06-08-2024, 10:15 AM
मैंने मम्मी को कहा की मम्मी आप आराम करो मैं कार बुक करके आपको डॉक्टर के पास ले कर चलता हूँ / यह कह कर मैंने मोबाइल फोन पैर कार बुक की और डॉली को आवाज़ दी / डॉली के आने पर मैंने डॉली को बताया की मम्मी रसोई में गिर गई है और मैं मम्मी को लेकर डॉक्टर के पास जा रहा हूँ / तुम काम पर चली जाना मैं आज छुट्टी लेकर मम्मी के साथ रहूँगा / डॉली बोली : ठीक है रवि / मैं पार्लर जा रही हूँ, तुम मम्मी का ध्यान रखना / यह बोल कर डॉली अपने कमरे मैं चली गई / मुझे पता था की मैं जब मम्मी को डॉक्टर के पास ले कर जाऊंगा तो डॉली ऑफिस जा चुकी होगी / (डॉली एक ब्यूटी पार्लर चलती थी जहाँ पर नौ दस लड़कियां उसके पार्लर में काम करती थी / डॉली का ब्यूटी पार्लर का काम बहुत अच्छे से चल रहा था /)
थोड़ी देर में ही बुक की हुई कार आ गई और मैंने मम्मी को सहारा दे कर कार की तरफ ले कर चला / मम्मी ने मेरे कंधे पर हाथ डाला हुआ था और मेरे कंधे की तरफ भार डाला हुआ था जिस कारन मैंने अपना एक हाथ मम्मी की पीठ के पीछे से किया हुआ था और मम्मी के एक मुम्मे को को जोर से पकड़ा हुआ था / क्योंकि मेरा हाथ मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से मुम्मे के ऊपर था और मेरे हाथ के ऊपर मम्मी की साड़ी का पल्लू था इसलिए किसी को भी मेरा हाथ जो मम्मी के मुम्मे के ऊपर मैंने दबा रखा था, किसी को दिखाई नहीं दे रहा होगा / मेरे मुम्मे को दबाने पर मम्मी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया था / मैं समझ गया की मम्मी की भी यही इच्छा है /
मैंने डॉक्टर की पर्ची बनवा कर मम्मी को कुर्सी पर बिठाया और बिठाते हुए फिर से मम्मी के मुम्मे को अपने हाथों से जोर से बड़ा दिया / मम्मी के मूंह से फिर से एक सिसकी निकली / मैंने पुछा मम्मी क्या हुआ दर्द हुआ क्या ? मम्मी बोली – ह्म्न्म रवि, दर्द तो हुआ है, पर कहाँ पर दर्द हुआ है मुझे पता नहीं चल रहा है / डॉक्टर ने जब स्टेथोस्कोप को मम्मी की छाती पर लगाया तो स्टेथोस्कोप मम्मी के मुम्मे के अंदर तक चला गया / डॉक्टर को भी मम्मी के भारी भारी मुम्मों का पता चल गया था / वो भी मम्मी के मुम्मे के ऊपर ऊपर बार बार से चेक करने लगा /
मैंने पुछा - क्या हुआ डॉक्टर साहिब ? डॉक्टर साहिब ने कहा – अच्छे से चेक करना पड़ेगा / फिर वो मम्मी की तरफ देख कर केबिन की तरफ इशारा किया और बोला आप इधर केबिन के अंदर लेट जाईये मैं आपका अच्छे से चेक-अप करूँगा /
मैंने मम्मी को पकड़ कर उठाया और फिर से वाही क्रिया दोहरायी अर्थात मम्मी की पीठ के पीछे से अपना हाथ ले जाकर मम्मी के एक मुम्मे को अपने हाथ से दबा कर पकड़ लिया मम्मी कुछ नहीं बोली और खड़ी और मेरे साथ साथ घिसट कर चलते हुए केबिन की तरफ जाते हुए केबिन के एक छोटे से बेड पर लेट गई /
डॉक्टर ने केबिन के अंदर आ कर पहले स्टेथोस्कोप से मम्मी की छातियों को दबा दबा कर चेक किया और फिर अपने हाथों की उँगलियों को भी मम्मी के “वी शेप” गले के पास फिरते हुए पुछा कि आपको ठीक से चेक करना होगा कहीं कोई गुम चोट न लगी हो / फिर बोला – यहाँ तो दर्द नहीं हो रहा है आपको? / मम्मी बोली – नहीं यहाँ नहीं हो रहा / डॉक्टर ने मुम्मे के साइड पर जोर से दबाते हुए कहा – यहाँ? मम्मी – नहीं यहाँ भी नहीं / डॉक्टर ने मम्मी को कहा की वो पेट के बल लेट जाएँ ताकि वो पीछे से भी चेक कर सकें / मम्मी पेट नीचे कर के लेट गई / अब मम्मी की पीठ ऊपर की तरफ थी और पेट नीचे की तरफ था / मम्मी ने अभी भी साड़ी डाली हुई थी और मम्मी की नाभि अब टेबल के कपड़े को टच कर रही थी /
