09-11-2024, 07:55 PM
मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३७ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part ३)
शाम को अनीश जल्दी घर आये. हम दोनों ने जल्दी खाना खा लिया और अपने बैडरूम चले गए. अनीश ने कुछ सामान लाया था. उसने मुझे तैयार होने को कहा.. और खुद भी तैयार होने चले गए.
सब तैयारी करके मैं घुंगट पहन के बिस्तर पर बैठ गयी. तभी दरवाजे की घंटी बजी . अनीश बहार कमरे में धर्मेश अंकल का इंतजार कर रहे थे. यासीन को छुट्टी दे दी थी. मैंने आवाज सुनी, अनीश की.. आइये अंकल .. प्लीज..में बहुत उत्तेजित हो रही थी..यह सब सोचकर की आज क्या होगा. मेरा पति जिसे मैं सच्चा प्यार करती हूँ वो आज क्या करेगा. उनको पसंद आएगा न या उनका दिल टूट जायेगा ? तभी हमारे बैडरूम के बहार आवाज आयी - अनीश तुम रुको बहार, जब बुलाऊ तब आना.तभी बैडरूम का का दरवाजा खुला ..मैंने घुंगट ओढ़ा था . मुझे धर्मेश अंकल की आवाज आयी.. आह ! मेरी सुन्दर दुल्हन...आज मेरे मन की मुराद पूरी होगी. वह प्यार से मेरे पास बैठे और मेरा घुंगट उठा दिया . धर्मेश अंकल किसी दूल्हे जैसे सजे थे..उन्होंने शेरवानी पहनी थी. किसी राजा जैसे चमक रहे थे. सारे बैडरूम को अनीश ने चमेली , मोगरा के फूलों के हार से सजाया था. बहुत अच्छी खुशबु आ रही थी फूलों से .. पुरे बिस्तर पर सफ़ेद रंग की मखमली बेडशीट थी और उसपर लाल रंग के गुलाब के फुल और पंखुड़ियों से सजाया था. में किसी दुल्हन की तरह सजी थी. लाल रंग की साडी और ओढ़नी पहनी थी. हरे रंग की चुडिया और बालों में गजरा लगाया था...हाथों पर मेहंदी थी. पेट से होने की वजह से में अधिक सुन्दर, गदरायी और मांसल लग रही थी.
धर्मेश अंकल ने मेरा चेहरा दोनों हाथों में लिया और अपने ओंठ मेरे ओंठों से लगा दिया..बहुत प्यार से धीरे से वो मुझे चूमने लगे.. मेरे ओंठों को धीरे से काट दिया ..आह.....उम्..करके में सिसकियाँ लेने लगी. उन्होंने उनकी जीभ मेरे मुँह में डाल दी ..वैसे मैंने उनके जीभ को चूसना शुरू किया..जैसे में उनके लुंड को चूसती हूँ वैसे..बहुत देर तक हम एक दूसरे को चूमते रहे जैसे की सच में हमारी सुहाग रात हो.. तभी वो मेरे से दूर होकर साइड मैं बैठ गए और आवाज दी..अनीश आ जा बेटे.. दरवाजा खुला और अनीश अंदर आया .. में उसको देखकर चौंक गयी. अनीश ने मेरा नीले रंग का सिंगल पीस ड्रेस पहना था .जो उसको बहुत टाइट हो रहा था. ड्रेस से उसके निप्पल्स और चौड़ी छाती सुन्दर लग रही थी. ड्रेस सिर्फ जांघों तक लम्बा था.. उसकी सुडौल जांघें भी मस्त दिख रही थी . वो किसी ग्रीक सैनिक या आयरिश सैनिक जैसे बहुत सुन्दर और हॉट लग रहा था .. मुझे अनीश पर बहुत प्यार आ रहा था .. मेरा शौहर नीले ड्रेस मैं कोई स्वर्ग का गन्धर्व या देवता लग रहा था. मेरे ऑंखें उनसे हिल नहीं रही थी. उनको देखकर ही मेरी चूत ललचा रही थी हवस से लार टपका रही थी .. मेरी पैंटी गीली हो रही थी.
अनीश चाचा के पास आकर खड़ा हो गया और - प्रणाम चाचा करके उनके पैरों पर गिर गया ..वह उनके पैरो को किस करने लगा .. जैसे अनीश धर्मेश चाचा के पैरों पर झुका ..पीछे से उसका ड्रेस जांघों से फिसलता ऊपर गांड तक आ गया . उह .. यह क्या ..उसने अंडरवियर नहीं पहनी थी. ड्रेस के अंदर वो पूरा नंगा था. धर्मेश चाचा ने ..खुश रहो ..ऐसा आशीर्वाद दिया और उनका एक हाथ अनीश के सर पर और दूसरा हाथ अनीश के खुली गांड पर फेरने लगे. वैसे अनीश किसी कुत्ते जैसे अपनी गांड पीछे हिला हिला कर उनके हाथ पर रगड़ने लगा .
धर्मेश चाचा : अनीश बोलो बेटे आज की रात क्या है?
अनीश : चाचा आज की रात आपकी और मेरी बीवी संध्या की सुहाग रात है.
धर्मेश चाचा अभी भी अनीश की खुली गांड पर हाथ फेर रहे थे और अनीश वैसे ही उनके पैरों पर वफादार कुत्ते जैसे बैठा था और खुश हो रहा था.
धर्मेश चाचा: तुम यही चाहते हो ना , यही तेरी मर्जी है ना ?
अनीश: हाँ चाचा .. यही मेरी मर्जी है.
धर्मेश चाचा: अब यही सब तुम अपनी बीवी संध्या को बताओ.
धर्मेश चाचा अब सनीश की गांड को दबा रहे थे और एक ऊँगली से उसकी गांड की छेद को सहला रहे थे, जैसे कोई चूत सहला रहे हो.
