11-11-2024, 03:05 PM
बाथरूम कमरे से थोड़ा दूर था पर घर के अन्दर ही था.
चूंकि अंधेरा था तो मैं बाथरूम के दरवाजे पर लालटेन लेकर खड़ा रहा.
दीदी सिर्फ पैंटी में बाथरूम गई थीं और कमर से पैंटी नीचे खिसका कर उन्होंने बाथ कर पेशाब करना शुरू की.
पेशाब की तेज़ धार छुर्र छुर्र की आवाज के साथ दूर को फिंकती हुई, मुझे साफ दिख रही थी.
उनकी चूत से निकलती ये धार और उससे आनी वाली महक मुझे पागल सी कर रही थी.
यह कामुक नजारा देख कर मेरा मन ये करने लगा कि मैं आयशा दीदी की चूत में मुँह लगाकर सारा मूत पी जाऊं.
कुछ ही पल तक वे झरना देखने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे वे ये धार मेरी प्यास बुझाने के लिए ही निकाल रही हों.
मैं बस उस धार को देखता ही रह गया.
अब तक वैसे मुझे उनकी चूत के सही से दीदार नहीं हुए थे.
दीदी ने सुसू करने के बाद खड़ी होकर अपनी पैंटी चढ़ाई और वापस मुझे लेकर कमरे में आकर बेड पर लेट गईं.
दीदी को ये आभास हो गया था कि मैं उनको मूतते हुए देखकर काफी उत्तेजित हो गया था.
अब मुझे लग रहा था शायद आज रात यहीं तक का सफर था.
शायद मुझे दी की पैंटी के अन्दर का नजारा देखने को नहीं मिलेगा.
उनकी पैंटी के अन्दर से आ रही महक अब मुझे और तेज़ आती सी प्रतीत हो रही थी और बेचैन कर रही थी.
दीदी ऊपर देखती हुई एक हाथ से अपने मम्मों को सहला रही थीं और दूसरे हाथ से मेरा सर सहला रही थीं.
मैंने थोड़ी चालाकी से उनसे पूछा- दी, आपने बच्चे की तरह दूध पीना तो सिखा दिया, लेकिन बच्चा पैदा करना तो सिखाया ही नहीं?
दीदी समझ गईं कि अब ये मेरी चूत देखना चाहता है.
तो दीदी ने कहा- हां लेकिन, तेरे पास वो तो नहीं है ना … जिससे पैदा होता है.
ये कहकर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और दबाने लगीं.
एक पल बाद उन्होंने कहा- अरे ये … ये तो अभी और लम्बा होगा. जब तू निकाह करने जाएगा, तब समझेगा.
जैसे ही उन्होंने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को दबाया, मेरे होश उड़ गए. अब तक मैं चुदाई के मज़े से भी अनजान था.
दीदी के हाथ मेरे लंड में लगते ही मेरे अन्दर जैसे करेंट सा दौड़ गया था.
मेरा लंड खुद ब खुद हिलने लगा था और फनफनाने लगा था. वह कड़क होकर लोहे की रॉड बन गया था.
आयशा दी को महसूस हुआ कि उनके दबाने से मेरा लंड थोड़ा सा मोटा और टाइट हो गया है.
वे ये महसूस करते ही चौंक गईं और उठ कर बैठ गईं.
उन्होंने मुझे पूरा लिटा दिया और वे गौर से मेरे लंड को देखकर धीरे धीरे उसे दबाने लगीं.
वे मेरे लौड़े को ऐसे देख रही थीं, जैसे पहली बार किसी का लंड देख रही हों जो उनको इतनी अधिक रोमांचक वस्तु लग रही थी.
हालांकि पहले भी कॉलेज से आने के बाद वे मुझे बिना पैंट के देख चुकी थीं लेकिन आज उनका ये रिएक्शन अलग ही था.
मैंने देखा कि वे मेरे लंड के करीब आ गईं.
बिस्तर की चादर से उन्होंने मेरे लंड को पहले पौंछा और अपनी जीभ को लंड की टोपी पर रख कर मेरी तरफ देखा.
मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं उस रात जन्नत की सैर कर रहा हूँ.
मैंने न जाने कैसे, दी के सर के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया.
ऐसा करते ही उनका सर अब पूरी तरह नीचे जा चुका था और मेरा लंड उनके मुँह के अन्दर की गर्मी का लुत्फ उठा रहा था.
पहले तो उन्होंने अपने गले से खखारने की आवाज निकाली, शायद मेरे लंड से आ रही पसीने के स्मेल से ऐसा किया था.
पर तब रुकने का होश किसे था.
कुछ ही पलों बाद वे मेरे लंड को पूरी तरह अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
उनके जीभ की गर्म लार ने मेरे लंड को और बेबस कर दिया. पहली बार मेरे लंड को अहसास हो रहा था कि लड़की के मुँह के अन्दर का स्वाद कैसा होता है.
दीदी ऐसा कर ही रही थीं कि मुझे लगा मेरे लंड के अन्दर से कुछ निकल जाएगा.
उसी वक्त मेरे बदन में एकदम से बिजली सी कौंध गई.
मैंने दीदी के सर को पीछे धकेलना चाहा पर दीदी तब तक मेरे लंड को बिल्कुल अपने मुँह के काबू में कर चुकी थीं.
वे अपनी पूरी लज्जत से लंड चूस रही थीं कि तभी मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और मेरे जीवन का पहला गर्म वीर्य उनके मुँह में निकल गया.
वे वीर्य कम से कम इतना था कि आधे वीर्य से दीदी का मुँह भर गया और बाकी आधा बाहर गिर गया.
मैं जैसे सातवें आसामान में उड़ रहा था.
मैंने दीदी को देखा.
वे जैसे अपने मुँह में भरे वीर्य को बाहर थूकना चाहती थीं.
मगर ऐसा करने से पहले ही वे खाँसने लगीं और कुछ ऐसा हुआ कि वे मेरे लंड से निकला सारा वीर्य निगल गईं.
दीदी ने मदहोशी में अपनी आंखें मूँद लीं और अपने छोटे भाई के पहले वीर्य के स्वाद को आत्मसात करने लगीं.
हम दोनों मदहोशी में इतने ज्यादा डूबे थे कि दीदी को वे वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. मुझे तो जैसे जन्नत के दीदार हो गए थे.
मेरे वीर्य को निगल कर दीदी थक सी गईं और उन्होंने अपना सर मेरे लंड के ऊपर ही रख दिया.
इससे ये हुआ कि मेरे लवड़े पर सफ़ेद गाढ़ा वीर्य गिरा था, वह उनके चेहरे पर लग गया.
न जाने दीदी को वीर्य का टेस्ट इतना अच्छा लगा था या मदहोशी थी कि वे मेरे लंड और पेट पर पड़े वीर्य को चाटने लगीं और जीभ से सारा वीर्य कर साफ कर दिया.
इस तरह से मैंने उस दिन आयशा दी को एक अलग ही मूड में देखा.
वे कहने लगीं- क्या रे सलमान, तेरा पानी तो मैं पी गई. अब तुझे भी मेरा पानी पीना होगा, तभी हिसाब बराबर होगा!
यह कहकर उन्होंने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी गोरी टांगों को फैला कर मेरे सामने लेट गईं.
दीदी ने अपनी उंगली से इशारा किया- आ मेरे बच्चे, आ … अब इसको चाटने का मज़ा भी ले ले.
उस वक्त बाहर काफी अंधेरा था लेकिन अन्दर लालटेन की रोशनी इतनी थी कि गोरी टांगों के बीच में मैं दीदी का काला सा वह अद्भुत खजाना देख रहा था.
आयशा दी ने अपना ये खजाना अब तक कभी किसी को नहीं दिखाया था.
जहां से उनका पेशाब निकला था, मैं उसके पास गया.