डॉक्टर ने मम्मी के ब्लाउज के नीचे जहाँ पर मम्मी की पीठ नंगी थी वहां पर अपने दोनों हाथों को फेरते हुए पूछा की यहाँ पैर तो दर्द नहीं है? मम्मी बोली नहीं यहाँ पर नहीं है / डॉक्टर ने फिर उपर के तरफ अपने दोनों हाथों की उँगलियों को ब्लाउज के नीचे से अंदर की तरफ सरकते हुए पुछा यहाँ पर ? मम्मी ने कहा – नहीं / डॉक्टर ने अपनी उँगलियों को और उपर ब्रा की पट्टी के नीचे से दबाते हुए पुछा – यहाँ पर / तो मम्मी ने फिर कहाँ नहीं / अब तो डॉक्टर भी समझ गया था की मम्मी की तरफ से कोई रूकावट नहीं है तो उसने अपने हाथों की उँगलियों को ब्रा की पट्टी की साइड से ले जाते हुए धीरे से मम्मी के मुम्मों को टच करते हुए पुछा – यहाँ / मम्मी – यहाँ भी नहीं /
डॉक्टर ने मम्मी के दोनों मुम्मों को ब्रा का अंदर से अपनी हथेली में भर लिया और पुछा – अब दर्द तो नहीं है / मम्मी के मूह से सिसकारी निकल गई – आह उम्म / जब डॉक्टर ने ऐसा सुना तो उसका औजार जो पहले थोडा थोडा खड़ा था बिलकुल टाइट हो गया / अब तो डॉक्टर भी समझ चूका था कि मम्मी को कहाँ कहाँ दर्द हो रहा था ?
डॉक्टर ने मम्मी को कहा की आपको थोडा अलग से टाइम लग सकता है आप साथ वाले कमरे में जा कर आराम कीजिये / मैं बाकि के मरीज देख कर आपको आराम से देखता हूँ / ये बात डॉक्टर ने मुझे भी बताई मैं समझ गया की डॉक्टर को भी अपनी ठरक पूरी करनी थी इसलिए मैंने मम्मी को साथ वाले कमरे में छोड़ दिया और मम्मी को बोला की मम्मी आप आराम कीजिये मैं आपको एक घंटे में वापिस आकर लेकर जाता हूँ / यह कहकर मैं वहां से चला गया /
मम्मी बिस्तर पर लेट गई और डॉक्टर का इंतज़ार करने लगी / मम्मी के मन में तितलियाँ उड़ रही थी वो सोच रही थी की अब आगे क्या होगा? अपने सारे मरीजों को देखने के बाद डॉक्टर लगबघ आधे घंटे के बाद कमरे में आया और कमरे की सारी बत्तियां बुझा दी अब बिस्टर पर सिर्फ खिड़की से ही रौशनी आ रही थी / और डॉक्टर ने आते ही कहा – सॉरी मुझे आने में देर हो गई / मम्मी बोली – कोई बात नहीं डॉक्टर साहिब /
डॉक्टर – मिसेज़ माधुरी, अब बताइए आपको कहाँ कहाँ दर्द हो रहा है?
मम्मी – जी डॉक्टर साब, आप मुझे प्लीज मधु बुलाइए, मैं आपसे छोटी हूँ /
डॉक्टर – जी आप भी मुझे सुनील बुलाएँ / मैं भी आपसे ज्यादा बड़ा नहीं हूँ / आपको मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है / जो भी परेशानी हो आप मुझे बता सकते हो /
यह सुनकर मम्मी का चेहरा शर्म से लाल हो गया / उन्होंने बताया की परेशानी तो मुझे बहुत है सुनील जी / मैं अब आपको क्या क्या बताऊँ ?
डॉक्टर : अरे मधु आप को शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है जो भी दिल में हो बता दीजिये /
मम्मी : जी सुनील जी / अब मैं क्या बताऊँ / फॅमिली में रवि के पापा, रवि और उसकी पत्नी डॉली हैं / जब जब में रात को या किसी और टाइम जब रवि अपनी पत्नी डॉली से प्यार करता है तो उनकी आवाजें सुन कर मैं परेशान हो जाती हूँ /
डॉक्टर : प्यार करने से आपका क्या मतलब है आपका, प्यार तो हर पति अपनी पत्नी से करता है ना ?