अनीश: संध्या मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ .. पर मेरा लंड बहुत छोटा है..१० साल के बच्चे जैसे... तुम इतनी खूबसूरत हो. मैं चाहता हूँ तुम्हे किसी अच्छे मर्दाने और जोशीले लंड का आनद उठाओ ..हमेशा के लिए .. इसलिए मैंने चाचा से मिन्नतें की को वो तुम्हे पत्नी बना कर सुहाग रात मनाये और जब भी उनका मन करे तुम्हारी चुदाई करे. आज की सुहाग रात पर मैं चाचा को पूरी मदत करूँगा और तुम भी सहयोग देना.
मैंने झूठे गुस्से से कहा : यह क्या अनीश . आप ऐसे कैसे कर सकते ..आप मेरे पति है.. मुझे लगा यह सब आप हम दोनों के लिए कर रहे.. मैं ऐसा पाप नहीं करुँगी.
धर्मेश अंकल : चुप रंडी ! नाटक मत कर ! अनीश यह सब तेरी गलती है ! तूने बहु को ठीक से समझाया नहीं.
फिर धर्मेश अंकल ने गुस्से में अनीश की गांड पर अपने हाथों से एक जोरदार चमाटा लगाया ..
वैसे अनीश ..आह अंकल !..प्लीज दार्द होता है...में समझाता हूँ संध्या को !
पर धर्मेश अंकल गुस्से में थे ..उन्होने अनीश की गांड पर एक के बाद एक ऐसे ५-६ चांटे जड़ दिये. अनीश आह आह करता रह गया .. मैंने देखा की अनीश की ददोड़ जैसे गोरी गांड पर धर्मेश अंकल के पंजो के लाल निशान उभर गए और अनीश की आँखों में पानी आ गया था. मुझे अनीश पर तरस और प्यार आ रहा था.
अनीश : संध्या प्लीज मान जाओ ना !
मैं चुप रही.. तभी धर्मेश अंकल ने फिर से गुस्से में अनीश की गांड पर चांटे लगाए और उसकी गांड की छेद में जोर से ऊँगली अंदर डाल दी..अनीश छटपटाने लगा.
अनीश : आह...मर गया ...मुझे माफ़ करो अंकल .. प्लीज बहुत दर्द हो रहा ..!
मैंने कहा : अंकल प्लीज मेरे अनीश को छोड़ दो ..आप जैसे कहेंगे सब वैसे होगा..उसको प्लीज मारो मत .
धर्मेश अंकल: ओके ..! पर आज जैसे अनीश कहेगा वैसे सब होगा.. अनीश क्या करना है पता है ना ? तुझे सब समझाया था..भूल नहीं गया ना !
धर्मेश अंकल ने जोर से उनकी ऊँगली अनीश की गांड की छेद से बहार निकाली..वैसे अनीश चीख उठा ..आह..उह माँ... !
अनीश उठा और ड्रावर में राखी एक छोटी डीबी लेकर आया और धर्मेश अंकल की हाथ में दिया ..
अनीश : धर्मेश अंकल यह सिंदूर संध्या की मांग में भरकर उसको अपना लो.
मैं हैरान हो गयी. धर्मेश अंकल ने एक चुटकी सिंदूर मेरी मांग में भर दिया .. मुझे अपने आप हुरहुरी होने लगी.. मैं उठ गयी और अपने नए और दूसरे पति धर्मेश अंकल के पाँव छू लिए . फिर मैंने अपने पति अनीश से भी आशीर्वाद ले लिए. जैसे में अनीश के पाँव छूने निचे झुकी, मैंने देखा अनीश का लोअर ड्रेस बिलकुल ऊपर कमर तक आ गया है और वोः पूरा नंगा खड़ा था. पर उसका लंड फुफकार रहा था, बहुत कड़क हो गया था..और उसके लंड के टोपे की छेद से प्रेकम की बूंदे टपक रही थी.
फिर अनीश टेबल पर रखा दूध का गिलास लेकर आया और धर्मेश अंकल को दिया और कहा : अंकल आप यह दूध पी लीजिये तब तक में संध्या को तैयार करता हूँ इसके गहने और कपडे उतार कर इसको पूरा नंगा कर देता हूँ.
अनीश एक एक कर के मेरे गहने उतारने लगा .. उसको सब में मजा आ रहा था ..उसका खड़ा लंड हर जगह मुझे टच करके चुभ रहा था.
धर्मेश अंकल : अनीश ..इसको नंगा कर दे ..पूरा .. अपनी बीवी को पूरा नंगा करके मुझे पेश कर दो
अनीश ने धीरे से मेरी साडी अलग की...फिर ब्लाउज़ ..धीरे धीरे ..अब में पूरी नंगी हो गयी थी . यह मेरे लिए कोई नया खेल नहीं था पर फिर भी मैं नयी दुल्हन जैसे शर्माने का नाटक कर रही थी. उत्तेजित हो कर मैंने मेरे सुन्दर ग्रीक गॉड पति - अनीश का लंड पकड़ लिया ..और वोः भी मुझे चूमने आगे बढ़ा.. तभी धर्मेश अंकल ने अनीश की गांड पर फिर से जोर से चांटा मारा .. कमीने ..सुहागरात तेरी है या मेरी.. आज तू संध्या की हात भी नहीं लगाएगा ! अनीश की अंड़खों में फिर से पानी आ गया ..
अनीश : सॉरी धर्मेश अंकल ..
पर अंकल गुस्से में उसकी गांड पर थप्पड़ लगा रहे थे ..
मैंने कहा: अंकल प्लीज ..ऐसे मत करो ..
धर्मेश अंकल : संध्या रानी तेरी सब बात मानूंगा आज..आज हमारी सुहाग रात है.. हमारे प्यार का दिन..इस दिन को कभी नहीं भूलूंगा ..कितने दिन से यह सपना देखा थे. और हां एक और बात..आज से तुम मुझे अंकल नहीं कहोगी..आज से तू मेरी रानी और में तेरा राजा ..और यह अनीश हमारा गुलाम .
