06-11-2024, 07:21 PM
(This post was last modified: 14-11-2024, 01:15 PM by rashmimandal. Edited 6 times in total. Edited 6 times in total.)
और इधर आयेशा और जारा के घर में
अहमद खान
उम्र: 18 वर्ष
भूमिका: आइशा का छोटा भाई।
शारीरिक लक्षण: पतला, सामान्य कद 5"7'।
पृष्ठभूमि: वह अभी 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है और ज्यादातर समय अपने दोस्तों के साथ मस्जिद के पास बिता देता है। पढ़ाई में रुचि कम है और उसे अपनी माँ से अक्सर डांट मिलती है।
व्यक्तित्व: बातूनी, बिगड़ा हुआ, पारंपरिक दृष्टिकोण रखने वाला, और आइशा के आधुनिक कपड़ों और जीवनशैली को नापसंद करता है।
महत्वपूर्ण रिश्ते: आइशा के साथ करीबी रिश्ता है, लेकिन उसकी परंपरावादी सोच और आइशा के आधुनिक विचारों के बीच तनाव है।
अमीना खान
अमीना 39 की उम्र में भी ताजगी और दिलकशी से भरी हुई हैं। उनका चेहरा तंदरुस्त और चमकदार है, जो उनकी सलीकेदार जीवनशैली का परिचायक है। गहरी, चमकदार आँखों में तजुर्बे और ममता की झलक साफ दिखाई देती है।
अमीना - शारीरिक विवरण:
आकार: 34-28-36 (छाती-कमर-कूल्हे का माप)
कद: 5'6'' (168 सेंटीमीटर / 1.68 मीटर)
वजन: 68 किलोग्राम
उनका हल्का भरा हुआ बदन मातृत्व और देखभाल की भावना से सराबोर लगता है। औसत कद-काठी में औरतों वाली नफासत भरी गोलाई है, जिससे उनका व्यक्तित्व न ज़्यादा दुबला है और न ही बहुत भारी।
अमीना आमतौर पर घर में पारंपरिक सलवार-कुर्ता पहनती हैं, जो उनकी शख्सियत और तहज़ीब को दर्शाता है। बाहर जाते समय, वह हमेशा बुर्क़ा पहनती हैं, जो उनकी सादगी और नियम की पाबंद होने की गवाही देता है।
उनके लंबे, काले बाल अक्सर बंधे रहते हैं। उनकी चाल में सहजता और तहम्मुल है, जो आत्मविश्वास और समझदारी की झलक देता है।
अमीना खान के शारीरिक ख़ाके में एक प्रकार की नफासत और वकार झलकता है। उनके सीने का भरा हुआ उभार मादरियत और ममता को उजागर करते हैं। हल्का भरा पेट उनकी उम्र और अनुभवों की ओर इशारा करता है।
मध्यम आकार की मजबूत टांगें उनके स्थायित्व और मज़बूती को दिखाती हैं, और सम्पूर्ण गोलाई लिए भरावदार नितंब उनके व्यक्तित्व में एक संतुलित नज़ाकत और वकार भरते हैं।
अहमद आज बहुत थका हुआ था। उसने अपने दोस्तों के साथ मस्जिद के पास क्रिकेट खेला था और पूरे दिन की मेहनत के बाद आज उसने 150 रन बनाए थे। बहुत लम्बे रन लगाने के कारण वह काफी थका हुआ था। आंगन के एक कोने में रखे बिस्तर पर लेटकर वह आराम कर रहा था, आँखें बंद किए, शरीर को थोड़ी राहत देने की कोशिश कर रहा था।
इतने में आंगन में आवाज आई, अमीना बाजार से सब्ज़ी लेकर घर लौटी थी। वह धीरे-धीरे आंगन में आई और अहमद को देखकर उसकी चुप्पी टूट गई।
“कहाँ था तू? घर में कितना काम था, हमेशा घूमता रहता है, कुछ काम नहीं करता!” अमीना ने गुस्से में आकर कहा। उसकी आवाज़ में तिरस्कार था, जैसे अहमद की लापरवाही से वह परेशान हो चुकी थी।
अहमद थककर आँखें खोलते हुए कुछ पल शांत रहा। फिर उसने हलके से मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
“अम्मी, तू काम तो बता, सब कर दूँगा अभी।”
अमीना का चेहरा और भी सख्त हो गया। “क्या ख़ाक करेगा तू?” उसने व्यंग्यात्मक रूप से कहा, फिर गुस्से से रसोई की ओर बढ़ गई।
अहमद खीझते हुए बिस्तर से उठा, लेकिन उसकी थकान और अम्मी की बातों ने उसे एक पल के लिए चुप रहने पर मजबूर कर दिया। उसने सोचा, "घर का काम करना तो आसान नहीं है, पर क्या करें, अम्मी की बातें तो सुननी ही पड़ती हैं।"
