Part - 3
उसी दिन शाम को जब हम सब दोस्त कामिनी की दुकान पर मिले, कामिनी अपनी नजरे मुझ से चुरा कर अपने काम में ध्यान लगा रही थी, और आज मेरा भी मन नहीं लग रहा था तो
मैंने दोस्तों से कहा "भाई मेरी तबियत सही नहीं है मैं घर जा रहा हु,"
इतना बोल के मैं अपने घर चला आया तब तक शाम के 7 बज चुके, घर आया तो देखा की माँ, मेरी भाभी और मेरी बहन कुछ बाते कर रहे थे,
मुझे घर आया देख माँ बोली " आ गया तू, रीना इसके लिए खाना लगा दे, सर्दियों का मौसम था और हमारे यहाँ शाम को जल्दी ही खाना खा लेते है,
मैं आपको मेरे परिवार से मिलवा देता हु,
रतन लाल जी - मेरे पिताजी
सुनीता देवी - मेरी माताजी
रमेश - मेरा बड़ा भाई जो की अभी दुबई में नौकरी करता है
रीना - मेरी भाभी
अनीता - मेरी बहन, इसकी शादी को 1 साल हो गया, उसका ससुराल हमारे ही शहर में है इसलिए दिन में एक बार तो आ ही जाती है,
खाना खाने के बाद में थोड़ी देर मेरे रूम में जाके कुछ काम किया और तकरीबन रात के 9 बजे कामिनी की दुकान पर चला गया, राज और श्याम (मेरे दोस्त) भी उसी वक्त वहां आ गए, कुछ इधर उधर की बाते करते रहे और सिगरेट पी रहे थे, आज ठण्ड कुछ ज्यादा ही थी, और दिन में कामिनी की चुदाई करके मैं खुश भी था और उदास भी, और इसी आस में कामिनी की तरफ देखा की कही आज रात को कुछ बंदोबस्त हो जाए उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं,
राज बोला " क्या बात है सन्नी आज सांझ से बड़ा खोया खोया है
मैं बोला " नहीं रे ऐसा कुछ नहीं है, ठंडी ज्यादा है और तबियत कुछ ठीक है लग रही है, तेरे पास तो गर्मी का रास्ता है, मैं कहा जाऊ,
श्याम बोला " सन्नी यार बात तो सही है साला इतनी ठण्ड में कोई जुगाड़ भी नहीं है,
ऐसे ही हम लोग बात कर रहे थे
तभी कामिनी बोली, "आप लोग अब घर जाओ मुझे दुकान बंद करनी है.
मैं उस समय भी बड़ी आस से उसकी तरफ देखा लेकिन उसने कोई सिग्नल नहीं दिया, मैं सोच रहा था साला ये कैसी औरत है दिन में कैसे उछल उछल कर चुदवा रही थी और अब है के साली घास भी नहीं दाल रही है, खैर इसे तो बाद में देखूंगा
तभी श्याम बोला " चलो यार चलते है, आज ठण्ड ज्यादा है और कल रविवार है कल मिलते है है,
ऐसा कहके सब अपने अपने घरो की और निकल पड़े,
मेरा घर दुकान से सबसे ज्यादा दुरी पर था,
मेरे पड़ोस में एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी बहु के साथ रहती थी, उस औरत का बेटा भी मेरे भाई के साथ दुबई में ही रहता था तो उनका घर काफी बड़ा था और सुरक्षा के लिए उन्हें घर का एक कमरा एक आदमी (सुरेश) को किराये पे दिया था, सुरक्षा भी हो जाती और थोड़े से हाथ खर्च के लिए पैसे भी आ जाते, वो लड़का हमारे ही शहर के ही पास एक गाँव का रहना वाला था और अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई कानपूर से ख़त्म करके अभी नया नया ही हमारे शहर में रहने के लिए आया था और जॉब के लिए तैयारी
कर रहा था.