धर्मेश अंकल ने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया .और मेरे बाजु आ कर लेट गए..वोः मुझे हर जगह चूमने लगे..ओंठों पर, गालों पर .. सर पर.. बूब्स पर . मैं भी उनको चूमने लगी..मुझे तो वो ऐसे ही पसंद थे ..इतने मस्त मर्द है..कोई भी औरत मना नहीं कर पायेगी. मैंने धीरे से उनके कानो को चूमते हुए कहा .. मेरे राजा साब ..धीरे से ...और प्यार से ..आपको पता है में पेट से हूँ !
उन्होंने ..मुझे अपनी छाती से लगा लिया ..मेरी रानी चिंता मत करो...मुझे पता है ...बहुत प्यार करूँगा आज...धीरे से ! अरे अनीश खड़े क्यों हो..यहाँ आओ और बैठ जाओ ..
उन्होंने अनीश को पैरों के पास बैठने का इशारा किया . वैसे अनीश बेड पर चढ़ा और दोनों पाँव मोड़ कर बैठ गया .. उसको ड्रेस पहनने की आदत नहीं थी..इसलिए पूरा ड्रेस कमर तक आ गया ..वो वैसे ही नंगी गांड और लंड लेकर बेड पर बैठ गया ..और उसका लंड एकदम नाग जैसे फुफकार रहा था ..कितना सुन्दर लंड है अनीश का .गोरा सा ..गुलाबी सूपड़ा..दस साल के बच्चे जैसे छोटा सा मखमली माखन जैसे पर एकदम मोटा ..
धर्मेश मेरे पुर बदन को चाट रहे थे..मेरी निप्पल्स को चूस चूस कर लाल कर दिया था .. फिर वोह मेरी चूत के पास बढे और प्यार से जीभ बहार निकाल कर चाटने लगे.. उन्होंने मुझे निचे खींच लिया जिससे उनका लुंड मेरे मुँह के पास आ गया .. मैंने भी प्यार से उनके लंड को पकड़ा..वोह भारी भरकम लोडा मस्त मचल रहा था ..फुफकार रहा था..मैंने उनके लंड के सुपडे पर जीभ फेर दी..वैसे वो तिलमिला गए..आह मेरी रंडी ..ले ले मेरा लावड़ा ..पूरा मुँह में ले ले
अनीश सब देख रहा था और उसका हाथ अपने लवडे पर था ..वो उसके लंड को हिला रहा था ..
हम ६९ पोजीशन में थे और मैं धर्मेश के लंड को पागलो की तरह चूस रही थी..और धर्मेश मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटकर रसपान कर रहे थे.
धर्मेश : आह संध्या ! क्या मस्त माल है तू..मेरी रंडी हो ना
मैं : हाँ मेरे राजा , में आपकी रंडी हूँ
धर्मेश : तुझे रोज मेरे वीर्य का स्वाद चाहिए ..तुझे इसका चस्का लग गया ..बता तेरे नामर्द पति को
मैं: अनीश मुझे धर्मेश राजा के लुंड का चस्का लग गया .. मुझे रोज उनके वीर्य का स्वाद चाहिए ..
धर्मेश : बोल गांडू अनीश...तुझे कोई दिक्कत तो नहीं..
अनीश : नहीं धर्मेश अंकल...आप रोज संध्या को अपना लंड देना और उसको आपके वीर्य का स्वाद चखा देना .
धर्मेश : मेरी रानी ..बता तेरे हिजड़े पति को..मेरे लंड से तुझे कैसे आनंद आता है..
धर्मेश अंकल की जीभ अब मेरी चूत के अंदर गोल गोल घूम रही थी...मेरी चूत से पानी का झरना बहा रहा था ..मैं कभी भी झड़ सकती थी
मैं: धर्मेश आपका लंड मुझे परमानंद देता है..जन्नत की सैर करता है..अनीश का लंड बहुत छोटा है..मुझे मेरी चूत के अंदर फील भी नहीं होता ..
मुझे यह साब कहते बुरा लग रहा था पर अनीश के चहरे पर अजीब ख़ुशी थी..उसका लंड फुफकार रहा था..वोह बड़ी गौर से मेरा और धर्मेश की काम क्रीड़ा देख रहा था. मुज़से अब रहा नहीं जा रहा था.
मैं: धर्मेश बस करो अब सहन नहीं होता..आपकी मुसल मेरी चूत में डाल दो और कुटाई कर दो..
धर्मेश को भी पता था की लोहा गरम है और बांध कभी भी फुट सकता है..
धर्मेश: अनीश इधर आओ...तेरी बीवी की चुदाई के लिए मदत कर...मेरा लुंड चूस कर के गिला कर दो..
अनीश को यही मौके की तलाश थी..वो किसी कुत्ते जैसे आगे आया और धर्मेश के लंड और गोटियों को अपनी जीभ से चाटने लगा ..धर्मेश भी अनीश का मुँह अपने लंड से चोदने लगे और ऊपर आकर वो मेरी चूची चूसने लगे. मेरे से अब रहा नहीं जा रह था. हाय मेरे राजा..कितना तड़पाओगे ...मेरी प्यास बुझा दो ..
धर्मेश ने कहा : अनीश ..संध्या के पैर ऊपर करो और मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत में डाल दो.
मैं यह सब देख रही थी. अनीश बहुत उत्तेजित होकर उठे और मेरे पैरों को सहारा देकर ऊपर उठाया ..और एक हाथ से पकड़ रखा..दूसरे हाथ से उसने धर्मेश का मोटा १० इंच ला लंड पकड़ा और मेरी गुफा की द्वार पर सटा दिया.. मेरा अपना पति मुझे दूसरे मर्द से चुदवाने के लिए बेक़रार था..मुझे दूसरे मर्द से चुदवाने उसने ख़ुशी ख़ुशी उस मर्द का लंड चूसकर अपने हातों से मेरी चूत पर रगड़ दिया था. धर्मेश का लुंड धीरे से चीरता हुआ मेरी योनि में प्रवेश कर गया ..
