30-08-2024, 12:33 PM
मैं समझ गई थी कि बाबूजी हमे
अपना लंड दिखना चाह रहे हैं. मैने दीदी को जा के चूम लिया ओर
कहा कि दीदी हम सफल हो रहे हैं आज बाबूजी ने मुझे आपने लंड के
दर्शन खुद करवा दिए हैं तो वो बोली कि मुझे भी दर्शन करने हैं
तो मैने कहा कि तुम नाश्ता ले कर जाओ मैं तुम्हे तरकीब बताती हूं
तुम वैसे ही करना.
दीदी नाश्ता ले कर बाबूजी के रूम मे गई ओर उन्हे कहा कि नाश्ता कर
लें तो वो बोले कि टेबल पे रख दो दीदी ने खाना टेबल पे रखा ओर
वापिस मुड़ते हुए पानी का गिलास नीचे गिरा दिया. और बोली कि बाबूजी मैं
अभी पोंच्छा ले कर आती हूँ और पोंच्छा ले कर फ़राश साफ करने के लिए
चली गई उन्होने देखा कि बाबूजी अभी भी पेपर पढ़ रहे हैं तो वो
बाबूजी की तरफ मूह कर के पोंच्छा लगाने लगी तो बाबूजी ने फिर आपनी
टाँगें थोड़ी सी खोल दी ता कि दीदी को भी उनके लंड के दर्शन हो
जाएँ ओर दीदी ने भी उनके लंड का दीदार कर लिया और वो भी बाबूजी ने
खुद करवाया था सो वो भी खुश होती हुई आई ओर बोली कि सच मे
भाभी आप का प्लान काम कर रहा है और मुझे लगता है कि आज की रात
हम दोनो की इच्छा पूरी हो जाएगी लेकिन उसे कैसे पूरी करना है ये रात
को ही पता चलेगा. मैने कहा कि वो तो है ही. और फिर बाबूजी शॉप पे
चले गये ओर हम दोनो रात का इंतज़ार करने लगी. करीब 8 बजे बाबूजी
आ गये ओर हम ने उन्हे खाना खिला दिया ओर फिर वहीं पे बैठ के टीवी
देखने लगी.दीदी बाबूजी के पास ही बैठी हुई थी बल्कि यू कहें कि
उनकी टाँगो से टाँगे ज़ोड कर बैठी हुई थी और मैं सोफे पे बैठी हुई
थी. दीदी की टाँगों के सपर्श की वजह से बाबूजी का लंड तना हुआ था
और उनकी लोवर ने टेंट बना रखा था और बाबूजी जान बूझ कर उधर देख
लेते थे ताकि दीदी का ध्यान भी उधर चला जाए और कभी कभी मेरी
तरफ भी देख लेते थे लेकिन मैं तो अंजान बनी बैठी थी. ओर अब
दीदी की धड़कने भी उनके खड़े हुए लंड को देख कर बढ़ने लगी थी
कितभि दीदी ने मेरे प्लान के मुताबिक एक दम से हाई मैं मर गई हाई
मैं क्या करूँ कर के चिल्लाना शुरू कर दिया. बाबूजी ने पूछा कि क्या
हुआ तो मैने कहा कि कुछ नही बस दीदी को थोडा सा दर्द शुरू हो जाता
है तो बाबूजी बोले कि कहाँ पे तो मैने कहा कि बाबूजी अब आप को मैं
क्या बताउ तो वो बोले कि प्ल्ज़ बताओ कि क्या हुआ है दीदी अभी भी
चिल्लाने का नाटक कर रही थी.
अपना लंड दिखना चाह रहे हैं. मैने दीदी को जा के चूम लिया ओर
कहा कि दीदी हम सफल हो रहे हैं आज बाबूजी ने मुझे आपने लंड के
दर्शन खुद करवा दिए हैं तो वो बोली कि मुझे भी दर्शन करने हैं
तो मैने कहा कि तुम नाश्ता ले कर जाओ मैं तुम्हे तरकीब बताती हूं
तुम वैसे ही करना.
दीदी नाश्ता ले कर बाबूजी के रूम मे गई ओर उन्हे कहा कि नाश्ता कर
लें तो वो बोले कि टेबल पे रख दो दीदी ने खाना टेबल पे रखा ओर
वापिस मुड़ते हुए पानी का गिलास नीचे गिरा दिया. और बोली कि बाबूजी मैं
अभी पोंच्छा ले कर आती हूँ और पोंच्छा ले कर फ़राश साफ करने के लिए
चली गई उन्होने देखा कि बाबूजी अभी भी पेपर पढ़ रहे हैं तो वो
बाबूजी की तरफ मूह कर के पोंच्छा लगाने लगी तो बाबूजी ने फिर आपनी
टाँगें थोड़ी सी खोल दी ता कि दीदी को भी उनके लंड के दर्शन हो
जाएँ ओर दीदी ने भी उनके लंड का दीदार कर लिया और वो भी बाबूजी ने
खुद करवाया था सो वो भी खुश होती हुई आई ओर बोली कि सच मे
भाभी आप का प्लान काम कर रहा है और मुझे लगता है कि आज की रात
हम दोनो की इच्छा पूरी हो जाएगी लेकिन उसे कैसे पूरी करना है ये रात
को ही पता चलेगा. मैने कहा कि वो तो है ही. और फिर बाबूजी शॉप पे
चले गये ओर हम दोनो रात का इंतज़ार करने लगी. करीब 8 बजे बाबूजी
आ गये ओर हम ने उन्हे खाना खिला दिया ओर फिर वहीं पे बैठ के टीवी
देखने लगी.दीदी बाबूजी के पास ही बैठी हुई थी बल्कि यू कहें कि
उनकी टाँगो से टाँगे ज़ोड कर बैठी हुई थी और मैं सोफे पे बैठी हुई
थी. दीदी की टाँगों के सपर्श की वजह से बाबूजी का लंड तना हुआ था
और उनकी लोवर ने टेंट बना रखा था और बाबूजी जान बूझ कर उधर देख
लेते थे ताकि दीदी का ध्यान भी उधर चला जाए और कभी कभी मेरी
तरफ भी देख लेते थे लेकिन मैं तो अंजान बनी बैठी थी. ओर अब
दीदी की धड़कने भी उनके खड़े हुए लंड को देख कर बढ़ने लगी थी
कितभि दीदी ने मेरे प्लान के मुताबिक एक दम से हाई मैं मर गई हाई
मैं क्या करूँ कर के चिल्लाना शुरू कर दिया. बाबूजी ने पूछा कि क्या
हुआ तो मैने कहा कि कुछ नही बस दीदी को थोडा सा दर्द शुरू हो जाता
है तो बाबूजी बोले कि कहाँ पे तो मैने कहा कि बाबूजी अब आप को मैं
क्या बताउ तो वो बोले कि प्ल्ज़ बताओ कि क्या हुआ है दीदी अभी भी
चिल्लाने का नाटक कर रही थी.