27-08-2024, 06:06 PM
(This post was last modified: 27-08-2024, 06:06 PM by nitya.bansal3. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सम्भोग एक ऐसा विषय है, जिसे हर कोई अनुभव करना चाहता है, चाहे वह महिला हो या पुरुष। कामुकता और सेक्स से जुड़ी बातें हर किसी को आकर्षित करती हैं, और ऐसा होना स्वाभाविक है क्योंकि यह हमारी प्रकृति का हिस्सा है। सहमति से किया गया सेक्स बिल्कुल गलत नहीं है, बल्कि इसे भी अन्य सामान्य क्रियाओं की तरह ही समझा जाना चाहिए।
सेक्स, जब सही ढंग से किया जाए, तो यह सबसे सुखद अनुभव हो सकता है। महर्षि वात्स्यायन जैसे महान दार्शनिक ने कामसूत्र जैसी पुस्तक में सेक्स का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है, जो दर्शाता है कि यह विषय चर्चा के योग्य है और इसे खुले मन से स्वीकार किया जाना चाहिए। ?
हालांकि, समाज में कुछ लोग खुद को अत्यधिक संस्कारवान दिखाने का प्रयास करते हैं। जब भी कोई सेक्स की बातें करता है, तो ये लोग बड़ी मर्यादा और नैतिकता का दिखावा करते हैं, जैसे वे इस विषय से बिल्कुल अनभिज्ञ हों। परंतु, वास्तविकता यह है कि यही लोग कामवासना में सबसे अधिक लिप्त होते हैं और अकेले में पोर्न वीडियो देखने से भी नहीं चूकते, लेकिन सबके सामने एक अलग चेहरा दिखाते हैं। ?
महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने कहा है कि जैसे नहाना, खाना, सोना-जागना हमारी दैनिक क्रियाएं हैं, ठीक वैसे ही सेक्स भी एक सामान्य क्रिया है। यह बस एकांत में की जाने वाली क्रिया है, लेकिन इसके बारे में बात करने में कोई बुराई नहीं होनी चाहिए। ?
मैं हर विषय पर खुलकर लिखती हूं, चाहे वह सेक्स हो या कोई अन्य मुद्दा। सेक्स पर बात करने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि बुराई तो किसी भी अच्छे काम में दुन्धा जा सकता है। इसलिए, क्यों न हम इस डर को छोड़कर इस पर भी खुलकर चर्चा करें? ✨
सेक्स, जब सही ढंग से किया जाए, तो यह सबसे सुखद अनुभव हो सकता है। महर्षि वात्स्यायन जैसे महान दार्शनिक ने कामसूत्र जैसी पुस्तक में सेक्स का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है, जो दर्शाता है कि यह विषय चर्चा के योग्य है और इसे खुले मन से स्वीकार किया जाना चाहिए। ?
हालांकि, समाज में कुछ लोग खुद को अत्यधिक संस्कारवान दिखाने का प्रयास करते हैं। जब भी कोई सेक्स की बातें करता है, तो ये लोग बड़ी मर्यादा और नैतिकता का दिखावा करते हैं, जैसे वे इस विषय से बिल्कुल अनभिज्ञ हों। परंतु, वास्तविकता यह है कि यही लोग कामवासना में सबसे अधिक लिप्त होते हैं और अकेले में पोर्न वीडियो देखने से भी नहीं चूकते, लेकिन सबके सामने एक अलग चेहरा दिखाते हैं। ?
महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने कहा है कि जैसे नहाना, खाना, सोना-जागना हमारी दैनिक क्रियाएं हैं, ठीक वैसे ही सेक्स भी एक सामान्य क्रिया है। यह बस एकांत में की जाने वाली क्रिया है, लेकिन इसके बारे में बात करने में कोई बुराई नहीं होनी चाहिए। ?
मैं हर विषय पर खुलकर लिखती हूं, चाहे वह सेक्स हो या कोई अन्य मुद्दा। सेक्स पर बात करने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि बुराई तो किसी भी अच्छे काम में दुन्धा जा सकता है। इसलिए, क्यों न हम इस डर को छोड़कर इस पर भी खुलकर चर्चा करें? ✨