धर्मेश का लंड गांड उछाल उछाल कर मेरी चूत से अंदर बहार हो रहा था .. और मेरा पति अनीश एकदम पास से मेरी चूत और धर्मेश की लंड का मिलाप ऑंखें फाड् फाड़कर देख कर उत्तेजित हो रहा था.
मैं: आह मेरे राजा ..तेरा लंड मुझे कितनी ख़ुशी देता
धर्मेश: मेरी रानी मेरा लंड तेरी चूत से बहुत प्यार करता है. तुम कहो तो निकल दू ? अनीश का लंड लोगी ?
मैं: नहीं..मुझे बहुत मजा आ रहा है
धर्मेश: क्यों तेरे पति की छोटी सी नुन्नी नहीं चाहिए? उससे मजा नहीं आता ? बता रानी..
धर्मेश ने अपना पूरा लंड संध्या की चूत से बहार निकल दिया , वैसे संध्या तड़प उठी .
संध्या : नहीं मेरी जान..मेरी चूत को बस आपका लंड चाहिए..अनीश का छोटा सा लंड नहीं चाहिए .. प्लीज फिर से डाल दो
धर्मेश : अनीश क्या करे ..बोलो..तेरी बीवी तेरा लंड नहीं चाहती ..दे दू इसको मेरा लावड़ा ?
अनीश: हाय अंकल..पेल दो इसकी चूत आपके बड़े हतोड़े से ...प्लीज इसको मत तड़पाओ ..
धर्मेश: ऐसे नहीं मानूंगा .. मिन्नत करो...कहो की तुम गांडू हो ..नामर्द ह..और मैं तेरी बीवी को रोज पेलुँगा..
अनीश: अंकल आप से मिन्नतें करता हूँ..मैं नामर्द हूँ..,मेरे छोटे लंड से मेरी प्यारी पत्नी असंतुष्ट रहती है ..प्लीज उसको आपके जहरीले नाग से खुशियां दे दो ..
अनीश ने फिर से धर्मेश का लंड पकड़ा और संध्या की चूत पर टिका दिया ..धर्मेश फिर से संध्यो को चोदने लगे..धीरे धीरे..पूरा लोडा बहार निकालता और फिर से अंदर दाल देता..संध्या की चूत बहुत गिल्ली हो गयी थी .. धर्मेश का बड़ा नाग ..फस फस ..की आवाज कर चूत से अंदर बहार सैर कर रहा था. अनीश यह साब खेल बहुत पास से देख रहा था..बहुत बार धर्मेश की गांड और गोटियां अनीश के चहरे पर लग जाती.
धर्मेश: अनीश संध्या की चूत बहुत गिल्ली हो गयी..इसको चाट कर साफ़ कर दो..
अनीश को यही मौका चाहिए था वो बड़े प्यार से जीभ बहार निकल कर संध्या की चुदती चूत को चाटने लगा .. ऐसे करते वक्त वो धर्मेश का लंड भी चाट लेता .. वोह प्यार से संध्या की चूत का पानी चाट रहा था..तभी धर्मेश का मोटा लवड़ा पूरा बहार आया और अनीश के मुँह में चला गया .. धर्मेश जोर जोर से अनीश का मुँह चोदने लगा
धर्मेश: ले गांडू..मेरा पूरा लौड़ा गले तक..
संध्या सब देख रही थी..उसको भी सब से उत्तेजना मिल रही थी..और अनीश तो प्यार से धर्मेश कालंड चूस रहा था ..तभी धर्मेश ने फिर अपना लंड संध्या की चूत मैं डाला..
अनीश भड़वे मेरी गोटियां और गांड चाट ..
अनीश जल्दी से धर्मेश की गांड के पास आ गया और धर्मेश की गांड का छेद चाटने लगा...और गोटियां भी अपनी जीभ से चाट लेता ..इस सब से संध्या कसमसाने लगी और..उसने दोनों हातों से धर्मेश का चेहरा पकड़ लिए और उसको चूमने लगी..उसके पैर धर्मेश की कमर को कस के जकड लिए..और.. उह माँ...मर गयी.. आह..आह ...करके उसका बांध टूट गया ..
संध्या की गरम चूत के पानी के झरना को .धर्मेश के लंड ने जवाब दिया और ..उह...मेरी रांड..मेरी छिनाल....कई झटके दे कर धर्मेश के लंड ने संध्या की चूत के अंदर दूध की गंगा बहा दी.
पर अनीश अभी भी संध्या की चूत और धर्मेश के लंड को अपनी जीभ से चाट रहा था . इस चूत और लंड की मंथन के खेल में संध्या की चूत से अमृत की धारा और अनीश के लंड की दूध की गंगा का मिलाप हो रहा था और उस तीर्थ को बड़े प्यार से चाट चाट कर पीकर अनीश ग्रहण कर रहा था ..इससे ज्यादा शुद्ध और पवित्र प्रसाद क्या हो सकता .? यही सोचकर अनीश के लंड से भी ऐसे फवारा छूटता ..चला गया ..जो सीधे संध्या की फेस / बूब्स पर गिर गया ..और धर्मेश की पीठ और गांड पर..तीनो थक कर , संतुष्टि से एक दूसरे से चिपक कर सो गए... स्वर्ग का आनद महसूस कर रहे थे..
दोस्तों आगे की कहानी जल्दी लाऊंगा.. पर मुझे आपके कमैंट्स जरूर भेजना .. मेरी सोच है की आप इन तीनो चरित्र - संध्या , धर्मेश और अनीश , इनका यह अनुभव , इसके बारे में क्या सोचते है ? कोन जीता , कोन हारा ? यह मुझे पक्का बताइये . मेरे ख्याल से सभी जीते पर सबसे बड़ी असली जीत अनीश की हुई है..जो मंथन किया हुआ तीर्थ प्रसाद को पीकर ग्रहण किया और धन्य हो गया.. आपकी प्रतिक्रिया जरूर शेयर करे
शाम को अनीश जल्दी घर आये. हम दोनों ने जल्दी खाना खा लिया और अपने बैडरूम चले गए. अनीश ने कुछ सामान लाया था. उसने मुझे तैयार होने को कहा.. और खुद भी तैयार होने चले गए.
