12-11-2024, 09:30 AM
“तो फिर चल … अब चुदाई का कार्यक्रम शुरु करते हैं।”
इसके बाद पोर्न सिस ने मेरे दोनों हाथ पर रखते हुए कहा- इन्हें धीरे-धीरे दबाते हुए मसल! ज्यादा जोर से मत दबाना, वरना दर्द होगा।
मैं दीदी की चूचियां दोनों हाथ में लेकर दबाते हुए मसलने लगा तो उसने अपने मुंह में मेरे होंठ लेकर चूसना शुरू कर दिया।
अब तो मेरा लंड फनफना उठा।
एक हाथ से मेरे लंड को टटोलते हुए उसने कहा- यह तो साला पूरा डंडे की तरह हो गया है रे! लगता है साली चूत को फाड़ ही डालेगा। आज पहली बार चूत में लंड घुसेगा। संभाल कर धीर-धीरे घुसेड़ना। कहीं फट गई तो परेशानी हो जाएगी।
वह आगे बोली- अच्छा एक काम कर … पहले तू मेरी चूत को गीली कर … इसके लिए तुझे मेरी चूत को चाटना होगा। गीली हो जाएगी तो लंड आराम से घुस जाएगा। चल चाट!
इतना कह कर बहन टांगें फैला कर लेट गई।
मुझे दोनों टांगों के बीच बैठा कर चूत चाटने का इशारा किया।
मैं तुरंत झुक कर उसकी चूत चाटने लगा।
उसने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- चूत चाटते हुए खूब थूक छोड़!
मैं थूक निकाल कर उसकी चूत चाट रहा था।
मेरी बहन जल्दी ही गर्म हो गई … चूतड़ उछाल उछाल कर कह रही थी- बहुत अच्छा लग रहा है। और जोर जोर से चाट!
वह मुझे उकसा उकसा कर चूत चटवा रही थी।
उसकी चूत के ऊपर से थूक बहने लगा था।
फिर एक झटके से उठी और मुझे गिरा कर मेरे ऊपर चढ़ गई।
मेरे लंड को मुंह में लेकर खूब थूक लगाया, फिर मेरे लंड कर बैठ कर लंड को छेद पर लगा कर बोली- मैं ऊपर से जोर लगा रही हूं और तू नीचे से लगा। अब लंड को धीरे धीरे चूत के अंदर लेना है।
चूत भी गीली थी और लंड भी।
मेरा लंड बहुत मोटा नहीं था इसलिए आराम से चूत में घुस गया।
वह न चिल्लाई और न ही रोई।
लंड चूत में घुसा तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुट्ठी में पकड़ रखा है।
ऐसा इसलिए था क्योंकि बहन की चूत में उस दिन पहली बार लंड घुस रहा था।
इसके पहले उसने कभी अंगुली तक नहीं डाली थी।
लंड चूत में घुसा तो मुझे स्वर्गिक सुख मिला।
चूत में लंड के घुसते ही दीदी ने मुझे दोनों बांहों से जकड़ कर चिपका लिया और अपने मुंह में मेरे होंठों को चूसने लगी।
थोड़ा चूसने के बाद बोली- तू भी मेरे होंठों को इसी तरह चूस!
फिर उसने मुझे छोड़ कर कहा- मेरी चूचियों को मसलते हुए दबा!
मैंने बहन की चूचियां दबाई तो उसके मुंह से सिसकारी निकल गई।
उसने कहा- आराम से दबा … ये मजा लेने के लिए हैं, तकलीफ देने के लिए नहीं!
