरियो से भरा चेहरा ये कंकाल शरीर, क्या लगता है क्या तुमारे कमनीय यौवन के रसपान का भूखा है | हम श्रापित है, हमें कोई कामना, कोई वासना की अभिलाषा नहीं है | हम करे भी तो उसे भोगने की इन्द्रियां शुन्य हो चुकी है | ये सब अपना विवेक चेतना विचार शक्ति रस गंध का भेद करने का ज्ञान, सब गँवा चुके है, ये पुरे वन आदम है आदि मानव की तरह | बस हममे से कुछ है जिन्होंने अपने आत्मबल और आत्मा की शुद्धता के कारन न केवल अपना अतीत याद रखा बल्कि सदियों से मुक्ति के लिए प्रयासरत रहे |
बुढा - देवी मानव जीवन की शुरुआत गर्भ से होती है और शिशु बालक योनि से इस दुनिया में आता है और मुक्ति भी योनि से ही मिलती है | बिना सम्भोग के किसे सहज मृत्यु आती है | आजीवन ब्रम्हचारी अपनी सजह मृत्यु कब मरते है, उन्हें मुक्ति किसी अन्य उपाय से ही मिलती है |
रीमा को बूढ़े की बात पर हँसी आ गयी थी - चुदाई से मुक्ति ।
बूढ़ा आदम - आप हंस सकती है क्योंकि आपको ये बात बहुत सतही लगेगी लेकिन सच यही है । हमे अपने शरीर के परमाणुओं की गति वापस पाने के लिए असल में आपके गर्भ में जाना चाहिए, लेकिन जन्म लिए मनुष्य का वापस गर्भ में जाना असंभव है इसलिए हम बस गर्भ मुख तक जायगें और वही से आप हमारे शरीर के परमाणु की गति को उलटा दिशा में पलट दोगी । आपने उस आदम का लिंग देखा है, जिसको रीमा ने काट डाला था, रीमा ने ज़मीन पर पड़े उस आदम के लिंग की तरफ नजर उठाई जो उसकी गाड़ को चीर कर अन्दर घुस गया था, उसके लिंग का साइज़ बिलकुल सामन्य था, सुघड़ चिकना और पूरी तरह से तना हुआ | वो शरीर से अलग होने के बाद भी न सिकुड़ा, न नरम हुआ, और बूढ़े आदम ने जाकर उसे फिर से उस आदम के शरीर में लगा दिया । रीमा हैरान रह गई, ये कैसे संभव है, जैसे ही बूढ़े आदम ने उस लिंग को सर कटे आदम को लगाया, उसने अपने हाथों से उसने कस कर जड़ से पकड़ कर मसलने लगा |
रीमा - ये कैसे संभव है, कैसे ।
बूढ़ा आदम - इसके परमाणुओं की स्थित अभी भी स्थिर है और वही है जो कटने के पहले थी, अगर ये भिन्न भिन्न अवस्था में पहुँच जाये तो लिंग का पुनः शरीर में अवस्थित होना असमभव था । ये बालक अभी भी उसी अवस्था में है जिस अवस्था में इसका सर विच्छेदन किया गया था इसलिए इसका चेहरा अभी भी प्रसन्नचित है ।
रीमा - फिर भी इसके लिंग में तनाव आने का कारण मुझे समझ नहीं आया, मेरे जिस्म में ऐसा क्या है ?
बूढ़ा आदम - तुमारे शरीर से उत्सर्जित होने वाली सूक्ष्म उर्जा की तरंगो (जो प्रकट रूप में परमाणु के अवयव है, अन्यथा ऊर्जा है ) ने वर्षो से सुसुप्त पड़े सवेदना धागों को सक्रीय कर दिया | इसलिए जब ये तुमारे शरीर के सपर्श में आकर इसने घर्षण किया तो इसके लिंग के सुसुप्त पड़े संवेदना तंतु के परमाणु उस सूक्ष्म ऊर्जा तरंगों से अपनी गति बदल कर सक्रीय हो उठे और लिंग में रक्त संचार बढ़ गया | ऐसा नहीं था की पहले रक्त संचार नहीं होता था लेकिन वो बस उतना था जितना उसे शरीर का हिस्सा बनाये रखने के लिए जरुरी था | रक्त भरने से लिंग में कठोरता आ गयी और आपस में संघर्ष करते दो शरीरो में ये समय भी आया जब सूखी लकड़ी जैसा खुदुरा, पूरी तरह से कठोर लिंग गुदा द्वार से जा टकराया और इसे तुमारा दुर्भाग्य कहूँगा और हम सबका सौभग्य की उस समय इतना भीषण दबाव् तुमारे गुदा द्वार पर पड़ा की लिंग गुदाद्वार को चीरता हुआ अन्दर घुस गया | तुमारी गुदा सुरंग रक्त रंजित हो गयी | तुम भीषण दर्द से चीखी और उस चीख से तुमारे शरीर की सारी उर्जा तुमारी गुदा छिद्र में आकर एकत्रित हो गयी | घायल गुदा अपनी पूरी शक्ति से संकुचन करने लगी, इतना सख्त संकुचन और असीम उर्जा के इकट्ठे होने से ये लिंग इसे सहन नहीं कर पाया और स्खलन शुरू हो गया | तुमारे शरीर का गुदा रस, रक्त और आदम का वीर्य तीनो का समागम ही इसके लिंग को मानव स्वरूर में ले आया, कुछ तो तुमारे शरीर के परमाणुओं में जो वो संपर्क में आने की गति बदल देते है । ये शरीर इन्ही भौतिकी का नियमों का पालन करता है ।
रीमा - इसके परमाणु सक्रिय हुए हो या नहीं लेकिन मेरी तो दुर्गति हो गई, कितना भीषण दर्द हुआ ।
बूढ़ा आदम - स्त्री के लिए संभोग कई बार कष्ट कर होता है और स्त्री के पास इसे सहने की शक्ति भी होती है , इसलिए स्त्री विशेष है ।
रीमा - कुल अर्थ ये है बिना लिंग के योनि या गुदा में जाये ये समागम पूर्ण नहीं होगा और मुक्ति नहीं मिलेगी ।
बूढ़ा आदम - यही एक मुक्ति मार्ग है ।
रीमा - आप कुछ भी कहे लेकिन हमारी दुनिया में इसे चुदाई ही कहते है, एक ने किया तो ये हाल है ।
बूढ़ा आदम - क्या संभोग से गर्भ नहीं ठहरता।
रीमा - हाँ संतान भी होती है ।
बूढ़ा आदम - तो संभोग का उद्देश्य क्या है, आनंद, नहीं वो तो उस प्रक्रिया का एक कारक है, परिणाम तो नव जीवन की रचना ही है । अब सोचिए जो गर्भ नये परमाणु बनाकर नया जीवन दे सकता है वो दुनिया में मौजूद परमाणु की दिशा और गति बदल सकता है ।
रीमा - इसका मतलब तुम मेरी योनि में लिंग डालोगे और मुक्ति पा जावोगे, तुम्हें मुझे चोदने की ज़रूरत नहीं है ।