26-06-2019, 04:53 PM
अध्याय 26
इधर
पूर्वी को पटाने की कोशिश रफीक और रोहन में जोरो शोरो से चल रही थी ,लेकिन अभी तक कोई भी कन्फर्म नही था की कौन सक्सेसफुल हुआ है,जंगल में सपना और बल्ला गायब हो गए थे जिसकी अभी तो किसी कोई भी फिक्र नही थी ,सभी एक झील के किनारे बैठे बाते कर रहे थे,
पूर्वी ने एक स्कर्ट ,शर्ट और उसके ऊपर एक जैकेट डाली थी,वो बहुत ही प्यारी लग रही थी,
“कुदरत ने आपको बड़े ही प्यार से बनाया है पूर्वी जी “
रफीक मानो उसके शरीर का स्कैन करते हुए बोला,पूर्वी को भी पता था की रफीक आखिर उसके किन अंगों को घूर रहा है लेकिन उसके होठो में एक मुस्कान आई जिससे रफीक की हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई ..
वो उसके और भी करीब सरका..
“यारो क्यो न यंहा मछलियां पकड़ी जाए सुना है यंहा की मछलियां बेहद ही स्वादिस्ट होती है”
रोहन अपने बेग एक स्टिक निकलते हुए बोला..
“मुझे तो गोश्त पसंद है ,मछलियां तुम ही पकड़ो “
रफीक ने सीधे शब्दो में कहा वही पूर्वी ने भी न में सर हिला दिया,रोहन बुझे मन से ही सही लेकिन मछलियां पकड़ने थोड़ी दूर झील में बने एक पत्थर में जा बैठा..
रफीक और पूर्वी बैठे हुए उसे ही देख रहे थे..
“पूर्वी जी आपका हुस्न..”
रफीक कुछ बोलने ही वाला था की पूर्वी ने उसे रोक दिया
“यार रफीक तुम मुझे बोर कर रहे हो ,जब से क्या हुस्न हुस्न लगा कर रखा है,जनाब के पास इसके अलावा बात करने का कोई दूसरा टॉपिक नही है क्या??”
पूर्वी ये कहते हुए थोड़ा हंसी ..
“साहिबा जब से आपको देखा है तब से सपनो में आप ही दिखती है और जब आप सचमुच में मेरे सामने है तो कैसे आपकी तारीफ ना करे..”
पूर्वी उसकी बात सुनकर खिलखिला कर हँस पड़ी और प्यार से उसके गालों पर एक चपत मार दी ..
“मुझे लाइन मरना छोड़ो और बताओ की आखिर यंहा किस काम के लिए आये हो..”
रफीक ने एक गहरी सांस भरी
“हमारे अब्बू की तमन्ना थी की हम यंहा एक केमिकल फेक्ट्री डाले,बस उसी सिलसिले में हम यंहा पर आये है “
“हम्म्म्म क्या काम शुरू हो गया??”
“अभी तक तो नही लेकिन हो जाएगा”
“अब आप ऐसे हमारे साथ छुट्टियां मानते रहे तो काम कैसे शुरू होगा शेख साहब ..”
रफीक ने एक बार पूर्वी को घुरा ..
“हमने कितनी बार कहा की हम कोई शेख नही है हम तो शेख के बेटे है,ऐसे भी मुझे वंहा की जिंदगी पसंद ही नही आती,ये इंडिया मेरा घर है,मैं यंही जन्म लिया,और यंही बसना चाहता हु,”
रफीक आसपास ऐसे देख रहा था जैसे वो सचमे बहुत ही सेंटी हो गया हो ..
पूर्वी ने इस बार अपनी आवाज धीरे कर ली
“तो यंहा बसने के लिए फेक्ट्री के अलावा और भी कुछ ढूंढ रहे है रफीक साहब “
पूर्वी ने इतने मदहोश लहजे में बात कही थी की रफीक एक बार उसके चहरे को ही देखता रह गया था,उसकी मासूम सी आंखे और उसके नाजुक जुबानों का हिलना,बालो की वो लट जो ठंडी हवा में लहराते हुए उसके मुखड़े तक आ जाती थी,वो जैसे मंत्रमुग्ध हुआ बस उसके चहरे को देख रहा था..
“कहा खो गए साहब..”
“उजाला...तेरे चहरे का उजाला...कुछ ऐसा है जानम, की दिन भी यही हो और सपने इसी के …”वो बोलता हुआ थोड़ा पास आया
“किस्मत….किस्मत तू मेरी ,मेरी कहानी,हम है इसी के…”
वो थोड़ा और पास आया और अपने हाथो से पूर्वी के बालो की लट को हल्के से उसके चहरे से हटाने लगा..