अहमद धीरे-धीरे रसोई की तरफ बढ़ा, उसकी अम्मी अभी भी उसे डांट रही थी, “तुझसे कभी कोई उम्मीद नहीं रही, हमेशा यही सब करता है।” जब अमीना रसोई में आई, तो उसने अपना सिर ढकने वाला कपड़ा हटा दिया और बुर्के की जिप थोड़ी सी खोल दी, कुछ दिनों पहले से साफिया ने अमीना के लिए नया बुर्का अमेज़न से ऑर्डर किया था, अमीना को ये पसंद नहीं था क्योंकि ये सामने जिप से खुलता था, पर जब वह सर भी थक लेती थी तो जिप पता नहीं चलता था और अभी ये कपड़ा नया था तो बाहर जाते समय वह यही पहन लेती है।
अहमद ने चुपचाप, थकी हुई आवाज में कहा, “अम्मी, पानी दे दो।”
अम्मी ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए बर्तन में पानी डालते हुए कहा, "तुझसे किसी काम की उम्मीद ही नहीं है।" फिर अचानक, रसोई में रखी कुछ सब्जियाँ गिर गईं। अम्मी नीचे झुककर उन्हें उठाने लगीं, और इस दौरान अहमद उनके बिलकुल सामने आ खड़ा हुआ था। उसकी नजरें चुपचाप अम्मी पर थीं, जो अब भी बिना रुके डांट रही थी, लेकिन अहमद ने एक पल के लिए उनकी हालत को देखा, उनकी अम्मी की झुकी हुई पीठ को महसूस किया।
फिर अमीना आराम से रसोई में बैठकर सब्ज़ी काटने लगीं, उन्हें जल्दी थी, उन्होंने सोचा कपड़े बाद में बदलती हूँ, पहले कुछ काम तो निपटाऊँ।
अहमद चुपचाप खड़ा था, उसकी नज़रें अपनी अम्मी पर ठहर गईं। उसकी अम्मी के पहनावे में हल्की सी बेफिक्री और सहजता थी, जैसे वह बिना किसी अतिरिक्त विचार के घर के कामों में जुटी हुई हों। इस बार, वह पहले से कहीं ज्यादा शांत था, जबकि उसकी अम्मी उसकी परवाह नहीं कर रही थी, बस अपने काम में लगी हुई थी।
उसकी आँखें अमीना के बुर्के पर टिक गईं। एक क्षण के लिए, वह अपनी कल्पनाओं में खो गया।
अहमद: (सोचते हुए) "अम्मी कितनी मजबूत हैं। उनका सब्र और लगन हमेशा मेरा हौसला अफजाई करता है। जब वे अपने काम में लगी होती हैं, तो उनकी उपस्थिति में एक विशेष आकर्षण होता है। उनका बुर्का उन्हें और भी खूबसूरत बनाता है। वह सोचने लगा कि जब वह बुर्का पहनती हैं......तो... तो उनका ऊपरी बड़ा उभार...... हमेशा मेरी नजर वहां जाती है। कभी-कभी सोचता हूँ, कि क्या उनके भीतर एक अलग खूबसूरती होगी जो मैं नहीं देख सकता...?"
उसकी यह सोच उसे थोड़ी दुविधा में डाल देती है।
अहमद: (थोड़ा झिझकते हुए) "कभी-कभी मुझे लगता है कि उनके बारे में सोचते समय मैं इज्जत भूल जाता हूँ। लेकिन ऐसा क्यों है?"
उसने अपने विचारों को नियंत्रित करने की कोशिश की। यह समझते हुए कि अमीना उसकी अम्मी हैं......
अहमद: (सोचते हुए) "अम्मी कितनी मजबूत हैं। उनके व्यक्तित्व में कुछ खास है जो मुझे खींचता है।"
एक क्षण के लिए, वह अपनी सोच में खो गया। उसकी नजर अमीना के बुर्के के नीचे छिपे हुए "बड़े उभारों" पर गई, और उसे एहसास हुआ कि उसके मन में एक नया हलचल पैदा हो रहा है।
अहमद: (झिझकते हुए) "क्या हो रहा है मुझे, पर ये कैसे होंगे अन्दर? क्या उनका 'उभार' ऐसे ही है जैसे बाहर से नजर आता है या अन्दर से ये कुछ अलग दिखते होंगे? क्या मैं कभी जान पाऊंगा......? नहीं, मैं हमेशा उनकी इज्जत करूंगा।"
उसकी आँखें अमीना की ओर ध्यान से देख रही थीं, और उसने महसूस किया कि इस विचार से उसके मन में एक खींचाव था। लेकिन वह खुद को रोकने की कोशिश करता है।
अहमद: (आवाज में हल्की निराशा) "ये विचार ठीक नहीं हैं। मेरी अम्मी हैं, और मुझे उनकी इज्जत करनी चाहिए। लेकिन कैसे ?"
वह एक गहरी सांस लेता है, और फिर अपने मन में एक नई सोच को लाता है।
अहमद: (सोचते हुए) "मैं हमेशा उनकी इज्जत करूंगा, लेकिन यह सोचने में कोई बुराई नहीं है कि वे कितनी अजब हैं। यह सोचने में क्या बुरा है कि उनके अंदर एक ताक़त है जो मुझे खींचती है?"
