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Fantasy प्रेम... आत्मा की भूख है..
#23
पहले तो मैने कहा कि नही दीदी लेकिन


जितनी उतावली आप हो रही हैं आप ने ज़रूर लगता है कि बहुत खाए है

तो वो बोली नही भाभी एक बाबूजी के लंड को पाने की तमन्ना की है ओर

लगता है कि वो अब आप की वजह से पूरी हो जाएगी लेकिन भाभी एक बात

पूछूँ मैने कहा कि पूछो तो वो बोली के भाभी जो तुम्हारा प्लान है उसे

तो तुम अकेली भी पूरा कर सकती थी घर पे किसी और को तो क्या मुझे

भी पता नही चलता कि आप ने क्या किया है फिर आप ने मुझे क्यो बुला

लिया तो मैने कहा कि दीदी पहले मेरा इरादा भी अकेले मज़ा लेने का था

लेकिन जब मैने पहले दिन बाबूजी का लंड देखा तो मैं सारी रात प्लान

बनाती रही उसे पाने का ओर प्लान मैने बना भी लिया था अकेले ही मज़ा

लेने का लेकिन फिर मैने सोचा कि जिसने मुझे उकसाया और ये बताया कि

मेरे घर पे इतना बड़ा लंड है ओर मेरे मन मे उसके लिए लालसा

भड़काई मैं उसे तो भूल ही रही हूँ.अगर मैं अकेली ही मज़ा ले

लूँगी तो ये ठीक नही होगा मैने सोचा कि ये आप का एहसान चुकाने का

अच्छा मौका है वो बोली कि कौन सा एहेसान चुकाने का तो मैने कहा कि

यही कि आप ने मुझे बाबूजी के लंड के बारे मैं जानकारी दी ओर मेरे

मन मैं उसे पाने की ख्वाइश पैदा की अब मैं भी तसली पा सकूँगी

और तुमसे कह सकूँगी कि सिर्फ़ आप ही नही हैं जिसने बड़े लंड से मज़ा

लिया है बल्कि मैं भी आप के बराबर ही 11इंच के लंड से चुद चुकी

हूँ. मेरी बातें सुन के वो बोली कि भाभी मैं आप को बहुत चाहती थी

लेकिन आज वादा करती हूँ कि अगर आप मेरी जान भी माँगोगी तो मैं दे

दूँगी आप मेरे बारे मैं इतना सोचती हैं.मैने उसे कहा कि दीदी आप

कैसी बातें करती हो आप आख़िर ननद हो मेरी मैं आप के बारे मैं

नही सोचूँगी तो किस के बारे मैं सोचूँगी. फिर वो बोली की वो तो ठीक

है भाभी लेकिन ये बताओ कि अभी आगे प्लान क्या है बाबूजी को पटाना

कैसे है अभी तो मैने उसके कान मे अपना सारा प्लान सुना दिया जिसे

सुनकर वो मेरी गालो को चूमने लगी और बोली कि भाभी गजब की चीज़ हो

आप मैने कहा की ठीक है अभी सो जाओ ओर वो सो गई.लेकिन मेरी आँखों

मैं नींद नही थी ओर मैं अपने प्लान के मुताबिक वेट कर रही थी

क्यो की मुझे यकीन था कि बाबूजी जब उठेंगे तो हमारे रूम की तरफ

ज़रूर आएँगे और मैं ये देखना चाहती थी कि वो आते हैं या नही इस

लिए मैं डोर के की होल मे आँखे लगा के बैठी थी और करीब

12.30 बजे बाबूजी उठे ओर मेरी सोच के मुताबिक वो हमारे रूम की तरफ

आए और डोर से कान लगा कर कोई आहट सुनने की कोशिश करने लगी

लेकिन दीदी सो गई थी और मैं कोई आहट करने वाली नही थी और 10 मिंट

रुकने के बाद वो आपने रूम मैं वापिस चले गये ओर मैं भी सो गई

लेकिन मन ही मन मैं बहुत खुश हो रही थी क्यो कि सब कुछ

मेरे प्लान के मुताबिक ही हो रहा था.(आप सोच रहे होंगे के मैने

अपनी ननद को साथ मे शामिल क्यो किया वो इस लिए क्यो कि मैं बाबूजी

को ये शो करवाना चाहती थी कि उनकी बेटी मुझ से ज़यादा उतावली है

किसी से सेक्स करने के लए मुझे तो वो इस्तेमाल कर रही है जब कि मैं

अपनी ननद को इस्तेमाल कर रही थी)

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RE: प्रेम... आत्मा की भूख है.. - by nitya.bansal3 - 24-08-2024, 02:31 PM



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