“जल्फे...जल्फे ये तेरे ,जैसे बादल हो काली,ये होठो की लाली,मर जाए इसमें..”
पूर्वी की आंखे उसकी आंखों से मिली थी,उसके होठ फड़फड़ाने लगे थे रफीक और भी पास आ चुका था,और दोनों की ही सांस एक दूसरे से टकरा रही थी
“जन्नत...जन्नत ये सांस है तेरी... जो मेरी... सांसों से टकरा के छूती मुझीको..”
उसके होठ और भी पास आ चुके थे,पूर्वी उसके मर्दाने शरीर को महसूस कर सकती थी उसके हाथ पूर्वी के जंहा पर थे..
“दौलत...दौलत है मेरी ,तेरा जिस्म है ये,जन्नत हमारी ..”
उसका हाथ जांघो को सहलाता हुआ थोड़ा आगे को बढ़ा और उसके होठो लगभग पूर्वी के होठो से टकराने वाले थे,
“शोहबत..शोहबत में तेरी..”
पूर्वी ने जोरो से उसके होठो को अपने जांघो में आगे बढ़ने से रोक लिया,और अपने होठो को थोड़ा दूर किया,और बोल पड़ी
“शोहबत में तेरी है दोस्ती की खशबू..ना बिगाड़ो इसे तुम ..है मिन्नत हमारी..”
पूर्वी की बात सुनकर रफीक तुरंत ही उससे अलग हो गया...पूर्वी के होठो में मुस्कान थी और रफीक पूरी तरह से लाल हो चुका था,उसने एक गहरी सांस ली
“मोहोब्बत है तुमसे यू लगता है मुझको,तुम जो मिली तो हो किस्मत हमारी ..”
वो झेंपता हुआ ही सही लेकिन बोल गया था,उसने एक बार पूर्वी की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो की वो क्या जवाब देना चाहती है,पूर्वी ने कुछ भी नही कहा बस रोहन को देखने लगी जो की अभी मछली पकड़ने में व्यस्त था,और धीरे से उसने रफीक के हाथो को अपने हाथो में ले लिया ..
“यू हादसों से मोहोब्बत नही होती ये दोस्त,उम्र गुजर जाती है इकरार करते करते..”
पूर्वी ने फिर से रफीक को देखा जिसके होठो में एक मुस्कान आ चुकी थी,वो अब भी पूर्वी को समझ नही पा रहा था,वो उसका हाथ पकड़े हुए थी उसकी हरकत का भी उसने कोई बुरा नही माना था लेकिन फिर भी वो बड़े ही प्यार से उसे ना भी कह रही थी,इतने प्यार से की कही ना कही रफीक के दिल में पूर्वी के लिए सच में एक प्यार या यू कहे की सम्मान वाली भावना का जन्म हो गया था...उसने जवाब में सहमति में सर हिलाया..
“हर सितम सहूंगा,उफ तक ना कहूंगा,एक बार कह तो दो अपना ,मर कर भी तेरा ही रहूंगा..”
पूर्वी उसकी शायरी सुनकर जोरो से हँस पड़ी..
“ये क्या फटे हुए शायरों वाली शायरी बोल रहे हो ,और प्यार जानते हो ना क्या है,ग़ालिब ने कहा है कि...एक आग का दरिया है और डूब के जाना है..”
दोनों ही एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे.रफीक ने अपना हाथ पूर्वी के उस हाथ पर रख दिया जिससे उसने उसके हाथो को पकड़ रखा था..
“हर आग में डूबने को तैयार हु पूर्वी तुम एक बार बोलो तो सही ..”
पूर्वी ने सीधे रफीक की आंखों में देखा,ये अजीब सी प्यार वाली फिलिंग थी जिसे आजतक उसने कभी किसी की आंखों में नही देखी थी,ना ही गौरव ना ही रोहन ये अलग ही तरह का आशिक था,एक अलग ही दर्द था रफीक की आंखों में जैसे बहुत कुछ कहना चाहता हो इतनी बोलती हुई थी उसकी आंखे ..पूर्वी तो एक बार डर ही गई और उसने तुरंत ही अपने हाथो को उसके हाथो से हटा लिया ..
