15-09-2024, 06:02 PM
"बदतमीज, इधर कहां हाथ ले जा रहे हो?" वे मानो नींद में बड़बड़ा उठी थी।
"आप की तबीयत ठीक कर रहा हूं। आप एकदम आराम से बैठी रहिए।" कहकर मैंने अपने हाथों को ब्लाऊज के ऊपर से ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर रख दिया। उफ भगवान, गजब की चूचियां हैं तुम्हारी मां की। अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने तेरी मां की चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया।
"गलीज आदमी, यह क्या घटिया हरकत कर रहे हो? हाथ हटाओ अपना।" वे नाराजगी जाहिर करती हुई बोली, हालांकि वह लंबी लंबी सांसें लेने लगी थी और अपनी जगह में कसमसाने लगीं। उसकी तरफ से इतनी ही प्रतिक्रिया हुई। विरोध कुछ नहीं। अब मेरा उत्साह बढ़ता चला गया और मैंने अपनी हथेलियों से तुम्हारी मां की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
"आआआआआआह... शैतान, हटो। यही करने के लिए तुम मुझे यहां ले कर आए हो?" वे उठने का उपक्रम करती हुई आह भरकर बोलीं।
"चिंता मत कीजिए। देखती जाईए मैं आपकी सारी तकलीफ कैसे दूर करता हूं।" अब मेरा लन्ड एकदम सख्त हो कर अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब हुआ जा रहा था। मैं अब उसे कैसे छोड़ सकता था। मैं उसे जबरदस्ती बैठे रहने को मजबूर कर दिया और इसी तरह हां ना के दौरान उनके ब्लाउज़ का हुक और ब्रा का हुक कब खुल गया, इसका न उन्हें होश था और न ही मुझे। अब मैं उनकी नंगी चूंचियों को अपनी हथेलियों से सहला रहा था। उफ उनकी बड़ी-बड़ी नंगी चूंचियों पर हाथ फिराते हुए मेरी क्या हालत हो रही थी मैं बता नहीं सकता। मैं उन चूचियों को दबाने से खुद को रोकने में असफल होने लगा था।
"ओओओओओहहहहह उफ बस बस। मैं मना कर रही हूं तुम्हें समझ नहीं आ रहा है क्या ? तुम धीरे धीरे उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ने की कोशिश करने लगे?" वे सिसक कर बोली लेकिन उनकी शारीरिक भाषा में मुझे इनकार नहीं दिखाई दे रहा था।
"इतना आगे बढ़ने से आपने मना भी तो नहीं किया। अब थोड़ा और आगे बढ़ने दीजिए ना फिर देखिए आपकी तकलीफ कैसे छूमंतर हो जाएगी।" मैं अब उनकी गर्दन को चूमने लगा था और उनकी बड़ी-बड़ी गुदाज चुचियों से खुल कर खेलने लगा था। इस उम्र में भी उनकी चूचियां काफी कसी हुई थीं।
"तुम मानोगे नहीं? मैंने तुम्हें इतना घटिया आदमी नहीं समझा था।" वे थोड़ी नाराजगी से बोली।
"कहां मैं आपकी तकलीफ दूर करने की सोच रहा हूं और आप हैं कि मुझ पर तोहमत लगा रही हैं। मेरे प्रयास को गलत नजरिए से मत देखिए। मेरा दावा है कि आपको अवश्य अच्छा लगेगा। थोड़ा सहयोग कीजिए।" मैं अब थोड़ी जबरदस्ती पर उतर आया था। मुझे पता था कि उनका मना करना मात्र मुंहजबानी है। वास्तव में तो मन उनका भी मचल रहा था।
"यह तुम गलत कर रहे हो। गलत काम में मुझसे सहयोग करने की बात कैसे कर रहे हो।" वे अपनी जगह में बैठे बैठे कसमसाने लगी थी। मैं जानता था कि उसकी देह में भी आग लग चुकी है। वे झूठ मूठ ही मना करने का दिखावा कर रही हैं।
