09-09-2024, 04:07 PM
Update -1
सुबह के सात बजे दिया की अचानक से नींद खुलती है तो उसे घर में आज कुछ जायदा चहल पहल की आवाज सुनाई देती है वो अपनी आंखे मलते हुए ड्राइंग रूम में आती है तो अपने मम्मी और पापा को सोफे पर चाय की चुस्कियां लेते हुई कुछ बाते करते हुई सुनती है तभी उसकी मम्मी उसे देखकर उसे अपने पास बुलाती है और बैठने का इशारा करती है I
दिया - माँ क्या बात है आज आप इतनी सुबह सुबह क्या डिसकस कर रही हो और आज आप कुछ जायदा ही एक्ससिटेड लग रही हो क्या बात है
रमा - अरे दिया मै तुझे बताना भूल गई आज रवि आने वाला है मेरा दूर का कजिन भाई वो २ महीने यही रहने वाला है I
दिया - क्या ? ऐसा कौनसा मेहमान या रिश्तेदार है जो २ महीने के लिए किसी के घर पर रुकता है भला, माँ आपका दिमाग ख़राब हो गया है क्या की किसी रिश्तेदार को दो महीने के लिए घर पर रखो, पापा समझाओ न माँ को I
अशोक - बेटा तुम्हारी माँ को कोई आज तक समझा पाया है जो मै अब समझा पाउँगा वैसे तुम्हारी माँ का भाई है दो महीने की बात है और हमारे घर में इतनी जगह है कोई फर्क नहीं पड़ता रिश्तेदार ही है और तुम्हारी माँ का भाई है उसकी ख़ुशी इसी में है तो मेरी और तुम्हारी ख़ुशी भी इसी में होनी चाहिए ी
दिया - पापा आप भी न हमेशा अपने बीवी की साइड लेते है I लेकिन माँ वो दो महीने यहाँ रह कर क्या करने वाले है ?
रमा - बेटा वो एक कंसल्टेंट है और मुंबई में रहता है उसका कोई प्रोजेक्ट है जिसके लिए उसे यहाँ २ महीने रहना है उसका फ़ोन आया था तो वो बोल रहा था की वो कोई PG ढूंढ रहा है २ महीने के लिए तो मैंने ही बोलै की PG की क्या जरूरत है तुम यही रह लेना उसने काफी मना किआ लेकिन मै नहीं मानी और उसे मैंने यहाँ रहने के लिए मना लिया I
दिया - ठीक है माँ जैसा तुम्हे ठीक लगे, ऐसा कह कर दिया अपने कमरे में चली गई I
दिया ने अभी 12th के एग्जाम दिए थे और उसका सपना एक फैशन डिज़ाइनर बनने का था और इसी के लिए वो अपना ग्रेजुएशन किसी बाहर की यूनिवर्सिटी में फैशन डिजाइनिंग में करना चाहती थी उसने कई universites में अप्लाई किआ था और एक दो जगह उसकी काउंसलिंग भी हो चुकी थी और उसके इस सपने को पूरा करने के लिए उसके माँ और पापा दोनों का पूरा सपोर्ट था I अशोक और रमा की एक ही औलाद थी इसे इन्होने बड़े लाड प्यार से पाला था और दिया शुरू से पढाई और बाकी चीजों में काफी अछि थी इसलिए उसके माँ बाप भी चाहते थे उसका जो सपना हो पूरा हो I दिया ने अभी अपनी उम्र के 18 वे वर्ष में प्रवेश किआ था, देखने में वो बला की खूबसूरत थी, रंग रूप ऐसा था की ऊपर वाले बहुत ही फुर्सत से उसके एक एक अंग को निखारा है कोई भी उसे पहली नजर में देखे तो पागल हो जाये, लेकिन दिया बहुत जायदा लोगो से घुलती मिलती नहीं थे, उसके दोस्त भी काफी लिमिटेड थे वो बहुत ही फोकस्सड लड़की थी उसका लाइफ का एक ही एजेंडा था एक सफल फैशन डिज़ाइनर बनने का जिसके लिए वो काफी मेहनत कर रही है I