उस घर में दो औरतो के अलावा कोई नहीं था और सुरेश मेरी ही उम्र का था और थोड़ा अंतर्मुखी था लेकिन मेरी उम्र का कोई नहीं था तो इसीलिए किसी से बात नहीं करता था, मेरा हम उम्र था इसलिए मुझसे कभी कभार बात कर लेता था,
जब मैं उनके घर के सामने से गुजरा तो देखा की नेहा भाभी के कमरे की लाइट बंद थी लेकिन कुछ धीमी धीमी आवाजे आ रही थी , मैंने सोचा की शायद अपने पति से बात कर रही होंगी, मैं मेरे कमरे में चला गया और रज़ाई में घुस कर मोबाइल पर चुदाई की कहानिया पढ़ने लगा मेरी अंदर की वासना भी जाग रही थी.
क्या बताऊँ यार…
तभी एक हल्की सी चीख सुनाई दी हो न हो वो चीख नेहा भाभी ही थी, मैं हमारे घर की छत पर आया और देखा की नेहा भाभी के कमरे में कोई आदमी है
मोबाइल में चुदाई की कहानी पढ़ने और दिन में कामिनी की चुदाई से वासना भरी हुई थी और उसी क वशीभूत मैं मेरी छत से उनके घर की छत पर गया और उनके बरामदे में उतर गया,सर्दियों के मौसम में कोई बाहर तो निकलता नहीं इसलिए मुझे किसी ने भी देखा है,
नेहा भाभी 22-24 साल की एक गरम औरत थी और उसके चुचे भी 36 के तो होंगे, मैंने उनके कमरे के पास पहुँच कर दरवाजे से कान सटाया तो पता चला की ये सुरेश है, और अब उस कमरे की लाइट भी जल रही थी
सुरेश - भाभी, आज तो आप हमसे पहले ही मस्ती में आ गयी हैं?
नेहा भाभी - सुरेश तुम मेरी ही उम्र के हो और मुझे भाभी कहते हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता है, तुम मेरे दोस्त की तरह हो, तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाओगे तो मुझे अच्छा लगेगा!
सुरेश - तो ठीक है, आज से हम लोग दोस्त हैं नेहा,
वाह भाई वाह, साला सही ही कहा है किसी ने जो दिन में ज्यादा संस्कारी लगते है वो साले उतने ही चुदाई के भूखे होते है,
फिर उन् लोगों की बातें होने लगी
सुरेश - आपके मायके में कौन कौन है?
नेहा भाभी - मैं और मां और बाप
मै- आपके माँ बाप कहाँ रहते हैं और क्या करते हैं?
नेहा भाभी - वो इंजिनियर हैं
और बाहर दूसरे शहर में रहते हैं और कभी कभी 10-15 दिन में आते रहते हैं! उनकी बात छोड़ो न… सुरेश अपनी बताओ!
सुरेश ने समझ लिया कि शायद ये अपने माँ बाप से खुश नहीं है तो उसने भी ज़्यादा कुछ नहीं पूछा और
बोला- आप ही बताओ कि क्या बोलूं मैं?
तो नेहा भाभी ने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
सुरेश ने ना में जवाब देते हुए कहा- मेरी तो पहली बार आपसे ही दोस्ती हुई है और आप चाहें तो मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड समझ सकता हूँ.
इस बात पर नेहा भाभी भाभी भाभी हंस पड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया. उसके हाथ पकड़ते ही शायद सुरेश को कुछ हुआ और मौके को देखते हुए नेहा भाभी के एकदम पास चला गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया, नेहा भाभी ने उसका साथ दिया
और उसको कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया.
फिर एक दूसरे को चूमने लगे और फिर सुरेश ने उसका एक हाथ उसकी चुची पर लाकर उसे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ को मसल रहा था.
चूंकि उनके कमरे की लाइट जल रही थी इसलिए मैं सब कुछ एक खिड़की से आराम से देख सकता था, और उसी दौरान मैंने मेरा लंड भी पाजामे क ऊपर से पकड़ कर मसलने लगा था,
फिर वो उसकी साड़ी के अंदर हाथ ले गया और उसकी चड्डी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगा, भाभी की चूत के ऊपर
बाल नहीं थे, शायद उसने आज ही साफ किये होंगे.
