11-11-2024, 03:04 PM
मैं उनके बूब्स को ब्रा से निकालने लगा.
दी की ब्रा इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा हाथ कमज़ोर और छोटा पड़ने लगा.
उन्होंने मेरी कोशिश देखकर अपनी ब्रा पीछे से खोल दी और मेरे सर को अपने बूब्स के और पास ले आईं.
मैंने उनके नंगे बूब्स को देखा, तो समझ आया मानो बड़े बड़े गोरे खरबूजे हों.
उनके मम्मों का इतना गोरा रंग, जैसे दूध में नहलाए हुए फल हों. उनके निप्पल इतने कड़क और गुलाबी मानो गुलाब के फूल की कलि हों.
उनके निप्पलों के इर्द गिर्द बड़े बड़े भूरे रंग जैसी चमड़ी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया.
दीदी ने एक हाथ से अपने बूब को दबाया और निप्पल के इर्द गिर्द अपनी दो उंगलियां लगा कर अपने मम्मे को मेरे होंठों से लगा दिया.
मैंने अपने होंठों से उनके निप्पल को खींचा तो दी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं.
अब मैं उनके मम्मे को तोतापरी आम के जैसे चूसने लगा.
‘आअह … आह … सलमान … कैसा लग रहा तुझे … ऐसे ही तूने बचपन में दूध पिया होगा … म्म्ह्म्म आराम से पी … आह आज पूरी रात मैं तुझे सब सिखा दूँगी कि कैसे मेरे साथ तुझे खेलना है … आह जोर से … दांतों से काट ले … निशान … आह निशान बना दे … डर मत … कुछ नहीं होगा मुझे!’
मैं ये सुनकर जोर से उनके दाहिने उरोज को चूसने लगा. मेरे एक हाथ की हथेली उनके दूसरे स्तन को मसल रही थी.
मेरे हाथ के ऊपर उनका हाथ था जो मुझे उनके दूध को जोर से दबाने को मजबूर कर रहा था.
दी के बूब इतने बड़े थे कि मेरा मुँह उसमें समाए जा रहा था.
दीदी बिल्कुल मदहोश थीं और एक हाथ से उन्होंने मेरा सर अपने बूब में घुसा सा रखा था.
उसी मदहोशी में उन्होंने मेरी कमीज उतार दी और मेरी पैंट भी.
साथ ही उन्होंने अपना पजामा भी उतार फेंका.
जैसे ही उन्होंने अपना पजामा उतारा, उनकी जांघों के बीच से एक पागल कर देने वाली खुशबू मेरी नाक में आयी.
मैंने ऐसी खुशबू कभी नहीं सूंघी थी. उनकी पैंटी के ऊपर एक ऐसी सी गीली परत थी, जैसे अन्दर से पानी सा कुछ निकला हो.
उस वक्त मैं पूरा नंगा था और दीदी के ऊपर लेटा हुआ था.
उन्होंने सिर्फ पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी.
कैरोसीन वाली लैंप से जितनी रोशनी रूम में थी, उतने में मैं दीदी की लम्बी सांसें और बड़े बड़े मदहोश कर देने वाले निप्पलों को साफ देख पा रहा था.
उस समय लाइट नहीं आ रही थी, तो हमने लालटेन जलाई हुई थी.
उनका दाहिना दूध लाल हो गया था. क्योंकि मैंने उन्हें वहां काफी तेज काटा था.
शायद निप्पल के ऊपर थोड़ा खून सा भी आने लगा था.
ये देख कर मैं डर सा गया.
तो दीदी ने कहा- मेरी जान, आज तुझे यही जख्म मुझे देना है … और जहां मैं कहूँ, वहां वहां देना है.
ये सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी तो यही चाहता हूँ.
मैंने जोश में आकर दीदी के बांई तरफ वाले बूब को चूसना शुरू कर दिया.
‘मममम … आह ओह … आराम से भाई आह … म्ह्म्म् पूरी रात पड़ी है पागल … तू तो बचपन से प्यासा लगता है. आह अगर मुझे पता होता तू इतना मस्त चूसता है, तो मैं तुझे बहुत पहले ही स्तनपान करा देती रे … आह धीरे बाबू धीरे … आईइ!’
वे जोर से चीखीं.
दी इतनी जोर से चीखीं थीं कि उनकी चीख से घर गूंज उठा था.
पर सुनने वाला कोई ना था … ना ही हमें रोकने वाला.
मेरे दांत उनके निप्पल के ऊपर उनकी चीखें निकाल रहे थे.
तभी उन्होंने मेरा दूसरा हाथ उन्होंने अपने मुँह में लिया और दांतों से दबाने लगीं.
जैसे दर्द और मज़ा दोनों उन्हें पागल कर रहा हो.
मुझे उस वक़्त न जाने ऐसा क्यों लगने लगा कि आयशा दीदी के मम्मे में जैसे कोई अमृत भरा हो.
मैं इसका मर्दन और चूसन आज पहली बार कर रहा हूँ.
