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Fantasy प्रेम... आत्मा की भूख है..
#48
गतान्क से आगे.............


फिर मैने उठी और कहा कि नाश्ते मे क्या लेंगे तो वो बोले कि थोड़ा

दूध पिला दो तो मैं झट से उनकी गोद मे बैठ गई और बोला कि जितना

चाहे पी लीजिए तो दीदी बोली कि आप अपनी बहू का दूध पीजिए मैं

नाश्ता बना लेती हूँ तो बाबूजी बोले कि दूध तो मैं तुम दोनो का ही

पीऊंगा फिर यू ही हँसी मज़ाक करते हुए हम दोनो नाश्ता बनाने चली

गई और बाबूजी नहाने चले गये. हम नाश्ता बना के ले आई तो बाबूजी

भी नहा के आ चुके थे और नंगे ही बैठे थे हम तीनो ने नाश्ता

किया बाबूजी तैयार हो गये और जाने लगे तो मैने कहा कि बाबूजी दिल

नही कर रहा आप को आज भेजने को आज आप घर पे ही रहिए तो वो बोले

की सारी रात फिर तुम दोनो के साथ हूँ चिंता मत करो तो मैने कहा

ठीक है और मैं उनके पास बैठ गई और उनकी पेंट की ज़िप खोलने लगी

तो वो बोले कि क्या करने लगी हो तो मैने कहा कि सारा दिन मुझसे दूर

रहेगा इसे प्यार तो कर लेने दीजिए और मैने उनके लॉड को निकाल कर

चूस लिया और कहा कि अब जाइए तो वो बल कि तुम्हारी याद मुझे सारा दिन

सताएगी लेकिन काम भी ज़रूरी है और वो चले गये. फिर मैने और दीदी

ने घर के काम निपटाए और नहाने लगी हम दोनो साथ ही नहा रही थी

कि दीदी मेरी चूत देख कर बोली कि तुम्हारी तो बिकल्कुल सूज गई है तो

मैने कहा कि दीदी कितनी बार तो बाबूजी ने रगड़ दिया है इसे सुजेगी ही

और हम दोनो खुश थी दीदी कह रही थी भाभी आप का आइडिया तो कमाल का

निकला बाबूजी खुद ही राज़ी हो गये हमे चोदने को अब तो 10 दिन पूरी

ऐश करेंगी हम दोनो तो मैने कहा कि वो तो है ही.
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RE: प्रेम... आत्मा की भूख है.. - by nitya.bansal3 - 24-10-2024, 06:57 PM



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