मम्मी : जी सुनील जी, मेरा मतलब है वो वाला प्यार, जो सिर्फ पति पत्नी ही करते हैं वो भी रात को, अकेले में (मम्मी ने शर्माते हुए डॉक्टर सुनील को बताया)
डॉक्टर सुनील ने एक्टिंग करते हुए कहा : अच्छा वो वाला प्यार, सीधा बोलिए ना की जब वो सेक्स करते हैं और गर्म गर्म आवाजें निकलते हैं, वाही ना ?
मम्मी : जी सुनील जी /
डॉक्टर : किस तरह की आवाजें आपको परेशान करतीं हैं मधु जी /
मम्मी : जी अब मैं आपको क्या बताऊँ? यह बोलकर मम्मी चुप हो गई /
सुनील ने मम्मी के कंधे पर अपना एक हाथ रखा और मम्मी के कंधे से नीचे सहलाते हुए ले कर आया और मुम्मे के पास आकर अपना हाथ रोक दिया और अपनी एक ऊँगली को मम्मी से टच करते हुए बोला – अरे अब डॉक्टर से कैसा शर्माना, जो भी आपके दिल मैं है आप बता दीजिये, मधु जी / शायद मैं आपकी मदद कर सकूँ /
मम्मी ने शरमाते हुए डॉक्टर सुनील को कहा: डॉक्टर साहब, मुझे भी अपनी बहु जैसा प्यार चाहिए, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े / बस मेरे मूंह से मेरी बहु डॉली जैसी मजेदार सिसकियाँ निकालनी चाहिए और प्यार में तृप्ति चाहिए /
डॉक्टर सुनील : मैं समझ गया मधु जी आपको क्या परेशानी है? मेरा क्लिनिक दोपहर में बंद रहता है, आप ऐसा कीजिये कल दोपहर में आ जाईये / मैं आपका बहुत अच्छे से इलाज़ कर दूंगा /
मम्मी ने बिना आवाज किये सिर को हाँ में हिला दिया और फिर डॉक्टर सुनील एक तरफ हो गया और मम्मी बेड से उठ गई / मम्मी ने बेड से नीचे उतरते हुए देखा की डॉक्टर सुनील के पेंट में एक मोटा तगड़ा उभार बना हुआ था / मम्मी कमरे से बहार आ गई और मैं मम्मी को लेकर घर आ गया /
मम्मी ने मुझे कार में बताया था की डॉक्टर सुनील ने इलाज के लिए मुझे कल दोपहर में बुलाया है / और कहा है कि देर लग सकती है / इसलिए मैं टेक्सी कर के अपने आप ही चली जाउंगी / मैं समझ गया की मम्मी डॉक्टर सुनील से कौन सा इलाज़ करवाएगी ?
थोड़ी देर में ही बुक की हुई कार आ गई और मैंने मम्मी को सहारा दे कर कार की तरफ ले कर चला / मम्मी ने मेरे कंधे पर हाथ डाला हुआ था और मेरे कंधे की तरफ भार डाला हुआ था जिस कारन मैंने अपना एक हाथ मम्मी की पीठ के पीछे से किया हुआ था और मम्मी के एक मुम्मे को को जोर से पकड़ा हुआ था / क्योंकि मेरा हाथ मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से मुम्मे के ऊपर था और मेरे हाथ के ऊपर मम्मी की साड़ी का पल्लू था इसलिए किसी को भी मेरा हाथ जो मम्मी के मुम्मे के ऊपर मैंने दबा रखा था, किसी को दिखाई नहीं दे रहा होगा / मेरे मुम्मे को दबाने पर मम्मी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया था / मैं समझ गया की मम्मी की भी यही इच्छा है /
मैंने डॉक्टर की पर्ची बनवा कर मम्मी को कुर्सी पर बिठाया और बिठाते हुए फिर से मम्मी के मुम्मे को अपने हाथों से जोर से बड़ा दिया / मम्मी के मूंह से फिर से एक सिसकी निकली / मैंने पुछा मम्मी क्या हुआ दर्द हुआ क्या ? मम्मी बोली – ह्म्न्म रवि, दर्द तो हुआ है, पर कहाँ पर दर्द हुआ है मुझे पता नहीं चल रहा है / डॉक्टर ने जब स्टेथोस्कोप को मम्मी की छाती पर लगाया तो स्टेथोस्कोप मम्मी के मुम्मे के अंदर तक चला गया / डॉक्टर को भी मम्मी के भारी भारी मुम्मों का पता चल गया था / वो भी मम्मी के मुम्मे के ऊपर ऊपर बार बार से चेक करने लगा /