मैंने अपनी साथ की लड़कियों में ऐसी लड़की कभी नहीं देखी थी, जिसके इतने गोल और भरे भरे से स्तन हों.
आखिर ये तो आयशा दीदी के जवान बूब्स थे.
अब रात के करीब 3 बज रहे थे.
दो घंटे तक मैंने दीदी के सिर्फ बूब्स चूसे और उन्होंने आंखें मूँद कर सिसकियां लीं, चीखें मारीं.
अब मैं भी चूस चूस कर थक चुका था.
उनकी चूचियों से अब सच में हल्का सा खून आने लगा था और उनकी चूचियां पहले से कई गुना अधिक फूल सी गई थीं.
उनकी दोनों चूचियां लाल सी पड़ गई थीं.
उन्होंने बगल से मेरी कमीज उठाई और अपने बूब्स के ऊपर ऐसे डाल ली जैसे वे अब उन्हें मुझसे छुपाना चाहती हों.
उन्होंने कराहते हुए कहा- सलमान, तूने तो इनका हाल ऐसा बना दिया कि अब मैं एक हफ्ता तक ब्रा नहीं पहन सकती हूँ. तूने तो चीर ही डाला अपने दी के दूध … आह मगर मज़ा भी खूब आ गया!
मैं दूसरे कोने में लेटा हुआ उनके चेहरे को देखने लगा.
उनकी प्यारी सी नशीली गोल गोल आंखें, उनके फूले हुए लाल होंठ, गोरे गोरे गाल.
मैंने गांव के लोगों से मेरी दीदी के लिए सुन रखा था कि ये तो माधुरी नेने सी लगती है.
दीदी अभी जवान हुई ही थीं, पर लगती वे मस्त भरी हुई माल जैसी थीं.
उनके बड़े बड़े चूतड़ और जांघें इतनी कदली सी थीं कि जैसे वे ब्लू-फिल्म की कोई MILF हों.
उस दिन मैंने अपनी माधुरी के जैसी लगने वाली बहन के गोरे और नंगे बदन का मस्ती से रसपान भी कर लिया था.
शायद दीदी ने अपने कॉलेज की सहेलियों के संग पोर्न मूवी देख रखी थीं जिससे उनके दिल में उसी तरह का सेक्स करने का मन था.
आज वे अपनी उस प्यास को अपने छोटे भाई से पूरा कर रही थीं.
ये सब होने के बाद दी को जोर से पेशाब आयी.
वे मुझे लेकर बाहर बाथरूम में चलने की कहने लगीं.
दी की ब्रा इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा हाथ कमज़ोर और छोटा पड़ने लगा.
उन्होंने मेरी कोशिश देखकर अपनी ब्रा पीछे से खोल दी और मेरे सर को अपने बूब्स के और पास ले आईं.
मैंने उनके नंगे बूब्स को देखा, तो समझ आया मानो बड़े बड़े गोरे खरबूजे हों.
उनके मम्मों का इतना गोरा रंग, जैसे दूध में नहलाए हुए फल हों. उनके निप्पल इतने कड़क और गुलाबी मानो गुलाब के फूल की कलि हों.
उनके निप्पलों के इर्द गिर्द बड़े बड़े भूरे रंग जैसी चमड़ी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया.
दीदी ने एक हाथ से अपने बूब को दबाया और निप्पल के इर्द गिर्द अपनी दो उंगलियां लगा कर अपने मम्मे को मेरे होंठों से लगा दिया.
मैंने अपने होंठों से उनके निप्पल को खींचा तो दी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं.
अब मैं उनके मम्मे को तोतापरी आम के जैसे चूसने लगा.
‘आअह … आह … सलमान … कैसा लग रहा तुझे … ऐसे ही तूने बचपन में दूध पिया होगा … म्म्ह्म्म आराम से पी … आह आज पूरी रात मैं तुझे सब सिखा दूँगी कि कैसे मेरे साथ तुझे खेलना है … आह जोर से … दांतों से काट ले … निशान … आह निशान बना दे … डर मत … कुछ नहीं होगा मुझे!’
मैं ये सुनकर जोर से उनके दाहिने उरोज को चूसने लगा. मेरे एक हाथ की हथेली उनके दूसरे स्तन को मसल रही थी.
मेरे हाथ के ऊपर उनका हाथ था जो मुझे उनके दूध को जोर से दबाने को मजबूर कर रहा था.
दी के बूब इतने बड़े थे कि मेरा मुँह उसमें समाए जा रहा था.
दीदी बिल्कुल मदहोश थीं और एक हाथ से उन्होंने मेरा सर अपने बूब में घुसा सा रखा था.
उसी मदहोशी में उन्होंने मेरी कमीज उतार दी और मेरी पैंट भी.
साथ ही उन्होंने अपना पजामा भी उतार फेंका.
जैसे ही उन्होंने अपना पजामा उतारा, उनकी जांघों के बीच से एक पागल कर देने वाली खुशबू मेरी नाक में आयी.
