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Fantasy प्रेम... आत्मा की भूख है..
#42
मुझे दरद भी बहुत हो रहा था इस लिए अब दीदी मेरे बूब्स को चूस


रही थी अब मुझे उसकी चूत चाटनी थी. कुछ देर यू ही रुकने के बाद

बाबूजी ने धीरे धीरे से लॉड को अंदर बाहर करना शुरू किया

शुरू मे तो बहुत दरद हुआ लेकिन फिर चूत ने लॉड को आक्सेप्ट कर

लिया ओर इतनी जगहे आराम से दे दी कि वो आंदार बाहर हो सके. अब बाबूजी

मुझे मेरी कमर से पकड़ के धीरे धीरे चोद रहे थे अब दरद गायब

होने लगा था ओर मुझे मज़ा आने लगा था. मुझे लॉड से चुदवाने

मे आनंद आने लगा था मेरे मूह से कंपकंपियन सी निकल रही

थी ऊओररर तीज़्ज़ज ब्ब्बाअब्ब्बुउउज्जीइ ऊओररर त्ट्तीएजज़्ज़्ज प्प्पुउर्र्रीए

ज्ज्ज्ूओर्रर सस्सीए कक्चछूड्दडिईईईए आआज्जज प्प्प्ल्ल्लज़्ज़्ज़

ब्ब्ब्बाआबब्बुऊुज्जििीइ प्प्प्ल्ल्लज़्ज़्ज़ प्प्प्ूउर्रीए ज्ज्ज्ूओर्रर्ससीई हहाऐईइ

म्‍म्माररर ददडीइयजज्जी मम्मूउुज्झहही हहाऐईयईईई फ़फफ़ाआड्द्ड़

दडीइयजज्ज़िि म्‍म्मीर्ररीि कक्चहूुूत्त्त कक्कूव हहाऐईइ प्प्प्ल्लज़्ज़्ज़ ऊररर

ज्ज्जूर्र सस्सीए हहााईइ म्‍म्मीरररी र्रााज्जा फ़फफादद्ड़

ददडीइयजज्ज़िईईए आआज्जजज आअप्प्पननन्ी ब्बबाहहुउऊ क्क्की कचहूुूथत्

प्प्प्ुउउर्री ज्ज्ज्ूओर्रर ससीई और बाबूजी ने भी अब थोड़ी तेज़ी से चोदना

शुरू कर दिया था ओर मेरे मूह से आवाज़ें निकल रही थी ह्ह्हाआईईइ

म्‍म्माआअ उूउउइइ म्‍म्म्माआअ हहाऐईयइ ऊओररर्र ट्टीएजज्ज़ हहाऐईयइ

म्‍म्माईिईन्न म्‍म्म्माअरररर ग्ग्गाऐइ हहाऐईइ प्प्प्ल्लज़्ज़ ऊओररर त्ट्तीएजज्ज़

हहाऐईयइ प्पल्लज़्ज़्ज़ और बाबूजी पूरे ज़ोश से मुझे चोदने लगे अब वो पूरे

ज़ोर से धक्के मार रहे थेमुझे लग रहा था जैसे कोई लोहे का डंडा

मेरी चूत मे घूम रहा हो मैं नीचे चिल्ला रही थी हाई और तेज

बाबूजी और तेज हाईईईई आअहह ह उउउइइ ऊओररर ट्टीज़्ज़ज्ज आअहह

प्पल्ल्लज़्ज़्ज़ पूरे ज़ोर से चोदिए मुझे हाईईईईईईई ऊओह

मीररीममाआआआआआआआ हॅयियी आहह अहह ऊऊऊऊऊओह

बाबूजी के धक्के तेज़ी पकड़ते जा रहे थे करीब 5 मिंट बाद मैं

झाड़ गई और शांत हो गई बाबूजी बोले की चलो अब शालु को चोद्ता हूँ

तो मैने कहा कि हाई बाबूजी इसे बाहर मत निकालिए जब तक ये झाड़ाता

नही है तब तक आप मुझे ही चोदिए प्ल्ज़ मैं नही निकालने दूँगी इसे

तब तक प्ल्ज़ तो वो बोले कि ठीक है और उन्होने फिर से मेरी कमर पकड़

के धीरी धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए मेरे बूस भी मसलने

लगे मैं दीदी की चूत चाट रही थी दीदी बाबूजी की गोलिओं को चाट

रही थी मैं फिर से गरम होने लगी थी मुझे फिर से मज़ा आने लगा

बाबूजी बोले कि ये बताओ कि मेरा कम तुम पिओगी या तुम्हारी चूत मे ही

निकालना है मुझे फिर से मज़ा आने लगा था सो मैने कहा कि नही

बाबूजी पिउन्गि बाद मे पहला कम आप मेरी चूत मे ही निकाल

दीजिए हाईईइ बहुत मज़ा आ रहा है
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RE: प्रेम... आत्मा की भूख है.. - by nitya.bansal3 - 16-09-2024, 12:02 PM



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