जब सुरेश नेहा भाभी की चूत रगड़ रहा था तभी भाभी चिंहुक गई शायद सुरेश ने भाभी की चूत में ऊँगली दाल दी होगी, नेहा भाभी भी कहा पीछे रहने वाली थी उन्होंने भी सुरेश की चड्डी में हाथ डाल कर उसके लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी, जो अभी खड़ा हो गया था
सुरेश उसकी चूत में उंगली कर रहा था और वो सुरेश के लंड को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे कर रही थी, वो लोग तो जैसे एक दूसरे में खो गये थे.
तभी नेहा भाभी की सास ने आवाज़ देकर उसे बुलाया और वो जाने लगी,
उन्होंने तुरंत ही पिंक कलर का गॉउन पहन लिया था जिसमे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
थोड़ी देर बाद वो वापस आयी और आते ही उसने सुरेश को अपनी बांहों में भर लिया. सुरेश भी उसे चूमने लगा और चूमते चूमते उसके गाऊन को उतार
फेंका और उसे बेड पे लेटा दिया.
वो अंदर में पिंक कलर की ही ब्रा और चड्डी पहनी हुई थी जिसे सुरेश तुरंत निकाल दिया
उसके चुचे और चूत को देख कर मैं तो जैसे पागल ही हो गया. उसके चुचे बहुत ही कड़क थे और चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे कभी उस चूत में कभी लंड गया ही न हो,
सुरेश उस पर टूट पड़ा और एक हाथ से उसके चुचे मसल रहा था तो दूसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था.
फिर सुरेश अपना मुंह उसकी चूत के पास ले गया और उसकी चूत को जीभ से चुदाई करने लगा, वो भी चूतड़ उठा उठा कर मुख चुदाई का मज़ा ले रही थी. उसके बाद वो मेरे कपड़े खोल कर सुरेश के लंड को चूसने लगी और फिर वो लोग 69 की पोज़िशन में हो गये.
मुखचुदाई में ही उसकी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और वो भी पूरे ज़ोर से सुरेश के लंड को हिलाने लगी और बोली
नेहा भाभी - सुरेश मैंने बहुत दिन से अपनी चूत में लंड नहीं लिया है, प्लीज़ मुझे और ज़्यादा नहीं तड़पाओ, मेरी चुदाई करके मुझे अपना बना लो.
इतना कहकर उसने अपने पैरों को फैला लिया, सुरेश भी उसकी तड़प को देख कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट करके रगड़ने लगा, रगड़ने से उसकी तड़प और भी बढ़ती जा रही थी, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी.
सुरेश रगड़ते रगड़ते अपने लंड को उसकी चूत में धीरे धीरे डालना शुरू किया, लंड का टोपा अंदर जाते ही वो दर्द से कराहने लगी और बोली
नेहा भाभी - इसी तरह धीरे धीरे डालो.
और सुरेश ने भी उसका हुकुम मानते हुवे धीरे धीरे करके ही लगभग 2 मिनट में पूरी तरह लंड उसकी चूत में घुसा दिया.
वो दर्द से कराह रही थी और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, मगर उसे चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था कि वो अपने
दर्द को बर्दाश्त कर रही थी.
जब वो नॉर्मल हुई तो सुरेश धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और वो भी चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देने लगी. सुरेश तो जैसे इस खेल का माहिर खिलाडी था वो भी तेज़ी से धक्के लगते हुए जबरदस्त चुदाई कर रहा था और इस बीच वो 2 बार पानी छोड़ चुकी थी.
चुदाई करते करते सुरेश ने नेहा भाभी की चूत में ही पानी छोड़ दिया और उसके बाद उसके ऊपर ही लेट गया.
कुछ देर बाद वो उठी और फिर से लंड के साथ खेलने लगी, फिर से उसका लंड खड़ा हो गया और ईस बार उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत चुदाई
करने लगा.
वो लोग चुदाई में इतना मस्त थे कि दरवाजा बंद करना भी भूल गये थे और उन लोगों को पता भी नहीं चला कि कोई उन लोगों की चुदाई को देख भी रहा है. (मेरे अलावा) चुदाई करते करते जब सुरेश थोड़ा सा ठिठका और दरवाजे की तरफ देखने लगा तो मेरी नज़र भी दरवाजे की तरफ गयी,
तो मैंने देखा कि नेहा भाभी की सास सुमन आंटी नाइटी पहने खड़ी होकर अपनी नाइटी को कमर तक उठाकर अपनी चूत को रगड़ रही थी,
वो भी अब नेहा भाभी और सुरेश की तरफ़ आई और सुरेश का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया और उसे रगड़ने को बोली.
अभी तक नेहा भाभी भाभी को नहीं पता था कि उसकी सास भी आ गयी है,
अचानक जब नेहा भाभी भाभी की नज़र अपनी सास पे गयी तो वि बिल्कुल डर गयी और बैठ गयी.
लेकिन जब उसने देखा कि सुरेश उसकी सास के चूत में उंगली कर रहा हूँ और उसकी सास भी मज़े ले रही है तो वो नॉर्मल हो गयी.
अब नेहा भाभी भाभी की सास ने सुरेश के लंड को अपने हाथ में लिया और उसे हिलाने लगी. फिर उसे मुंह में
लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. लगभग 10-15 मिनट लंड चूसने के बाद वो बोली
सुमन आंटी - तुम लोगों की चुदाई देख कर मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है… प्लीज़ जल्दी से मेरी चूत की खुजली को मिटा दो! और नेहा भाभी से बोली- तुम डरो नहीं, मैं समझ सकती हूँ तुम्हारा प्राब्लम, तुम चिंता नहीं करो!
फिर सुरेश ने अपने लंड से नेहा भाभी भाभी की सास की जबरदस्त चुदाई की.
तब तक मेरा भी पानी निकल गया और मैं भी छत के रस्ते वापस अपने कमरे में आ गया और ये सोचने लगा कि ये सब कब से चल रहा होगा
शायद सुमन आंटी ने आज पहली बार ही उसमे हिस्सा लिया होगा, सुमन आंटी के पति के बारे में मुझे कुछ खास पता नहीं है ज़िंदा है या मर गया या कुछ और, इन सवालो के जवाब आगे आने वाले भागो में मिल ही जायेंगे
ये सब सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला,
उसी दिन शाम को जब हम सब दोस्त कामिनी की दुकान पर मिले, कामिनी अपनी नजरे मुझ से चुरा कर अपने काम में ध्यान लगा रही थी, और आज मेरा भी मन नहीं लग रहा था तो
मैंने दोस्तों से कहा "भाई मेरी तबियत सही नहीं है मैं घर जा रहा हु,"
इतना बोल के मैं अपने घर चला आया तब तक शाम के 7 बज चुके, घर आया तो देखा की माँ, मेरी भाभी और मेरी बहन कुछ बाते कर रहे थे,
मुझे घर आया देख माँ बोली " आ गया तू, रीना इसके लिए खाना लगा दे, सर्दियों का मौसम था और हमारे यहाँ शाम को जल्दी ही खाना खा लेते है,
मैं आपको मेरे परिवार से मिलवा देता हु,
रतन लाल जी - मेरे पिताजी
सुनीता देवी - मेरी माताजी
रमेश - मेरा बड़ा भाई जो की अभी दुबई में नौकरी करता है
रीना - मेरी भाभी
अनीता - मेरी बहन, इसकी शादी को 1 साल हो गया, उसका ससुराल हमारे ही शहर में है इसलिए दिन में एक बार तो आ ही जाती है,
खाना खाने के बाद में थोड़ी देर मेरे रूम में जाके कुछ काम किया और तकरीबन रात के 9 बजे कामिनी की दुकान पर चला गया, राज और श्याम (मेरे दोस्त) भी उसी वक्त वहां आ गए, कुछ इधर उधर की बाते करते रहे और सिगरेट पी रहे थे, आज ठण्ड कुछ ज्यादा ही थी, और दिन में कामिनी की चुदाई करके मैं खुश भी था और उदास भी, और इसी आस में कामिनी की तरफ देखा की कही आज रात को कुछ बंदोबस्त हो जाए उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं,
राज बोला " क्या बात है सन्नी आज सांझ से बड़ा खोया खोया है
मैं बोला " नहीं रे ऐसा कुछ नहीं है, ठंडी ज्यादा है और तबियत कुछ ठीक है लग रही है, तेरे पास तो गर्मी का रास्ता है, मैं कहा जाऊ,
श्याम बोला " सन्नी यार बात तो सही है साला इतनी ठण्ड में कोई जुगाड़ भी नहीं है,
ऐसे ही हम लोग बात कर रहे थे
तभी कामिनी बोली, "आप लोग अब घर जाओ मुझे दुकान बंद करनी है.