यह सब सोचते अहमद बाहर निकल अपने कमरे में चला जाता है।
अहमद अपने कमरे की हल्की रोशनी में अकेला था, ठंडी शाम का वक्त। उसकी आँखें बंद थीं, मगर उसके ज़हन में एक तस्वीर बार-बार उभर रही थी — उसकी अम्मी, अमीना। वह उन्हें याद करते हुए सोचने लगा, कितनी प्यारी हैं मेरी अम्मी। उनके चेहरे पर हमेशा एक सजीव मुस्कान होती थी, जो उसके दिल को सुकून देती थी। अमीना का शरीर थोड़ा चब्बी था, और जब वह बुर्का पहनती थीं, तो उनका व्यक्तित्व और भी खूबसूरत लगता था।
आज, उसके ज़हन में अमीना की तस्वीर ने एक अलग ही दिशा पकड़ ली थी। वह याद करने लगा कि कैसे उन्होंने उसे अपने प्यार और तवज्जो से बड़ा किया। उसकी यादों में, अमीना का हँसता हुआ चेहरा, उनकी सादगी और। मगर इस बार, उसके जज़्बात थोड़े गहरे हो गए थे। उसे एहसास हुआ कि अमीना के लिए उसके दिल में एक तवज्जो थी, एक खींचाव जो उसकी मासूमियत को चुनौती दे रहा था।
जैसे-जैसे वह अमीना के बारे में सोचता गया, उसके मन में एक गर्मी सी महसूस होने लगी। वह अपने शरीर को छूने लगा, उसकी छूने की इच्छा में एक अलग ही उत्तेजना थी। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी अम्मी को सोचने लग । उसकी सोच में अमीना की छवि और स्पष्ट हो गई — उनकी सुगंध, उनका स्पर्श, और जब वह उसे गले लगाती थीं तो जो गर्मी महसूस होती थी। अमीना के प्रति उसके मन में एक गहरी चाहत जाग गई थी, जो उसे भीतर से जगा रही थी। वह जानता था कि यह सब ठीक नहीं था, फिर भी वह अपने इन भावनाओं को अनदेखा नहीं कर सका। क्या यह सही है? उसने अपने आप से पूछा, लेकिन उसकी उम्र और जिज्ञासा ने उसे और भी उत्सुक बना दिया।
उसने अपनी आँखें खोलीं और दीवार पर लगे अमीना के एक फ़ोटो की ओर देखा। क्या मैं उन्हें सच में इस तरह सोच रहा हूँ? यह विचार उसके मन में बार-बार घूमने लगा। वह अमीना के प्रति अपने आकर्षण को महसूस कर रहा था, जो उसे अंदर से और भी आकर्षित कर रहा था। उसकी सोच में धीरे-धीरे एक ख्याल आया — क्या अगर वह इन भावनाओं को समझे और उन्हें स्वीकार करे? उसने फिर से अपने आप को महसूस किया और एक नई ऊर्जा से भर गया। इस ऊर्जा ने उसे खुद को छूने के लिए मजबूर किया, उसके शरीर की संवेदनाएं और अधिक तीव्र हो गईं। वह अमीना की यादों में खोकर अपने भीतर की जिज्ञासा को और गहराई से समझने की कोशिश करने लगा। जैसे-जैसे वह अपने अंदर की चाहत को समझने लगा, उसने अपने भीतर एक नया अनुभव पाया। वह जानता था कि यह एक जटिल भावना है, लेकिन इस पल ने उसे अपने भीतर की गहराई को समझने का एक अवसर दिया।
अहमद की सोच में अमीना की छवि घुलने लगी, लेकिन अब उसके विचारों का एक अलग ही मोड़ था। वह उसकी मुस्कान, उसकी आँखों की चमक के साथ-साथ उनके शरीर के बारे में भी सोचने लगा। उसे याद आया कि कैसे अमीना की उपस्थिति हमेशा उसे सुरक्षा और सुकून देती थी। लेकिन इस पल में, वह उसके शरीर की आकृति के बारे में भी सोचने लगा — उसकी पतली कमर, लंबी गर्दन, और उसके उभरे हुए कंधे। जैसे-जैसे उसकी सोच में गहराई होती गई, वह महसूस करने लगा कि उसकी चाहत केवल एक बच्चे की मासूमियत नहीं थी, बल्कि कुछ और भी था। उसने अपने मन में सोचते-सोचते उसे अपने करीब लाने की इच्छा का अनुभव किया, जैसे कि उसकी बाहों में उसे समेट लेना चाहता हो। उसकी धड़कन तेज हो गई, और वह जानता था कि ये विचार उसे एक नई दिशा में ले जा रहे हैं। वह अमीना के प्रति अपने आकर्षण को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अब केवल अम्मी का प्यार नहीं था, बल्कि उसमें एक अनजान खिंचाव भी शामिल हो गया था। क्या यह ठीक है? उसने अपने आप से सवाल किया। उसे एहसास हुआ कि ये भावनाएँ उसे अंदर से जला रही थीं, और वह इस उलझन में था कि उसे इनका सामना करना चाहिए या नहीं।