आयशा दी ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के सांवली रंग की कलियों को अलग किया, जिसके अन्दर मैंने पिंक सा गीला गीला सा वे अद्भुत नजारा देखा.
दीदी ने कहा- सलमान, यहां चाट … अपनी जीभ लगा … आ जा जल्दी से!
वे जैसे तड़फ रही थीं- देख सलमान, मेरी जान … यहां काटना मत … हां, वरना तेरी दीदी मर ही जाएगी, बस तू इसे चाट ले!
यह कहते हुए उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया.
मैंने जब उनकी चूत का पहला स्वाद अपने मुँह में लिया तो ऐसा लगा जैसे कोई नशा चखा हो!
हाय … ये स्वाद मुझे पहले क्यों नहीं मिला!
उनकी पेशाब का स्वाद अब भी उनकी चूत में बाकी था.
दीदी की चूत में इतना गीलापन था कि मेरे होंठ तक गीले हो चुके थे.
मैं पागलों की तरह चाटता गया.
दीदी सिसकारियां लेने लगीं- आआअह आअ … मज़ा आ रहा है … आह मजा आ रहा रे … म्ह्म्म् रुकना मत … रुकना मत … तू पी ले ना मेरे राजा आह … ओह … इस्स्स्स्स … चाट और चाट … आह ऐसे चाट जैसे तुझे प्यास लगी हो … उम्ह्म्म् मेरे राजा … आह्ह!
मैं कैसे रुकता.
दीदी मेरा सर दबा रही थीं और मैं बिना हिले, लेटे लेटे हुए उनकी चूत की प्यास बुझा रहा था.
‘आअह काट ले साले तुझे काटना पसंद है ना कुत्ते … आह काट … तेरा ही माल है … जो मन करे, वे कर इसके साथ … आह हाय.’
दीदी अब चरम पर आ गई थीं; उन्होंने मेरा सर कसकर दबाया और अपनी जांघों से मुझे ऐसे दबोच लिया, जैसे कोई तकिया को दबाया हुआ है.
फिर वे ऐसे मचलने लगीं जैसे उनकी जान ही निकल रही हो.
मैंने महसूस किया कि उनकी चूत अब पहले से ज्यादा गर्म और गीली हो गई थी.
फिर उन्होंने एक जोर सी सिसकारी ली और मेरा मुँह पूरा उनके रस से भर गया.
मैं इतना मदहोश हो गया था कि सारा रस गटकने के बाद भी उनकी चूत को चाटता रहा.
तब मैं पागल हो रहा था.
आयशा दी अब थक चुकी थीं.
आखिर में उन्होंने वहीं मेरे मुँह में पेशाब हल्का सा निकाल दिया, उसे भी मैं पी गया.
अब मैं भी ऊपर से हट कर उनकी बगल में लेट गया.
मैंने कहा- दीदी, आपने तो सिर्फ मेरा सफ़ेद जूस पिया था. मैंने आपका पानी भी पिया और सारा मूत भी गटक गया.
हॉट दीदी बोलीं- हम्म … कैसा लगा तुझे?
‘मज़ा आ गया दी!’
सेक्सी दीदी बोलीं- आज के बाद ये बात किसी को नहीं बताना, समझे?
‘हां दीदी बिल्कुल.’
‘और सुन, हम ये खेल अब से हमेशा ही खेलेंगे. तुझे जब मन करे, तू मेरा मूत और पानी पी लेना और मेरे साथ ही सोना.’
मैंने हां में हां मिलाई, आखिर मैंने उस चरम सुख को पा जो लिया था!
उसके बाद दीदी ने कहा- अब बस कर … सो जा. कल तुझे इसके आगे का पाठ सिखाऊंगी, जिसमें बच्चा पैदा करने का तरीका बताऊंगी.
मैंने कहा- ओके दीदी लेकिन अभी काफी समय बाकी है सुबह होने में … यदि आप चाहें तो एक घंटा आराम करने के बाद हम दोनों अभी ही बच्चा पैदा करने का तरीका सीख सकते हैं.