"जिस काम से अच्छा लगने लगेगा, वह भला गलत कैसे हो सकता है? तरीका गलत लगेगा लेकिन परिणाम बड़ा सुखद होगा। यह मेरा दावा है।" मैं अब खुलकर उनकी चूचियां दबाने लगा था।
"आआआआआआह.... तुम पागल हो चुके हो।" वे सिसकारी निकालती हुई मेरे हाथों को हटाने की व्यर्थ कोशिश करती हुई बोली।
"जी हां, मैं पागल हो चुका हूं और मेरी कोशिश है कि आप भी पागल हो जाईए, तभी आपको आराम मिलेगा और साथ ही आनंद भी। अब आप कृपया चलिए लेट जाइए।" मैं उन्हें उस मंच पर लिटाने लगा। वे थोड़ा विरोध करने लगी या विरोध करने का दिखावा करने लगी जिसके कारण मुझे थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़ी परिणामस्वरूप वे बेबस हो कर लेटने को बाध्य हो गईं। मैं समझ गया कि अब मैं उनके साथ कुछ भी कर सकता हूं। यह कहना ग़लत होगा कि वे पूरी तरह मेरे वश में आ चुकी थीं, वास्तव में तो उनकी शारीरिक भाषा चीख चीखकर कह रही थी कि वे मेरे सामने समर्पण करने को पूरी तरह तैयार थी। मैं मौका ताड़कर एक हाथ से उनके पैरों के पास से उनकी साड़ी ऊपर की ओर खिसकाने लगा। इस दौरान मैं लगातार उन्हें चूम रहा था और एक हाथ से उनकी चूचियों से खेलता जा रहा था। धीरे धीरे करके मैं उनकी साड़ी को जांघों से ऊपर तक उठा दिया था और मजे की बात तो यह थी कि वे इतनी मदहोश हो चुकी थीं कि उन्हें अहसास तक नहीं हुआ कि मेरा हाथ उनकी साड़ी के अंदर घुस कर उनकी चूत तक पहुंच चुका था।
"आप की तबीयत ठीक कर रहा हूं। आप एकदम आराम से बैठी रहिए।" कहकर मैंने अपने हाथों को ब्लाऊज के ऊपर से ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर रख दिया। उफ भगवान, गजब की चूचियां हैं तुम्हारी मां की। अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने तेरी मां की चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया।
"गलीज आदमी, यह क्या घटिया हरकत कर रहे हो? हाथ हटाओ अपना।" वे नाराजगी जाहिर करती हुई बोली, हालांकि वह लंबी लंबी सांसें लेने लगी थी और अपनी जगह में कसमसाने लगीं। उसकी तरफ से इतनी ही प्रतिक्रिया हुई। विरोध कुछ नहीं। अब मेरा उत्साह बढ़ता चला गया और मैंने अपनी हथेलियों से तुम्हारी मां की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
"आआआआआआह... शैतान, हटो। यही करने के लिए तुम मुझे यहां ले कर आए हो?" वे उठने का उपक्रम करती हुई आह भरकर बोलीं।
"चिंता मत कीजिए। देखती जाईए मैं आपकी सारी तकलीफ कैसे दूर करता हूं।" अब मेरा लन्ड एकदम सख्त हो कर अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब हुआ जा रहा था। मैं अब उसे कैसे छोड़ सकता था। मैं उसे जबरदस्ती बैठे रहने को मजबूर कर दिया और इसी तरह हां ना के दौरान उनके ब्लाउज़ का हुक और ब्रा का हुक कब खुल गया, इसका न उन्हें होश था और न ही मुझे। अब मैं उनकी नंगी चूंचियों को अपनी हथेलियों से सहला रहा था। उफ उनकी बड़ी-बड़ी नंगी चूंचियों पर हाथ फिराते हुए मेरी क्या हालत हो रही थी मैं बता नहीं सकता। मैं उन चूचियों को दबाने से खुद को रोकने में असफल होने लगा था।