मैंने पुछा - क्या हुआ डॉक्टर साहिब ? डॉक्टर साहिब ने कहा – अच्छे से चेक करना पड़ेगा / फिर वो मम्मी की तरफ देख कर केबिन की तरफ इशारा किया और बोला आप इधर केबिन के अंदर लेट जाईये मैं आपका अच्छे से चेक-अप करूँगा /
मैंने मम्मी को पकड़ कर उठाया और फिर से वाही क्रिया दोहरायी अर्थात मम्मी की पीठ के पीछे से अपना हाथ ले जाकर मम्मी के एक मुम्मे को अपने हाथ से दबा कर पकड़ लिया मम्मी कुछ नहीं बोली और खड़ी और मेरे साथ साथ घिसट कर चलते हुए केबिन की तरफ जाते हुए केबिन के एक छोटे से बेड पर लेट गई /
डॉक्टर ने केबिन के अंदर आ कर पहले स्टेथोस्कोप से मम्मी की छातियों को दबा दबा कर चेक किया और फिर अपने हाथों की उँगलियों को भी मम्मी के “वी शेप” गले के पास फिरते हुए पुछा कि आपको ठीक से चेक करना होगा कहीं कोई गुम चोट न लगी हो / फिर बोला – यहाँ तो दर्द नहीं हो रहा है आपको? / मम्मी बोली – नहीं यहाँ नहीं हो रहा / डॉक्टर ने मुम्मे के साइड पर जोर से दबाते हुए कहा – यहाँ? मम्मी – नहीं यहाँ भी नहीं / डॉक्टर ने मम्मी को कहा की वो पेट के बल लेट जाएँ ताकि वो पीछे से भी चेक कर सकें / मम्मी पेट नीचे कर के लेट गई / अब मम्मी की पीठ ऊपर की तरफ थी और पेट नीचे की तरफ था / मम्मी ने अभी भी साड़ी डाली हुई थी और मम्मी की नाभि अब टेबल के कपड़े को टच कर रही थी /
डॉक्टर ने मम्मी के ब्लाउज के नीचे जहाँ पर मम्मी की पीठ नंगी थी वहां पर अपने दोनों हाथों को फेरते हुए पूछा की यहाँ पैर तो दर्द नहीं है? मम्मी बोली नहीं यहाँ पर नहीं है / डॉक्टर ने फिर उपर के तरफ अपने दोनों हाथों की उँगलियों को ब्लाउज के नीचे से अंदर की तरफ सरकते हुए पुछा यहाँ पर ? मम्मी ने कहा – नहीं / डॉक्टर ने अपनी उँगलियों को और उपर ब्रा की पट्टी के नीचे से दबाते हुए पुछा – यहाँ पर / तो मम्मी ने फिर कहाँ नहीं / अब तो डॉक्टर भी समझ गया था की मम्मी की तरफ से कोई रूकावट नहीं है तो उसने अपने हाथों की उँगलियों को ब्रा की पट्टी की साइड से ले जाते हुए धीरे से मम्मी के मुम्मों को टच करते हुए पुछा – यहाँ / मम्मी – यहाँ भी नहीं /
डॉक्टर ने मम्मी के दोनों मुम्मों को ब्रा का अंदर से अपनी हथेली में भर लिया और पुछा – अब दर्द तो नहीं है / मम्मी के मूह से सिसकारी निकल गई – आह उम्म / जब डॉक्टर ने ऐसा सुना तो उसका औजार जो पहले थोडा थोडा खड़ा था बिलकुल टाइट हो गया / अब तो डॉक्टर भी समझ चूका था कि मम्मी को कहाँ कहाँ दर्द हो रहा था ?
डॉक्टर ने मम्मी को कहा की आपको थोडा अलग से टाइम लग सकता है आप साथ वाले कमरे में जा कर आराम कीजिये / मैं बाकि के मरीज देख कर आपको आराम से देखता हूँ / ये बात डॉक्टर ने मुझे भी बताई मैं समझ गया की डॉक्टर को भी अपनी ठरक पूरी करनी थी इसलिए मैंने मम्मी को साथ वाले कमरे में छोड़ दिया और मम्मी को बोला की मम्मी आप आराम कीजिये मैं आपको एक घंटे में वापिस आकर लेकर जाता हूँ / यह कहकर मैं वहां से चला गया /
मम्मी बिस्तर पर लेट गई और डॉक्टर का इंतज़ार करने लगी / मम्मी के मन में तितलियाँ उड़ रही थी वो सोच रही थी की अब आगे क्या होगा? अपने सारे मरीजों को देखने के बाद डॉक्टर लगबघ आधे घंटे के बाद कमरे में आया और कमरे की सारी बत्तियां बुझा दी अब बिस्टर पर सिर्फ खिड़की से ही रौशनी आ रही थी / और डॉक्टर ने आते ही कहा – सॉरी मुझे आने में देर हो गई / मम्मी बोली – कोई बात नहीं डॉक्टर साहिब /
डॉक्टर – मिसेज़ माधुरी, अब बताइए आपको कहाँ कहाँ दर्द हो रहा है?