“मैं तुम्हे किसी आग में नही झोंकना चाहती रफीक,तुम मुझे अच्छे इंसान लगे ,हम अच्छे दोस्त बन सकते है इससे ज्यादा कुछ भी नही ,शायद तुम्हे नही मालूम की मैं शादीशुदा हु ..”
पूर्वी की बात सुनकर इस बार रफीक ने एक अंगड़ाई ली …
“शायद तुम्हे इंसान की परख नही है पूर्वी ,मैं कोई अच्छा इंसान नही हु जिसे तुम आग में ना झोको,मैं ना जाने कितने ही आग से खेलकर यंहा तक पहुचा हु ,दूसरी बात तुम्हारे शादीशुदा होने की बात तो मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता ...मैं फिर भी तुम्हे उतना ही प्यार करूंगा ..”
पूर्वी ने आश्चर्य से उसे देखा
“मतलब ..”
“मतलब जब शादी में प्यार ना रह जाए तो वो शादी नही होती,बस एक बंधन होता है और उसे तोड़ देना ही मुनासिब होता है,”
एक बार पूर्वी रफीक के आंखों में देखने लगी उसे ऐसा लगा जैसे वो भी उसकी आंखों की गहराई में उसके सच को खोज रहा है…
वो हड़बड़ाई..
“तुम पागल हो गए है क्या,मैं अपने पति से बहुत खुश हु ..”
उसने हड़बड़ाते हुए कहा ..
“मैं तुम्हारी आंखे और उसमें से छलकते हुए जज़बातों को समझ सकता हु पूर्वी ,और मैं जानता हु की तुम झूठ बोल रही हो..”
पूर्वी को जैसे एक झटका लगा और वो उठकर खड़ी हो गई
“तुम कुछ भी बोल रहे हो..”वो रोहन की ओर बढ़ने लगी
“याद रखना पूर्वी आदमी झूठ बोलता है लेकिन उसकी आंखे नही ..”
रफीक अभी रेत में लेट गया था उसकी बातों में एक कांफिडेंस था ,पूर्वी आश्चर्य से एक बार फिर से उसे देखा,वो अंदर तक हिल चुकी थी जैसे उसे लगा की कोई सच उसके सामने रख दिया गया हो..लेकिन उसने अपना सर हिलाया और रोहन की ओर जाने लगी ………
**********
पूर्वी रोहन के पास जाकर बैठ चुकी थी और अपने ही ख्यालों में खोई हुई पानी में उठते हुए लहरों को निहारे जा रही थी..
“क्या हुआ ऐसा क्या बोल दिया उसने जो ऐसे गुमसुम होई गई हो “
रोहन बहुत देर से चुपचाप ही पूर्वी को ऐसे बैठे हुए देख रहा था,
“ऐसे लगा जैसे सच बोल गया हो ….”
पूर्वी ने बहुत धीरे से कहा और रोहन उसका मतलब समझने की कोशिश करने लगा ,लेकिन कुछ समझ ही नही पाया.
“क्या ??”
“कुछ नही कितनी मछलियां पकड़ी तुमने “
पूर्वी अपना मुड़ ठीक करने के लिए बोली..
“एक ही मछली के पीछे तो पड़ा हु लेकिन जाल में फसती ही नही “
रोहन का इशारा पूर्वी समझ चुकी थी,उसके होठो में मुस्कान आ गई ..
“फसाने की कोशिश करोगे तो कैसे फसेंगी ,उसे तो तुम प्यार से भी पा सकते हो “
पूर्वी ने मुस्कुराते हुए कहा और रोहन ने अचानक ही उसे देखा
“मेरे प्यार में क्या कमी है पूर्वी जो वो मुझे नही मिल रही ..”
रोहन की आवाज में एक गंभीरता थी
“समय रोहन समय ..जब मिली थी तो तुमने कद्र नही किया ,अब वो समय निकल चुका है “
रोहन को बीती हुई सारी बात जैसे एक ही बार में याद आ गई
“अब कोई चांस..???”
रोहन ने फिर से अपना बच्चों वाला लुक दिखाया ..और पूर्वी खिलखिला उठी
“तुम बच्चे ही हो रोहन ,चांस तुम्हे मिल चुका था जिसे तुमने गवा दिया ,अब चांस मिलेगा नही खुद ही बनाना पड़ेगा ..”
पूर्वी मुस्कुराते हुए उसे देखने लगी,सपना और बल्ला को आता हुआ देख कर वो उठकर उनके ओर जाने लगी ……..
और रोहन …
मानो मन में लड्डू फुट गए,लगा जैसे अब भी इस अंधेरे में उजाले का आसरा बाकी है …...
