13-09-2024, 12:35 PM
"ओह। वैसे इस प्रकार के दर्द के इलाज का मुझे भी थोड़ा बहुत आईडिया है।" मैं तुरंत बोल उठा क्योंकि तुम्हारी मां के बदन पर हाथ लगाने के लिए मरा जा रहा था।
"अच्छा! अगर ऐसा है तो क्यों ना तुम ट्राई करके देखो।" वह मुझे देखते हुए बोली। इतने पास से उसकी आंखों की भाषा समझना मेरे लिए जरा भी मुश्किल नहीं था।
"घर पहुंचकर ट्राई करूं या... " मेरी बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि तुम्हारी मां बोल पड़ी,
"घर पहुंचने में तो आधा घंटा लग जाएगा। यहीं साईड में कार खड़ी करके क्यों नहीं कोशिश करके देखते?" वे शायद मेरी परीक्षा लेना चाह रही थी।
"ओह, लेकिन यहां सड़क किनारे थोड़ा अटपटा लगेगा और पता नहीं लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे। यहां सड़क किनारे करना ठीक नहीं होगा।" मैं बोला।
"ऐसा भी क्या करोगे कि ठीक नहीं होगा? लोग देखेंगे तो देखने दो। मुझे तकलीफ़ है और तुम मेरा इलाज करोगे, इसमें अटपटा लगने वाली क्या बात है?" वह बोली।
"नहीं यहां ठीक नहीं लगेगा। यहां से दो मिनट की दूरी पर एक जगह है, वहां क्यों नहीं चलें? वहां शांति है और जगह भी अच्छी है। आपको पसंद आएगा।" मैं बोला। अब धीरे धीरे मेरा मन बढ़ने लगा था और उसी के साथ मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। मेरे जेहन में इसी जगह का ख्याल आया था। मुझे पहले से इस जगह के बारे में अच्छी तरह से पता था। मुझे पता था कि यही वो जगह है, जहां मैं तुम्हारी मां को लाकर बिंदास चुदाई कर सकता था। वे खुलकर खुद तो बोलेंगी नहीं कि आओ घनश्याम मुझे चोदो। मुझे ही आगे बढ़ना था और मुझे समझ आ रहा था कि वे भले ही मुंह से नहीं बोलेंगी लेकिन मुझे चोदने से मना भी नहीं करेंगी। ऐसी गदराई, मदमस्त औरत की चुदाई के बारे में सोच सोच कर मैं पगलाया जा रहा था। किसी औरत को चोदने के लिए यह बहुत ही सुंदर, सुनसान और सुरक्षित जगह है और मैं उन्हें लेकर यहीं आ रहा था।
"ठीक है, लेकिन तुम्हें इलाज के बारे में ठीक तरह से पता है ना?" वे सशंकित स्वर में बोली।
"आप चिंता मत कीजिए। मैं इस तरह की तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी तरह सक्षम हूं।" कहकर मैं कार चलाता हुआ इस खंडहर की तरफ आ गया।
"यह तो सुनसान खंडहर है। यह जगह मुझे बड़ा अजीब लग रहा है।" वे बोलीं।
"हां, अजीब तो है लेकिन अच्छी जगह है। आप अंदर तो चलिए। जगह पसंद न आए तो कहिएगा।" कहकर मैंने कार रोकी और नीचे उतर आया। वे भी कार से नीचे उतर आईं और मेरे साथ यहां आ गयीं। मेरा शिकार अब मेरे जाल में फंसने को खुद आकुल था, यह मैं अच्छी तरह से जान रहा था।
"अब आप यहां आराम से पैर झुला कर बैठ जाईए।" कहकर मैंने इस मंच की ओर इशारा किया। वे थोड़ी झिझकी लेकिन यहां बैठ गयीं। अब मैं मंच पर चढ़ गया और उनके पीछे जाकर घुटनों के बल बैठ गया और पीछे से उनके सर को दबाना आरंभ किया।
"अब कैसा लग रहा है?" मैं उनके सर को हल्के हल्के दबाते हुए कहा।
"थोड़ा ठीक है लेकिन कुछ खास नहीं।"
"आप आंखें बंद करके रिलैक्स होकर बैठिए फिर देखिए मेरी उंगलियों का जादू।" उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं। मैं उनके सर को दबाते हुए अपने हाथ को धीरे धीरे नीचे लाने लगा और उनकी गर्दन के पीछे से नसों को दबाते हुए उनके कंधों तक हाथ ले आया।
"आआआहहहहह अब थोड़ा अच्छा लग रहा है।" उनके मुंह से निकला। उनकी नंगी गर्दन ओर कंधों पर मेरा हाथ जादुई ढ़ंग से काम कर रहा था। उनके तन को छूना और इस तरह दबाना, मेरे अंदर की आग को और भड़का रहा था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मेरे शरीर में रक्त का संचार बढ़ता जा रहा था। अब मेरे सब्र का पैमाना छलक रहा था। मेरा हाथ धीरे धीरे उनके कंधों से होकर और नीचे जाने को मचल रहा था। अंततः मैंने अपना हाथ बढ़ा ही दिया। जो होगा देखा जायेगा, यह सोच कर मैंने अपना हाथ उनकी छाती की ओर बढ़ा दिया।
