11-11-2024, 09:39 AM
(11-11-2024, 09:37 AM)neerathemall Wrote:पड़ोसन भाभी को उन्हीं के घर में चोदा-
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हमारे पड़ोस के घर में एक जवान भैया भाभी और उनका एक 7 साल बेटा रहते हैं. उनके परिवार में यही तीन लोग थे.
भैया का नाम करण था व भाभी का नाम दिव्या था तथा उनके बेटे का नाम यश था.
वो भैया पेशे डॉक्टर थे और उनकी उम्र 37 साल थी. दिव्या भाभी हाउसवाइफ थीं और उनकी उम्र 31 साल थी.
भैया भाभी दोनों ही नेचर से बहुत अच्छे थे.
पड़ोस में रहने वाली दिव्या भाभी को जब मैंने पहली बार देखा था तो देखता ही रह गया था.
दिव्या भाभी बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी माल थीं. भाभी का बदन एकदम गोरा था और फिगर भी एकदम लाजवाब था. दिव्या भाभी दिखने में एकदम करीना कपूर के जैसी लगती थीं.
भाभी की हाइट 5 फुट 6 इंच थी. मम्मे 34 इंच के, कमर 30 इंच की तथा चूतड़ 36 इंच के थे.
मैंने पहली बार जिस दिन भाभी को देखा था, उसी दिन सोच लिया था कि कैसे भी करके भाभी को चोदना ही है.
भाभी अक्सर साड़ी या, गाउन ही पहना करती थीं. भाभी जब भी साड़ी में होती थीं तो कमाल की आइटम लगती थीं.
उनकी साड़ी नाभि के नीचे बंधती थी, जिस वजह से मैं उन्हें इस अंदाज में देख कर पागल हो जाता था.
जब भी मैं भाभी को यूं देखता, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता और मुझसे रहा नहीं जाता था. मुझे बरबस मुठ मार कर अपने आपको शांत करता पड़ता था.
भैया के डॉक्टर होने की वजह से उन्हें किसी भी समय हॉस्पिटल जाना पड़ जाता था, कभी दिन में तो कभी नाइट में.
उनके हॉस्पिटल जाने के बाद और उनके बेटे के कॉलेज चले जाने के बाद भाभी घर का सारा काम समाप्त करके दिन में हमारे घर पर मम्मी से बातें करने आ जाती थीं.
भाभी की मम्मी से अच्छी बांडिंग हो गई थी तो अब जब भी भाभी अकेली होती थीं तो वो फ्री होकर अपना टाइम पास करने मम्मी के पास आ जाती थीं.
शाम को भी भाभी मम्मी के साथ टहलने जाती थीं.
भाभी जब भी हमारे घर पर आती थीं तो मैं हमेशा उनके आस-पास टहलता रहता था और बातचीत करने की कोशिश करता रहता था. भाभी भी मुझसे अच्छे से बात करती थीं.
अब धीरे-धीरे हमारे बीच अच्छी बातें होने लगी थीं.
कुछ ही दिनों में हम दोनों के बीच कुछ कुछ होने लगा था.
हालांकि ये अभी दिल से दिल तक की बात के जरिये ही महसूस हो रहा था क्योंकि अब जब भी भाभी हमारे यहां आतीं तो मुझे देख कर स्माइल कर देतीं,
और मैं भी भाभी से ‘हाय, हैलो …’ कर लेता था.
एक दिन भैया को हॉस्पिटल में व्यस्त होने के कारण घर आने देरी हो रही थी और भाभी को बाजार से कुछ ज़रूरी सामान खरीदना था.
भाभी के बहुत इंतजार करने के बावजूद भी भैया को आने में देरी हो रही थी.
भैया को भाभी ने फोन करके पूछा- आप कब तक आओगे?