सब तैयारी करके मैं घुंगट पहन के बिस्तर पर बैठ गयी. तभी दरवाजे की घंटी बजी . अनीश बहार कमरे में धर्मेश अंकल का इंतजार कर रहे थे. यासीन को छुट्टी दे दी थी. मैंने आवाज सुनी, अनीश की.. आइये अंकल .. प्लीज..में बहुत उत्तेजित हो रही थी..यह सब सोचकर की आज क्या होगा. मेरा पति जिसे मैं सच्चा प्यार करती हूँ वो आज क्या करेगा. उनको पसंद आएगा न या उनका दिल टूट जायेगा ? तभी हमारे बैडरूम के बहार आवाज आयी - अनीश तुम रुको बहार, जब बुलाऊ तब आना.तभी बैडरूम का का दरवाजा खुला ..मैंने घुंगट ओढ़ा था . मुझे धर्मेश अंकल की आवाज आयी.. आह ! मेरी सुन्दर दुल्हन...आज मेरे मन की मुराद पूरी होगी. वह प्यार से मेरे पास बैठे और मेरा घुंगट उठा दिया . धर्मेश अंकल किसी दूल्हे जैसे सजे थे..उन्होंने शेरवानी पहनी थी. किसी राजा जैसे चमक रहे थे. सारे बैडरूम को अनीश ने चमेली , मोगरा के फूलों के हार से सजाया था. बहुत अच्छी खुशबु आ रही थी फूलों से .. पुरे बिस्तर पर सफ़ेद रंग की मखमली बेडशीट थी और उसपर लाल रंग के गुलाब के फुल और पंखुड़ियों से सजाया था. में किसी दुल्हन की तरह सजी थी. लाल रंग की साडी और ओढ़नी पहनी थी. हरे रंग की चुडिया और बालों में गजरा लगाया था...हाथों पर मेहंदी थी. पेट से होने की वजह से में अधिक सुन्दर, गदरायी और मांसल लग रही थी.
धर्मेश अंकल ने मेरा चेहरा दोनों हाथों में लिया और अपने ओंठ मेरे ओंठों से लगा दिया..बहुत प्यार से धीरे से वो मुझे चूमने लगे.. मेरे ओंठों को धीरे से काट दिया ..आह.....उम्..करके में सिसकियाँ लेने लगी. उन्होंने उनकी जीभ मेरे मुँह में डाल दी ..वैसे मैंने उनके जीभ को चूसना शुरू किया..जैसे में उनके लुंड को चूसती हूँ वैसे..बहुत देर तक हम एक दूसरे को चूमते रहे जैसे की सच में हमारी सुहाग रात हो.. तभी वो मेरे से दूर होकर साइड मैं बैठ गए और आवाज दी..अनीश आ जा बेटे.. दरवाजा खुला और अनीश अंदर आया .. में उसको देखकर चौंक गयी. अनीश ने मेरा नीले रंग का सिंगल पीस ड्रेस पहना था .जो उसको बहुत टाइट हो रहा था. ड्रेस से उसके निप्पल्स और चौड़ी छाती सुन्दर लग रही थी. ड्रेस सिर्फ जांघों तक लम्बा था.. उसकी सुडौल जांघें भी मस्त दिख रही थी . वो किसी ग्रीक सैनिक या आयरिश सैनिक जैसे बहुत सुन्दर और हॉट लग रहा था .. मुझे अनीश पर बहुत प्यार आ रहा था .. मेरा शौहर नीले ड्रेस मैं कोई स्वर्ग का गन्धर्व या देवता लग रहा था. मेरे ऑंखें उनसे हिल नहीं रही थी. उनको देखकर ही मेरी चूत ललचा रही थी हवस से लार टपका रही थी .. मेरी पैंटी गीली हो रही थी.
अनीश चाचा के पास आकर खड़ा हो गया और - प्रणाम चाचा करके उनके पैरों पर गिर गया ..वह उनके पैरो को किस करने लगा .. जैसे अनीश धर्मेश चाचा के पैरों पर झुका ..पीछे से उसका ड्रेस जांघों से फिसलता ऊपर गांड तक आ गया . उह .. यह क्या ..उसने अंडरवियर नहीं पहनी थी. ड्रेस के अंदर वो पूरा नंगा था. धर्मेश चाचा ने ..खुश रहो ..ऐसा आशीर्वाद दिया और उनका एक हाथ अनीश के सर पर और दूसरा हाथ अनीश के खुली गांड पर फेरने लगे. वैसे अनीश किसी कुत्ते जैसे अपनी गांड पीछे हिला हिला कर उनके हाथ पर रगड़ने लगा .
धर्मेश चाचा : अनीश बोलो बेटे आज की रात क्या है?
अनीश : चाचा आज की रात आपकी और मेरी बीवी संध्या की सुहाग रात है.
धर्मेश चाचा अभी भी अनीश की खुली गांड पर हाथ फेर रहे थे और अनीश वैसे ही उनके पैरों पर वफादार कुत्ते जैसे बैठा था और खुश हो रहा था.
धर्मेश चाचा: तुम यही चाहते हो ना , यही तेरी मर्जी है ना ?
अनीश: हाँ चाचा .. यही मेरी मर्जी है.
धर्मेश चाचा: अब यही सब तुम अपनी बीवी संध्या को बताओ.
धर्मेश चाचा अब सनीश की गांड को दबा रहे थे और एक ऊँगली से उसकी गांड की छेद को सहला रहे थे, जैसे कोई चूत सहला रहे हो.