मैंने ऐसी खुशबू कभी नहीं सूंघी थी. उनकी पैंटी के ऊपर एक ऐसी सी गीली परत थी, जैसे अन्दर से पानी सा कुछ निकला हो.
उस वक्त मैं पूरा नंगा था और दीदी के ऊपर लेटा हुआ था.
उन्होंने सिर्फ पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी.
कैरोसीन वाली लैंप से जितनी रोशनी रूम में थी, उतने में मैं दीदी की लम्बी सांसें और बड़े बड़े मदहोश कर देने वाले निप्पलों को साफ देख पा रहा था.
उस समय लाइट नहीं आ रही थी, तो हमने लालटेन जलाई हुई थी.
उनका दाहिना दूध लाल हो गया था. क्योंकि मैंने उन्हें वहां काफी तेज काटा था.
शायद निप्पल के ऊपर थोड़ा खून सा भी आने लगा था.
ये देख कर मैं डर सा गया.
तो दीदी ने कहा- मेरी जान, आज तुझे यही जख्म मुझे देना है … और जहां मैं कहूँ, वहां वहां देना है.
ये सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी तो यही चाहता हूँ.
मैंने जोश में आकर दीदी के बांई तरफ वाले बूब को चूसना शुरू कर दिया.
‘मममम … आह ओह … आराम से भाई आह … म्ह्म्म् पूरी रात पड़ी है पागल … तू तो बचपन से प्यासा लगता है. आह अगर मुझे पता होता तू इतना मस्त चूसता है, तो मैं तुझे बहुत पहले ही स्तनपान करा देती रे … आह धीरे बाबू धीरे … आईइ!’
वे जोर से चीखीं.
दी इतनी जोर से चीखीं थीं कि उनकी चीख से घर गूंज उठा था.
पर सुनने वाला कोई ना था … ना ही हमें रोकने वाला.
मेरे दांत उनके निप्पल के ऊपर उनकी चीखें निकाल रहे थे.
तभी उन्होंने मेरा दूसरा हाथ उन्होंने अपने मुँह में लिया और दांतों से दबाने लगीं.
जैसे दर्द और मज़ा दोनों उन्हें पागल कर रहा हो.
मुझे उस वक़्त न जाने ऐसा क्यों लगने लगा कि आयशा दीदी के मम्मे में जैसे कोई अमृत भरा हो.
मैं इसका मर्दन और चूसन आज पहली बार कर रहा हूँ.
मैंने अपनी साथ की लड़कियों में ऐसी लड़की कभी नहीं देखी थी, जिसके इतने गोल और भरे भरे से स्तन हों.
आखिर ये तो आयशा दीदी के जवान बूब्स थे.
अब रात के करीब 3 बज रहे थे.
दो घंटे तक मैंने दीदी के सिर्फ बूब्स चूसे और उन्होंने आंखें मूँद कर सिसकियां लीं, चीखें मारीं.
अब मैं भी चूस चूस कर थक चुका था.
उनकी चूचियों से अब सच में हल्का सा खून आने लगा था और उनकी चूचियां पहले से कई गुना अधिक फूल सी गई थीं.
उनकी दोनों चूचियां लाल सी पड़ गई थीं.
उन्होंने बगल से मेरी कमीज उठाई और अपने बूब्स के ऊपर ऐसे डाल ली जैसे वे अब उन्हें मुझसे छुपाना चाहती हों.
उन्होंने कराहते हुए कहा- सलमान, तूने तो इनका हाल ऐसा बना दिया कि अब मैं एक हफ्ता तक ब्रा नहीं पहन सकती हूँ. तूने तो चीर ही डाला अपने दी के दूध … आह मगर मज़ा भी खूब आ गया!
मैं दूसरे कोने में लेटा हुआ उनके चेहरे को देखने लगा.
उनकी प्यारी सी नशीली गोल गोल आंखें, उनके फूले हुए लाल होंठ, गोरे गोरे गाल.
मैंने गांव के लोगों से मेरी दीदी के लिए सुन रखा था कि ये तो माधुरी नेने सी लगती है.
दीदी अभी जवान हुई ही थीं, पर लगती वे मस्त भरी हुई माल जैसी थीं.
उनके बड़े बड़े चूतड़ और जांघें इतनी कदली सी थीं कि जैसे वे ब्लू-फिल्म की कोई MILF हों.
उस दिन मैंने अपनी माधुरी के जैसी लगने वाली बहन के गोरे और नंगे बदन का मस्ती से रसपान भी कर लिया था.
शायद दीदी ने अपने कॉलेज की सहेलियों के संग पोर्न मूवी देख रखी थीं जिससे उनके दिल में उसी तरह का सेक्स करने का मन था.
आज वे अपनी उस प्यास को अपने छोटे भाई से पूरा कर रही थीं.
ये सब होने के बाद दी को जोर से पेशाब आयी.
वे मुझे लेकर बाहर बाथरूम में चलने की कहने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.