जैसे ही उसने अम्मी के बारे में सोचा, उसे उनकी उपस्थिति का अहसास हुआ। उनकी आँखें कितनी सुंदर हैं, उसने सोचते हुए मन में कहा। उसके मन में उनकी फिज़िकल उपस्थिति की ओर भी एक आकर्षण उभरने लगा। यह सोच उसे एक अजीब सी उत्तेजना दे रही थी, जो उसे भीतर से झकझोर रही थी।
अमीना के शरीर की आकृति और उनके स्तनों की छवि उसके मन में आ गई, और वह उनके प्रति अपने आकर्षण को समझने की कोशिश करने लगा। क्या यह ठीक है? उसने खुद से सवाल किया, लेकिन उसकी उम्र और जिज्ञासा ने उसे और अधिक उलझन में डाल दिया। इस पल में, उसे अपनी अम्मी के प्रति यह भावना स्वीकार करने में कठिनाई हो रही थी, जो उसे एक अलग दिशा में ले जा रही थी। उसकी धड़कनें तेज हो गईं, और वह अपने अंदर की इस जटिलता का सामना करने की कोशिश करने लगा।
जैसे ही वह अमीना के बारे में सोचने लगा, उसकी कल्पना में उनकी छवि और भी गहरी हो गई। वह धीरे-धीरे अपने मन में उन क्षणों की कल्पना करने लगा जब अमीना ने उसे गोद में लिया था, उसकी मुस्कान, उसकी ममता, और अचानक उसे उनके शरीर की एक अलग छवि ने घेर लिया।
उसने एक पल के लिए सोचा कि अगर वह उन्हें बिना कपड़ों के देखता, तो वह कैसी दिखतीं। उसकी सोच ने उसे एक तरह की जिज्ञासा और उत्तेजना से भर दिया। क्या यह ठीक है? यह सवाल उसके मन में उभरने लगा।
वह जानता था कि यह भावना एक जटिलता पैदा कर रही थी। अमीना उसकी अम्मी थीं, और उनके प्रति उसकी सोच उसे असहज कर रही थी। फिर भी, उसने महसूस किया कि यह केवल एक आकर्षण नहीं था, बल्कि उसके भीतर की खोज और उसके बढ़ते वयस्कता का हिस्सा था। उसने उनके नाजुक कंधों, उनके फुलाए हुए गाल और उस गर्मजोशी को महसूस किया, जो हमेशा उसे सुरक्षा देती थी।
उसकी कल्पना में अमीना की छवि और भी गहरी हो गई। यह सोच उसे और भी उत्तेजित कर रही थी। उसने अपनी भावनाओं के प्रवाह को महसूस किया और उस पल की उत्तेजना में खो गया।
उसने अपनी उत्तेजना का अनुसरण करते हुए, अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने का निर्णय लिया। यह एक जटिलता थी, एक संघर्ष जो उसे अपनी पहचान और भावनाओं के साथ समझौता करने पर मजबूर कर रहा था।
अहमद के मन में अचानक एक छवि उभरी। उसने अपनी अम्मी, अमीना को बुर्के में देखा। बुर्का उनकी खूबसूरती को छिपाने की बजाय और अधिक आकर्षक बना रहा था। अहमद ने महसूस किया कि उनके ऊपरी बड़े उभार बुर्के से भी झलक रहे थे, जैसे कि वे स्वतंत्रता की तलाश में हों।
उसकी आँखों के सामने उनकी छवि उभरी, और उसके मन में अनायास ही एक उत्तेजक विचार आया। "उनकी निप्पल्स कैसी दिखती होंगी?" यह विचार उसके मन में आया,
यह सोच उसके दिमाग में घूमने लगी, उसने सोचते-सोचते अपने शरीर को छुआ, उसे एहसास हुआ कि उसकी भावनाएं उसे कहां ले जा रही हैं।
अमीना की छवि उसकी सोच में धीरे-धीरे घुलने लगी। उसने अपना हाथ धीरे धीरे अपनी अंडरवियर के अन्दर डाला वह उनके प्रति अपने आकर्षण को महसूस करने लगा, जो उसे भीतर से जगा रहा था। वह अपने हाथ से पकड़ कर अपने लिंग को छूने लगा, वह जानता था कि यह एक जटिल भावना है, लेकिन उसकी उम्र और जिज्ञासा ने उसे और भी उत्सुक बना दिया।
वह अपने लिंग को जोर जोर से झटके मारने लगा, जब वह अमीना के बारे में सोच रहा था, उसे अपने भीतर एक अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी। वह अपनी अम्मी को पूरी तरह नंगी देखना चाहता था पर वह जानता था कि यह सब ठीक नहीं था, फिर भी वह उस क्षण में डूबता चला गया, वह तब तक लिंग हिलाता रहा जब तक वह शांत ना हो गया, अपनी इच्छाओं के बीच उलझा हुआ।