तो भैया ने बोला- आज मुझे घर आने में कुछ ज्यादा देरी हो जाएगी, हॉस्पिटल में मरीज ज्यादा हैं. उन्हें देखे बना नहीं आ सकता. मार्केट फिर किसी दिन चल चलेंगे.
भाभी उदास होकर हमारे घर आ गईं.
मम्मी ने भाभी से पूछा कि दिव्या क्या बात है … तेरा मूड ऑफ सा कैसा दिख रहा है?
भाभी ने बताया कि मार्केट से ज़रूरी सामान लाना था, पर डॉक्टर साब को हॉस्पिटल से फुर्सत ही नहीं है, वो नहीं आएंगे तो बाजार कैसे जा सकती हूँ.
ये सुनकर मम्मी ने बोला- अरे बस इतनी सी बात, तुम परेशान मत हो … मैं अभी शुभ से बोल देती हूँ, वो तुमको मार्केट ले जाएगा.
मैं वहीं खड़ा था.
मम्मी ने मुझे पास बुलाकर सब बताया, तो मुझे तो अन्दर से हेनू हेनू होने लगा.
मैं सोचने लगा कि चलो इसी बहाने भाभी के साथ अकेले में कुछ समय बिताने का मौक़ा मिलेगा.
मैंने तुरंत से हां बोल दी- हां हां भाभी मेरे साथ चलें … क्या दिक्कत है.
मम्मी ने भाभी को तैयार होने को बोल दिया और मैं भी तैयार हो गया.
करीबन 20 मिनट बाद भाभी तैयार होकर आ गईं.
उस समय भाभी एकदम अप्सरा सी लग रही थीं.
सेक्स आइटम भाभी ने डार्क ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी. जिसमें ऊपर कट आस्तीन का ब्लाउज था और आज तो भाभी ने साड़ी बहुत नीचे से बांध रखी थी.
भाभी की नाभि और उनका गोरा सपाट पेट बड़ा ही कामुक दिख रहा था.
दिव्या भाभी देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.
मन तो कर रहा था कि अभी यहीं पटक कर भाभी को चोद दूँ, पर अभी ऐसा नहीं कर सकता था.
अब हम दोनों मेरी बाइक से मार्केट के लिए रवाना हो गए.
मैंने रास्ते में 2-4 बार जानबूझ कर ब्रेकर पर जोर से ब्रेक मारे … तो भाभी के दूध मुझसे रगड़ खा गए.
भाभी सारा खेल समझ गई थीं कि मैं यह सब जानबूझ कर कर रहा हूँ, पर उन्होंने कुछ नहीं बोला … बस अपने आपको संभाल लिया.
फिर हम दोनों मार्केट पहुंच गए.
मार्केट से भाभी ने कुछ सब्जियां और राशन का सामान खरीदा.
दो घंटे शॉपिंग करने बाद जब हम दोनों वापस आने लगे तो मैंने भाभी को जूस पीने को बोला.
भाभी ने हां बोल दिया.
अब मैं भाभी को एक जूस की दुकान में ले गया.
वहां हमारे आस पास कई लड़के लड़कियां गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड के जैसे बैठ हुए थे. वहां हम दोनों भी कपल की तरह लग रहे थे.
मैंने वेटर को बुलाया और ऑर्डर लिखने को कहा.
भाभी ने पाइनॅएपल जूस और मैंने कोल्ड-कॉफी मंगवाई.
फिर हम दोनों जूस और कॉफ़ी पीते हुए बातें करने लगे.
उस वक्त मेरा ध्यान सिर्फ़ भाभी की ओर ही था और मैं उनके उभार देखते हुए उनसे बातें कर रहा था.
आस-पास के लड़के लड़कियों को देख कर भाभी ने मुझसे पूछा- तुम भी यहां अक्सर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आते होगे ना!
मैंने भाभी को बताया- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
भाभी बोलीं- तुम इतने स्मार्ट हो … और तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, ऐसा तो हो ही नहीं सकता, क्या तुम्हें कोई नहीं मिली?