सुबह के १० बजे दिया उसकी माँ और उसके पापा सब लोक एक साथ ब्रेकफास्ट कर रहे है और आपस में बात कर रहे है ी
अशोक - दिया बेटा तुमने कुछ सोचा कहा एडमिशन लेना है कोई यूनिवर्सिटी फाइनल हुई
दिया - पापा अभी तो मै रिसर्च ही कर रही हु बहुत जल्दी डिसिशन ले लुंगी मै जल्दबाजी में कोई decision नहीं लेना चाहती ये लाइफ और
करियर का बहुत इम्पोर्टेन्ट डिसिशन है लेकिन पापा ये सोच लिए है की ग्रेजुएशन तो इंडिया से बाहर ही करना है I
रमा - बेटा यहाँ भी तो अच्छी यूनिवर्सिटीज है बाहर ही क्यों जाना सोच हम तेरे बिना कैसे रहेंगे I
दिया - अरे माँ हमेशा के लिए नहीं जा रही कुछ साल के लिए उसके बाद काम मुझे यही इंडिया में करना है आप जायदा चिंता मत करो ी
अशोक - अरे रमा तुम बेकार में ही फ़िक्र करती हो अभी उसको अपने करियर पर फोकस करने दो अगर बाहर पढ़ कर उसका करियर सेटल
होता है तो वो बाहर से ही ग्रेजुएशन करेगी इसमें मै तुम्हारी बात नहीं मानूंगा ी
दिया - वाह पापा आज तो अपने कमाल ही कर दिया माँ की बात न मानने की बात करके लग रहा है की आप सिर्फ अपने ब्रांच के बॉस नहीं
इस घर के भी बॉस है ी
अशोक - न न बेटा इस घर की बॉस तो तुम्हारी माँ ही है उनसे इस पोस्ट को कोई नहीं छिन सकता ी ऐसा कह कर दोनों बाप बेटी जोर जोर
से हंसने लगे I
लगभग 11 बजे door bell बजने की आवाज हुई दिया अपने कमरे में बैठी लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी तभी उसके कानो में ड्राइंग रूम से उसकी माँ की आवाज आई अरे रवि तुम तो पहचान में ही नहीं आ रहे हो कितने सालो के बाद देखा, माँ कैसी है तुम्हारी आओ बैठो, दीदी मै ठीक हु और माँ भी ठीक है, दिया के कानो में एक रौबीली सी आवाज पड़ी और वो समझ गई ये उसका कजिन मामा है , दिया ने बाहर की आवाजों को इग्नोर किया और अपने काम में लग गई थोड़ी देर बाद बाहर से आवाज आनी बंद हो गई तो वो समझ गई की मामू अपने रूम में चले गई है और माँ किचन में लंच की तैयारी में लग गई है I लगभग 1 बजे दिया के कानो में माँ की आवाज आई दिया बेटा आओ खाना खा लो I
माँ की आवाज सुनकर दिया अनमने ढंग से उठी और डाइनिंग एरिया में खाना खाने के लिए जाने लगी जैसे ही वो डाइनिंग टेबल के पास पहुंची उसने देखा की डाइनिंग चेयर पर एक यंग डैशिंग नौजवान बैठा दिया को समझते देर नहीं लगी यही वो मामू है जो दो महीने यहाँ रहने वाले है दोनों के नजरे मिली और दिया के मुँह से निकला hi जवाब में रवि ने भी बोला हेलो
रमा - ये आजकल के बच्चे अरे ये मामू है तुझसे उम्र में बड़े इनको प्रणाम करो न की hi अभी तुम इंडिया में ही हो बाहर नहीं चली गई हो
दिया - प्रणाम मामू आप कैसे है ?
