21-08-2024, 10:09 AM
तभी उसने कुत्ते की तरह मेरी कमर को पकड़ा और बिना कोई निशाना साधे अपनी कमर को हरकत देने लगा। हे भगवान, यह मानव स्वभाव भूल गया है क्या? अपने हाथ से अपने लंड को पोजीशन में क्यों नहीं रख रहा था? कुत्तों की तरह उसका लंड कभी मेरी चूत के छेद के इधर कभी उधर होता रहा और उस दौरान मेरी चूत के छेद के समीप आस पास, अगल बगल ठोकरों से मुझे फिर पीड़ा देने लगा। मैं परेशान होकर एक हाथ से उसके लंड को मेरी चूत छेद पर रखने की कोशिश की लेकिन वह मुझे मौका ही नहीं दे रहा था। किसी कुत्ते की तरह लगातार प्रहार पर प्रहार किए जा रहा था इस कारण मेरा प्रयास व्यर्थ हो गया, अंततः मैंने हार मान कर खुद को स्थिर किया जिसका परिणाम सार्थक हुआ। उसका लंड खुद ब खुद अपने निशाने पर टिक गया और एक ही धक्के में उस कमीने का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ जड़ तक दाखिल हो गया।
"आआआआआआह ओओओओओ.....मर गयीईईईईईई. .. .... " मेरी मर्मांतक चीख उस खंडहर में गूंज उठी। मैं इस तरह की पाशविक चुदाई की कल्पना नहीं की थी।
"चूऊऊऊऊऊप हरामजादी, तू मरेगी नहीं, हां अब तड़पेगी और उस घड़ी को कोसेगी जब तुमने मेरे अंदर के जानवर को जगाने की सोची थी।" कहकर वह अब पीछे से मेरी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए तूफानी रफ्तार से चोदना आरंभ कर दिया। इसी दौरान उत्तेजना के आवेग में वह अपने दांतों से मेरे कंधों पर दांत गड़ाना भी आरंभ कर दिया था। उफ उफ उफ उफ वह सचमुच जानवर बन चुका था। कुछ देर तो मैं दांत भींच कर दर्द को पीती रही लेकिन कुछ देर में मुझे उसकी वहशियाना हरकत बेहद उत्तेजक लगने लगी। मुझे अब बड़े आनंद की अनुभूति होने लगी और मैंने खुले दिल से उसकी वहशियाना हरकत में सहयोग करने लगी। मैं इतनी उत्तेजना कभी अनुभव नहीं की थी। उसकी तूफानी रफ्तार के कारण मैं इतनी ज्यादा कुछ ही देर में मैं झड़ने को वाध्य हो गई। ओह अद्भुत था वह स्खलन। अवर्णनीय था और अत्यंत सुखद था।
"आआआआआआह ओओओओओहहहहह.... ऊऊऊऊऊ मांआंआंआंआंआं...... बस्स्स्स् बस्स्स्स्स हो गया आआआआआआह......" मेरे मुंह से निकला।
"मेरा तो नहीं हुआ नाआआआआआ... " वह बोला और अपनी रफ़्तार दुगुनी कर दिया। वह कभी मेरे बालों को तो कभी मेरे कंधों को पकड़ कर पागलों की तरह चोदे जा रहा था। मैं ने अब अपने शिथिल होते शरीर को पूरी तरह उसके रहमो करम पर छोड़ दिया। पता नहीं आज उसे क्या हो गया था वह खल्लास होने का नाम ही नहीं ले रहा था। करीब आधा घंटा चोदने के बाद भी जब वह खल्लास नहीं हुआ तो अचानक उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मेरी गान्ड को निशाना बनाया।
"नहीं नहीं गांड़ नहीं," मैं चीख पड़ी। तभी मेरी गान्ड पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा।
"चुप हरामजादी," वह गुस्से से गुर्रा उठा और एक झटके में मेरी गान्ड को चीरता हुआ पूरा लंड घुसेड़ने लगा। यह सचमुच बहुत पीड़ादायक था। मेरी सूखी गांड़ को छीलता हुआ, उसका लंड घुसता जा रहा था और मैं दर्द से छटपटा रही थी। ओह ओह असहनीय दर्द। मुझे वह कस कर अपनी गिरफ्त में ले चुका था और मुझे विरोध करने से बिल्कुल असमर्थ कर चुका था। शनै शनै उसका लंड मेरी गान्ड में घुसता चला गया जो जड़ तक समा चुकने के बाद ही रुका। ओह मैं बता नहीं सकती हूं कि कितनी तकलीफदेह था वह। गनीमत थी कि उसका लंड मेरी चूत के रस से सना हुआ था वरना निश्चित तौर पर मेरी गान्ड बड़ी बुरी तरह ज़ख़्मी हो चुकी होती।
"आआआआआआह... .. ....." मैं चीख पड़ी। तभी मेरी पीठ पर उसका थप्पड़ पड़ा।
"साली चीख, और जोर से चीख, कुतिया की बच्ची, चुदने के लिए मरी जा रही थी ना, अब जितना चाहो चीखो चिल्लाओ, कोई मादरचोद इधर नहीं आने वाला है।" वह खूंखार लहजे में बोला और अब शुरू हुई मेरी गान्ड की कुटाई। वह मेरे कंधों को पकड़ कर भकाभक चोदना आरंभ कर दिया। शुरू में पीड़ा के मारे मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े थे लेकिन कुछ मिनट बाद ही मुझे फिर से मजा आने लगा। मैं आराम से अपनी गांड़ में उसका लंड लेने लगी थी। कुछ पलों पहले की पीड़ा छूमंतर हो चुकी थी और मैं फिर से उसकी निर्दयता पूर्वक चुदाई का आनंद लेने लगी थी। अभी उसके चोदने की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही थी और मैं फिर एक बार स्खलन के कागार पर पहुंचने वाली ही थी कि अचानक उसने अपना लंड पूरी तरह बाहर निकाल लिया जो उस पल के लिए मुझे तड़पने को मजबूर कर दिया था लेकिन वह मात्र पल भर की तड़प थी क्योंकि अगले ही पल उसने फिर से मेरी चूत पर धावा बोला और लो, हो गया उस भीषण चुदाई का अभूतपूर्व सुखद समापन। उसने कस कर मेरी चूचियों को दबाया और....