अहमद खान
उम्र: 18 वर्ष
भूमिका: आइशा का छोटा भाई।
शारीरिक लक्षण: पतला, सामान्य कद 5"7'।
पृष्ठभूमि: वह अभी 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है और ज्यादातर समय अपने दोस्तों के साथ मस्जिद के पास बिता देता है। पढ़ाई में रुचि कम है और उसे अपनी माँ से अक्सर डांट मिलती है।
व्यक्तित्व: बातूनी, बिगड़ा हुआ, पारंपरिक दृष्टिकोण रखने वाला, और आइशा के आधुनिक कपड़ों और जीवनशैली को नापसंद करता है।
महत्वपूर्ण रिश्ते: आइशा के साथ करीबी रिश्ता है, लेकिन उसकी परंपरावादी सोच और आइशा के आधुनिक विचारों के बीच तनाव है।
अमीना खान
अमीना 39 की उम्र में भी ताजगी और दिलकशी से भरी हुई हैं। उनका चेहरा तंदरुस्त और चमकदार है, जो उनकी सलीकेदार जीवनशैली का परिचायक है। गहरी, चमकदार आँखों में तजुर्बे और ममता की झलक साफ दिखाई देती है।
अमीना - शारीरिक विवरण:
आकार: 34-28-36 (छाती-कमर-कूल्हे का माप)
कद: 5'6'' (168 सेंटीमीटर / 1.68 मीटर)
वजन: 68 किलोग्राम
उनका हल्का भरा हुआ बदन मातृत्व और देखभाल की भावना से सराबोर लगता है। औसत कद-काठी में औरतों वाली नफासत भरी गोलाई है, जिससे उनका व्यक्तित्व न ज़्यादा दुबला है और न ही बहुत भारी।
अमीना आमतौर पर घर में पारंपरिक सलवार-कुर्ता पहनती हैं, जो उनकी शख्सियत और तहज़ीब को दर्शाता है। बाहर जाते समय, वह हमेशा बुर्क़ा पहनती हैं, जो उनकी सादगी और नियम की पाबंद होने की गवाही देता है।
उनके लंबे, काले बाल अक्सर बंधे रहते हैं। उनकी चाल में सहजता और तहम्मुल है, जो आत्मविश्वास और समझदारी की झलक देता है।
अमीना खान के शारीरिक ख़ाके में एक प्रकार की नफासत और वकार झलकता है। उनके सीने का भरा हुआ उभार मादरियत और ममता को उजागर करते हैं। हल्का भरा पेट उनकी उम्र और अनुभवों की ओर इशारा करता है।
मध्यम आकार की मजबूत टांगें उनके स्थायित्व और मज़बूती को दिखाती हैं, और सम्पूर्ण गोलाई लिए भरावदार नितंब उनके व्यक्तित्व में एक संतुलित नज़ाकत और वकार भरते हैं।
अहमद आज बहुत थका हुआ था। उसने अपने दोस्तों के साथ मस्जिद के पास क्रिकेट खेला था और पूरे दिन की मेहनत के बाद आज उसने 150 रन बनाए थे। बहुत लम्बे रन लगाने के कारण वह काफी थका हुआ था। आंगन के एक कोने में रखे बिस्तर पर लेटकर वह आराम कर रहा था, आँखें बंद किए, शरीर को थोड़ी राहत देने की कोशिश कर रहा था।
इतने में आंगन में आवाज आई, अमीना बाजार से सब्ज़ी लेकर घर लौटी थी। वह धीरे-धीरे आंगन में आई और अहमद को देखकर उसकी चुप्पी टूट गई।
“कहाँ था तू? घर में कितना काम था, हमेशा घूमता रहता है, कुछ काम नहीं करता!” अमीना ने गुस्से में आकर कहा। उसकी आवाज़ में तिरस्कार था, जैसे अहमद की लापरवाही से वह परेशान हो चुकी थी।
अहमद थककर आँखें खोलते हुए कुछ पल शांत रहा। फिर उसने हलके से मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
“अम्मी, तू काम तो बता, सब कर दूँगा अभी।”
अमीना का चेहरा और भी सख्त हो गया। “क्या ख़ाक करेगा तू?” उसने व्यंग्यात्मक रूप से कहा, फिर गुस्से से रसोई की ओर बढ़ गई।
अहमद खीझते हुए बिस्तर से उठा, लेकिन उसकी थकान और अम्मी की बातों ने उसे एक पल के लिए चुप रहने पर मजबूर कर दिया। उसने सोचा, "घर का काम करना तो आसान नहीं है, पर क्या करें, अम्मी की बातें तो सुननी ही पड़ती हैं।"