रवि - मै ठीक हु तुम काफी बड़ी हो गई हो काफी सालो के बाद देख रहा हु I
रमा - हां लगभग १२ साल पहले तब ये ६ साल की थी समय बीते देर नहीं लगता I
फिर तीनो लोग बाते करते करते खाना खाने लगे खाना खा कर दिया वापस अपने कमरे में आकर अपने लैपटॉप से चिपक गई I थोड़ी देर बाद उसकी माँ रमा उसके कमरे में आती है और बोलती है
रमा - दिया मै तेरे पापा के ऑफिस जा रही हु वह से हम दोनों को शॉपिंग के लिए जाना है घर का कुछ सामान लेना है हम शाम तक वापस आ जायेंगे इस बीच तुम घर का ध्यान रखना और रवि को कुछ चाहिए होगा तो देख लेना अभी उसे कुछ टाइम लगेगा एडजस्ट करने मे।
दिया - ठीक है माँ आप जाओ मै सबका ध्यान रख लुंगी I
रमा - मेरी प्यारी बच्ची कितनी बड़ी हो गई है ऐसा कह कर रमा ने दिया के सर पर प्यार भरा हाथ फेरा और कमरे से बाहर निकल गई ।
सुबह के सात बजे दिया की अचानक से नींद खुलती है तो उसे घर में आज कुछ जायदा चहल पहल की आवाज सुनाई देती है वो अपनी आंखे मलते हुए ड्राइंग रूम में आती है तो अपने मम्मी और पापा को सोफे पर चाय की चुस्कियां लेते हुई कुछ बाते करते हुई सुनती है तभी उसकी मम्मी उसे देखकर उसे अपने पास बुलाती है और बैठने का इशारा करती है I
दिया - माँ क्या बात है आज आप इतनी सुबह सुबह क्या डिसकस कर रही हो और आज आप कुछ जायदा ही एक्ससिटेड लग रही हो क्या बात है
रमा - अरे दिया मै तुझे बताना भूल गई आज रवि आने वाला है मेरा दूर का कजिन भाई वो २ महीने यही रहने वाला है I
दिया - क्या ? ऐसा कौनसा मेहमान या रिश्तेदार है जो २ महीने के लिए किसी के घर पर रुकता है भला, माँ आपका दिमाग ख़राब हो गया है क्या की किसी रिश्तेदार को दो महीने के लिए घर पर रखो, पापा समझाओ न माँ को I
अशोक - बेटा तुम्हारी माँ को कोई आज तक समझा पाया है जो मै अब समझा पाउँगा वैसे तुम्हारी माँ का भाई है दो महीने की बात है और हमारे घर में इतनी जगह है कोई फर्क नहीं पड़ता रिश्तेदार ही है और तुम्हारी माँ का भाई है उसकी ख़ुशी इसी में है तो मेरी और तुम्हारी ख़ुशी भी इसी में होनी चाहिए ी
दिया - पापा आप भी न हमेशा अपने बीवी की साइड लेते है I लेकिन माँ वो दो महीने यहाँ रह कर क्या करने वाले है ?
रमा - बेटा वो एक कंसल्टेंट है और मुंबई में रहता है उसका कोई प्रोजेक्ट है जिसके लिए उसे यहाँ २ महीने रहना है उसका फ़ोन आया था तो वो बोल रहा था की वो कोई PG ढूंढ रहा है २ महीने के लिए तो मैंने ही बोलै की PG की क्या जरूरत है तुम यही रह लेना उसने काफी मना किआ लेकिन मै नहीं मानी और उसे मैंने यहाँ रहने के लिए मना लिया I
दिया - ठीक है माँ जैसा तुम्हे ठीक लगे, ऐसा कह कर दिया अपने कमरे में चली गई I
दिया ने अभी 12th के एग्जाम दिए थे और उसका सपना एक फैशन डिज़ाइनर बनने का था और इसी के लिए वो अपना ग्रेजुएशन किसी बाहर की यूनिवर्सिटी में फैशन डिजाइनिंग में करना चाहती थी उसने कई universites में अप्लाई किआ था और एक दो जगह उसकी काउंसलिंग भी हो चुकी थी और उसके इस सपने को पूरा करने के लिए उसके माँ और पापा दोनों का पूरा सपोर्ट था I अशोक और रमा की एक ही औलाद थी इसे इन्होने बड़े लाड प्यार से पाला था और दिया शुरू से पढाई और बाकी चीजों में काफी अछि थी इसलिए उसके माँ बाप भी चाहते थे उसका जो सपना हो पूरा हो I दिया ने अभी अपनी उम्र के 18 वे वर्ष में प्रवेश किआ था, देखने में वो बला की खूबसूरत थी, रंग रूप ऐसा था की ऊपर वाले बहुत ही फुर्सत से उसके एक एक अंग को निखारा है कोई भी उसे पहली नजर में देखे तो पागल हो जाये, लेकिन दिया बहुत जायदा लोगो से घुलती मिलती नहीं थे, उसके दोस्त भी काफी लिमिटेड थे वो बहुत ही फोकस्सड लड़की थी उसका लाइफ का एक ही एजेंडा था एक सफल फैशन डिज़ाइनर बनने का जिसके लिए वो काफी मेहनत कर रही है I