दीदी ने हंस कर मुझे अपनी चूचियों में समेट लिया और हम दोनों सो गए.
चूंकि अंधेरा था तो मैं बाथरूम के दरवाजे पर लालटेन लेकर खड़ा रहा.
दीदी सिर्फ पैंटी में बाथरूम गई थीं और कमर से पैंटी नीचे खिसका कर उन्होंने बाथ कर पेशाब करना शुरू की.
पेशाब की तेज़ धार छुर्र छुर्र की आवाज के साथ दूर को फिंकती हुई, मुझे साफ दिख रही थी.
उनकी चूत से निकलती ये धार और उससे आनी वाली महक मुझे पागल सी कर रही थी.
यह कामुक नजारा देख कर मेरा मन ये करने लगा कि मैं आयशा दीदी की चूत में मुँह लगाकर सारा मूत पी जाऊं.
कुछ ही पल तक वे झरना देखने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे वे ये धार मेरी प्यास बुझाने के लिए ही निकाल रही हों.
मैं बस उस धार को देखता ही रह गया.
अब तक वैसे मुझे उनकी चूत के सही से दीदार नहीं हुए थे.
दीदी ने सुसू करने के बाद खड़ी होकर अपनी पैंटी चढ़ाई और वापस मुझे लेकर कमरे में आकर बेड पर लेट गईं.
दीदी को ये आभास हो गया था कि मैं उनको मूतते हुए देखकर काफी उत्तेजित हो गया था.
अब मुझे लग रहा था शायद आज रात यहीं तक का सफर था.
शायद मुझे दी की पैंटी के अन्दर का नजारा देखने को नहीं मिलेगा.
उनकी पैंटी के अन्दर से आ रही महक अब मुझे और तेज़ आती सी प्रतीत हो रही थी और बेचैन कर रही थी.
दीदी ऊपर देखती हुई एक हाथ से अपने मम्मों को सहला रही थीं और दूसरे हाथ से मेरा सर सहला रही थीं.
मैंने थोड़ी चालाकी से उनसे पूछा- दी, आपने बच्चे की तरह दूध पीना तो सिखा दिया, लेकिन बच्चा पैदा करना तो सिखाया ही नहीं?
दीदी समझ गईं कि अब ये मेरी चूत देखना चाहता है.
तो दीदी ने कहा- हां लेकिन, तेरे पास वो तो नहीं है ना … जिससे पैदा होता है.
ये कहकर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और दबाने लगीं.
एक पल बाद उन्होंने कहा- अरे ये … ये तो अभी और लम्बा होगा. जब तू निकाह करने जाएगा, तब समझेगा.
जैसे ही उन्होंने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को दबाया, मेरे होश उड़ गए. अब तक मैं चुदाई के मज़े से भी अनजान था.
दीदी के हाथ मेरे लंड में लगते ही मेरे अन्दर जैसे करेंट सा दौड़ गया था.
मेरा लंड खुद ब खुद हिलने लगा था और फनफनाने लगा था. वह कड़क होकर लोहे की रॉड बन गया था.
आयशा दी को महसूस हुआ कि उनके दबाने से मेरा लंड थोड़ा सा मोटा और टाइट हो गया है.
वे ये महसूस करते ही चौंक गईं और उठ कर बैठ गईं.
उन्होंने मुझे पूरा लिटा दिया और वे गौर से मेरे लंड को देखकर धीरे धीरे उसे दबाने लगीं.
वे मेरे लौड़े को ऐसे देख रही थीं, जैसे पहली बार किसी का लंड देख रही हों जो उनको इतनी अधिक रोमांचक वस्तु लग रही थी.
हालांकि पहले भी कॉलेज से आने के बाद वे मुझे बिना पैंट के देख चुकी थीं लेकिन आज उनका ये रिएक्शन अलग ही था.
मैंने देखा कि वे मेरे लंड के करीब आ गईं.
बिस्तर की चादर से उन्होंने मेरे लंड को पहले पौंछा और अपनी जीभ को लंड की टोपी पर रख कर मेरी तरफ देखा.
मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं उस रात जन्नत की सैर कर रहा हूँ.
मैंने न जाने कैसे, दी के सर के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया.
ऐसा करते ही उनका सर अब पूरी तरह नीचे जा चुका था और मेरा लंड उनके मुँह के अन्दर की गर्मी का लुत्फ उठा रहा था.
पहले तो उन्होंने अपने गले से खखारने की आवाज निकाली, शायद मेरे लंड से आ रही पसीने के स्मेल से ऐसा किया था.
पर तब रुकने का होश किसे था.
कुछ ही पलों बाद वे मेरे लंड को पूरी तरह अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
उनके जीभ की गर्म लार ने मेरे लंड को और बेबस कर दिया. पहली बार मेरे लंड को अहसास हो रहा था कि लड़की के मुँह के अन्दर का स्वाद कैसा होता है.
दीदी ऐसा कर ही रही थीं कि मुझे लगा मेरे लंड के अन्दर से कुछ निकल जाएगा.
उसी वक्त मेरे बदन में एकदम से बिजली सी कौंध गई.
मैंने दीदी के सर को पीछे धकेलना चाहा पर दीदी तब तक मेरे लंड को बिल्कुल अपने मुँह के काबू में कर चुकी थीं.
वे अपनी पूरी लज्जत से लंड चूस रही थीं कि तभी मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और मेरे जीवन का पहला गर्म वीर्य उनके मुँह में निकल गया.
वे वीर्य कम से कम इतना था कि आधे वीर्य से दीदी का मुँह भर गया और बाकी आधा बाहर गिर गया.
मैं जैसे सातवें आसामान में उड़ रहा था.
मैंने दीदी को देखा.
वे जैसे अपने मुँह में भरे वीर्य को बाहर थूकना चाहती थीं.
मगर ऐसा करने से पहले ही वे खाँसने लगीं और कुछ ऐसा हुआ कि वे मेरे लंड से निकला सारा वीर्य निगल गईं.
दीदी ने मदहोशी में अपनी आंखें मूँद लीं और अपने छोटे भाई के पहले वीर्य के स्वाद को आत्मसात करने लगीं.
हम दोनों मदहोशी में इतने ज्यादा डूबे थे कि दीदी को वे वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. मुझे तो जैसे जन्नत के दीदार हो गए थे.
मेरे वीर्य को निगल कर दीदी थक सी गईं और उन्होंने अपना सर मेरे लंड के ऊपर ही रख दिया.
इससे ये हुआ कि मेरे लवड़े पर सफ़ेद गाढ़ा वीर्य गिरा था, वह उनके चेहरे पर लग गया.
न जाने दीदी को वीर्य का टेस्ट इतना अच्छा लगा था या मदहोशी थी कि वे मेरे लंड और पेट पर पड़े वीर्य को चाटने लगीं और जीभ से सारा वीर्य कर साफ कर दिया.
इस तरह से मैंने उस दिन आयशा दी को एक अलग ही मूड में देखा.
वे कहने लगीं- क्या रे सलमान, तेरा पानी तो मैं पी गई. अब तुझे भी मेरा पानी पीना होगा, तभी हिसाब बराबर होगा!
यह कहकर उन्होंने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी गोरी टांगों को फैला कर मेरे सामने लेट गईं.
दीदी ने अपनी उंगली से इशारा किया- आ मेरे बच्चे, आ … अब इसको चाटने का मज़ा भी ले ले.
उस वक्त बाहर काफी अंधेरा था लेकिन अन्दर लालटेन की रोशनी इतनी थी कि गोरी टांगों के बीच में मैं दीदी का काला सा वह अद्भुत खजाना देख रहा था.
आयशा दी ने अपना ये खजाना अब तक कभी किसी को नहीं दिखाया था.
जहां से उनका पेशाब निकला था, मैं उसके पास गया.
आयशा दी ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के सांवली रंग की कलियों को अलग किया, जिसके अन्दर मैंने पिंक सा गीला गीला सा वे अद्भुत नजारा देखा.