अनीश: संध्या मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ .. पर मेरा लंड बहुत छोटा है..१० साल के बच्चे जैसे... तुम इतनी खूबसूरत हो. मैं चाहता हूँ तुम्हे किसी अच्छे मर्दाने और जोशीले लंड का आनद उठाओ ..हमेशा के लिए .. इसलिए मैंने चाचा से मिन्नतें की को वो तुम्हे पत्नी बना कर सुहाग रात मनाये और जब भी उनका मन करे तुम्हारी चुदाई करे. आज की सुहाग रात पर मैं चाचा को पूरी मदत करूँगा और तुम भी सहयोग देना.
मैंने झूठे गुस्से से कहा : यह क्या अनीश . आप ऐसे कैसे कर सकते ..आप मेरे पति है.. मुझे लगा यह सब आप हम दोनों के लिए कर रहे.. मैं ऐसा पाप नहीं करुँगी.
धर्मेश अंकल : चुप रंडी ! नाटक मत कर ! अनीश यह सब तेरी गलती है ! तूने बहु को ठीक से समझाया नहीं.
फिर धर्मेश अंकल ने गुस्से में अनीश की गांड पर अपने हाथों से एक जोरदार चमाटा लगाया ..
वैसे अनीश ..आह अंकल !..प्लीज दार्द होता है...में समझाता हूँ संध्या को !
पर धर्मेश अंकल गुस्से में थे ..उन्होने अनीश की गांड पर एक के बाद एक ऐसे ५-६ चांटे जड़ दिये. अनीश आह आह करता रह गया .. मैंने देखा की अनीश की ददोड़ जैसे गोरी गांड पर धर्मेश अंकल के पंजो के लाल निशान उभर गए और अनीश की आँखों में पानी आ गया था. मुझे अनीश पर तरस और प्यार आ रहा था.
अनीश : संध्या प्लीज मान जाओ ना !
मैं चुप रही.. तभी धर्मेश अंकल ने फिर से गुस्से में अनीश की गांड पर चांटे लगाए और उसकी गांड की छेद में जोर से ऊँगली अंदर डाल दी..अनीश छटपटाने लगा.
अनीश : आह...मर गया ...मुझे माफ़ करो अंकल .. प्लीज बहुत दर्द हो रहा ..!
मैंने कहा : अंकल प्लीज मेरे अनीश को छोड़ दो ..आप जैसे कहेंगे सब वैसे होगा..उसको प्लीज मारो मत .
धर्मेश अंकल: ओके ..! पर आज जैसे अनीश कहेगा वैसे सब होगा.. अनीश क्या करना है पता है ना ? तुझे सब समझाया था..भूल नहीं गया ना !
धर्मेश अंकल ने जोर से उनकी ऊँगली अनीश की गांड की छेद से बहार निकाली..वैसे अनीश चीख उठा ..आह..उह माँ... !
अनीश उठा और ड्रावर में राखी एक छोटी डीबी लेकर आया और धर्मेश अंकल की हाथ में दिया ..
अनीश : धर्मेश अंकल यह सिंदूर संध्या की मांग में भरकर उसको अपना लो.
मैं हैरान हो गयी. धर्मेश अंकल ने एक चुटकी सिंदूर मेरी मांग में भर दिया .. मुझे अपने आप हुरहुरी होने लगी.. मैं उठ गयी और अपने नए और दूसरे पति धर्मेश अंकल के पाँव छू लिए . फिर मैंने अपने पति अनीश से भी आशीर्वाद ले लिए. जैसे में अनीश के पाँव छूने निचे झुकी, मैंने देखा अनीश का लोअर ड्रेस बिलकुल ऊपर कमर तक आ गया है और वोः पूरा नंगा खड़ा था. पर उसका लंड फुफकार रहा था, बहुत कड़क हो गया था..और उसके लंड के टोपे की छेद से प्रेकम की बूंदे टपक रही थी.
फिर अनीश टेबल पर रखा दूध का गिलास लेकर आया और धर्मेश अंकल को दिया और कहा : अंकल आप यह दूध पी लीजिये तब तक में संध्या को तैयार करता हूँ इसके गहने और कपडे उतार कर इसको पूरा नंगा कर देता हूँ.
अनीश एक एक कर के मेरे गहने उतारने लगा .. उसको सब में मजा आ रहा था ..उसका खड़ा लंड हर जगह मुझे टच करके चुभ रहा था.
धर्मेश अंकल : अनीश ..इसको नंगा कर दे ..पूरा .. अपनी बीवी को पूरा नंगा करके मुझे पेश कर दो
अनीश ने धीरे से मेरी साडी अलग की...फिर ब्लाउज़ ..धीरे धीरे ..अब में पूरी नंगी हो गयी थी . यह मेरे लिए कोई नया खेल नहीं था पर फिर भी मैं नयी दुल्हन जैसे शर्माने का नाटक कर रही थी. उत्तेजित हो कर मैंने मेरे सुन्दर ग्रीक गॉड पति - अनीश का लंड पकड़ लिया ..और वोः भी मुझे चूमने आगे बढ़ा.. तभी धर्मेश अंकल ने अनीश की गांड पर फिर से जोर से चांटा मारा .. कमीने ..सुहागरात तेरी है या मेरी.. आज तू संध्या की हात भी नहीं लगाएगा ! अनीश की अंड़खों में फिर से पानी आ गया ..
अनीश : सॉरी धर्मेश अंकल ..
पर अंकल गुस्से में उसकी गांड पर थप्पड़ लगा रहे थे ..
मैंने कहा: अंकल प्लीज ..ऐसे मत करो ..
धर्मेश अंकल : संध्या रानी तेरी सब बात मानूंगा आज..आज हमारी सुहाग रात है.. हमारे प्यार का दिन..इस दिन को कभी नहीं भूलूंगा ..कितने दिन से यह सपना देखा थे. और हां एक और बात..आज से तुम मुझे अंकल नहीं कहोगी..आज से तू मेरी रानी और में तेरा राजा ..और यह अनीश हमारा गुलाम .
