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Fantasy प्रेम... आत्मा की भूख है..
#24
नेक्स्ट सुबह हम उठी और घर के काम मे लग गई जब मैं बाबूजी को


चाइ देने गई तो वो मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे थे मैं समझ

गई कि ये सब रात की वजह से है और मैने ये बात दीदी को बता दी और

जब वो बाबूजी के पास गई तो वो उसे भी उन्ही नज़रों से घूर रहे थे

ये दीदी ने बताया मुझे मैं समझ गई कि उनके मन मे हमारे खिलाफ

शंका का बीज जनम ले चुका है और ये ही हमारी सफलता के लिए ज़रूरी

भी था. बाबूजी खाना खाने के बाद शॉप पे चले गये थे मैं और

दीदी घर पे थी दीदी बहुत खुश नज़र आ रही थी मैने कारण पूछा

तो बोली कि भाभी क्यो अंजान बन रही हो ये सब आप की ही वजह से है

क्यो की आप के ही कारण मुझे बाबूजी के लंड के दर्शन हुए ओर उसे

चूसने का सोभाग्य मिला है मैं तो ये सोच कर खुश हो रही थी की

जब वो मेरे अंदर जाएगा तो मुझे कितना मज़ा आएगा. कुछ देर हम यू

ही बातें करते रहे और फिर शाम हो गई तो मैने कोई 6 बजे के करीब

शालु दीदी को बुलाया और आगे के प्लान पे काम करने को कहा तो उन्होने

झट से मेरे बेडरूम के डोर का शीशा तोड़ दिया हमारे यहाँ डोर मे

हाफ प्लाइ और हाफ शीशा लगा हुआ था जो हमने तोड़ दिया रात को अंदर

कुछ ना दिखे इस लिए हर शीशे के आगे परदा लगा हुआ था. हमने काँच

वहाँ से उठा दिया जब रात को बाबूजी आए तो दीदी ने सब से पहले

बाबूजी से ये ही कहा कि कल एक शीशा लगाने वाले को भेज दीजिएगा वो

मुझसे सफाई करते हुए शीशा टूट गया है बाबूजी बोले कि ठीक है

फिर मैने उन्हे खाना दिया और फिर 10 बजे गोलिओं वाला दूध पिला दिया और

फिर मैने और दीदी ने जी भर के बाबूजी के लंड को 20 मिंट तक चूसा

और फिर मैने दीदी से कहा क्या आज आप को पता है ना कि हमने क्या

करना है तो वो बोली कि याद है और फिर मैने बाबूजी के लंड पे अपनी

लापिसटिक के किस के निशान छोड़ दिए और हम दोनो बाबूजी का लोवर नीचे

ही छोड़ कर अपने रूम मे आ गई

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RE: प्रेम... आत्मा की भूख है.. - by nitya.bansal3 - 24-08-2024, 02:33 PM



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