"ओओओओओहहहहह उफ बस बस। मैं मना कर रही हूं तुम्हें समझ नहीं आ रहा है क्या ? तुम धीरे धीरे उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ने की कोशिश करने लगे?" वे सिसक कर बोली लेकिन उनकी शारीरिक भाषा में मुझे इनकार नहीं दिखाई दे रहा था।
"इतना आगे बढ़ने से आपने मना भी तो नहीं किया। अब थोड़ा और आगे बढ़ने दीजिए ना फिर देखिए आपकी तकलीफ कैसे छूमंतर हो जाएगी।" मैं अब उनकी गर्दन को चूमने लगा था और उनकी बड़ी-बड़ी गुदाज चुचियों से खुल कर खेलने लगा था। इस उम्र में भी उनकी चूचियां काफी कसी हुई थीं।
"तुम मानोगे नहीं? मैंने तुम्हें इतना घटिया आदमी नहीं समझा था।" वे थोड़ी नाराजगी से बोली।
"कहां मैं आपकी तकलीफ दूर करने की सोच रहा हूं और आप हैं कि मुझ पर तोहमत लगा रही हैं। मेरे प्रयास को गलत नजरिए से मत देखिए। मेरा दावा है कि आपको अवश्य अच्छा लगेगा। थोड़ा सहयोग कीजिए।" मैं अब थोड़ी जबरदस्ती पर उतर आया था। मुझे पता था कि उनका मना करना मात्र मुंहजबानी है। वास्तव में तो मन उनका भी मचल रहा था।
"यह तुम गलत कर रहे हो। गलत काम में मुझसे सहयोग करने की बात कैसे कर रहे हो।" वे अपनी जगह में बैठे बैठे कसमसाने लगी थी। मैं जानता था कि उसकी देह में भी आग लग चुकी है। वे झूठ मूठ ही मना करने का दिखावा कर रही हैं।
"जिस काम से अच्छा लगने लगेगा, वह भला गलत कैसे हो सकता है? तरीका गलत लगेगा लेकिन परिणाम बड़ा सुखद होगा। यह मेरा दावा है।" मैं अब खुलकर उनकी चूचियां दबाने लगा था।
"आआआआआआह.... तुम पागल हो चुके हो।" वे सिसकारी निकालती हुई मेरे हाथों को हटाने की व्यर्थ कोशिश करती हुई बोली।
"जी हां, मैं पागल हो चुका हूं और मेरी कोशिश है कि आप भी पागल हो जाईए, तभी आपको आराम मिलेगा और साथ ही आनंद भी। अब आप कृपया चलिए लेट जाइए।" मैं उन्हें उस मंच पर लिटाने लगा। वे थोड़ा विरोध करने लगी या विरोध करने का दिखावा करने लगी जिसके कारण मुझे थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़ी परिणामस्वरूप वे बेबस हो कर लेटने को बाध्य हो गईं। मैं समझ गया कि अब मैं उनके साथ कुछ भी कर सकता हूं। यह कहना ग़लत होगा कि वे पूरी तरह मेरे वश में आ चुकी थीं, वास्तव में तो उनकी शारीरिक भाषा चीख चीखकर कह रही थी कि वे मेरे सामने समर्पण करने को पूरी तरह तैयार थी। मैं मौका ताड़कर एक हाथ से उनके पैरों के पास से उनकी साड़ी ऊपर की ओर खिसकाने लगा। इस दौरान मैं लगातार उन्हें चूम रहा था और एक हाथ से उनकी चूचियों से खेलता जा रहा था। धीरे धीरे करके मैं उनकी साड़ी को जांघों से ऊपर तक उठा दिया था और मजे की बात तो यह थी कि वे इतनी मदहोश हो चुकी थीं कि उन्हें अहसास तक नहीं हुआ कि मेरा हाथ उनकी साड़ी के अंदर घुस कर उनकी चूत तक पहुंच चुका था।