"अच्छा! अगर ऐसा है तो क्यों ना तुम ट्राई करके देखो।" वह मुझे देखते हुए बोली। इतने पास से उसकी आंखों की भाषा समझना मेरे लिए जरा भी मुश्किल नहीं था।
"घर पहुंचकर ट्राई करूं या... " मेरी बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि तुम्हारी मां बोल पड़ी,
"घर पहुंचने में तो आधा घंटा लग जाएगा। यहीं साईड में कार खड़ी करके क्यों नहीं कोशिश करके देखते?" वे शायद मेरी परीक्षा लेना चाह रही थी।
"ओह, लेकिन यहां सड़क किनारे थोड़ा अटपटा लगेगा और पता नहीं लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे। यहां सड़क किनारे करना ठीक नहीं होगा।" मैं बोला।
"ऐसा भी क्या करोगे कि ठीक नहीं होगा? लोग देखेंगे तो देखने दो। मुझे तकलीफ़ है और तुम मेरा इलाज करोगे, इसमें अटपटा लगने वाली क्या बात है?" वह बोली।
"नहीं यहां ठीक नहीं लगेगा। यहां से दो मिनट की दूरी पर एक जगह है, वहां क्यों नहीं चलें? वहां शांति है और जगह भी अच्छी है। आपको पसंद आएगा।" मैं बोला। अब धीरे धीरे मेरा मन बढ़ने लगा था और उसी के साथ मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। मेरे जेहन में इसी जगह का ख्याल आया था। मुझे पहले से इस जगह के बारे में अच्छी तरह से पता था। मुझे पता था कि यही वो जगह है, जहां मैं तुम्हारी मां को लाकर बिंदास चुदाई कर सकता था। वे खुलकर खुद तो बोलेंगी नहीं कि आओ घनश्याम मुझे चोदो। मुझे ही आगे बढ़ना था और मुझे समझ आ रहा था कि वे भले ही मुंह से नहीं बोलेंगी लेकिन मुझे चोदने से मना भी नहीं करेंगी। ऐसी गदराई, मदमस्त औरत की चुदाई के बारे में सोच सोच कर मैं पगलाया जा रहा था। किसी औरत को चोदने के लिए यह बहुत ही सुंदर, सुनसान और सुरक्षित जगह है और मैं उन्हें लेकर यहीं आ रहा था।
"ठीक है, लेकिन तुम्हें इलाज के बारे में ठीक तरह से पता है ना?" वे सशंकित स्वर में बोली।
"आप चिंता मत कीजिए। मैं इस तरह की तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी तरह सक्षम हूं।" कहकर मैं कार चलाता हुआ इस खंडहर की तरफ आ गया।
"यह तो सुनसान खंडहर है। यह जगह मुझे बड़ा अजीब लग रहा है।" वे बोलीं।
"हां, अजीब तो है लेकिन अच्छी जगह है। आप अंदर तो चलिए। जगह पसंद न आए तो कहिएगा।" कहकर मैंने कार रोकी और नीचे उतर आया। वे भी कार से नीचे उतर आईं और मेरे साथ यहां आ गयीं। मेरा शिकार अब मेरे जाल में फंसने को खुद आकुल था, यह मैं अच्छी तरह से जान रहा था।
"अब आप यहां आराम से पैर झुला कर बैठ जाईए।" कहकर मैंने इस मंच की ओर इशारा किया। वे थोड़ी झिझकी लेकिन यहां बैठ गयीं। अब मैं मंच पर चढ़ गया और उनके पीछे जाकर घुटनों के बल बैठ गया और पीछे से उनके सर को दबाना आरंभ किया।
"अब कैसा लग रहा है?" मैं उनके सर को हल्के हल्के दबाते हुए कहा।
"थोड़ा ठीक है लेकिन कुछ खास नहीं।"
"आप आंखें बंद करके रिलैक्स होकर बैठिए फिर देखिए मेरी उंगलियों का जादू।" उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं। मैं उनके सर को दबाते हुए अपने हाथ को धीरे धीरे नीचे लाने लगा और उनकी गर्दन के पीछे से नसों को दबाते हुए उनके कंधों तक हाथ ले आया।
"आआआहहहहह अब थोड़ा अच्छा लग रहा है।" उनके मुंह से निकला। उनकी नंगी गर्दन ओर कंधों पर मेरा हाथ जादुई ढ़ंग से काम कर रहा था। उनके तन को छूना और इस तरह दबाना, मेरे अंदर की आग को और भड़का रहा था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मेरे शरीर में रक्त का संचार बढ़ता जा रहा था। अब मेरे सब्र का पैमाना छलक रहा था। मेरा हाथ धीरे धीरे उनके कंधों से होकर और नीचे जाने को मचल रहा था। अंततः मैंने अपना हाथ बढ़ा ही दिया। जो होगा देखा जायेगा, यह सोच कर मैंने अपना हाथ उनकी छाती की ओर बढ़ा दिया।