अहमद धीरे-धीरे रसोई की तरफ बढ़ा, उसकी अम्मी अभी भी उसे डांट रही थी, “तुझसे कभी कोई उम्मीद नहीं रही, हमेशा यही सब करता है।” जब अमीना रसोई में आई, तो उसने अपना सिर ढकने वाला कपड़ा हटा दिया और बुर्के की जिप थोड़ी सी खोल दी, कुछ दिनों पहले से साफिया ने अमीना के लिए नया बुर्का अमेज़न से ऑर्डर किया था, अमीना को ये पसंद नहीं था क्योंकि ये सामने जिप से खुलता था, पर जब वह सर भी थक लेती थी तो जिप पता नहीं चलता था और अभी ये कपड़ा नया था तो बाहर जाते समय वह यही पहन लेती है।
अहमद ने चुपचाप, थकी हुई आवाज में कहा, “अम्मी, पानी दे दो।”
अम्मी ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए बर्तन में पानी डालते हुए कहा, "तुझसे किसी काम की उम्मीद ही नहीं है।" फिर अचानक, रसोई में रखी कुछ सब्जियाँ गिर गईं। अम्मी नीचे झुककर उन्हें उठाने लगीं, और इस दौरान अहमद उनके बिलकुल सामने आ खड़ा हुआ था। उसकी नजरें चुपचाप अम्मी पर थीं, जो अब भी बिना रुके डांट रही थी, लेकिन अहमद ने एक पल के लिए उनकी हालत को देखा, उनकी अम्मी की झुकी हुई पीठ को महसूस किया।
फिर अमीना आराम से रसोई में बैठकर सब्ज़ी काटने लगीं, उन्हें जल्दी थी, उन्होंने सोचा कपड़े बाद में बदलती हूँ, पहले कुछ काम तो निपटाऊँ।
अहमद चुपचाप खड़ा था, उसकी नज़रें अपनी अम्मी पर ठहर गईं। उसकी अम्मी के पहनावे में हल्की सी बेफिक्री और सहजता थी, जैसे वह बिना किसी अतिरिक्त विचार के घर के कामों में जुटी हुई हों। इस बार, वह पहले से कहीं ज्यादा शांत था, जबकि उसकी अम्मी उसकी परवाह नहीं कर रही थी, बस अपने काम में लगी हुई थी।
उसकी आँखें अमीना के बुर्के पर टिक गईं। एक क्षण के लिए, वह अपनी कल्पनाओं में खो गया।
अहमद: (सोचते हुए) "अम्मी कितनी मजबूत हैं। उनका सब्र और लगन हमेशा मेरा हौसला अफजाई करता है। जब वे अपने काम में लगी होती हैं, तो उनकी उपस्थिति में एक विशेष आकर्षण होता है। उनका बुर्का उन्हें और भी खूबसूरत बनाता है। वह सोचने लगा कि जब वह बुर्का पहनती हैं......तो... तो उनका ऊपरी बड़ा उभार...... हमेशा मेरी नजर वहां जाती है। कभी-कभी सोचता हूँ, कि क्या उनके भीतर एक अलग खूबसूरती होगी जो मैं नहीं देख सकता...?"
उसकी यह सोच उसे थोड़ी दुविधा में डाल देती है।
अहमद: (थोड़ा झिझकते हुए) "कभी-कभी मुझे लगता है कि उनके बारे में सोचते समय मैं इज्जत भूल जाता हूँ। लेकिन ऐसा क्यों है?"
उसने अपने विचारों को नियंत्रित करने की कोशिश की। यह समझते हुए कि अमीना उसकी अम्मी हैं......
अहमद: (सोचते हुए) "अम्मी कितनी मजबूत हैं। उनके व्यक्तित्व में कुछ खास है जो मुझे खींचता है।"
एक क्षण के लिए, वह अपनी सोच में खो गया। उसकी नजर अमीना के बुर्के के नीचे छिपे हुए "बड़े उभारों" पर गई, और उसे एहसास हुआ कि उसके मन में एक नया हलचल पैदा हो रहा है।
अहमद: (झिझकते हुए) "क्या हो रहा है मुझे, पर ये कैसे होंगे अन्दर? क्या उनका 'उभार' ऐसे ही है जैसे बाहर से नजर आता है या अन्दर से ये कुछ अलग दिखते होंगे? क्या मैं कभी जान पाऊंगा......? नहीं, मैं हमेशा उनकी इज्जत करूंगा।"
उसकी आँखें अमीना की ओर ध्यान से देख रही थीं, और उसने महसूस किया कि इस विचार से उसके मन में एक खींचाव था। लेकिन वह खुद को रोकने की कोशिश करता है।
अहमद: (आवाज में हल्की निराशा) "ये विचार ठीक नहीं हैं। मेरी अम्मी हैं, और मुझे उनकी इज्जत करनी चाहिए। लेकिन कैसे ?"
वह एक गहरी सांस लेता है, और फिर अपने मन में एक नई सोच को लाता है।
अहमद: (सोचते हुए) "मैं हमेशा उनकी इज्जत करूंगा, लेकिन यह सोचने में कोई बुराई नहीं है कि वे कितनी अजब हैं। यह सोचने में क्या बुरा है कि उनके अंदर एक ताक़त है जो मुझे खींचती है?"