धर्मेश अंकल ने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया .और मेरे बाजु आ कर लेट गए..वोः मुझे हर जगह चूमने लगे..ओंठों पर, गालों पर .. सर पर.. बूब्स पर . मैं भी उनको चूमने लगी..मुझे तो वो ऐसे ही पसंद थे ..इतने मस्त मर्द है..कोई भी औरत मना नहीं कर पायेगी. मैंने धीरे से उनके कानो को चूमते हुए कहा .. मेरे राजा साब ..धीरे से ...और प्यार से ..आपको पता है में पेट से हूँ !
उन्होंने ..मुझे अपनी छाती से लगा लिया ..मेरी रानी चिंता मत करो...मुझे पता है ...बहुत प्यार करूँगा आज...धीरे से ! अरे अनीश खड़े क्यों हो..यहाँ आओ और बैठ जाओ ..
उन्होंने अनीश को पैरों के पास बैठने का इशारा किया . वैसे अनीश बेड पर चढ़ा और दोनों पाँव मोड़ कर बैठ गया .. उसको ड्रेस पहनने की आदत नहीं थी..इसलिए पूरा ड्रेस कमर तक आ गया ..वो वैसे ही नंगी गांड और लंड लेकर बेड पर बैठ गया ..और उसका लंड एकदम नाग जैसे फुफकार रहा था ..कितना सुन्दर लंड है अनीश का .गोरा सा ..गुलाबी सूपड़ा..दस साल के बच्चे जैसे छोटा सा मखमली माखन जैसे पर एकदम मोटा ..
धर्मेश मेरे पुर बदन को चाट रहे थे..मेरी निप्पल्स को चूस चूस कर लाल कर दिया था .. फिर वोह मेरी चूत के पास बढे और प्यार से जीभ बहार निकाल कर चाटने लगे.. उन्होंने मुझे निचे खींच लिया जिससे उनका लुंड मेरे मुँह के पास आ गया .. मैंने भी प्यार से उनके लंड को पकड़ा..वोह भारी भरकम लोडा मस्त मचल रहा था ..फुफकार रहा था..मैंने उनके लंड के सुपडे पर जीभ फेर दी..वैसे वो तिलमिला गए..आह मेरी रंडी ..ले ले मेरा लावड़ा ..पूरा मुँह में ले ले
अनीश सब देख रहा था और उसका हाथ अपने लवडे पर था ..वो उसके लंड को हिला रहा था ..
हम ६९ पोजीशन में थे और मैं धर्मेश के लंड को पागलो की तरह चूस रही थी..और धर्मेश मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटकर रसपान कर रहे थे.
धर्मेश : आह संध्या ! क्या मस्त माल है तू..मेरी रंडी हो ना
मैं : हाँ मेरे राजा , में आपकी रंडी हूँ
धर्मेश : तुझे रोज मेरे वीर्य का स्वाद चाहिए ..तुझे इसका चस्का लग गया ..बता तेरे नामर्द पति को
मैं: अनीश मुझे धर्मेश राजा के लुंड का चस्का लग गया .. मुझे रोज उनके वीर्य का स्वाद चाहिए ..
धर्मेश : बोल गांडू अनीश...तुझे कोई दिक्कत तो नहीं..
अनीश : नहीं धर्मेश अंकल...आप रोज संध्या को अपना लंड देना और उसको आपके वीर्य का स्वाद चखा देना .
धर्मेश : मेरी रानी ..बता तेरे हिजड़े पति को..मेरे लंड से तुझे कैसे आनंद आता है..
धर्मेश अंकल की जीभ अब मेरी चूत के अंदर गोल गोल घूम रही थी...मेरी चूत से पानी का झरना बहा रहा था ..मैं कभी भी झड़ सकती थी
मैं: धर्मेश आपका लंड मुझे परमानंद देता है..जन्नत की सैर करता है..अनीश का लंड बहुत छोटा है..मुझे मेरी चूत के अंदर फील भी नहीं होता ..
मुझे यह साब कहते बुरा लग रहा था पर अनीश के चहरे पर अजीब ख़ुशी थी..उसका लंड फुफकार रहा था..वोह बड़ी गौर से मेरा और धर्मेश की काम क्रीड़ा देख रहा था. मुज़से अब रहा नहीं जा रहा था.
मैं: धर्मेश बस करो अब सहन नहीं होता..आपकी मुसल मेरी चूत में डाल दो और कुटाई कर दो..
धर्मेश को भी पता था की लोहा गरम है और बांध कभी भी फुट सकता है..
धर्मेश: अनीश इधर आओ...तेरी बीवी की चुदाई के लिए मदत कर...मेरा लुंड चूस कर के गिला कर दो..
अनीश को यही मौके की तलाश थी..वो किसी कुत्ते जैसे आगे आया और धर्मेश के लंड और गोटियों को अपनी जीभ से चाटने लगा ..धर्मेश भी अनीश का मुँह अपने लंड से चोदने लगे और ऊपर आकर वो मेरी चूची चूसने लगे. मेरे से अब रहा नहीं जा रह था. हाय मेरे राजा..कितना तड़पाओगे ...मेरी प्यास बुझा दो ..
धर्मेश ने कहा : अनीश ..संध्या के पैर ऊपर करो और मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत में डाल दो.
मैं यह सब देख रही थी. अनीश बहुत उत्तेजित होकर उठे और मेरे पैरों को सहारा देकर ऊपर उठाया ..और एक हाथ से पकड़ रखा..दूसरे हाथ से उसने धर्मेश का मोटा १० इंच ला लंड पकड़ा और मेरी गुफा की द्वार पर सटा दिया.. मेरा अपना पति मुझे दूसरे मर्द से चुदवाने के लिए बेक़रार था..मुझे दूसरे मर्द से चुदवाने उसने ख़ुशी ख़ुशी उस मर्द का लंड चूसकर अपने हातों से मेरी चूत पर रगड़ दिया था. धर्मेश का लुंड धीरे से चीरता हुआ मेरी योनि में प्रवेश कर गया ..