सुबह के १० बजे दिया उसकी माँ और उसके पापा सब लोक एक साथ ब्रेकफास्ट कर रहे है और आपस में बात कर रहे है ी
अशोक - दिया बेटा तुमने कुछ सोचा कहा एडमिशन लेना है कोई यूनिवर्सिटी फाइनल हुई
दिया - पापा अभी तो मै रिसर्च ही कर रही हु बहुत जल्दी डिसिशन ले लुंगी मै जल्दबाजी में कोई decision नहीं लेना चाहती ये लाइफ और
करियर का बहुत इम्पोर्टेन्ट डिसिशन है लेकिन पापा ये सोच लिए है की ग्रेजुएशन तो इंडिया से बाहर ही करना है I
रमा - बेटा यहाँ भी तो अच्छी यूनिवर्सिटीज है बाहर ही क्यों जाना सोच हम तेरे बिना कैसे रहेंगे I
दिया - अरे माँ हमेशा के लिए नहीं जा रही कुछ साल के लिए उसके बाद काम मुझे यही इंडिया में करना है आप जायदा चिंता मत करो ी
अशोक - अरे रमा तुम बेकार में ही फ़िक्र करती हो अभी उसको अपने करियर पर फोकस करने दो अगर बाहर पढ़ कर उसका करियर सेटल
होता है तो वो बाहर से ही ग्रेजुएशन करेगी इसमें मै तुम्हारी बात नहीं मानूंगा ी
दिया - वाह पापा आज तो अपने कमाल ही कर दिया माँ की बात न मानने की बात करके लग रहा है की आप सिर्फ अपने ब्रांच के बॉस नहीं
इस घर के भी बॉस है ी
अशोक - न न बेटा इस घर की बॉस तो तुम्हारी माँ ही है उनसे इस पोस्ट को कोई नहीं छिन सकता ी ऐसा कह कर दोनों बाप बेटी जोर जोर
से हंसने लगे I
लगभग 11 बजे door bell बजने की आवाज हुई दिया अपने कमरे में बैठी लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी तभी उसके कानो में ड्राइंग रूम से उसकी माँ की आवाज आई अरे रवि तुम तो पहचान में ही नहीं आ रहे हो कितने सालो के बाद देखा, माँ कैसी है तुम्हारी आओ बैठो, दीदी मै ठीक हु और माँ भी ठीक है, दिया के कानो में एक रौबीली सी आवाज पड़ी और वो समझ गई ये उसका कजिन मामा है , दिया ने बाहर की आवाजों को इग्नोर किया और अपने काम में लग गई थोड़ी देर बाद बाहर से आवाज आनी बंद हो गई तो वो समझ गई की मामू अपने रूम में चले गई है और माँ किचन में लंच की तैयारी में लग गई है I लगभग 1 बजे दिया के कानो में माँ की आवाज आई दिया बेटा आओ खाना खा लो I
माँ की आवाज सुनकर दिया अनमने ढंग से उठी और डाइनिंग एरिया में खाना खाने के लिए जाने लगी जैसे ही वो डाइनिंग टेबल के पास पहुंची उसने देखा की डाइनिंग चेयर पर एक यंग डैशिंग नौजवान बैठा दिया को समझते देर नहीं लगी यही वो मामू है जो दो महीने यहाँ रहने वाले है दोनों के नजरे मिली और दिया के मुँह से निकला hi जवाब में रवि ने भी बोला हेलो
रमा - ये आजकल के बच्चे अरे ये मामू है तुझसे उम्र में बड़े इनको प्रणाम करो न की hi अभी तुम इंडिया में ही हो बाहर नहीं चली गई हो
दिया - प्रणाम मामू आप कैसे है ?
रवि - मै ठीक हु तुम काफी बड़ी हो गई हो काफी सालो के बाद देख रहा हु I
रमा - हां लगभग १२ साल पहले तब ये ६ साल की थी समय बीते देर नहीं लगता I
फिर तीनो लोग बाते करते करते खाना खाने लगे खाना खा कर दिया वापस अपने कमरे में आकर अपने लैपटॉप से चिपक गई I थोड़ी देर बाद उसकी माँ रमा उसके कमरे में आती है और बोलती है
रमा - दिया मै तेरे पापा के ऑफिस जा रही हु वह से हम दोनों को शॉपिंग के लिए जाना है घर का कुछ सामान लेना है हम शाम तक वापस आ जायेंगे इस बीच तुम घर का ध्यान रखना और रवि को कुछ चाहिए होगा तो देख लेना अभी उसे कुछ टाइम लगेगा एडजस्ट करने मे।
दिया - ठीक है माँ आप जाओ मै सबका ध्यान रख लुंगी I
रमा - मेरी प्यारी बच्ची कितनी बड़ी हो गई है ऐसा कह कर रमा ने दिया के सर पर प्यार भरा हाथ फेरा और कमरे से बाहर निकल गई ।