यह सब सोचते अहमद बाहर निकल अपने कमरे में चला जाता है।
अहमद अपने कमरे की हल्की रोशनी में अकेला था, ठंडी शाम का वक्त। उसकी आँखें बंद थीं, मगर उसके ज़हन में एक तस्वीर बार-बार उभर रही थी — उसकी अम्मी, अमीना। वह उन्हें याद करते हुए सोचने लगा, कितनी प्यारी हैं मेरी अम्मी। उनके चेहरे पर हमेशा एक सजीव मुस्कान होती थी, जो उसके दिल को सुकून देती थी। अमीना का शरीर थोड़ा चब्बी था, और जब वह बुर्का पहनती थीं, तो उनका व्यक्तित्व और भी खूबसूरत लगता था।
आज, उसके ज़हन में अमीना की तस्वीर ने एक अलग ही दिशा पकड़ ली थी। वह याद करने लगा कि कैसे उन्होंने उसे अपने प्यार और तवज्जो से बड़ा किया। उसकी यादों में, अमीना का हँसता हुआ चेहरा, उनकी सादगी और। मगर इस बार, उसके जज़्बात थोड़े गहरे हो गए थे। उसे एहसास हुआ कि अमीना के लिए उसके दिल में एक तवज्जो थी, एक खींचाव जो उसकी मासूमियत को चुनौती दे रहा था।
जैसे-जैसे वह अमीना के बारे में सोचता गया, उसके मन में एक गर्मी सी महसूस होने लगी। वह अपने शरीर को छूने लगा, उसकी छूने की इच्छा में एक अलग ही उत्तेजना थी। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी अम्मी को सोचने लग । उसकी सोच में अमीना की छवि और स्पष्ट हो गई — उनकी सुगंध, उनका स्पर्श, और जब वह उसे गले लगाती थीं तो जो गर्मी महसूस होती थी। अमीना के प्रति उसके मन में एक गहरी चाहत जाग गई थी, जो उसे भीतर से जगा रही थी। वह जानता था कि यह सब ठीक नहीं था, फिर भी वह अपने इन भावनाओं को अनदेखा नहीं कर सका। क्या यह सही है? उसने अपने आप से पूछा, लेकिन उसकी उम्र और जिज्ञासा ने उसे और भी उत्सुक बना दिया।
उसने अपनी आँखें खोलीं और दीवार पर लगे अमीना के एक फ़ोटो की ओर देखा। क्या मैं उन्हें सच में इस तरह सोच रहा हूँ? यह विचार उसके मन में बार-बार घूमने लगा। वह अमीना के प्रति अपने आकर्षण को महसूस कर रहा था, जो उसे अंदर से और भी आकर्षित कर रहा था। उसकी सोच में धीरे-धीरे एक ख्याल आया — क्या अगर वह इन भावनाओं को समझे और उन्हें स्वीकार करे? उसने फिर से अपने आप को महसूस किया और एक नई ऊर्जा से भर गया। इस ऊर्जा ने उसे खुद को छूने के लिए मजबूर किया, उसके शरीर की संवेदनाएं और अधिक तीव्र हो गईं। वह अमीना की यादों में खोकर अपने भीतर की जिज्ञासा को और गहराई से समझने की कोशिश करने लगा। जैसे-जैसे वह अपने अंदर की चाहत को समझने लगा, उसने अपने भीतर एक नया अनुभव पाया। वह जानता था कि यह एक जटिल भावना है, लेकिन इस पल ने उसे अपने भीतर की गहराई को समझने का एक अवसर दिया।
अहमद की सोच में अमीना की छवि घुलने लगी, लेकिन अब उसके विचारों का एक अलग ही मोड़ था। वह उसकी मुस्कान, उसकी आँखों की चमक के साथ-साथ उनके शरीर के बारे में भी सोचने लगा। उसे याद आया कि कैसे अमीना की उपस्थिति हमेशा उसे सुरक्षा और सुकून देती थी। लेकिन इस पल में, वह उसके शरीर की आकृति के बारे में भी सोचने लगा — उसकी पतली कमर, लंबी गर्दन, और उसके उभरे हुए कंधे। जैसे-जैसे उसकी सोच में गहराई होती गई, वह महसूस करने लगा कि उसकी चाहत केवल एक बच्चे की मासूमियत नहीं थी, बल्कि कुछ और भी था। उसने अपने मन में सोचते-सोचते उसे अपने करीब लाने की इच्छा का अनुभव किया, जैसे कि उसकी बाहों में उसे समेट लेना चाहता हो। उसकी धड़कन तेज हो गई, और वह जानता था कि ये विचार उसे एक नई दिशा में ले जा रहे हैं। वह अमीना के प्रति अपने आकर्षण को समझने की कोशिश कर रहा था, जो अब केवल अम्मी का प्यार नहीं था, बल्कि उसमें एक अनजान खिंचाव भी शामिल हो गया था। क्या यह ठीक है? उसने अपने आप से सवाल किया। उसे एहसास हुआ कि ये भावनाएँ उसे अंदर से जला रही थीं, और वह इस उलझन में था कि उसे इनका सामना करना चाहिए या नहीं।