"आआआआआआह ओओओओओ.....मर गयीईईईईईई. .. .... " मेरी मर्मांतक चीख उस खंडहर में गूंज उठी। मैं इस तरह की पाशविक चुदाई की कल्पना नहीं की थी।
"चूऊऊऊऊऊप हरामजादी, तू मरेगी नहीं, हां अब तड़पेगी और उस घड़ी को कोसेगी जब तुमने मेरे अंदर के जानवर को जगाने की सोची थी।" कहकर वह अब पीछे से मेरी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए तूफानी रफ्तार से चोदना आरंभ कर दिया। इसी दौरान उत्तेजना के आवेग में वह अपने दांतों से मेरे कंधों पर दांत गड़ाना भी आरंभ कर दिया था। उफ उफ उफ उफ वह सचमुच जानवर बन चुका था। कुछ देर तो मैं दांत भींच कर दर्द को पीती रही लेकिन कुछ देर में मुझे उसकी वहशियाना हरकत बेहद उत्तेजक लगने लगी। मुझे अब बड़े आनंद की अनुभूति होने लगी और मैंने खुले दिल से उसकी वहशियाना हरकत में सहयोग करने लगी। मैं इतनी उत्तेजना कभी अनुभव नहीं की थी। उसकी तूफानी रफ्तार के कारण मैं इतनी ज्यादा कुछ ही देर में मैं झड़ने को वाध्य हो गई। ओह अद्भुत था वह स्खलन। अवर्णनीय था और अत्यंत सुखद था।
"आआआआआआह ओओओओओहहहहह.... ऊऊऊऊऊ मांआंआंआंआंआं...... बस्स्स्स् बस्स्स्स्स हो गया आआआआआआह......" मेरे मुंह से निकला।
"मेरा तो नहीं हुआ नाआआआआआ... " वह बोला और अपनी रफ़्तार दुगुनी कर दिया। वह कभी मेरे बालों को तो कभी मेरे कंधों को पकड़ कर पागलों की तरह चोदे जा रहा था। मैं ने अब अपने शिथिल होते शरीर को पूरी तरह उसके रहमो करम पर छोड़ दिया। पता नहीं आज उसे क्या हो गया था वह खल्लास होने का नाम ही नहीं ले रहा था। करीब आधा घंटा चोदने के बाद भी जब वह खल्लास नहीं हुआ तो अचानक उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मेरी गान्ड को निशाना बनाया।
"नहीं नहीं गांड़ नहीं," मैं चीख पड़ी। तभी मेरी गान्ड पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा।
"चुप हरामजादी," वह गुस्से से गुर्रा उठा और एक झटके में मेरी गान्ड को चीरता हुआ पूरा लंड घुसेड़ने लगा। यह सचमुच बहुत पीड़ादायक था। मेरी सूखी गांड़ को छीलता हुआ, उसका लंड घुसता जा रहा था और मैं दर्द से छटपटा रही थी। ओह ओह असहनीय दर्द। मुझे वह कस कर अपनी गिरफ्त में ले चुका था और मुझे विरोध करने से बिल्कुल असमर्थ कर चुका था। शनै शनै उसका लंड मेरी गान्ड में घुसता चला गया जो जड़ तक समा चुकने के बाद ही रुका। ओह मैं बता नहीं सकती हूं कि कितनी तकलीफदेह था वह। गनीमत थी कि उसका लंड मेरी चूत के रस से सना हुआ था वरना निश्चित तौर पर मेरी गान्ड बड़ी बुरी तरह ज़ख़्मी हो चुकी होती।
"आआआआआआह... .. ....." मैं चीख पड़ी। तभी मेरी पीठ पर उसका थप्पड़ पड़ा।
"साली चीख, और जोर से चीख, कुतिया की बच्ची, चुदने के लिए मरी जा रही थी ना, अब जितना चाहो चीखो चिल्लाओ, कोई मादरचोद इधर नहीं आने वाला है।" वह खूंखार लहजे में बोला और अब शुरू हुई मेरी गान्ड की कुटाई। वह मेरे कंधों को पकड़ कर भकाभक चोदना आरंभ कर दिया। शुरू में पीड़ा के मारे मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े थे लेकिन कुछ मिनट बाद ही मुझे फिर से मजा आने लगा। मैं आराम से अपनी गांड़ में उसका लंड लेने लगी थी। कुछ पलों पहले की पीड़ा छूमंतर हो चुकी थी और मैं फिर से उसकी निर्दयता पूर्वक चुदाई का आनंद लेने लगी थी। अभी उसके चोदने की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही थी और मैं फिर एक बार स्खलन के कागार पर पहुंचने वाली ही थी कि अचानक उसने अपना लंड पूरी तरह बाहर निकाल लिया जो उस पल के लिए मुझे तड़पने को मजबूर कर दिया था लेकिन वह मात्र पल भर की तड़प थी क्योंकि अगले ही पल उसने फिर से मेरी चूत पर धावा बोला और लो, हो गया उस भीषण चुदाई का अभूतपूर्व सुखद समापन। उसने कस कर मेरी चूचियों को दबाया और....