इधर
पूर्वी को पटाने की कोशिश रफीक और रोहन में जोरो शोरो से चल रही थी ,लेकिन अभी तक कोई भी कन्फर्म नही था की कौन सक्सेसफुल हुआ है,जंगल में सपना और बल्ला गायब हो गए थे जिसकी अभी तो किसी कोई भी फिक्र नही थी ,सभी एक झील के किनारे बैठे बाते कर रहे थे,
पूर्वी ने एक स्कर्ट ,शर्ट और उसके ऊपर एक जैकेट डाली थी,वो बहुत ही प्यारी लग रही थी,
“कुदरत ने आपको बड़े ही प्यार से बनाया है पूर्वी जी “
रफीक मानो उसके शरीर का स्कैन करते हुए बोला,पूर्वी को भी पता था की रफीक आखिर उसके किन अंगों को घूर रहा है लेकिन उसके होठो में एक मुस्कान आई जिससे रफीक की हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई ..
वो उसके और भी करीब सरका..
“यारो क्यो न यंहा मछलियां पकड़ी जाए सुना है यंहा की मछलियां बेहद ही स्वादिस्ट होती है”
रोहन अपने बेग एक स्टिक निकलते हुए बोला..
“मुझे तो गोश्त पसंद है ,मछलियां तुम ही पकड़ो “
रफीक ने सीधे शब्दो में कहा वही पूर्वी ने भी न में सर हिला दिया,रोहन बुझे मन से ही सही लेकिन मछलियां पकड़ने थोड़ी दूर झील में बने एक पत्थर में जा बैठा..
रफीक और पूर्वी बैठे हुए उसे ही देख रहे थे..
“पूर्वी जी आपका हुस्न..”
रफीक कुछ बोलने ही वाला था की पूर्वी ने उसे रोक दिया
“यार रफीक तुम मुझे बोर कर रहे हो ,जब से क्या हुस्न हुस्न लगा कर रखा है,जनाब के पास इसके अलावा बात करने का कोई दूसरा टॉपिक नही है क्या??”
पूर्वी ये कहते हुए थोड़ा हंसी ..
“साहिबा जब से आपको देखा है तब से सपनो में आप ही दिखती है और जब आप सचमुच में मेरे सामने है तो कैसे आपकी तारीफ ना करे..”
पूर्वी उसकी बात सुनकर खिलखिला कर हँस पड़ी और प्यार से उसके गालों पर एक चपत मार दी ..
“मुझे लाइन मरना छोड़ो और बताओ की आखिर यंहा किस काम के लिए आये हो..”
रफीक ने एक गहरी सांस भरी
“हमारे अब्बू की तमन्ना थी की हम यंहा एक केमिकल फेक्ट्री डाले,बस उसी सिलसिले में हम यंहा पर आये है “
“हम्म्म्म क्या काम शुरू हो गया??”
“अभी तक तो नही लेकिन हो जाएगा”
“अब आप ऐसे हमारे साथ छुट्टियां मानते रहे तो काम कैसे शुरू होगा शेख साहब ..”
रफीक ने एक बार पूर्वी को घुरा ..
“हमने कितनी बार कहा की हम कोई शेख नही है हम तो शेख के बेटे है,ऐसे भी मुझे वंहा की जिंदगी पसंद ही नही आती,ये इंडिया मेरा घर है,मैं यंही जन्म लिया,और यंही बसना चाहता हु,”
रफीक आसपास ऐसे देख रहा था जैसे वो सचमे बहुत ही सेंटी हो गया हो ..
पूर्वी ने इस बार अपनी आवाज धीरे कर ली
“तो यंहा बसने के लिए फेक्ट्री के अलावा और भी कुछ ढूंढ रहे है रफीक साहब “
पूर्वी ने इतने मदहोश लहजे में बात कही थी की रफीक एक बार उसके चहरे को ही देखता रह गया था,उसकी मासूम सी आंखे और उसके नाजुक जुबानों का हिलना,बालो की वो लट जो ठंडी हवा में लहराते हुए उसके मुखड़े तक आ जाती थी,वो जैसे मंत्रमुग्ध हुआ बस उसके चहरे को देख रहा था..
“कहा खो गए साहब..”
“उजाला...तेरे चहरे का उजाला...कुछ ऐसा है जानम, की दिन भी यही हो और सपने इसी के …”वो बोलता हुआ थोड़ा पास आया
“किस्मत….किस्मत तू मेरी ,मेरी कहानी,हम है इसी के…”
वो थोड़ा और पास आया और अपने हाथो से पूर्वी के बालो की लट को हल्के से उसके चहरे से हटाने लगा..