जैसे ही उसने अम्मी के बारे में सोचा, उसे उनकी उपस्थिति का अहसास हुआ। उनकी आँखें कितनी सुंदर हैं, उसने सोचते हुए मन में कहा। उसके मन में उनकी फिज़िकल उपस्थिति की ओर भी एक आकर्षण उभरने लगा। यह सोच उसे एक अजीब सी उत्तेजना दे रही थी, जो उसे भीतर से झकझोर रही थी।
अमीना के शरीर की आकृति और उनके स्तनों की छवि उसके मन में आ गई, और वह उनके प्रति अपने आकर्षण को समझने की कोशिश करने लगा। क्या यह ठीक है? उसने खुद से सवाल किया, लेकिन उसकी उम्र और जिज्ञासा ने उसे और अधिक उलझन में डाल दिया। इस पल में, उसे अपनी अम्मी के प्रति यह भावना स्वीकार करने में कठिनाई हो रही थी, जो उसे एक अलग दिशा में ले जा रही थी। उसकी धड़कनें तेज हो गईं, और वह अपने अंदर की इस जटिलता का सामना करने की कोशिश करने लगा।
जैसे ही वह अमीना के बारे में सोचने लगा, उसकी कल्पना में उनकी छवि और भी गहरी हो गई। वह धीरे-धीरे अपने मन में उन क्षणों की कल्पना करने लगा जब अमीना ने उसे गोद में लिया था, उसकी मुस्कान, उसकी ममता, और अचानक उसे उनके शरीर की एक अलग छवि ने घेर लिया।
उसने एक पल के लिए सोचा कि अगर वह उन्हें बिना कपड़ों के देखता, तो वह कैसी दिखतीं। उसकी सोच ने उसे एक तरह की जिज्ञासा और उत्तेजना से भर दिया। क्या यह ठीक है? यह सवाल उसके मन में उभरने लगा।
वह जानता था कि यह भावना एक जटिलता पैदा कर रही थी। अमीना उसकी अम्मी थीं, और उनके प्रति उसकी सोच उसे असहज कर रही थी। फिर भी, उसने महसूस किया कि यह केवल एक आकर्षण नहीं था, बल्कि उसके भीतर की खोज और उसके बढ़ते वयस्कता का हिस्सा था। उसने उनके नाजुक कंधों, उनके फुलाए हुए गाल और उस गर्मजोशी को महसूस किया, जो हमेशा उसे सुरक्षा देती थी।
उसकी कल्पना में अमीना की छवि और भी गहरी हो गई। यह सोच उसे और भी उत्तेजित कर रही थी। उसने अपनी भावनाओं के प्रवाह को महसूस किया और उस पल की उत्तेजना में खो गया।
उसने अपनी उत्तेजना का अनुसरण करते हुए, अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने का निर्णय लिया। यह एक जटिलता थी, एक संघर्ष जो उसे अपनी पहचान और भावनाओं के साथ समझौता करने पर मजबूर कर रहा था।
अहमद के मन में अचानक एक छवि उभरी। उसने अपनी अम्मी, अमीना को बुर्के में देखा। बुर्का उनकी खूबसूरती को छिपाने की बजाय और अधिक आकर्षक बना रहा था। अहमद ने महसूस किया कि उनके ऊपरी बड़े उभार बुर्के से भी झलक रहे थे, जैसे कि वे स्वतंत्रता की तलाश में हों।
उसकी आँखों के सामने उनकी छवि उभरी, और उसके मन में अनायास ही एक उत्तेजक विचार आया। "उनकी निप्पल्स कैसी दिखती होंगी?" यह विचार उसके मन में आया,
यह सोच उसके दिमाग में घूमने लगी, उसने सोचते-सोचते अपने शरीर को छुआ, उसे एहसास हुआ कि उसकी भावनाएं उसे कहां ले जा रही हैं।
अमीना की छवि उसकी सोच में धीरे-धीरे घुलने लगी। उसने अपना हाथ धीरे धीरे अपनी अंडरवियर के अन्दर डाला वह उनके प्रति अपने आकर्षण को महसूस करने लगा, जो उसे भीतर से जगा रहा था। वह अपने हाथ से पकड़ कर अपने लिंग को छूने लगा, वह जानता था कि यह एक जटिल भावना है, लेकिन उसकी उम्र और जिज्ञासा ने उसे और भी उत्सुक बना दिया।
वह अपने लिंग को जोर जोर से झटके मारने लगा, जब वह अमीना के बारे में सोच रहा था, उसे अपने भीतर एक अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी। वह अपनी अम्मी को पूरी तरह नंगी देखना चाहता था पर वह जानता था कि यह सब ठीक नहीं था, फिर भी वह उस क्षण में डूबता चला गया, वह तब तक लिंग हिलाता रहा जब तक वह शांत ना हो गया, अपनी इच्छाओं के बीच उलझा हुआ।