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Fantasy प्रेम... आत्मा की भूख है..
#35
मैने कहा कि दीदी की छातियो मे दरद


होने लगता है आप मेरे रूम मे से क्रीम वाली शीशी उठा कर ले

आइए मैं तब तक दीदी की छातियों पे मालिश करती हूँ बाबूजी उठे ओर

भाग कर मेरे रूम की तरफ गये लेकिन उन्हे वहाँ पे कोई क्रीम मिलनी

ही नही थी क्यो कि ऐसा कुछ है ही नही था और दिन मे हम लोगों ने

एक फालतू क्रीम की शीशी ला कर छुपा कर रख दी थी. बाबूजी वापिस आ

गये ओर बोले कि मुझे वहाँ पे कोई शीशी नही मिली है मैं तब तक

बैठी हुई दीदी की बूब्स को मसल रही थी तो मैने कहा कि आप दीदी को

गोद मैं ले लीजिए और इनकी छातियों को मालिश कीजिए मैं तब तक क्रीम

ढूंड के लाती हूँ और मैं बाहर चली गई और क्रीम की शीशी ले कर

आ कर रूम के बाहर खड़ी हो गई और तमाशा देखने लगी. बाबूजी ने

दीदी को गोद मैने लिटा रखा था और उसकी बूब्स को मसल रहे थे इस

वजह से दीदी ने चिल्लाना थोड़ा कम कर दिया था लेकिन जैसे ही बाबूजी

रुकने लगते तो वो चिल्लाना तेज कर देती थी बाबूजी का लंड दीदी की

बूब्स को सहलाने की वजह से तन चुका था ओर वो दीदी की पीठ को टच

कर रह था. बाबूजी ने मुझे आवाज़ लगाई तो मैं रूम मे आ गई और

कहा कि बाबूजी ये रही क्रीम आप इसे लगा कर मालिश कीजिए एक छाती की

मालिश मैं करती हूँ और फिर बाबूजी के सामने बैठ कर मैं दूसरे

बूब्स को मसलने लगी बाबूजी का लंड दीदी की पीठ को टच कर रहा था

इसलिए दीदी उसपे दबाव डाल रही थी और फिर धीरे धीरे दीदी को मज़ा

आने लगा और वो बाबूजी से लिपटने लगी. और फिर बाबूजी ने आपना हाथ

दीदी की शर्ट के अंदर डाल कर उनके बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया

मैं समझ गई कि अब बाबूजी का मूड भी बन रहा है और फिर बाबूजी ने

दीदी के बूब्स को ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया और दीदी सिसकने लगी. मैं

जान बुझ कर उठ कर बाहर आने लगी तो बाबूजी बोले कि तुम कहाँ जा

रही हो कुसम मैने कहा कि अपने रूम मे तो वो बोले कि आज तुम दोनो

यहीं पे सो जाओ मेरे पास.मैने कहा कि वो क्यो तो वो बोले कि अगर रात

को कोई ज़रूरत पड़ी तो मैं हेल्प कर दूँगा. हम तो चाहती यही थी सो

मैने कहा कि ठीक है मैं आप के लिए दूध ले कर आती हूँ तो बाबूजी

ने कहा कि रूको तो मैं रुक गई तो बाबूजी ने दीदी को एक तरफ लिटा दिया

और मुझे बाजू से पकड़ लिया और कहने लगे कि आज मुझे वो दूध नही पीना

है बहू आज तो मुझे तुम दोनो का दूध पीना है और इतना कह कर उन्होने

मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगे तो मैने कहा कि

बाबूजी आप ये क्या कर रहे हैं तो वो बोले की मैं तुम दोनो से प्यार

करना चाहता हूँ. मैने कहा कि मैं तो आपकी बहू हूँ तो वो बोले कि

हाँ मैं आज अपनी बेटी और बहू दोनो से प्यार करना और दोनो को पाना

चाहता हूँ और दोनो को चोदना चाहता हूं

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RE: प्रेम... आत्मा की भूख है.. - by nitya.bansal3 - 07-09-2024, 02:42 PM



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