24-09-2024, 11:24 AM
"क्या मतलब?" वे चौंक उठीं। अभी भी मेरा लंड उनकी चूत में ही था और उनकी रसीली गांड़ के बारे में बातें हो रही थीं जिसके कारण मेरी उत्तेजना बढ़ गई थी और मेरा लंड और सख्त होता जा रहा था। इसे तुम्हारी मां अवश्य महसूस कर रही थी होगी।
"आपकी गांड़।" मैं खुल कर बोला।
"हट हरामी। गधे कहीं के। भगवान जाने पता नहीं कहां से इतना बड़ा जुगाड़ पाया है जिससे मेरी 'इसकी' कचूमर निकाल कर ताकरीबन फाड़ ही दिया और अब पीछे वाले की दुर्गति की सोच रहे हो। नहीं नहीं, आगे से तो झेल गई अब पीछे से मुझसे नहीं होगा।" वे छटपटा कर मेरे बंधन से मुक्त होने की कोशिश करने लगी।
"आपने वादा किया है।" मैं जिद करने लगा।
"मुझ पर रहम करो शैतान। अभी भी मेरे अंदर तुम्हारा जुगाड़ घुसा हुआ है जो पहले से भी कहीं ज्यादा बड़ा हो गया है, यह मैं अच्छी तरह से महसूस कर रही हूं। मेरी 'इस' की बुरी गति करके भी तुम्हारा मन नहीं भरा क्या जो अब मेरी गुदा का बंटाधार करने की सोच रहे है?" उसकी बातें सुनकर कर मन ही मन हंस रहा था।
"आप जो सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं होने वाला है। मैं पीछे से भी उतना ही मज़ा दूंगा जितना आगे से दिया है। थोड़ा हिम्मत तो कीजिए।" मैं फुसलाने लगा।
"मैं वचन देकर बंध गयी हूं इसलिए साफ तौर पर मना नहीं कर सकती लेकिन मुझे अच्छी तरह से पता है कि तुम्हारी इच्छा पूरी करके मेरी क्या हालत होने वाली है। सबकुछ तेरी दया पर निर्भर है। चाहो तो मेरी पिछले हिस्से की भी दुर्गति कर लो या इस वचन से मुक्त करके राहत दो।" वे बेचारगी से बोलीं। मुझे उसकी मनोदशा पर तरस आ रहा था लेकिन मेरी इच्छा ज्यादा बलवती थी। मैं नहीं माना।
"मैं आश्वस्त करता हूं कि आपको ज्यादा तकलीफ़ नहीं दूंगा। अब चलिए चौपाया बन कर अपना पिछाड़ा दे दीजिए।" कहकर उसके उत्तर की प्रतीक्षा किए बगैर उसे पलटने लगा।
"आराम से करना हरामी। सामने से लेने में ही कितनी तकलीफ़ हुई इसका अंदाजा है तुम्हें? तुम्हें तो सिर्फ चोदने से मतलब है गधे के बच्चे।" वे पलटते हुए भयभीत स्वर में बोली। इतने सामने से इतनी मस्त गांड़ को देखते ही मेरा लौड़ा और ज्यादा फनफना उठा था। साला घुसा तेरी मां की गांड़ भी निश्चित तौर पर चोदने से पीछे नहीं रहा होगा। मुझे खीझ होने लगी कि इतने दिनों तक मेरी अक्ल कहां घास चरने गयी थी। खैर अब तो मिल ही रही है, अब मजे से तेरी मां की गांड़ का आनंद लूंगा।
"आराम से ही करूंगा। मुझे पता है कैसे क्या करना है। जहां तक तकलीफ की बात है तो मैं बता दूं कि शुरुआत में हर काम में तकलीफ़ होती ही है। सच बताईए, शुरुआत की तकलीफ के बाद मजा आया कि नहीं?" कहकर मैं उनकी गांड़ को चूमना शुरू कर दिया। चूमते चूमते मैं उनकी चिकनी गांड़ को चाटने लगा। ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मन तो हो रहा था कि दांत गड़ा दूं लेकिन कहीं वे बिदक न जाएं इस डर से खुद पर किसी तरह काबू में रखा था। मेरा चूमना और चाटना तुम्हारी मां को भी अच्छा लगने लगा।
"आआआआआआह गंदे आदमी, छी छी, यह भी कोई चाटने की जगह है?" वे बोलीं। उनकी आवाज में आनंद का भी पुट था।
"अब मैं कैसे बताऊं कि आपकी इतनी सुन्दर मक्खन जैसी गांड़ को चूमना चाटना कितना उत्तेजक है। आप बस देखती जाईए यह ड्राईवर आपको आनंद ही देगा। मेरी ड्राईविंग में जैसे आज तक कोई शिकवा शिकायत नहीं हुई है वैसे ही अभी भी शिकायत का मौका नहीं देने वाला हूं।" कहकर उनकी गांड़ को चाटते चाटते बीच बीच में उनकी चूत पर भी जीभ फिरा रहा था।
