24-07-2024, 03:17 PM
(13-04-2024, 07:01 AM)एक्सबीक्सॉसिप2 Wrote: अगला अपडेट भाई...please reply boss this stories
सावी की बस्ती में होलिका दहन या सभी के नेहा के साथ छेदखानी या मजे
आखिर वो समय एक ही गया जिसका सबका इंतजार था होली की जलने की रात
सावी या छेदीलाल के घर के पास होलिका दहन की तयारी जोर शोर से चल रही थी... या सावी या छेदीलाल को तो बस निश्चित या नेहा का ही इंतजार सताए जा रहा था या का अपनी बुलबुल का। या तभी इंतज़ार के घड़िया ख़तम होती होई नज़र आने लगी क्योंकि सामने से एक संगे-मम्मर की मूरत नज़र आने लगी। या फिर
उसकी परछाई में उसका पति निशित बाबू सब नेहा को देखते ही रह गए क्योंकि वो रूप की मलिका या जो भी देखे उसे वो हमेशा बेदाग चाँद (चाँद) ही नज़र आती थी पर लोगो को क्या पता की चाँद के जेसे इस चाँद में भी दाग लग चुका है या वो भी एक या दो नहीं 3 या कहो 4 अब सभी सामने से अति हुई हूर या लंगूर को देख रहे थे जो कि होली दहन में शामिल हो रहे थे..
अब देखना ये था कि अपनी सबकी चाहत नेहा के साथ क्या धमाल होना है.. तो चलिए अब आगे....
निशित - अरे नेहा तुमने तो मेरी सोच को ही फेल कर दिया है। क्या ड्रेस चुननी है मजा आ गया।
(क्योंकि नेहा ने एक सदी पसंद की थी या वो भी पारदर्शी जैसी ही थी या सफ़ेद भी वो एक सफ़ेद दामन को इस्तेमाल करती थी वो आज अपने चाहने वालो के साथ रंगवाने वाली थी.. वो भी बहुत ना-नुकुर करके अपने हिसाब से..)
छेदीलाल - अरे सवी देख तो अपनी बुलबुल आ गई है अब तो ऐसा लगता है कि ये मुझे अपने हुस्न से पागल ही कर देगी साली ने दिमाग ही खराब कर दिया है इसको पीने के बाद शराब को कोई गले लगाए वो कोई चुटिया ही होगी। सावी- क्या छेदीलाल तूने तो कितनी बार इसे पिया या चखा है अब तेरी बुलबुल को यहां पर या कितने मन ही मन में पिएगा या चाहेगा। देखना.. सबका खड़ा कर देती है यही है मेरी मालकन। छेदीलाल - तेरी मालकन होगी अब ये मेरी रंडी या पलटू कुतिया है देख कर नहीं जा रहा क्या करूँ मदारचूड़। सावी - थोड़ी देर सबरा करो कहा है ना कि सबरा का फल मीठा होता है फिर मौका मिले तो अपनी कहानियों का रस या सहद जो भी है निचोड़ लेना मैं तो तेरे ही साथ हूं.. छेदीलाल - अरे छोटू इधर तो वहां खड़ा क्या कर रहा है.. छोटू - उस्ताद अभी आया... मैं वहां होलिका दहन की त्यारी करवा रहा था। छेदीलाल - अरे मेरी बुलबुल आ रही है उसकी कोन तेरा बाप तैयार करेगा। ? छोटू- अरे उसदाद आप हुकुम तो करो ऐसी तैयारी करोना कि आप भी कहोगे कि मजा आ गया या मुझे भी कुछ इनाम मिल जाए तो मेरा भी भला हो जाएगा। छेदीलाल - साले हरामी मेरे माल पर अपनी गंदी नजर मत डाल... चल तो भी क्या याद करेगा तुझे भी अपनी छमिया के मजे करवा दूंगा अब ज्यादा मत उड़ना या उसको कुछ पता नहीं चलने देना.. समझ कुत्ते हड्डी देखी के नोचने चले ऐ . अब जा दिमाग़ मा खा. निशित - नेहा हम सही समय पर आए हैं मैं तो सोच रहा था कि कहीं तुम्हारी वजह से हमें देर नहीं हुई है।
नेहा - तुमने मुझे फिर से दोष दिया कि मेरी वजह से तुम्हें देरी हो गई है।
निशित - नेहा तुम तो इतनी जल्दी नाराज़ हो जाती हो। मैंने तुमसे कुछ कहा क्या?
या कहूँगा तो सिर्फ ये कि मेरी बीबी को देख कर आज होली के साथ-साथ पता नहीं कितनों को जलाने वाली है.. हा हा हा.. हसने लगता है..
नेहा - खूब लो तुमने ही कहा था कि ऐसी ड्रेस पहनूं कि मैं सबसे ज्यादा हॉट या सेक्सी लगू. अब मुझे कुछ ना कहो तो अच्छा। या कुछ ओपेर आला हो जाए तो मुझे मत कहना.. यहां पर तुम्हारे छेदीलाल जैसा कोई दोस्त है.. या फिर होली है तो कुछ कह भी नहीं सकते..
