19-09-2024, 09:33 AM
"नहीं नहीं अब ऐसे बीच मझधार में तुम मुझे कैसे छोड़ सकते हो।" वे तड़प कर बोल उठीं।
"तो आप तैयार हैं ना?"
"अब तैयार और न तैयार का कोई मतलब है क्या? अब तो जो करना है जल्दी करो। लेकिन एक बार मुझे अपना दिखा तो दो।" वे बोलीं।
"जरूर जरूर, जरूर देखिए।" कहकर मैंने अपना लंड उनकी आंखों के सामने ले आया।
"बाआआआआप रेएएएएए बाआआआआप इत्तनाआआआ बड़ाआआआआआआ....." वे भौंचक्की रह गयीं।
"जी हां बड़ा तो है लेकिन इतना भी बड़ा नहीं है कि आप नहीं ले सकें। लगे हाथों मैं बता दूं कि आपकी चूत की साईज और गहराई का अंदाजा मुझे अच्छी तरह से हो गया है। मुझे तो लगता है आपकी चूत की गहराई का पूरी तरह इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। अपने अंदर के डर के हटा कर आज आपकी चूत की गहराई का पूरा इस्तेमाल करके देखिए, मेरा दावा है कि आपको पूरा मजा मिलेगा। अगर ऐसा न हुआ तो मेरे साथ जो मर्जी आप कर सकती हैं।" मैं उन्हें आश्वस्त करने लगा।
"नहीं नहीं मुझे डर लग रहा है।" वे अपना भय प्रकट करते हुए बोलीं। अब मुझे गुस्सा आने लगा। इधर मेरे बदन में आग लगी हुई थी और चोदने के लिए मरा जा रहा था लेकिन साली हरामजादी तुम्हारी मां अब भी ना नुकुर करने से बाज नहीं आ रही थीं। मना किए जा रही थी।
"चुप। एकदम चुप। साला यहां मेरा लौड़ा चोदने के लिए फटा जा रहा है और मां की लौड़ी साली नखरे किए जा रही है। राजी खुशी मानना लगता है आप औरतें जानती ही नहीं हैं। नहीं चाहती हैं तो छोड़िए चलिए, नहीं चोदता।" मैं नाराजगी जाहिर करते हुए बोला।
"मैं मना कहां कर रही हूं। मैं तो सिर्फ अपना भय प्रकट कर रही हूं।" तुम्हारी मां झट से बोल पड़ी। शायद उन्हें लगा कि मेरी नाराज़गी के कारण इस मुकाम पर पहुंच कर चुदाई कार्यक्रम ठप्प न हो जाए। मेरी धमकी काम कर गयी। अब मैं बड़े आराम से उनकी जांघों को फैला कर उनके ऊपर आ गया अपना लंड फिर से उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा। मैं जानता था कि इस तरह कुछ देर रगड़ने से वे फिर से उत्तेजित हो कर खुद ही लंड लेने के लिए तैयार हो जाएंगी। इधर मैं उनकी चूत पर लंड रगड़ रहा था और उधर उनकी चूचियों को मसलते हुए उन्हें चूमता जा रहा था। इन सबका परिणाम बहुत जल्द सामने आ गया। तुम्हारी मम्मी की कमर खुद ब खुद जुंबिश लेने लगी। बस और क्या था, मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुंह पर सेट किया और जैसे ही उनकी कमर ऊपर की ओर उछली, मैंने भच्च से अपना लंड पेल दिया।
"उई मांआंआंआंआंआं.......मर गई रे बाआआआआप ओओओओओहहहहह......" वे चीख पड़ी। दरअसल मैंने एक ही धक्के में अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया था। मैं ने जब तेरी गांड़ मारने के बाद घुसा का लंड देखा था तभी मुझे अहसास हो गया था कि उसका लंड भी कम दमदार नहीं है और उस लंड से भी चुद चुकी तुम्हारी मां का चीखना मुझे अचरज में डाल रहा था। निश्चित तौर पर मेरा लंड उसकी तुलना में कहीं ज्यादा लंबा और मोटा होगा तभी तो तुम्हारी मां की हालत बुरी हो रही थी। करीब चार पांच इंच तो जरूर अंदर घुस गया था शायद। मेरा लंड उसकी चूत की संकीर्ण गुफा को चीरता हुआ (चीरता हुआ इसलिए कह रहा हूं क्योंकि शायद मेरे लंड की मोटाई उनकी चूत की गुफा की तुलना में कुछ ज्यादा ही था, इसका अंदाजा मुझे इसलिए हुआ क्योंकि उसकी चूत मेरे लंड पर कस गई थी) प्रविष्ट हुआ था। तुम्हारी मम्मी दर्द से छटपटा रही थी लेकिन मुझे तो मेरी मंजिल मिल गई थी, बस एक धक्का और, फिर मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में समा जाना था। मैं ने उन्हें कस कर थामा और एक और करारा धक्का लगा दिया और लो, हो गया किला फतह।
"आआआआआआह मर गई हरामी कमीने कुत्ते, निकाल निकाल ओओओओओहहहहह..... " वे और जोर से चीख पड़ी। उनकी दर्दनाक चीख उस खंडहर में गूंज उठी। वे तड़प रही थी लेकिन मैं उसे उसी अवस्था में दबोच कर स्थिर हो गया था।
"चुप चुप चुप..... " मैं बोलने लगा।
"नहीं नहीं आआआआआआह कैसे चुप रहूं हरामजादे, निकाल निकाल अपना ओह" वे लगातार चीखी जा रही थीं।
"निकाल लूं।" मैं बोला।
"हां।" वे बोलीं।
"ठीक है।" कहकर मैंने अपना लंड बाहर खींच लिया। अचानक ऐसा होने से उन्हें पीड़ा से थोड़ी राहत तो जरूर मिली थी लेकिन चुदाई की चाहत उन पर हावी हो चुकी थी जिसके कारण वे मुझे अभी भी जकड़े हुए थीं। इस तरह आधी अधूरी चुदाई कितनी पीड़ा दायक होती है यह वही बता सकता है जिसके बदन में चुदाई की आग भकभका कर भड़क रही हो। यह ऐसा अहसास है जैसे प्यास के मारे गला सूखने वाले के सामने से पानी का ग्लास हटा लिया जाए। हां पानी थोड़ा कड़वा था लेकिन प्यासे को पानी के उस थोड़े कड़वापन की परवाह क्यों होती।
"नहीं नहीं इस तरह आधे अधूरे मत छोड़ो प्लीज़।" तुम्हारी मम्मी तड़प कर बोलीं। वे मुझे जोर से पकड़ रखी थीं।
"तो आप तैयार हैं ना?"
"अब तैयार और न तैयार का कोई मतलब है क्या? अब तो जो करना है जल्दी करो। लेकिन एक बार मुझे अपना दिखा तो दो।" वे बोलीं।
"जरूर जरूर, जरूर देखिए।" कहकर मैंने अपना लंड उनकी आंखों के सामने ले आया।
"बाआआआआप रेएएएएए बाआआआआप इत्तनाआआआ बड़ाआआआआआआ....." वे भौंचक्की रह गयीं।
"जी हां बड़ा तो है लेकिन इतना भी बड़ा नहीं है कि आप नहीं ले सकें। लगे हाथों मैं बता दूं कि आपकी चूत की साईज और गहराई का अंदाजा मुझे अच्छी तरह से हो गया है। मुझे तो लगता है आपकी चूत की गहराई का पूरी तरह इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। अपने अंदर के डर के हटा कर आज आपकी चूत की गहराई का पूरा इस्तेमाल करके देखिए, मेरा दावा है कि आपको पूरा मजा मिलेगा। अगर ऐसा न हुआ तो मेरे साथ जो मर्जी आप कर सकती हैं।" मैं उन्हें आश्वस्त करने लगा।
"नहीं नहीं मुझे डर लग रहा है।" वे अपना भय प्रकट करते हुए बोलीं। अब मुझे गुस्सा आने लगा। इधर मेरे बदन में आग लगी हुई थी और चोदने के लिए मरा जा रहा था लेकिन साली हरामजादी तुम्हारी मां अब भी ना नुकुर करने से बाज नहीं आ रही थीं। मना किए जा रही थी।
"चुप। एकदम चुप। साला यहां मेरा लौड़ा चोदने के लिए फटा जा रहा है और मां की लौड़ी साली नखरे किए जा रही है। राजी खुशी मानना लगता है आप औरतें जानती ही नहीं हैं। नहीं चाहती हैं तो छोड़िए चलिए, नहीं चोदता।" मैं नाराजगी जाहिर करते हुए बोला।