"छि गंदे। तुम आदमी नहीं, बिल्कुल कुत्ते हो, कुत्ते।" वे आनंदित तो हो रही थी लेकिन घृणा भी जाहिर कर रही थीं।
"कुत्ता हूं तभी तो आपको अपनी कुतिया बना कर चोदने की इच्छा जाहिर किया था।" उनकी गांड़ और चूत को अच्छी तरह से चाट कर गरम करने के बाद अपने लंड पर थूक लगाया और कुत्ते की तरह चढ़ कर उनकी गांड़ की छेद पर लंड टिका दिया। बस दबाव देकर घुसाने की देर थी। तुम्हारी मां सांस रोके उस पल का इंतजार कर रही थी। मैं पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और साथ ही साथ अपने लंड पर दबाव देने लगा। मेरा लंड उनकी गांड़ का दरवाजा खोलने लगा। धीरे धीरे उनकी गांड़ खुलने लगी और थूक से लिथड़ा मेरे लंड का सुपाड़ा फुच्च से अंदर घुस गया।
"आआआआआआह दर्द हो रहा है।" वे कराहते हुए बोलीं।
"अब दर्द नहीं होगा " कहकर मैं अपने लंड पर दबाव बढ़ाता चला गया। मैं जानता था कि अब रुक जाऊंगा तो फिर दुबारा घुसाने इतनी आसानी से नहीं देगी, इसलिए रुका नहीं, उस टाईट छेद मे जबरदस्ती घुसाता चला गया।
"आआआआआआह ओओओओओहहहहह, मर गई रे हरामी कुत्ते, रुक रुक, निकाल निकाल, ओह मेरी फट रही है....." वे चीखती रहीं और मैं उनकी कमर पकड़ कर पूरा जोर लगा दिया। नतीजा जैसा मैं सोचा वैसा ही हुआ। पूरा का पूरा लंड सरसरा कर घुसता चला गया। पूरा लंड जड़ तक पेलकर मैं रुक गया। मैंने किला फतह कर लिया था। तुम्हारी मम्मी पसीने से नहा गई थी लेकिन बर्दाश्त करने में सक्षम थी। अब समझ में आ गया कि यह सब घुसा की मेहनत का फल था। जो थोड़ी तकलीफ़ उन्हें हो रही थी वह शायद इसीलिए था कि मेरा लंड घुसा की अपेक्षा थोड़ी बड़ी महसूस हो रही थी। खैर घुसा से जो थोड़ी कसर बाकी थी उसे मैं पूरा करने वाला था इसके बाद तो बस हमारी गाड़ी मजे में चलने वाली थी।
"आपकी गांड़।" मैं खुल कर बोला।
"हट हरामी। गधे कहीं के। भगवान जाने पता नहीं कहां से इतना बड़ा जुगाड़ पाया है जिससे मेरी 'इसकी' कचूमर निकाल कर ताकरीबन फाड़ ही दिया और अब पीछे वाले की दुर्गति की सोच रहे हो। नहीं नहीं, आगे से तो झेल गई अब पीछे से मुझसे नहीं होगा।" वे छटपटा कर मेरे बंधन से मुक्त होने की कोशिश करने लगी।
"आपने वादा किया है।" मैं जिद करने लगा।
"मुझ पर रहम करो शैतान। अभी भी मेरे अंदर तुम्हारा जुगाड़ घुसा हुआ है जो पहले से भी कहीं ज्यादा बड़ा हो गया है, यह मैं अच्छी तरह से महसूस कर रही हूं। मेरी 'इस' की बुरी गति करके भी तुम्हारा मन नहीं भरा क्या जो अब मेरी गुदा का बंटाधार करने की सोच रहे है?" उसकी बातें सुनकर कर मन ही मन हंस रहा था।
"आप जो सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं होने वाला है। मैं पीछे से भी उतना ही मज़ा दूंगा जितना आगे से दिया है। थोड़ा हिम्मत तो कीजिए।" मैं फुसलाने लगा।
"मैं वचन देकर बंध गयी हूं इसलिए साफ तौर पर मना नहीं कर सकती लेकिन मुझे अच्छी तरह से पता है कि तुम्हारी इच्छा पूरी करके मेरी क्या हालत होने वाली है। सबकुछ तेरी दया पर निर्भर है। चाहो तो मेरी पिछले हिस्से की भी दुर्गति कर लो या इस वचन से मुक्त करके राहत दो।" वे बेचारगी से बोलीं। मुझे उसकी मनोदशा पर तरस आ रहा था लेकिन मेरी इच्छा ज्यादा बलवती थी। मैं नहीं माना।
"मैं आश्वस्त करता हूं कि आपको ज्यादा तकलीफ़ नहीं दूंगा। अब चलिए चौपाया बन कर अपना पिछाड़ा दे दीजिए।" कहकर उसके उत्तर की प्रतीक्षा किए बगैर उसे पलटने लगा।
"आराम से करना हरामी। सामने से लेने में ही कितनी तकलीफ़ हुई इसका अंदाजा है तुम्हें? तुम्हें तो सिर्फ चोदने से मतलब है गधे के बच्चे।" वे पलटते हुए भयभीत स्वर में बोली। इतने सामने से इतनी मस्त गांड़ को देखते ही मेरा लौड़ा और ज्यादा फनफना उठा था। साला घुसा तेरी मां की गांड़ भी निश्चित तौर पर चोदने से पीछे नहीं रहा होगा। मुझे खीझ होने लगी कि इतने दिनों तक मेरी अक्ल कहां घास चरने गयी थी। खैर अब तो मिल ही रही है, अब मजे से तेरी मां की गांड़ का आनंद लूंगा।
"आराम से ही करूंगा। मुझे पता है कैसे क्या करना है। जहां तक तकलीफ की बात है तो मैं बता दूं कि शुरुआत में हर काम में तकलीफ़ होती ही है। सच बताईए, शुरुआत की तकलीफ के बाद मजा आया कि नहीं?" कहकर मैं उनकी गांड़ को चूमना शुरू कर दिया। चूमते चूमते मैं उनकी चिकनी गांड़ को चाटने लगा। ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मन तो हो रहा था कि दांत गड़ा दूं लेकिन कहीं वे बिदक न जाएं इस डर से खुद पर किसी तरह काबू में रखा था। मेरा चूमना और चाटना तुम्हारी मां को भी अच्छा लगने लगा।
"आआआआआआह गंदे आदमी, छी छी, यह भी कोई चाटने की जगह है?" वे बोलीं। उनकी आवाज में आनंद का भी पुट था।
"अब मैं कैसे बताऊं कि आपकी इतनी सुन्दर मक्खन जैसी गांड़ को चूमना चाटना कितना उत्तेजक है। आप बस देखती जाईए यह ड्राईवर आपको आनंद ही देगा। मेरी ड्राईविंग में जैसे आज तक कोई शिकवा शिकायत नहीं हुई है वैसे ही अभी भी शिकायत का मौका नहीं देने वाला हूं।" कहकर उनकी गांड़ को चाटते चाटते बीच बीच में उनकी चूत पर भी जीभ फिरा रहा था।
"छि गंदे। तुम आदमी नहीं, बिल्कुल कुत्ते हो, कुत्ते।" वे आनंदित तो हो रही थी लेकिन घृणा भी जाहिर कर रही थीं।
"कुत्ता हूं तभी तो आपको अपनी कुतिया बना कर चोदने की इच्छा जाहिर किया था।" उनकी गांड़ और चूत को अच्छी तरह से चाट कर गरम करने के बाद अपने लंड पर थूक लगाया और कुत्ते की तरह चढ़ कर उनकी गांड़ की छेद पर लंड टिका दिया। बस दबाव देकर घुसाने की देर थी। तुम्हारी मां सांस रोके उस पल का इंतजार कर रही थी। मैं पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और साथ ही साथ अपने लंड पर दबाव देने लगा। मेरा लंड उनकी गांड़ का दरवाजा खोलने लगा। धीरे धीरे उनकी गांड़ खुलने लगी और थूक से लिथड़ा मेरे लंड का सुपाड़ा फुच्च से अंदर घुस गया।
"आआआआआआह दर्द हो रहा है।" वे कराहते हुए बोलीं।
"अब दर्द नहीं होगा " कहकर मैं अपने लंड पर दबाव बढ़ाता चला गया। मैं जानता था कि अब रुक जाऊंगा तो फिर दुबारा घुसाने इतनी आसानी से नहीं देगी, इसलिए रुका नहीं, उस टाईट छेद मे जबरदस्ती घुसाता चला गया।
"आआआआआआह ओओओओओहहहहह, मर गई रे हरामी कुत्ते, रुक रुक, निकाल निकाल, ओह मेरी फट रही है....." वे चीखती रहीं और मैं उनकी कमर पकड़ कर पूरा जोर लगा दिया। नतीजा जैसा मैं सोचा वैसा ही हुआ। पूरा का पूरा लंड सरसरा कर घुसता चला गया। पूरा लंड जड़ तक पेलकर मैं रुक गया। मैंने किला फतह कर लिया था। तुम्हारी मम्मी पसीने से नहा गई थी लेकिन बर्दाश्त करने में सक्षम थी। अब समझ में आ गया कि यह सब घुसा की मेहनत का फल था। जो थोड़ी तकलीफ़ उन्हें हो रही थी वह शायद इसीलिए था कि मेरा लंड घुसा की अपेक्षा थोड़ी बड़ी महसूस हो रही थी। खैर घुसा से जो थोड़ी कसर बाकी थी उसे मैं पूरा करने वाला था इसके बाद तो बस हमारी गाड़ी मजे में चलने वाली थी।