“जल्फे...जल्फे ये तेरे ,जैसे बादल हो काली,ये होठो की लाली,मर जाए इसमें..”
पूर्वी की आंखे उसकी आंखों से मिली थी,उसके होठ फड़फड़ाने लगे थे रफीक और भी पास आ चुका था,और दोनों की ही सांस एक दूसरे से टकरा रही थी
“जन्नत...जन्नत ये सांस है तेरी... जो मेरी... सांसों से टकरा के छूती मुझीको..”
उसके होठ और भी पास आ चुके थे,पूर्वी उसके मर्दाने शरीर को महसूस कर सकती थी उसके हाथ पूर्वी के जंहा पर थे..
“दौलत...दौलत है मेरी ,तेरा जिस्म है ये,जन्नत हमारी ..”
उसका हाथ जांघो को सहलाता हुआ थोड़ा आगे को बढ़ा और उसके होठो लगभग पूर्वी के होठो से टकराने वाले थे,
“शोहबत..शोहबत में तेरी..”
पूर्वी ने जोरो से उसके होठो को अपने जांघो में आगे बढ़ने से रोक लिया,और अपने होठो को थोड़ा दूर किया,और बोल पड़ी
“शोहबत में तेरी है दोस्ती की खशबू..ना बिगाड़ो इसे तुम ..है मिन्नत हमारी..”
पूर्वी की बात सुनकर रफीक तुरंत ही उससे अलग हो गया...पूर्वी के होठो में मुस्कान थी और रफीक पूरी तरह से लाल हो चुका था,उसने एक गहरी सांस ली
“मोहोब्बत है तुमसे यू लगता है मुझको,तुम जो मिली तो हो किस्मत हमारी ..”
वो झेंपता हुआ ही सही लेकिन बोल गया था,उसने एक बार पूर्वी की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो की वो क्या जवाब देना चाहती है,पूर्वी ने कुछ भी नही कहा बस रोहन को देखने लगी जो की अभी मछली पकड़ने में व्यस्त था,और धीरे से उसने रफीक के हाथो को अपने हाथो में ले लिया ..
“यू हादसों से मोहोब्बत नही होती ये दोस्त,उम्र गुजर जाती है इकरार करते करते..”
पूर्वी ने फिर से रफीक को देखा जिसके होठो में एक मुस्कान आ चुकी थी,वो अब भी पूर्वी को समझ नही पा रहा था,वो उसका हाथ पकड़े हुए थी उसकी हरकत का भी उसने कोई बुरा नही माना था लेकिन फिर भी वो बड़े ही प्यार से उसे ना भी कह रही थी,इतने प्यार से की कही ना कही रफीक के दिल में पूर्वी के लिए सच में एक प्यार या यू कहे की सम्मान वाली भावना का जन्म हो गया था...उसने जवाब में सहमति में सर हिलाया..
“हर सितम सहूंगा,उफ तक ना कहूंगा,एक बार कह तो दो अपना ,मर कर भी तेरा ही रहूंगा..”
पूर्वी उसकी शायरी सुनकर जोरो से हँस पड़ी..
“ये क्या फटे हुए शायरों वाली शायरी बोल रहे हो ,और प्यार जानते हो ना क्या है,ग़ालिब ने कहा है कि...एक आग का दरिया है और डूब के जाना है..”
दोनों ही एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे.रफीक ने अपना हाथ पूर्वी के उस हाथ पर रख दिया जिससे उसने उसके हाथो को पकड़ रखा था..
“हर आग में डूबने को तैयार हु पूर्वी तुम एक बार बोलो तो सही ..”
पूर्वी ने सीधे रफीक की आंखों में देखा,ये अजीब सी प्यार वाली फिलिंग थी जिसे आजतक उसने कभी किसी की आंखों में नही देखी थी,ना ही गौरव ना ही रोहन ये अलग ही तरह का आशिक था,एक अलग ही दर्द था रफीक की आंखों में जैसे बहुत कुछ कहना चाहता हो इतनी बोलती हुई थी उसकी आंखे ..पूर्वी तो एक बार डर ही गई और उसने तुरंत ही अपने हाथो को उसके हाथो से हटा लिया ..
“मैं तुम्हे किसी आग में नही झोंकना चाहती रफीक,तुम मुझे अच्छे इंसान लगे ,हम अच्छे दोस्त बन सकते है इससे ज्यादा कुछ भी नही ,शायद तुम्हे नही मालूम की मैं शादीशुदा हु ..”