"मैं मना कहां कर रही हूं। मैं तो सिर्फ अपना भय प्रकट कर रही हूं।" तुम्हारी मां झट से बोल पड़ी। शायद उन्हें लगा कि मेरी नाराज़गी के कारण इस मुकाम पर पहुंच कर चुदाई कार्यक्रम ठप्प न हो जाए। मेरी धमकी काम कर गयी। अब मैं बड़े आराम से उनकी जांघों को फैला कर उनके ऊपर आ गया अपना लंड फिर से उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा। मैं जानता था कि इस तरह कुछ देर रगड़ने से वे फिर से उत्तेजित हो कर खुद ही लंड लेने के लिए तैयार हो जाएंगी। इधर मैं उनकी चूत पर लंड रगड़ रहा था और उधर उनकी चूचियों को मसलते हुए उन्हें चूमता जा रहा था। इन सबका परिणाम बहुत जल्द सामने आ गया। तुम्हारी मम्मी की कमर खुद ब खुद जुंबिश लेने लगी। बस और क्या था, मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुंह पर सेट किया और जैसे ही उनकी कमर ऊपर की ओर उछली, मैंने भच्च से अपना लंड पेल दिया।
"उई मांआंआंआंआंआं.......मर गई रे बाआआआआप ओओओओओहहहहह......" वे चीख पड़ी। दरअसल मैंने एक ही धक्के में अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया था। मैं ने जब तेरी गांड़ मारने के बाद घुसा का लंड देखा था तभी मुझे अहसास हो गया था कि उसका लंड भी कम दमदार नहीं है और उस लंड से भी चुद चुकी तुम्हारी मां का चीखना मुझे अचरज में डाल रहा था। निश्चित तौर पर मेरा लंड उसकी तुलना में कहीं ज्यादा लंबा और मोटा होगा तभी तो तुम्हारी मां की हालत बुरी हो रही थी। करीब चार पांच इंच तो जरूर अंदर घुस गया था शायद। मेरा लंड उसकी चूत की संकीर्ण गुफा को चीरता हुआ (चीरता हुआ इसलिए कह रहा हूं क्योंकि शायद मेरे लंड की मोटाई उनकी चूत की गुफा की तुलना में कुछ ज्यादा ही था, इसका अंदाजा मुझे इसलिए हुआ क्योंकि उसकी चूत मेरे लंड पर कस गई थी) प्रविष्ट हुआ था। तुम्हारी मम्मी दर्द से छटपटा रही थी लेकिन मुझे तो मेरी मंजिल मिल गई थी, बस एक धक्का और, फिर मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में समा जाना था। मैं ने उन्हें कस कर थामा और एक और करारा धक्का लगा दिया और लो, हो गया किला फतह।
"आआआआआआह मर गई हरामी कमीने कुत्ते, निकाल निकाल ओओओओओहहहहह..... " वे और जोर से चीख पड़ी। उनकी दर्दनाक चीख उस खंडहर में गूंज उठी। वे तड़प रही थी लेकिन मैं उसे उसी अवस्था में दबोच कर स्थिर हो गया था।
"चुप चुप चुप..... " मैं बोलने लगा।
"नहीं नहीं आआआआआआह कैसे चुप रहूं हरामजादे, निकाल निकाल अपना ओह" वे लगातार चीखी जा रही थीं।
"निकाल लूं।" मैं बोला।
"हां।" वे बोलीं।
"ठीक है।" कहकर मैंने अपना लंड बाहर खींच लिया। अचानक ऐसा होने से उन्हें पीड़ा से थोड़ी राहत तो जरूर मिली थी लेकिन चुदाई की चाहत उन पर हावी हो चुकी थी जिसके कारण वे मुझे अभी भी जकड़े हुए थीं। इस तरह आधी अधूरी चुदाई कितनी पीड़ा दायक होती है यह वही बता सकता है जिसके बदन में चुदाई की आग भकभका कर भड़क रही हो। यह ऐसा अहसास है जैसे प्यास के मारे गला सूखने वाले के सामने से पानी का ग्लास हटा लिया जाए। हां पानी थोड़ा कड़वा था लेकिन प्यासे को पानी के उस थोड़े कड़वापन की परवाह क्यों होती।
"नहीं नहीं इस तरह आधे अधूरे मत छोड़ो प्लीज़।" तुम्हारी मम्मी तड़प कर बोलीं। वे मुझे जोर से पकड़ रखी थीं।