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Incest वयस्कर बहिण-भाऊ
#34
“यह वो क्या है? मेरे पास तो कोई वो नहीं है।”
दीदी शायद मेरे लंड का पानी देख कर मस्त हो गई थी और वह भी लंड का मजा चूत के अंदर लेकर लेना चाहती थी।

इसलिए अब उसे भी शरारत सूझ रही थी और वह मुझे पूरी तरह खोलना चाहती थी। इसलिए वह इस तरह की बात कर रही थी।

उसने उसी लहजे में कहा- जो देखना है, उसका नाम लेकर बता!
मैं सकुचा रहा था चूत कहने में!

थोड़ी देर मैं कुछ नहीं बोला तो वही बोली- बोल … बोल … शरमा मत। तू जो कहेगा, मैं वह दिखाऊंगी।
बहन के इतना कहते ही मुझमें हिम्मत आ गई।

मैंने कहा- मैं आपकी बुर (चूत) देखना चाहता हूं।

“बहुत दिन लगा दिए यह कहने में? मैं तुझे बहुत पहले ही अपनी बुर दिखाना चाहती थी, पर तूने कभी कहा ही नहीं। अब आज कहा है तो भला क्यों नहीं दिखाऊंगी। ले देख ले खुद ही खोल कर!”

मैंने झट बहन का पायजामा नीचे खिसका दिया।
उसकी चूत सहित गांड खुल गई।

दीदी गोरी थी इसलिए उसकी चूत भी चमक रही थी और चूतड़ भी।
पर चूत पर बाल थे इसलिए स्पष्ट नहीं दिखाई दे रही थी।

उसकी चूत बालों से ढकी थी।
फिर भी बीच वाला हिस्सा तो दिखाई ही दे रहा था।

मैंने पहली बार चूत देखी थी।
बहन की चूत देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया था।
जबकि थोड़ी देर पहले ही बहन ने मुट्ठ मार कर उसका पानी निकाला था।

मैं बहन की चूत देख रहा था तो उसकी नजर मेरे लंड पर थी।
उसके खड़े होते ही वह बोली- चूत देखते ही इसका चोदने का मन हो गया।

चोदने की कौन कहे … मैं तो पहली बार चूत देख रहा था।
मन में लड्डू भी फूट रहे थे कि शायद दीदी चोदवा ले।
पर कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी।
बस सारा भरोसा दीदी पर था।

मैं कुछ इसलिए नहीं कह पा रहा था कि कहीं बहन गुस्सा हो गई तो जो मिल रहा है, वह भी मिलना बंद हो जाएगा।

पर भाग्यशाली था मैं!

मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर उसने कहा- बेचारा चूत में घुसने के लिए बेताब हो रहा है।

फिर उसे सहलाते हुए आगे बोली- निराश होने की जरूरत नहीं है बच्चा, तुझे मिलेगी चूत, जरूर मिलेगी चूत!
मैं खुश हो गया।

पर मैंने कभी किसी को चोदा तो था नहीं … इसलिए मन ही मन परेशान था कि अगर दीदी ने चोदवाया भी तो मैं चोदूंगा कैसे?
क्योंकि मैं तो यह भी नहीं जानता था कि चूत में लंड कहां और कैसे घुसेड़ा जाता है।

मैं भले अनाड़ी था … पर दीदी को सब पता था।

यह बात मुझे तब पता चली जब उसने कहा- तुम्हारा लंड बता रहा है कि तुम मुझे चोदना चाहते हो? सचमुच तुम्हारा मन मुझे चोदने का है?

दीदी सब कुछ खुल कर कह रही थी।
उसे कुछ भी कहने में जरा भी शर्म नहीं लग रही थी।

जबकि मैं शर्म, संकोच और डर की वजह से कुछ भी नहीं बोल पा रहा था।

जब उसने पूछा कि क्या मेरा उसे चोदने का है तो मैंने हां में सिर हिला दिया।

तब वह मेरे लंड को मुट्ठी में जोर से दबा कर बोली- साले, तूने मुंह में दही जमा रखी है क्या? इतना बड़ा सिर हिला रहा है। मुंह से बोल कि तेरा मन क्या कह रहा है?
मैंने नजरे झुका कर कहा- हां।

“क्या हां? आगे भी कुछ कहेगा?
“हां, मेरा मन है।” मैंने कहा।

“किस चीज के लिए मन है?” बहन इस तरह के सवाल कर के मेरे अंदर जो झिझक, शर्म थी, शायद उसे दूर करना चाहती थी।

उसने आगे कहा- बोल किस चीज का मन है?
मैं कुछ नहीं बोला.

तो Xxx सिस ने कहा- बोल साले … नहीं तो अपनी चूत तेरे मुंह में रगड़ दूंगी।
मैंने धीरे से कहा- चोदने का!

“ये हुई न बात … साले माल भी खाना चाहता है और मुंह भी छुपाना चाहता है। चोदना तो चाहता है पर पता भी है कैसे चुदाई की जाती है?
“जब कभी किया ही नहीं तो कैसे पता होगा।” मैंने कहा।

“क्या नहीं किया?”
“अरे वही!”
“अरे वही क्या? कहा न कि खुल कर बात करेगा बच्चे तभी चोदने में मजा आएगा।”
“चुदाई भई!” अब मैं खुलने लगा।
“यह हुई न बात … अब इसी तरह बात करना!”

फिर उसने चूत पर हाथ रख कहा- इसे क्या कहते हैं?
मैंने झट कहा- बुर (चूत)
हमारे यहां चूत को बुर ही कहा जाता है।

“इधर देख!” उसने चूत को बीच से फैला कर यानि दोनों फांकों को अलग-अलग करते हुए कहा- इसमें नीचे एक छेद है न, इसी में तुम्हें अपना लंड घुसेड़ना है।” समझ गया न?
“जी समझ गया।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: वयस्कर बहिण-भाऊ - by neerathemall - 12-11-2024, 09:26 AM



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