मैं उस समय भी बड़ी आस से उसकी तरफ देखा लेकिन उसने कोई सिग्नल नहीं दिया, मैं सोच रहा था साला ये कैसी औरत है दिन में कैसे उछल उछल कर चुदवा रही थी और अब है के साली घास भी नहीं दाल रही है, खैर इसे तो बाद में देखूंगा
तभी श्याम बोला " चलो यार चलते है, आज ठण्ड ज्यादा है और कल रविवार है कल मिलते है है,
ऐसा कहके सब अपने अपने घरो की और निकल पड़े,
मेरा घर दुकान से सबसे ज्यादा दुरी पर था,
मेरे पड़ोस में एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी बहु के साथ रहती थी, उस औरत का बेटा भी मेरे भाई के साथ दुबई में ही रहता था तो उनका घर काफी बड़ा था और सुरक्षा के लिए उन्हें घर का एक कमरा एक आदमी (सुरेश) को किराये पे दिया था, सुरक्षा भी हो जाती और थोड़े से हाथ खर्च के लिए पैसे भी आ जाते, वो लड़का हमारे ही शहर के ही पास एक गाँव का रहना वाला था और अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई कानपूर से ख़त्म करके अभी नया नया ही हमारे शहर में रहने के लिए आया था और जॉब के लिए तैयारी
कर रहा था.
उस घर में दो औरतो के अलावा कोई नहीं था और सुरेश मेरी ही उम्र का था और थोड़ा अंतर्मुखी था लेकिन मेरी उम्र का कोई नहीं था तो इसीलिए किसी से बात नहीं करता था, मेरा हम उम्र था इसलिए मुझसे कभी कभार बात कर लेता था,
जब मैं उनके घर के सामने से गुजरा तो देखा की नेहा भाभी के कमरे की लाइट बंद थी लेकिन कुछ धीमी धीमी आवाजे आ रही थी , मैंने सोचा की शायद अपने पति से बात कर रही होंगी, मैं मेरे कमरे में चला गया और रज़ाई में घुस कर मोबाइल पर चुदाई की कहानिया पढ़ने लगा मेरी अंदर की वासना भी जाग रही थी.
क्या बताऊँ यार…
तभी एक हल्की सी चीख सुनाई दी हो न हो वो चीख नेहा भाभी ही थी, मैं हमारे घर की छत पर आया और देखा की नेहा भाभी के कमरे में कोई आदमी है
मोबाइल में चुदाई की कहानी पढ़ने और दिन में कामिनी की चुदाई से वासना भरी हुई थी और उसी क वशीभूत मैं मेरी छत से उनके घर की छत पर गया और उनके बरामदे में उतर गया,सर्दियों के मौसम में कोई बाहर तो निकलता नहीं इसलिए मुझे किसी ने भी देखा है,
नेहा भाभी 22-24 साल की एक गरम औरत थी और उसके चुचे भी 36 के तो होंगे, मैंने उनके कमरे के पास पहुँच कर दरवाजे से कान सटाया तो पता चला की ये सुरेश है, और अब उस कमरे की लाइट भी जल रही थी
सुरेश - भाभी, आज तो आप हमसे पहले ही मस्ती में आ गयी हैं?
नेहा भाभी - सुरेश तुम मेरी ही उम्र के हो और मुझे भाभी कहते हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता है, तुम मेरे दोस्त की तरह हो, तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाओगे तो मुझे अच्छा लगेगा!
सुरेश - तो ठीक है, आज से हम लोग दोस्त हैं नेहा,
वाह भाई वाह, साला सही ही कहा है किसी ने जो दिन में ज्यादा संस्कारी लगते है वो साले उतने ही चुदाई के भूखे होते है,
फिर उन् लोगों की बातें होने लगी
सुरेश - आपके मायके में कौन कौन है?