मैंने मजाक करते हुए भाभी से कहा- जिस दिन आप जैसी कोई खूबसूरत लड़की मिलेगी, तो उसे गर्लफ्रेंड बना लूंगा.
मेरी बात से भाभी थोड़ी शर्मा गईं और स्माइल करने लगीं.
मैं भाभी को थोड़ा और छेड़ने लगा.
भाभी ने फटाफट से बात का टॉपिक बदल दिया और मुझे दूसरी बात में उलझा दिया.
थोड़ी बहुत बातें करने के बाद हम जूस पीकर घर की तरफ रवाना हो गए.
घर पहुंच कर भाभी ने मुझे हेल्प करने के लिए धन्यवाद कहा.
मैंने भाभी को बोला- इसमें धन्यवाद वाली क्या बात है, आप हमारे पड़ोसी हो, अगर पड़ोसी ही पड़ोसी के काम नहीं आएगा … तो कौन आएगा.
भाभी ने मुझसे हंस कर बाय बोला और अन्दर चली गईं.
इस तरह अब भाभी को कुछ भी काम होता तो वो मुझसे सीधे ही बोल देतीं.
मैं भी भाभी से कुछ ज्यादा ही खुल गया था और उनके साथ मज़ाक मस्ती करने लगा था.
एक दिन रात को करीब 11:00 बजे अचानक दिव्या भाभी का फोन आया.
मैंने फोन उठाया तो भाभी ने बताया- घर पर लाइट नहीं आ रही है, मुझे अंधेरे में डर लग रहा है. तुम्हारे भैया भी घर पर नहीं है, उनकी हॉस्पिटल में नाइट शिफ्ट चल रही है. तुम जल्दी घर पर आ जाओ.
तो मैंने बोला- भाभी आप टेंशन मत करो … मैं आता हूँ.
घर पर सब लोग सो गए थे तो मैं घर को बाहर से लॉक करके उनके घर पर चला गया.
वहां पहुंच कर मैंने गेट खटखटाया तो दिव्या भाभी ने पूछा- कौन है?
मैंने कहा- मैं हूँ भाभी … शुभ.
फिर भाभी ने गेट खोला.
जैसे ही मैंने दिव्या भाभी को देखा, तो देखता ही रह गया.
उस वक्त दिव्या भाभी ने बहुत पतले से कपड़े की ब्लैक कलर की नाईटी पहनी हुई थी. जिसमें भाभी गजब की सेक्सी लग रही थीं.
मेरा मन तो कर रहा था कि भाभी को गेट पर ही पकड़ कर चूम लूं.
भाभी ने मुझे अन्दर आने को बोला तो मैं जल्दी से अन्दर चला गया.
अब भाभी ने बोला- शुभ अचानक से लाइट चल गई और मुझे बहुत डर लग रहा था, तो मैंने तुम्हें फोन कर दिया.
मैंने कहा- भाभी आप परेशान मत होइए … मैं अभी चैक करता हूँ कि क्या प्रॉब्लम है.
मैंने चैक किया तो पता चला एमसी बॉक्स में शॉर्ट सर्किट हो जाने के कारण से लाइट ऑफ हो गई थी.
भाभी ने पूछा- क्या हुआ शुभ?
मैंने भाभी को बताया कि भाभी एमसी बॉक्स में शॉर्ट सर्किट हो गया है, इस कारण लाइट ऑफ हो गई.
भाभी ने बोला- तो अब क्या करें!
मैंने कहा- भाभी अभी रात बहुत हो चुकी है, इस समय तो कोई इलेक्ट्रीशियन भी नहीं आएगा, रात को सब दुकानें बंद रहती हैं. मैं सुबह जल्दी किसी इलेक्ट्रीशियन को बुलवा कर लाइट ठीक करवा दूंगा.
फिर दिव्या भाभी ने बोला- शुभ अब इतने अंधेरे और गर्मी में मैं रात भर कैसे रहूँगी.