दीदी ने कहा- सलमान, यहां चाट … अपनी जीभ लगा … आ जा जल्दी से!
वे जैसे तड़फ रही थीं- देख सलमान, मेरी जान … यहां काटना मत … हां, वरना तेरी दीदी मर ही जाएगी, बस तू इसे चाट ले!
यह कहते हुए उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया.
मैंने जब उनकी चूत का पहला स्वाद अपने मुँह में लिया तो ऐसा लगा जैसे कोई नशा चखा हो!
हाय … ये स्वाद मुझे पहले क्यों नहीं मिला!
उनकी पेशाब का स्वाद अब भी उनकी चूत में बाकी था.
दीदी की चूत में इतना गीलापन था कि मेरे होंठ तक गीले हो चुके थे.
मैं पागलों की तरह चाटता गया.
दीदी सिसकारियां लेने लगीं- आआअह आअ … मज़ा आ रहा है … आह मजा आ रहा रे … म्ह्म्म् रुकना मत … रुकना मत … तू पी ले ना मेरे राजा आह … ओह … इस्स्स्स्स … चाट और चाट … आह ऐसे चाट जैसे तुझे प्यास लगी हो … उम्ह्म्म् मेरे राजा … आह्ह!
मैं कैसे रुकता.
दीदी मेरा सर दबा रही थीं और मैं बिना हिले, लेटे लेटे हुए उनकी चूत की प्यास बुझा रहा था.
‘आअह काट ले साले तुझे काटना पसंद है ना कुत्ते … आह काट … तेरा ही माल है … जो मन करे, वे कर इसके साथ … आह हाय.’
दीदी अब चरम पर आ गई थीं; उन्होंने मेरा सर कसकर दबाया और अपनी जांघों से मुझे ऐसे दबोच लिया, जैसे कोई तकिया को दबाया हुआ है.
फिर वे ऐसे मचलने लगीं जैसे उनकी जान ही निकल रही हो.
मैंने महसूस किया कि उनकी चूत अब पहले से ज्यादा गर्म और गीली हो गई थी.
फिर उन्होंने एक जोर सी सिसकारी ली और मेरा मुँह पूरा उनके रस से भर गया.
मैं इतना मदहोश हो गया था कि सारा रस गटकने के बाद भी उनकी चूत को चाटता रहा.
तब मैं पागल हो रहा था.
आयशा दी अब थक चुकी थीं.
आखिर में उन्होंने वहीं मेरे मुँह में पेशाब हल्का सा निकाल दिया, उसे भी मैं पी गया.
अब मैं भी ऊपर से हट कर उनकी बगल में लेट गया.
मैंने कहा- दीदी, आपने तो सिर्फ मेरा सफ़ेद जूस पिया था. मैंने आपका पानी भी पिया और सारा मूत भी गटक गया.
हॉट दीदी बोलीं- हम्म … कैसा लगा तुझे?
‘मज़ा आ गया दी!’
सेक्सी दीदी बोलीं- आज के बाद ये बात किसी को नहीं बताना, समझे?
‘हां दीदी बिल्कुल.’
‘और सुन, हम ये खेल अब से हमेशा ही खेलेंगे. तुझे जब मन करे, तू मेरा मूत और पानी पी लेना और मेरे साथ ही सोना.’
मैंने हां में हां मिलाई, आखिर मैंने उस चरम सुख को पा जो लिया था!
उसके बाद दीदी ने कहा- अब बस कर … सो जा. कल तुझे इसके आगे का पाठ सिखाऊंगी, जिसमें बच्चा पैदा करने का तरीका बताऊंगी.
मैंने कहा- ओके दीदी लेकिन अभी काफी समय बाकी है सुबह होने में … यदि आप चाहें तो एक घंटा आराम करने के बाद हम दोनों अभी ही बच्चा पैदा करने का तरीका सीख सकते हैं.
दीदी ने हंस कर मुझे अपनी चूचियों में समेट लिया और हम दोनों सो गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.