नेहा भाभी - मैं और मां और बाप
मै- आपके माँ बाप कहाँ रहते हैं और क्या करते हैं?
नेहा भाभी - वो इंजिनियर हैं
और बाहर दूसरे शहर में रहते हैं और कभी कभी 10-15 दिन में आते रहते हैं! उनकी बात छोड़ो न… सुरेश अपनी बताओ!
सुरेश ने समझ लिया कि शायद ये अपने माँ बाप से खुश नहीं है तो उसने भी ज़्यादा कुछ नहीं पूछा और
बोला- आप ही बताओ कि क्या बोलूं मैं?
तो नेहा भाभी ने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
सुरेश ने ना में जवाब देते हुए कहा- मेरी तो पहली बार आपसे ही दोस्ती हुई है और आप चाहें तो मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड समझ सकता हूँ.
इस बात पर नेहा भाभी भाभी भाभी हंस पड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया. उसके हाथ पकड़ते ही शायद सुरेश को कुछ हुआ और मौके को देखते हुए नेहा भाभी के एकदम पास चला गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया, नेहा भाभी ने उसका साथ दिया
और उसको कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया.
फिर एक दूसरे को चूमने लगे और फिर सुरेश ने उसका एक हाथ उसकी चुची पर लाकर उसे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ को मसल रहा था.
चूंकि उनके कमरे की लाइट जल रही थी इसलिए मैं सब कुछ एक खिड़की से आराम से देख सकता था, और उसी दौरान मैंने मेरा लंड भी पाजामे क ऊपर से पकड़ कर मसलने लगा था,
फिर वो उसकी साड़ी के अंदर हाथ ले गया और उसकी चड्डी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगा, भाभी की चूत के ऊपर
बाल नहीं थे, शायद उसने आज ही साफ किये होंगे.
जब सुरेश नेहा भाभी की चूत रगड़ रहा था तभी भाभी चिंहुक गई शायद सुरेश ने भाभी की चूत में ऊँगली दाल दी होगी, नेहा भाभी भी कहा पीछे रहने वाली थी उन्होंने भी सुरेश की चड्डी में हाथ डाल कर उसके लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी, जो अभी खड़ा हो गया था
सुरेश उसकी चूत में उंगली कर रहा था और वो सुरेश के लंड को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे कर रही थी, वो लोग तो जैसे एक दूसरे में खो गये थे.
तभी नेहा भाभी की सास ने आवाज़ देकर उसे बुलाया और वो जाने लगी,
उन्होंने तुरंत ही पिंक कलर का गॉउन पहन लिया था जिसमे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
थोड़ी देर बाद वो वापस आयी और आते ही उसने सुरेश को अपनी बांहों में भर लिया. सुरेश भी उसे चूमने लगा और चूमते चूमते उसके गाऊन को उतार
फेंका और उसे बेड पे लेटा दिया.
वो अंदर में पिंक कलर की ही ब्रा और चड्डी पहनी हुई थी जिसे सुरेश तुरंत निकाल दिया
उसके चुचे और चूत को देख कर मैं तो जैसे पागल ही हो गया. उसके चुचे बहुत ही कड़क थे और चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे कभी उस चूत में कभी लंड गया ही न हो,
सुरेश उस पर टूट पड़ा और एक हाथ से उसके चुचे मसल रहा था तो दूसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था.
फिर सुरेश अपना मुंह उसकी चूत के पास ले गया और उसकी चूत को जीभ से चुदाई करने लगा, वो भी चूतड़ उठा उठा कर मुख चुदाई का मज़ा ले रही थी. उसके बाद वो मेरे कपड़े खोल कर सुरेश के लंड को चूसने लगी और फिर वो लोग 69 की पोज़िशन में हो गये.
मुखचुदाई में ही उसकी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और वो भी पूरे ज़ोर से सुरेश के लंड को हिलाने लगी और बोली
नेहा भाभी - सुरेश मैंने बहुत दिन से अपनी चूत में लंड नहीं लिया है, प्लीज़ मुझे और ज़्यादा नहीं तड़पाओ, मेरी चुदाई करके मुझे अपना बना लो.