मैंने भाभी से कहा- आप यश को लेकर, हमारे घर पर चलो. आज रात वहां सो जाना.
इस बात पर भाभी ने मना कर दिया- नहीं शुभ, तुम लोगों को प्रॉब्लम होगी. सब लोग घर पर अच्छे से सो रहे हैं, उनकी नींद खराब होगी.
मेरे बार-बार कह़ने पर भी भाभी नहीं मानी और बोलीं- नहीं शुभ … मैं मैनेज कर लूंगी. तुम घर जाओ और सो जाओ मैंने पहले ही तुम्हें बहुत परेशान कर दिया.
जब भाभी नहीं मानी, तो मैंने भी भाभी को बोल दिया कि अगर आप दोनों नहीं चल रहे हैं … तो मैं भी कहीं नहीं जा रहा हूँ. मैं भी यहीं आप लोगों के साथ रहूँगा.
भाभी ने बहुत कहा मगर मैंने भी भाभी की एक नहीं सुनी.
तब भाभी ने बोला- अच्छा बाबा मत जाओ, पर यहां इतनी गर्मी में कैसे रहेंगे!
उसी वक्त मेरे दिमाग़ में एक विचार आया. मैंने भाभी से कहा- ऐसा करते हैं, बिस्तर छत पर ले जाकर छत पर सोते हैं. वहां अच्छी हवा चल रही होगी.
भाभी भी मेरी बात मान गईं.
अब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था कि कुछ काम बन सकता है और आज भाभी की चूत चोदने को मिल सकती है.
हम दोनों ने जल्दी से छत पर बिस्तर बिछाए और यश को नीचे से उठा कर ऊपर छत पर लाकर सुलाया.
उस वक्त वो नींद में था. मैं उसे अपनी गोद में ले आया था.
फिर भाभी पानी की बोतल ले आईं और एक तरफ रख कर लेट गईं.
इस वक्त भाभी मेरे और उनके बेटे के बीच में सो रही थीं.
हम दोनों ने थोड़ी बहुत बात की. ठंडी हवा चल रही थी तो भाभी को नींद आने लगी. भाभी मेरी तरफ गांड करके सो गईं.
मैं सोचने लगा कि भाभी को कैसे चोदा जाए.
करीब 20 मिनट बाद मैंने नींद का नाटक करते हुए भाभी के बोबों पर हाथ रख दिया.
उस वक्त भाभी नीद में थीं और मैं भी नींद में होने का नाटक कर रहा था.
उनकी तरफ कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैं धीरे-धीरे नाइटी के ऊपर से भाभी के बोबे सहलाने लगा.
फिर धीरे से एक हाथ नाइटी के अन्दर डाल कर ब्रा के ऊपर से ही बोबे सहलाने लग गया.
उस वक्त मुझे डर भी लग रहा था पर भाभी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं होने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था.
फिर मैंने भाभी की नाइटी को थोड़ा-थोड़ा करके पेट तक ऊपर कर दिया.
अब मुझे भाभी की चूत के दर्शन हो गए जो सफ़ेद पैंटी में कैद थी.
भाभी की चूत की लकीर पैंटी के ऊपर से साफ दिख रही थी.
मैंने एक पल सोचा कि भाभी ने अभी तक कुछ भी रिएक्ट नहीं किया है, इसका मतलब ये है कि भाभी जाग रही होंगी और मेरी हरकतों का मजा ले रही होंगी.
बस ये सोचते ही मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे से भाभी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और उसे चूत की साइड से नीचे को कर दिया.
भाभी ने अब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने दोनों हाथ से पैंटी को पकड़ कर उनकी गांड के नीचे से खींच कर बाहर निकाल दिया.
इतना सब होने पर भी भाभी ने कुछ नहीं कहा था.
मैंने पैंटी को सूंघा और साइड में रख दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.