मम्मी – जी डॉक्टर साब, आप मुझे प्लीज मधु बुलाइए, मैं आपसे छोटी हूँ /
डॉक्टर – जी आप भी मुझे सुनील बुलाएँ / मैं भी आपसे ज्यादा बड़ा नहीं हूँ / आपको मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है / जो भी परेशानी हो आप मुझे बता सकते हो /
यह सुनकर मम्मी का चेहरा शर्म से लाल हो गया / उन्होंने बताया की परेशानी तो मुझे बहुत है सुनील जी / मैं अब आपको क्या क्या बताऊँ ?
डॉक्टर : अरे मधु आप को शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है जो भी दिल में हो बता दीजिये /
मम्मी : जी सुनील जी / अब मैं क्या बताऊँ / फॅमिली में रवि के पापा, रवि और उसकी पत्नी डॉली हैं / जब जब में रात को या किसी और टाइम जब रवि अपनी पत्नी डॉली से प्यार करता है तो उनकी आवाजें सुन कर मैं परेशान हो जाती हूँ /
डॉक्टर : प्यार करने से आपका क्या मतलब है आपका, प्यार तो हर पति अपनी पत्नी से करता है ना ?
मम्मी : जी सुनील जी, मेरा मतलब है वो वाला प्यार, जो सिर्फ पति पत्नी ही करते हैं वो भी रात को, अकेले में (मम्मी ने शर्माते हुए डॉक्टर सुनील को बताया)
डॉक्टर सुनील ने एक्टिंग करते हुए कहा : अच्छा वो वाला प्यार, सीधा बोलिए ना की जब वो सेक्स करते हैं और गर्म गर्म आवाजें निकलते हैं, वाही ना ?
मम्मी : जी सुनील जी /
डॉक्टर : किस तरह की आवाजें आपको परेशान करतीं हैं मधु जी /
मम्मी : जी अब मैं आपको क्या बताऊँ? यह बोलकर मम्मी चुप हो गई /
सुनील ने मम्मी के कंधे पर अपना एक हाथ रखा और मम्मी के कंधे से नीचे सहलाते हुए ले कर आया और मुम्मे के पास आकर अपना हाथ रोक दिया और अपनी एक ऊँगली को मम्मी से टच करते हुए बोला – अरे अब डॉक्टर से कैसा शर्माना, जो भी आपके दिल मैं है आप बता दीजिये, मधु जी / शायद मैं आपकी मदद कर सकूँ /
मम्मी ने शरमाते हुए डॉक्टर सुनील को कहा: डॉक्टर साहब, मुझे भी अपनी बहु जैसा प्यार चाहिए, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े / बस मेरे मूंह से मेरी बहु डॉली जैसी मजेदार सिसकियाँ निकालनी चाहिए और प्यार में तृप्ति चाहिए /
डॉक्टर सुनील : मैं समझ गया मधु जी आपको क्या परेशानी है? मेरा क्लिनिक दोपहर में बंद रहता है, आप ऐसा कीजिये कल दोपहर में आ जाईये / मैं आपका बहुत अच्छे से इलाज़ कर दूंगा /
मम्मी ने बिना आवाज किये सिर को हाँ में हिला दिया और फिर डॉक्टर सुनील एक तरफ हो गया और मम्मी बेड से उठ गई / मम्मी ने बेड से नीचे उतरते हुए देखा की डॉक्टर सुनील के पेंट में एक मोटा तगड़ा उभार बना हुआ था / मम्मी कमरे से बहार आ गई और मैं मम्मी को लेकर घर आ गया /
मम्मी ने मुझे कार में बताया था की डॉक्टर सुनील ने इलाज के लिए मुझे कल दोपहर में बुलाया है / और कहा है कि देर लग सकती है / इसलिए मैं टेक्सी कर के अपने आप ही चली जाउंगी / मैं समझ गया की मम्मी डॉक्टर सुनील से कौन सा इलाज़ करवाएगी ?
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!