पूर्वी की बात सुनकर इस बार रफीक ने एक अंगड़ाई ली …
“शायद तुम्हे इंसान की परख नही है पूर्वी ,मैं कोई अच्छा इंसान नही हु जिसे तुम आग में ना झोको,मैं ना जाने कितने ही आग से खेलकर यंहा तक पहुचा हु ,दूसरी बात तुम्हारे शादीशुदा होने की बात तो मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता ...मैं फिर भी तुम्हे उतना ही प्यार करूंगा ..”
पूर्वी ने आश्चर्य से उसे देखा
“मतलब ..”
“मतलब जब शादी में प्यार ना रह जाए तो वो शादी नही होती,बस एक बंधन होता है और उसे तोड़ देना ही मुनासिब होता है,”
एक बार पूर्वी रफीक के आंखों में देखने लगी उसे ऐसा लगा जैसे वो भी उसकी आंखों की गहराई में उसके सच को खोज रहा है…
वो हड़बड़ाई..
“तुम पागल हो गए है क्या,मैं अपने पति से बहुत खुश हु ..”
उसने हड़बड़ाते हुए कहा ..
“मैं तुम्हारी आंखे और उसमें से छलकते हुए जज़बातों को समझ सकता हु पूर्वी ,और मैं जानता हु की तुम झूठ बोल रही हो..”
पूर्वी को जैसे एक झटका लगा और वो उठकर खड़ी हो गई
“तुम कुछ भी बोल रहे हो..”वो रोहन की ओर बढ़ने लगी
“याद रखना पूर्वी आदमी झूठ बोलता है लेकिन उसकी आंखे नही ..”
रफीक अभी रेत में लेट गया था उसकी बातों में एक कांफिडेंस था ,पूर्वी आश्चर्य से एक बार फिर से उसे देखा,वो अंदर तक हिल चुकी थी जैसे उसे लगा की कोई सच उसके सामने रख दिया गया हो..लेकिन उसने अपना सर हिलाया और रोहन की ओर जाने लगी ………
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पूर्वी रोहन के पास जाकर बैठ चुकी थी और अपने ही ख्यालों में खोई हुई पानी में उठते हुए लहरों को निहारे जा रही थी..
“क्या हुआ ऐसा क्या बोल दिया उसने जो ऐसे गुमसुम होई गई हो “
रोहन बहुत देर से चुपचाप ही पूर्वी को ऐसे बैठे हुए देख रहा था,
“ऐसे लगा जैसे सच बोल गया हो ….”
पूर्वी ने बहुत धीरे से कहा और रोहन उसका मतलब समझने की कोशिश करने लगा ,लेकिन कुछ समझ ही नही पाया.
“क्या ??”
“कुछ नही कितनी मछलियां पकड़ी तुमने “
पूर्वी अपना मुड़ ठीक करने के लिए बोली..
“एक ही मछली के पीछे तो पड़ा हु लेकिन जाल में फसती ही नही “
रोहन का इशारा पूर्वी समझ चुकी थी,उसके होठो में मुस्कान आ गई ..
“फसाने की कोशिश करोगे तो कैसे फसेंगी ,उसे तो तुम प्यार से भी पा सकते हो “
पूर्वी ने मुस्कुराते हुए कहा और रोहन ने अचानक ही उसे देखा
“मेरे प्यार में क्या कमी है पूर्वी जो वो मुझे नही मिल रही ..”
रोहन की आवाज में एक गंभीरता थी
“समय रोहन समय ..जब मिली थी तो तुमने कद्र नही किया ,अब वो समय निकल चुका है “
रोहन को बीती हुई सारी बात जैसे एक ही बार में याद आ गई
“अब कोई चांस..???”
रोहन ने फिर से अपना बच्चों वाला लुक दिखाया ..और पूर्वी खिलखिला उठी
“तुम बच्चे ही हो रोहन ,चांस तुम्हे मिल चुका था जिसे तुमने गवा दिया ,अब चांस मिलेगा नही खुद ही बनाना पड़ेगा ..”
पूर्वी मुस्कुराते हुए उसे देखने लगी,सपना और बल्ला को आता हुआ देख कर वो उठकर उनके ओर जाने लगी ……..
और रोहन …
मानो मन में लड्डू फुट गए,लगा जैसे अब भी इस अंधेरे में उजाले का आसरा बाकी है …...
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