निशित - हा मेरी जान बड़े मुश्किल से तुम राजी हुई हो मैं कुछ नहीं कहूंगा या किसी ने कहा है कि बुरा ना मानो होली है.. तो हम एन्जॉय करने के लिए ही तो आए हैं..
या रहा मेरे दोस्तों का सवाल तो आप कुछ की मालकिन या भाभी भी तो लगती हो हमसे जुड़ें अगर आज कोई तुम्हें थोड़ा परेशान करे करे या छेड़े तो चलता है यार... यहां गांव में ऐसे ही होली मनाते हैं.. क्या हम इन लोगों की खुशी के लिए इतना ही नहीं कर सकता बोलो जरा?
नेहा- मैं क्या बोलूं आपने ही सब कह दिया है पर जरा अपने दोस्तों से कह देना कि अपनी लिमिट में रहो...उनकी भाभी हूं बीबी नहीं।
निशित - हा मैं सब संभाल लूंगा तुम इसकी चिंता मत करो। (यार मैं कहता है आज मैं तुम्हें कितना एन्जॉय करता हूं वो तुम नहीं जानता मैं सब जानता हूं नेहा आज तो मुझे बहुत मजा आने वाला है मैंने तुम्हारे लिए एक सरप्राइज रखा है जो मुझे जब पता चला तो मेरी जोड़ी जमीन से खिसक गई थी) वो आप लोगों को बाद में पता चलेगा.. वो राज.......
नेहा - (यार मैं) हा तुम अपना तुम्हें तो संभाल नहीं सकते लेकिन अपनी बीबी को उसके चाहने वालो को क्या खाक संभालोगे.. निशित.. तुमने ही मुझे इस दलदल में ढकेला है ना मुझे उस छेदीलाल के यहां का बनारसी पान की आदत डालते ना ही मुझे उस छेदीलाल का डंडा अपनी मुनिया में डलवाना पड़ता..
निशित - (यार मैं) नेहा तुम मुझे बिल्कुल भी प्यार नहीं करने देती थी बस जब देखो साफ-सफाई या सेक्स टाइम में ये नहीं करती मैं कभी अपने मुँह में नहीं लेती या अपनी गांड यानि की गांड नहीं मारवाड़ी ये सब नाटक करती थी.. अब तुम नेहा एक रंडी को भी फेल कर दो.. मैंने तुम्हें वो बना दिया है .. या तुम मुझे सब के लिए दोष दे रही हो जबकी तुम कितना एन्जॉय कर रही हो मैं जानता हूं..
ये सब निशित ने छेदीलाल के गांव में उसके दोस्त के मुंह से सुना था तबसे उसके आदमी में था कि नेहा को छेड़ी के अलावा कोई बेरहमी से छूटता है तो वो या कोई सिर्फ "भीम " हाय है... जो उसे किसी ने नहीं बताया था...
अब निशित की एक तमन्ना या पूरी होने वाली थाई वो ये कि होली पर छेदीलाल के यहां गांव मेरी मां की तबीयत खराब का संदेश लेकर भीमा आनेवाला है या वो ही छेदी के रंडी या छिनाल को उसकी औकात दिखती है वो भी निशित के बिस्तर पर वो तो आनेवाला कल ही बताएगा.. पर ये सब होगा कैसे वो तो निशित या वक्त ही बताइयेगा..
शाम के 6:50 हो रहे थे या निशित या नेहा होलिका दहन में आ गए थे निशित ने नेहा के पर्स में एक माइक्रोफोन लगा रखा था जो नेहा को भी पता नहीं था...
छेदीलाल - आइए निशित बाबू या नेहा भाभी जी आज अपने ये साबित कर दिया कि हम लोगों को भी कोई इतना प्यार मेरा मतलब है कि महत्व (महत्व) देने वाला है..
निशित - क्या छेदी जी कोई बात करते हैं आप बुलाए या हम ना आए ये तो हो ही नहीं सकते अपने दोस्तों को भी कोई नाराज करता है भला वो भी होली के मौके पर
नेहा- सवि कहीं देखी नहीं दे रही है कहां है वो
छेदियालाल - होगी कहां अपने घर में कुछ काम से गई होगी जग्या का जोड़ा फिसलने से मोच जो आ गई है उसे पसंद करने जाना पड़ता है... अभी जाएगी..
नेहा- (यार मैं) जैसे ही पेसाब करने के लिए बात सुनती हूं इस्तेमाल करने के लिए अपने या जग्या की फिस्र्ट चुदाई का नजारा आंखों के सामने आ जाता है.. जिसके पूरे शरीर में सिरहन दौड़ जाती है... या रोम-रोम खड़ा हो जाता है कि कैसे जग्या ने अपने जाल में फंसाकर बेरहमी से छोड़ा था .. या नेहा के ना चाहते हुए वो पहली बार जग्या एक मेले कुचेले गरीब या गंदे बुद्ध से चुदी थी..
दोस्तो आपको मेरा छोड़ा सा अपडेट कैसा लगा कमेंट जरूर करें.. तो या फिर भी अपडेट करूंगा..