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Fantasy प्रेम... आत्मा की भूख है..
#32
हमने दिन मे ही बाबूजी के रूम की एक खिड़की खुली छोड़ कर उसका परदा


इस तारहे से कर दिया था ता कि हम अंदर का नज़ारा देख सके जब

हमने अंदर देखा तो बाबूजी बेड पे बैठे हुए थे और उन्होने अपना

11इंच का तना हुआ लंड आपने हाथ मे पकड़ रखा था और उसे हिला

रहे थे. दीदी ने मेरे कान मे कहा कि भाभी मैं अंदर जा रही

हूँ मैं अब नही रह सकती बाबूजी से चुदे बिना मेरे मूह मे पानी

आ रहा है उनका खड़ा हुआ लंड देख कर मैं नही रह सकती चुदे

बिना भाभी देखो ना बाबूजी का लंड भी चूत के लिए तड़फ़ रहा है ओर

उन्हे मूठ मारनी पड़ रही है लेकिन मैं उसे आपने रूम मे ले गई ओर

उसे समझाया की अगर तुम अब बाबूजी के सामने गई तो बाबूजी समझ

जाएँगे के ये हमारी चाल थी उन्हे फसाने की हमे खुद उनके पास नही

जाना है बल्कि ये करना है कि वो हमे चोदने को तड़प उठें और तुम ये

क्यू भूल रही हो कि वो मूठ भी तो हमारा नाम ले कर ही मार रहे

होंगे ओर फिर मैने दीदी को समझा भुजा कर सुला दिया. मैने दीदी को

करीब 4 बजे फिर उठा दिया कपड़े तो हम लोगों ने पहने हुए ही नही थे

दीदी ने पूछा कि अब क्या करना है तो मैने उसके कान मे सारी बात

समझा दी और खुद बाबूजी के रूम की तरफ गई और देखा कि वो सो रहे

हैं मैने जान बूझ कर किचन मे से एक गिलास ले कर नीचे गिरा

दिया और अपने रूम मे भाग कर आ गई मेरे अंदाज़े के मुताबिक बाबूजी

उठे ओर किचॅन मे गये और वहाँ देखा कि एक गिलास नीचे गिरा हुआ

है ओर सोचा कि कोई बिल्ली गिरा गई होगी ओर फिर वो हमारे रूम की तरफ

आने लगे उन्हे आता हुआ देख कर मैं ओर दीदी फिर शुरू हो गई और एक

दूसरे के बूब्स सहलाने लगी और चूत चाटने लगी एक दूसरी की.बाबूजी

पर्दे के पीछे खड़े हुए सब देख ओर सुन रहे थे. दीदी बोली कि भाभी

प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज या तो एक या दो दिन मे अपने जीजू को एक रात के लिए यहाँ बुला लो

नही तो मैं किसी और लंड से चुद जाउन्गि अब मुझसे रहा नही जा रहा

है मैं किसी को पकड़ के ही ले आउन्गि यहाँ दिन मे मुझे चोदने के

लिए तो मैने कहा कि और किस लंड से चुदवाने का इरादा है दीदी तो वो

बोली कि भाभी यही तो प्रॉबलूम है कि इस घर मे अभी कोई भी लंड

मोजूद नही है और फिर मैं बोली कि हे भगवान सुबह मुझे किसी खड़े

हुए लंड का दीदार करवा दे. और फिर हम दोनो एक दूसरे को चूमती ओर

चाटती हुई सोने का नाटक करने लगी. सुबह जब मैं उठी और बाबूजी के

लिए चाइ ले कर गई तो मैने देखा कि पहले के विपरीत आज बाबूजी नहा

कर तैयार हुए नही बैठे थे बल्कि लूँगी पहने हुए बैठे थे. मैने

टेबल पे चाइ रख दी ओर पूछा कि नाश्ते मे क्या लेंगे तो वो बोले कि

जो भी हो बना लो. बाबूजी बैठे हुए न्यूसपेपर पढ़ रहे थे. मैने

दीदी को नस्ता बनाने को कहा और खुद रोज की तारहे सफाई करने मे लग

गई. जब मैं बाबूजी के रूम मे झाड़ू लगाने गई तो भी वो सोफे पे

बैठे हुए न्यूसपेपर पढ़ रहे थे. जब मैं उनके सामने सफाई कर रही

थी तो मैने देखा कि अचानक उन्होने आपनी टाँगें थोड़ी सी खोल दी और

उनकी लूँगी थोड़ी सी सरक गई जिस की वजह से बाबूजी के तने हुए लंड

का सूपड़ा दिख रहा था. मैने उसे देखा तो देखती ही रह गई और जल्दी

से सफाई कर के किचॅन मे गई.

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RE: प्रेम... आत्मा की भूख है.. - by nitya.bansal3 - 30-08-2024, 12:26 PM



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