इतना कह कर उसने मुझे चूमते हुए कहा- अब चोद मुझे! लंड डाल कर ही न पड़ा रह। चोदेगा, तभी मजा मिलेगा।
मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
ऐसा करने से सचमुच बहुत अच्छा लग रहा था।
ऐसा करने से थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए।
झड़ते ही मैं लस्त होकर दीदी के ऊपर लेट गया तो उसने मुझे चिपका लिया।
इसके बाद तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता, दोनों ही चुदाई कर लेते।
जब तक बहन की शादी नहीं हो गई, उसने मुझे कभी चूत के लिए तरसने नहीं दिया।
इसके बाद पोर्न सिस ने मेरे दोनों हाथ पर रखते हुए कहा- इन्हें धीरे-धीरे दबाते हुए मसल! ज्यादा जोर से मत दबाना, वरना दर्द होगा।
मैं दीदी की चूचियां दोनों हाथ में लेकर दबाते हुए मसलने लगा तो उसने अपने मुंह में मेरे होंठ लेकर चूसना शुरू कर दिया।
अब तो मेरा लंड फनफना उठा।
एक हाथ से मेरे लंड को टटोलते हुए उसने कहा- यह तो साला पूरा डंडे की तरह हो गया है रे! लगता है साली चूत को फाड़ ही डालेगा। आज पहली बार चूत में लंड घुसेगा। संभाल कर धीर-धीरे घुसेड़ना। कहीं फट गई तो परेशानी हो जाएगी।
वह आगे बोली- अच्छा एक काम कर … पहले तू मेरी चूत को गीली कर … इसके लिए तुझे मेरी चूत को चाटना होगा। गीली हो जाएगी तो लंड आराम से घुस जाएगा। चल चाट!
इतना कह कर बहन टांगें फैला कर लेट गई।
मुझे दोनों टांगों के बीच बैठा कर चूत चाटने का इशारा किया।
मैं तुरंत झुक कर उसकी चूत चाटने लगा।
उसने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- चूत चाटते हुए खूब थूक छोड़!
मैं थूक निकाल कर उसकी चूत चाट रहा था।
मेरी बहन जल्दी ही गर्म हो गई … चूतड़ उछाल उछाल कर कह रही थी- बहुत अच्छा लग रहा है। और जोर जोर से चाट!
वह मुझे उकसा उकसा कर चूत चटवा रही थी।
उसकी चूत के ऊपर से थूक बहने लगा था।
फिर एक झटके से उठी और मुझे गिरा कर मेरे ऊपर चढ़ गई।
मेरे लंड को मुंह में लेकर खूब थूक लगाया, फिर मेरे लंड कर बैठ कर लंड को छेद पर लगा कर बोली- मैं ऊपर से जोर लगा रही हूं और तू नीचे से लगा। अब लंड को धीरे धीरे चूत के अंदर लेना है।
चूत भी गीली थी और लंड भी।
मेरा लंड बहुत मोटा नहीं था इसलिए आराम से चूत में घुस गया।
वह न चिल्लाई और न ही रोई।
लंड चूत में घुसा तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुट्ठी में पकड़ रखा है।
ऐसा इसलिए था क्योंकि बहन की चूत में उस दिन पहली बार लंड घुस रहा था।
इसके पहले उसने कभी अंगुली तक नहीं डाली थी।
लंड चूत में घुसा तो मुझे स्वर्गिक सुख मिला।
चूत में लंड के घुसते ही दीदी ने मुझे दोनों बांहों से जकड़ कर चिपका लिया और अपने मुंह में मेरे होंठों को चूसने लगी।
थोड़ा चूसने के बाद बोली- तू भी मेरे होंठों को इसी तरह चूस!
फिर उसने मुझे छोड़ कर कहा- मेरी चूचियों को मसलते हुए दबा!
मैंने बहन की चूचियां दबाई तो उसके मुंह से सिसकारी निकल गई।
उसने कहा- आराम से दबा … ये मजा लेने के लिए हैं, तकलीफ देने के लिए नहीं!
इतना कह कर उसने मुझे चूमते हुए कहा- अब चोद मुझे! लंड डाल कर ही न पड़ा रह। चोदेगा, तभी मजा मिलेगा।
मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
ऐसा करने से सचमुच बहुत अच्छा लग रहा था।
ऐसा करने से थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए।
झड़ते ही मैं लस्त होकर दीदी के ऊपर लेट गया तो उसने मुझे चिपका लिया।
इसके बाद तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता, दोनों ही चुदाई कर लेते।
जब तक बहन की शादी नहीं हो गई, उसने मुझे कभी चूत के लिए तरसने नहीं दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