धर्मेश का लंड गांड उछाल उछाल कर मेरी चूत से अंदर बहार हो रहा था .. और मेरा पति अनीश एकदम पास से मेरी चूत और धर्मेश की लंड का मिलाप ऑंखें फाड् फाड़कर देख कर उत्तेजित हो रहा था.
मैं: आह मेरे राजा ..तेरा लंड मुझे कितनी ख़ुशी देता
धर्मेश: मेरी रानी मेरा लंड तेरी चूत से बहुत प्यार करता है. तुम कहो तो निकल दू ? अनीश का लंड लोगी ?
मैं: नहीं..मुझे बहुत मजा आ रहा है
धर्मेश: क्यों तेरे पति की छोटी सी नुन्नी नहीं चाहिए? उससे मजा नहीं आता ? बता रानी..
धर्मेश ने अपना पूरा लंड संध्या की चूत से बहार निकल दिया , वैसे संध्या तड़प उठी .
संध्या : नहीं मेरी जान..मेरी चूत को बस आपका लंड चाहिए..अनीश का छोटा सा लंड नहीं चाहिए .. प्लीज फिर से डाल दो
धर्मेश : अनीश क्या करे ..बोलो..तेरी बीवी तेरा लंड नहीं चाहती ..दे दू इसको मेरा लावड़ा ?
अनीश: हाय अंकल..पेल दो इसकी चूत आपके बड़े हतोड़े से ...प्लीज इसको मत तड़पाओ ..
धर्मेश: ऐसे नहीं मानूंगा .. मिन्नत करो...कहो की तुम गांडू हो ..नामर्द ह..और मैं तेरी बीवी को रोज पेलुँगा..
अनीश: अंकल आप से मिन्नतें करता हूँ..मैं नामर्द हूँ..,मेरे छोटे लंड से मेरी प्यारी पत्नी असंतुष्ट रहती है ..प्लीज उसको आपके जहरीले नाग से खुशियां दे दो ..
अनीश ने फिर से धर्मेश का लंड पकड़ा और संध्या की चूत पर टिका दिया ..धर्मेश फिर से संध्यो को चोदने लगे..धीरे धीरे..पूरा लोडा बहार निकालता और फिर से अंदर दाल देता..संध्या की चूत बहुत गिल्ली हो गयी थी .. धर्मेश का बड़ा नाग ..फस फस ..की आवाज कर चूत से अंदर बहार सैर कर रहा था. अनीश यह साब खेल बहुत पास से देख रहा था..बहुत बार धर्मेश की गांड और गोटियां अनीश के चहरे पर लग जाती.
धर्मेश: अनीश संध्या की चूत बहुत गिल्ली हो गयी..इसको चाट कर साफ़ कर दो..
अनीश को यही मौका चाहिए था वो बड़े प्यार से जीभ बहार निकल कर संध्या की चुदती चूत को चाटने लगा .. ऐसे करते वक्त वो धर्मेश का लंड भी चाट लेता .. वोह प्यार से संध्या की चूत का पानी चाट रहा था..तभी धर्मेश का मोटा लवड़ा पूरा बहार आया और अनीश के मुँह में चला गया .. धर्मेश जोर जोर से अनीश का मुँह चोदने लगा
धर्मेश: ले गांडू..मेरा पूरा लौड़ा गले तक..
संध्या सब देख रही थी..उसको भी सब से उत्तेजना मिल रही थी..और अनीश तो प्यार से धर्मेश कालंड चूस रहा था ..तभी धर्मेश ने फिर अपना लंड संध्या की चूत मैं डाला..
अनीश भड़वे मेरी गोटियां और गांड चाट ..
अनीश जल्दी से धर्मेश की गांड के पास आ गया और धर्मेश की गांड का छेद चाटने लगा...और गोटियां भी अपनी जीभ से चाट लेता ..इस सब से संध्या कसमसाने लगी और..उसने दोनों हातों से धर्मेश का चेहरा पकड़ लिए और उसको चूमने लगी..उसके पैर धर्मेश की कमर को कस के जकड लिए..और.. उह माँ...मर गयी.. आह..आह ...करके उसका बांध टूट गया ..
संध्या की गरम चूत के पानी के झरना को .धर्मेश के लंड ने जवाब दिया और ..उह...मेरी रांड..मेरी छिनाल....कई झटके दे कर धर्मेश के लंड ने संध्या की चूत के अंदर दूध की गंगा बहा दी.
पर अनीश अभी भी संध्या की चूत और धर्मेश के लंड को अपनी जीभ से चाट रहा था . इस चूत और लंड की मंथन के खेल में संध्या की चूत से अमृत की धारा और अनीश के लंड की दूध की गंगा का मिलाप हो रहा था और उस तीर्थ को बड़े प्यार से चाट चाट कर पीकर अनीश ग्रहण कर रहा था ..इससे ज्यादा शुद्ध और पवित्र प्रसाद क्या हो सकता .? यही सोचकर अनीश के लंड से भी ऐसे फवारा छूटता ..चला गया ..जो सीधे संध्या की फेस / बूब्स पर गिर गया ..और धर्मेश की पीठ और गांड पर..तीनो थक कर , संतुष्टि से एक दूसरे से चिपक कर सो गए... स्वर्ग का आनद महसूस कर रहे थे..
दोस्तों आगे की कहानी जल्दी लाऊंगा.. पर मुझे आपके कमैंट्स जरूर भेजना .. मेरी सोच है की आप इन तीनो चरित्र - संध्या , धर्मेश और अनीश , इनका यह अनुभव , इसके बारे में क्या सोचते है ? कोन जीता , कोन हारा ? यह मुझे पक्का बताइये . मेरे ख्याल से सभी जीते पर सबसे बड़ी असली जीत अनीश की हुई है..जो मंथन किया हुआ तीर्थ प्रसाद को पीकर ग्रहण किया और धन्य हो गया.. आपकी प्रतिक्रिया जरूर शेयर करे