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(19-01-2019, 09:36 AM)komaalrani Wrote: वोमेन आन टॉपAah kya mast ckdwa ka malai se bhari chut dikhai ho bhauji Komal aisi chut mujhe chusna bahut pasand hai khub man se achhi tarah chusta hu
और एक बार फिर मैं ऊपर थी।
फिर से वोमेन आन टॉप।
करीब करीब आधे घंटे हो चुके थे ।
शुरू शुरू में तो बस हलके हलके मैं प्यार से कभी उन्हें चूमती , बाल सहलाती , इयर लोब्स किस कर लेती और उनके हर धक्के का जवाब उसी रफ्तार से देती , लेकिन धीरे धीरे मैंने रफ़्तार तेज की , और साथ में कम्प्लीट अटैक।
जोर जोर से मैंने उनके निप्स किस करने , बाइट करने शुरू दिए ( मैं जान गयी थी की , उनके निप्स भी उतने ही सेंसिटिव हैं जित्ते मेरे ) , मेरी उंगलिया हलके हलके , उनके देह पर टहल रहीं थी , सहला रहा थीं , काम की आग और भड़का रही थीं। फिर साथ में शब्दों के काम बाण भी ,
" क्यों मुन्ना मजा आ रहा है न ,बोल न "
"उन्ह , हूँ हाँ, ओह , हाँ " सिसकियों के साथ उनकी आवाज निकल रही थी और एक बार फिर बाजी उनके हाथ से फिसल रही थी।
और फिर मैंने एक साथ दुहरा हमला , मेरी योनि ने पूरी ताकत से उनके लोहे के राड से कड़े शिश्न को निचोड़ लिया ,और साथ ही मेरे उरोज सीधे उनके होंठों पे हलक से ब्रश करते दूर हट गए।
" क्या करती हो " वो चीखे , और एक बार फिर मेरे निप्स उनके लिप्स पे , रगड़ते हुए उनके कान में मैं बोली ,
" बोल लोगे ,अरे सोच उस के निप्स कित्ते मीठे रसदार होंगे , छोटे छोटे कच्चे टिकोरे , अबकी तो मैं तुम्हे तेरे माल की कच्ची अमिया खिला के ही रहूंगी , बोल ,.... बोल खायेगा न। "
" हूँ हां दो न , " वो सिसक रहे थे।
" तो एक बार बोल दे न , नाम बस बोल दे न ,नाम लेने में शर्म। " मैंने और अांच बढ़ाई।
मेरे कड़े कड़े निपल्स बस इंच भर से भी कम दूरी पे थे , उनके होंठों से।
वो तड़प रहे थे ललचा रहे थे।
"बोल न , सिर्फ नाम " मैंने जोर से उनके निप्स पिंच कर के कहा।
" ओह्ह हां ,उन्ह , वो गुड्डी , ....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दो न "
और मैं ये मौक़ा नहीं छोड़ने वाली थी ,
" चल तू मान गए , गुड्डी तेरा माल है। और उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त हैं , चल अबकी तेरे मायके चलेंगे न तो दिलवा दूंगी ,उसके कच्चे टिकोरे। ले ले "
और उन्होंने जवाब अपने होंठ खोल के दिया , मेरे निप्स अंदर।
……………
पूरे निप्स मैंने अंदर ठेल के उनका मुंह बंद कर दिया ,कलाइयां उनकी मेरे दोनों हाथों में कैद थीं और एक बार फिर मैंने फुल स्पीड में ,
क्या कोई मर्द पेलेगा , ऐसे जोर जोर से हचक हचक कर , ऊपर नीचे , कभी गोल गोल तो कभी आगे पीछे ,
और थोड़ी देर में उनका कंट्रोल खत्म हो गया था मेरे धक्को का जवाब वो दूनी स्पीड से देने की कोशिश कर रहे थे , पूरी ताकत से धक्के पे धक्का ,
मेरे होंठ कभी उनके होंठ चूमते कभी कचकचा के गाल काटते तो कभी हलके से निप्स की बाइट ,
और यही तो मैं चाहती थी इस रफ्तार से उनकी गाडी बहुत देर तक नहीं चल सकती थी और फिर साथ में मेरे कमेंट्स , उनकी मायकेवालियों के बारे में ख़ास तौर से उनके फेवरिट माल ,… कच्चे टिकोरे वाली के बारे में।
" यार घबड़ा मत , तुझे तो मैं बहनचोद बना के रहूंगी ,और हाँ ऐसे ही , मेरे साजन , …मैं अपने से बोल रही थी , लेकिन उन्हें सुनाकर।
और उनके धक्को से लग रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा है। और ये भी की बस वो कगार पर हैं। "
मैने फिर छेड़ा ,
" उसकी कित्ती कसी होगी , मुश्किल से 16-17 की होगी वो तेरा मॉल न ,अरे ज़रा जोर धक्के मार न मेरे राजा हलके धक्के से कैसे फटेगी मेरी ननदिया की , मेरे राज्जा। "
और फिर तो उन्होंने वो जोर से धक्का मारा नीचे से की ,
और फिर मेरा आखिरी हमला
और साथ में मेरी तरजनी जो हलके हलके उनके पिछवाड़े के छेद को सहला रही थी , गचाक से उनके धक्के के बराबर की ताकत से , गांड में .... दो पोर अंदर।
कुछ मेरी बातों का असर , और कुछ ऊँगली का ,
जोर के झटके से , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह , और सफेद गाढ़ा थक्केदार फुहारा