इतना कहकर उसने अपने पैरों को फैला लिया, सुरेश भी उसकी तड़प को देख कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट करके रगड़ने लगा, रगड़ने से उसकी तड़प और भी बढ़ती जा रही थी, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी.
सुरेश रगड़ते रगड़ते अपने लंड को उसकी चूत में धीरे धीरे डालना शुरू किया, लंड का टोपा अंदर जाते ही वो दर्द से कराहने लगी और बोली
नेहा भाभी - इसी तरह धीरे धीरे डालो.
और सुरेश ने भी उसका हुकुम मानते हुवे धीरे धीरे करके ही लगभग 2 मिनट में पूरी तरह लंड उसकी चूत में घुसा दिया.
वो दर्द से कराह रही थी और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, मगर उसे चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था कि वो अपने
दर्द को बर्दाश्त कर रही थी.
जब वो नॉर्मल हुई तो सुरेश धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और वो भी चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देने लगी. सुरेश तो जैसे इस खेल का माहिर खिलाडी था वो भी तेज़ी से धक्के लगते हुए जबरदस्त चुदाई कर रहा था और इस बीच वो 2 बार पानी छोड़ चुकी थी.
चुदाई करते करते सुरेश ने नेहा भाभी की चूत में ही पानी छोड़ दिया और उसके बाद उसके ऊपर ही लेट गया.
कुछ देर बाद वो उठी और फिर से लंड के साथ खेलने लगी, फिर से उसका लंड खड़ा हो गया और ईस बार उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत चुदाई
करने लगा.
वो लोग चुदाई में इतना मस्त थे कि दरवाजा बंद करना भी भूल गये थे और उन लोगों को पता भी नहीं चला कि कोई उन लोगों की चुदाई को देख भी रहा है. (मेरे अलावा) चुदाई करते करते जब सुरेश थोड़ा सा ठिठका और दरवाजे की तरफ देखने लगा तो मेरी नज़र भी दरवाजे की तरफ गयी,
तो मैंने देखा कि नेहा भाभी की सास सुमन आंटी नाइटी पहने खड़ी होकर अपनी नाइटी को कमर तक उठाकर अपनी चूत को रगड़ रही थी,
वो भी अब नेहा भाभी और सुरेश की तरफ़ आई और सुरेश का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया और उसे रगड़ने को बोली.
अभी तक नेहा भाभी भाभी को नहीं पता था कि उसकी सास भी आ गयी है,
अचानक जब नेहा भाभी भाभी की नज़र अपनी सास पे गयी तो वि बिल्कुल डर गयी और बैठ गयी.
लेकिन जब उसने देखा कि सुरेश उसकी सास के चूत में उंगली कर रहा हूँ और उसकी सास भी मज़े ले रही है तो वो नॉर्मल हो गयी.
अब नेहा भाभी भाभी की सास ने सुरेश के लंड को अपने हाथ में लिया और उसे हिलाने लगी. फिर उसे मुंह में
लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. लगभग 10-15 मिनट लंड चूसने के बाद वो बोली
सुमन आंटी - तुम लोगों की चुदाई देख कर मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है… प्लीज़ जल्दी से मेरी चूत की खुजली को मिटा दो! और नेहा भाभी से बोली- तुम डरो नहीं, मैं समझ सकती हूँ तुम्हारा प्राब्लम, तुम चिंता नहीं करो!
फिर सुरेश ने अपने लंड से नेहा भाभी भाभी की सास की जबरदस्त चुदाई की.
तब तक मेरा भी पानी निकल गया और मैं भी छत के रस्ते वापस अपने कमरे में आ गया और ये सोचने लगा कि ये सब कब से चल रहा होगा
शायद सुमन आंटी ने आज पहली बार ही उसमे हिस्सा लिया होगा, सुमन आंटी के पति के बारे में मुझे कुछ खास पता नहीं है ज़िंदा है या मर गया या कुछ और, इन सवालो के जवाब आगे आने वाले भागो में मिल ही जायेंगे
ये सब सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला,