18-09-2024, 11:30 AM
(This post was last modified: 18-09-2024, 11:31 AM by kk007007. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
F.I.R
जैसे ही कुछ दिन और बीत गए, एक सुबह श्रीनु गंगा के साथ रसोई में नाश्ता बनाने में मदद कर रहा था, तभी उसका फ़ोन बजा। अचानक आई इस कॉल से हैरान, उसने अपने हाथ तौलिए से पोंछे और फ़ोन उठाया।
श्रीनु: "हैलो?"
सिक्युरिटी कांस्टेबल: "गुड मॉर्निंग, श्रीनु जी। मैं स्थानीय सिक्युरिटी स्टेशन से कांस्टेबल शर्मा बोल रहा हूं। कुछ हफ्ते पहले आप पर हुए हमले के मामले में बात करनी थी।"
श्रीनु: "जी, कांस्टेबल शर्मा। कैसे मदद कर सकता हूं?"
कांस्टेबल शर्मा: "हमारी जांच में कुछ प्रगति हुई है, और मैं आपको सूचित करना चाहता था कि हमें आपकी बाइक मिल गई है।"
श्रीनु: (हैरान) "सच में? ये तो बहुत अच्छी खबर है! क्या बाइक ठीक है?"
कांस्टेबल शर्मा: "जी हां, आपकी बाइक थिएटर के पार्किंग में मिली है जहां आप पर हमला हुआ था। बाइक पूरी तरह से ठीक हालत में है।"
श्रीनु: (राहत की सांस लेते हुए) "बहुत-बहुत धन्यवाद, कांस्टेबल शर्मा। आपकी कोशिशों के लिए मैं आभारी हूं।"
कांस्टेबल शर्मा: "आपका स्वागत है, सर। हमें आपके बयान की आवश्यकता होगी, और बाइक लेने के लिए आपको स्टेशन आना होगा। क्या आप आज किसी समय आ सकते हैं?"
श्रीनु: "जी हां, मैं जल्द ही आता हूं।"
कांस्टेबल शर्मा: "बहुत अच्छा, हम आपका इंतजार करेंगे। ध्यान रखें।"
श्रीनु: "धन्यवाद, कांस्टेबल शर्मा। अलविदा।"
फ़ोन रखने के बाद, श्रीनु गंगा के साथ यह खुशखबरी साझा करने के लिए उत्साहित था।
श्रीनु: "गंगा, सुनो तो! अभी सिक्युरिटी का फोन था। उन्हें मेरी बाइक मिल गई है!"
गंगा: (उत्साहित) "सच में? यह तो बहुत अच्छी खबर है! क्या बाइक ठीक है?"
श्रीनु: "हां, उन्होंने कहा कि बाइक थिएटर के पार्किंग में मिली और पूरी तरह ठीक है।"
गंगा: (राहत महसूस करते हुए) "ओह, यह तो बहुत बड़ी राहत है! मैं बहुत खुश हूं कि बाइक सुरक्षित मिल गई।"
श्रीनु: "हां, मुझे स्टेशन जाकर बयान देना है और बाइक लेनी है। तुम भी चलोगी?"
गंगा: (चूल्हे पर बर्तन हिलाते हुए) "काश मैं जा सकती, लेकिन मेरे पास यहां काफी काम है। तुम अकेले संभाल लोगे, है ना?"
श्रीनु: (मुस्कुराते हुए) "हां, मैं संभाल लूंगा। लेकिन तुम्हारा साथ जरूर याद आएगा।"
गंगा: (मुस्कान के साथ उसकी ओर मुड़ते हुए) "चिंता मत करो, मैं यहां तुम्हारे वापस आने का इंतजार करूंगी। हम साथ में बाइक वापस मिलने का जश्न मनाएंगे।"
श्रीनु: (सिर हिलाते हुए) "यही तय रहा। मैं जल्द ही लौटूंगा।"
गंगा को रसोई में छोड़ते हुए, श्रीनु सिक्युरिटी स्टेशन के लिए निकल पड़ा। उसकी मन में उत्साह और कुछ सवाल थे जिनका जवाब उसे अब सिक्युरिटी से मिलने पर ही मिल सकता था।
बस में बैठकर सिक्युरिटी स्टेशन की तरफ जाते समय, श्रीनु का मन फिर से पिछले कुछ हफ्तों की घटनाओं की ओर चला गया। वह रास्ते में उस थिएटर और अधूरी इमारत को देख रहा था, जहां हमला हुआ था। उसे उस भयावह रात की यादें फिर से ताजा हो गईं।
जब बस उस निर्माणाधीन इमारत के पास से गुजरी, तो वह वहां एक नजर डालने से खुद को रोक नहीं सका। वह इमारत चुपचाप खड़ी थी, जैसे उस रात की सारी रहस्य अपने अंदर छिपाए हुए हो।
सिक्युरिटी स्टेशन पहुंचकर, उसने अपने भीतर एक दृढ़ निश्चय महसूस किया। स्टेशन का माहौल गंभीर था, लेकिन उसमें एक उद्देश्य की भावना भी थी—न्याय पाने का। एक कांस्टेबल ने उसे देखा और विनम्रता से पूछा कि वह कैसे मदद कर सकता है। श्रीनु ने पूरी घटना और बाइक के बारे में बताया। कांस्टेबल उसे उस अधिकारी के पास ले गया जो उसके मामले को देख रहा था।
अधिकारी: "आह, श्रीनु जी, कृपया बैठिए। मुझे लगता है कि आप हाल ही में हुए घटनाक्रम के बारे में जानने के लिए यहां आए हैं?"
श्रीनु: "जी हां, मुझे आपकी कॉल मिली थी। क्या मामले में कुछ प्रगति हुई है?"
अधिकारी: "जी, हमने आपकी बाइक बरामद कर ली है और वह सही हालत में है। परंतु हमले की जांच अभी भी जारी है। हम सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और लीड्स का पीछा कर रहे हैं।"
श्रीनु: "समझ गया। क्या आप जावेद और चाचा को ढूंढ पाए हैं?"
अधिकारी: "अभी तक नहीं, लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही कोई बड़ी सफलता मिलेगी।"
श्रीनु: "धन्यवाद, अधिकारी। कृपया मुझे बताएं कि अगर मैं किसी तरह से मदद कर सकता हूं।"
अधिकारी: "ज़रूर, श्रीनु जी। फिलहाल, मैं आपसे घटना के बारे में औपचारिक बयान लेना चाहूंगा। इससे हमारी जांच में मदद मिलेगी।"
श्रीनु ने सिर हिलाया और अधिकारी को अपनी ओर ध्यान से सुनते हुए देखा। अधिकारी ने उसके सामने एक फ़ाइल रखी, जिस पर "एफ.आई.आर." लिखा हुआ था।
अधिकारी: "यह उस घटना की एफ.आई.आर. की प्रति है। इसमें आपकी दी गई जानकारी और प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष हैं। इसे ध्यान से देखिए और बताइए कि अगर आपको कुछ और जोड़ना हो।"
श्रीनु ने फ़ाइल ली, उसके दिल में कृतज्ञता और चिंता दोनों की भावना थी। यह दस्तावेज़ उस रात के रहस्यों को खोलने की कुंजी थी। फिर अधिकारी ने एक दराज से उसकी बाइक की चाबी निकाली।
अधिकारी: "और ये आपकी बाइक की चाबी है। हमें यह आपकी बाइक के साथ थिएटर पार्किंग में मिली थी।"
श्रीनु: "धन्यवाद, अधिकारी। मैं इसे ध्यान से पढ़कर देखूंगा।"
जब वह सिक्युरिटी स्टेशन से बाहर निकला, तो दोपहर की धूप उसकी आँखों पर पड़ रही थी। उसने बाइक चालू की, और इंजन की आवाज़ ने उसे उस रात से उबरने की एक नयी शक्ति दी।
श्रीनु: "हैलो?"
सिक्युरिटी कांस्टेबल: "गुड मॉर्निंग, श्रीनु जी। मैं स्थानीय सिक्युरिटी स्टेशन से कांस्टेबल शर्मा बोल रहा हूं। कुछ हफ्ते पहले आप पर हुए हमले के मामले में बात करनी थी।"
श्रीनु: "जी, कांस्टेबल शर्मा। कैसे मदद कर सकता हूं?"
कांस्टेबल शर्मा: "हमारी जांच में कुछ प्रगति हुई है, और मैं आपको सूचित करना चाहता था कि हमें आपकी बाइक मिल गई है।"
श्रीनु: (हैरान) "सच में? ये तो बहुत अच्छी खबर है! क्या बाइक ठीक है?"
कांस्टेबल शर्मा: "जी हां, आपकी बाइक थिएटर के पार्किंग में मिली है जहां आप पर हमला हुआ था। बाइक पूरी तरह से ठीक हालत में है।"
श्रीनु: (राहत की सांस लेते हुए) "बहुत-बहुत धन्यवाद, कांस्टेबल शर्मा। आपकी कोशिशों के लिए मैं आभारी हूं।"
कांस्टेबल शर्मा: "आपका स्वागत है, सर। हमें आपके बयान की आवश्यकता होगी, और बाइक लेने के लिए आपको स्टेशन आना होगा। क्या आप आज किसी समय आ सकते हैं?"
श्रीनु: "जी हां, मैं जल्द ही आता हूं।"
कांस्टेबल शर्मा: "बहुत अच्छा, हम आपका इंतजार करेंगे। ध्यान रखें।"
श्रीनु: "धन्यवाद, कांस्टेबल शर्मा। अलविदा।"
फ़ोन रखने के बाद, श्रीनु गंगा के साथ यह खुशखबरी साझा करने के लिए उत्साहित था।
श्रीनु: "गंगा, सुनो तो! अभी सिक्युरिटी का फोन था। उन्हें मेरी बाइक मिल गई है!"
गंगा: (उत्साहित) "सच में? यह तो बहुत अच्छी खबर है! क्या बाइक ठीक है?"
श्रीनु: "हां, उन्होंने कहा कि बाइक थिएटर के पार्किंग में मिली और पूरी तरह ठीक है।"
गंगा: (राहत महसूस करते हुए) "ओह, यह तो बहुत बड़ी राहत है! मैं बहुत खुश हूं कि बाइक सुरक्षित मिल गई।"
श्रीनु: "हां, मुझे स्टेशन जाकर बयान देना है और बाइक लेनी है। तुम भी चलोगी?"
गंगा: (चूल्हे पर बर्तन हिलाते हुए) "काश मैं जा सकती, लेकिन मेरे पास यहां काफी काम है। तुम अकेले संभाल लोगे, है ना?"
श्रीनु: (मुस्कुराते हुए) "हां, मैं संभाल लूंगा। लेकिन तुम्हारा साथ जरूर याद आएगा।"
गंगा: (मुस्कान के साथ उसकी ओर मुड़ते हुए) "चिंता मत करो, मैं यहां तुम्हारे वापस आने का इंतजार करूंगी। हम साथ में बाइक वापस मिलने का जश्न मनाएंगे।"
श्रीनु: (सिर हिलाते हुए) "यही तय रहा। मैं जल्द ही लौटूंगा।"
गंगा को रसोई में छोड़ते हुए, श्रीनु सिक्युरिटी स्टेशन के लिए निकल पड़ा। उसकी मन में उत्साह और कुछ सवाल थे जिनका जवाब उसे अब सिक्युरिटी से मिलने पर ही मिल सकता था।
बस में बैठकर सिक्युरिटी स्टेशन की तरफ जाते समय, श्रीनु का मन फिर से पिछले कुछ हफ्तों की घटनाओं की ओर चला गया। वह रास्ते में उस थिएटर और अधूरी इमारत को देख रहा था, जहां हमला हुआ था। उसे उस भयावह रात की यादें फिर से ताजा हो गईं।
जब बस उस निर्माणाधीन इमारत के पास से गुजरी, तो वह वहां एक नजर डालने से खुद को रोक नहीं सका। वह इमारत चुपचाप खड़ी थी, जैसे उस रात की सारी रहस्य अपने अंदर छिपाए हुए हो।
सिक्युरिटी स्टेशन पहुंचकर, उसने अपने भीतर एक दृढ़ निश्चय महसूस किया। स्टेशन का माहौल गंभीर था, लेकिन उसमें एक उद्देश्य की भावना भी थी—न्याय पाने का। एक कांस्टेबल ने उसे देखा और विनम्रता से पूछा कि वह कैसे मदद कर सकता है। श्रीनु ने पूरी घटना और बाइक के बारे में बताया। कांस्टेबल उसे उस अधिकारी के पास ले गया जो उसके मामले को देख रहा था।
अधिकारी: "आह, श्रीनु जी, कृपया बैठिए। मुझे लगता है कि आप हाल ही में हुए घटनाक्रम के बारे में जानने के लिए यहां आए हैं?"
श्रीनु: "जी हां, मुझे आपकी कॉल मिली थी। क्या मामले में कुछ प्रगति हुई है?"
अधिकारी: "जी, हमने आपकी बाइक बरामद कर ली है और वह सही हालत में है। परंतु हमले की जांच अभी भी जारी है। हम सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और लीड्स का पीछा कर रहे हैं।"
श्रीनु: "समझ गया। क्या आप जावेद और चाचा को ढूंढ पाए हैं?"
अधिकारी: "अभी तक नहीं, लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही कोई बड़ी सफलता मिलेगी।"
श्रीनु: "धन्यवाद, अधिकारी। कृपया मुझे बताएं कि अगर मैं किसी तरह से मदद कर सकता हूं।"
अधिकारी: "ज़रूर, श्रीनु जी। फिलहाल, मैं आपसे घटना के बारे में औपचारिक बयान लेना चाहूंगा। इससे हमारी जांच में मदद मिलेगी।"
श्रीनु ने सिर हिलाया और अधिकारी को अपनी ओर ध्यान से सुनते हुए देखा। अधिकारी ने उसके सामने एक फ़ाइल रखी, जिस पर "एफ.आई.आर." लिखा हुआ था।
अधिकारी: "यह उस घटना की एफ.आई.आर. की प्रति है। इसमें आपकी दी गई जानकारी और प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष हैं। इसे ध्यान से देखिए और बताइए कि अगर आपको कुछ और जोड़ना हो।"
श्रीनु ने फ़ाइल ली, उसके दिल में कृतज्ञता और चिंता दोनों की भावना थी। यह दस्तावेज़ उस रात के रहस्यों को खोलने की कुंजी थी। फिर अधिकारी ने एक दराज से उसकी बाइक की चाबी निकाली।
अधिकारी: "और ये आपकी बाइक की चाबी है। हमें यह आपकी बाइक के साथ थिएटर पार्किंग में मिली थी।"
श्रीनु: "धन्यवाद, अधिकारी। मैं इसे ध्यान से पढ़कर देखूंगा।"
जब वह सिक्युरिटी स्टेशन से बाहर निकला, तो दोपहर की धूप उसकी आँखों पर पड़ रही थी। उसने बाइक चालू की, और इंजन की आवाज़ ने उसे उस रात से उबरने की एक नयी शक्ति दी।