16-07-2024, 11:43 AM
तभी मानो एक चमत्कार हो गया। जैसे ही मेरा शरीर शिथिल होने लगा, मेरी चूत का संकुचन ढीला पड़ने लगा और स्खलन पूर्ण होते न होते मेरे भीतर से बैंगन को बाहर निकलने के लिए चूत ने पूरी तरह से द्वार खोल दिया। इस स्वर्णिम अवसर पर मैंने अपनी बची खुची शक्ति एकत्रित करके अपने अंदर से एक जोर का दबाव दिया, फलस्वरूप मेरी चूत की तरफ से "फच्च" की एक जोरदार आवाज आई और उसी आवाज के साथ मुझे महसूस हुआ जैसे एक बड़ा सा गोला मेरी चूत से एक रफ्तार के साथ झटके में बाहर निकल आया हो। यह और कुछ नहीं, वही चमचमाता बैंगन था जिसके मेरी चूत के अंदर फंसे रहने से मेरी जान सांसत में फंसी हुई थी। निकलने के क्रम में मुझे फिर एक क्षणिक पीड़ा का अहसास हुआ लेकिन वह पीड़ा, उस बैंगन से मुक्ति के सामने कुछ नहीं था। उस शैतान बैंगन को मेरी चूत ने करीब दो फीट दूर फेंक दिया था। मैंने राहत की एक लंबी सांस ली और उस चमचमाते बैंगन को देखने लगी जिसने मेरी जान सांसत में डाल रखी थी। अब मुझे उस बैंगन से कोई शिकवा शिकायत नहीं थी। मुझे कुछ पलों पहले के उस आनंद का स्मरण हो आया जब मैं हस्तमैथुन का आनंद ले रही थी और मेरी हर सांस के साथ चूत के अंदर बैंगन हलचल मचाता हुआ उस मैथुन के आनंद को दुगुना कर रहा था। यह सोच कर मुझे बैंगन पर बड़ा प्यार आ रहा था। अब जब मैं बैंगन को देख रही थी तो मुझे ऐसा लगा जैसे वह बैंगन मुझे देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा हो और उसकी मुस्कान संतुष्टि की मुस्कान थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी हसरत पूरी हो गई हो।
"साले मेरी जान सांसत में डालकर अब मुझ पर मुस्कुरा रहे हो?" मैं मुस्कुरा कर बड़बड़ाई। बैंगन भी मुस्कुरा रहा था। तभी मुझे एक और बात का अहसास हुआ, और वह था उस साढ़े तीन इंच मोटे बैंगन को अपनी चूत में सफलता पूर्वक अंदर लेने की सक्षमता। हां यह सच था कि मेरी चूत फटी भी नहीं और उतना मोटा बैंगन मेरी चूत में दाखिल भी हुआ और निकल भी गया। हां थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मैं जान गई कि इतने मोटे लंड से चुदने में सक्षम हूं और थोड़ी और अभ्यस्त हो जाऊं तो यह थोड़ा दर्द भी नहीं होगा। अब इतने मोटे लंड से मैं आराम से मजा ले सकती हूं। इसी के साथ खीरा के इस्तेमाल से मुझे पता चल गया कि इतने लंबे लंड से भी मुझे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। अनायास मेरा हाथ अपनी चूत पर चला गया और मुझे अपनी उंगलियों से पता लगा कि मेरी चूत का प्रवेश द्वार काफी फैल चुका है लेकिन जैसे ही मैंने अपनी चूत को संकुचित करने का प्रयास किया तो यह देखकर चकित रह गयी कि अपनी चूत से अपनी उंगली को दबोच लेने में सक्षम थी।
"वाह री रोजा, तू तो इतनी सी उम्र में ही बड़ी कुशल लंडखोर बनती जा रही है।" मैं बड़बड़ा उठी। इसी के साथ मैं बिस्तर से उठी और खीरा और बैंगन को अच्छी तरह से धो पोंछ कर फिर से उसी डिब्बे में रख दी। अब मैं अपने ड्रेसिंग टेबल के सामने नंगी ही खड़ी हो गई और अपनी चूत का मुआयना करने लगी। देखने में मेरी चूत का साईज सामान्य ही दिखाई दे रहा था लेकिन थोड़ी बाहर की ओर उभर आई थी जो कि स्वाभाविक भी था, आखिर इतना लंबा खीरा और इतना मोटा बैंगन जो मेरी चूत में अंदर बाहर हुआ था, थोड़ी सूजन तो होनी ही थी मगर मुझे इसकी परवाह नहीं थी। एक संतोष था कि अब मैं लंबे मोटे लंड से चुदवाने के लिए पूरी तरह सक्षम हूं। फिर मैं बाथरूम में जाकर अच्छी तरह से अपनी चूत को साफ़ किया और पुनः बिस्तर पर आ कर निश्चिंत हो कर पसर गई और कब निद्रा देवी के आगोश में चली गई पता ही नहीं चला।
"साले मेरी जान सांसत में डालकर अब मुझ पर मुस्कुरा रहे हो?" मैं मुस्कुरा कर बड़बड़ाई। बैंगन भी मुस्कुरा रहा था। तभी मुझे एक और बात का अहसास हुआ, और वह था उस साढ़े तीन इंच मोटे बैंगन को अपनी चूत में सफलता पूर्वक अंदर लेने की सक्षमता। हां यह सच था कि मेरी चूत फटी भी नहीं और उतना मोटा बैंगन मेरी चूत में दाखिल भी हुआ और निकल भी गया। हां थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मैं जान गई कि इतने मोटे लंड से चुदने में सक्षम हूं और थोड़ी और अभ्यस्त हो जाऊं तो यह थोड़ा दर्द भी नहीं होगा। अब इतने मोटे लंड से मैं आराम से मजा ले सकती हूं। इसी के साथ खीरा के इस्तेमाल से मुझे पता चल गया कि इतने लंबे लंड से भी मुझे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। अनायास मेरा हाथ अपनी चूत पर चला गया और मुझे अपनी उंगलियों से पता लगा कि मेरी चूत का प्रवेश द्वार काफी फैल चुका है लेकिन जैसे ही मैंने अपनी चूत को संकुचित करने का प्रयास किया तो यह देखकर चकित रह गयी कि अपनी चूत से अपनी उंगली को दबोच लेने में सक्षम थी।
"वाह री रोजा, तू तो इतनी सी उम्र में ही बड़ी कुशल लंडखोर बनती जा रही है।" मैं बड़बड़ा उठी। इसी के साथ मैं बिस्तर से उठी और खीरा और बैंगन को अच्छी तरह से धो पोंछ कर फिर से उसी डिब्बे में रख दी। अब मैं अपने ड्रेसिंग टेबल के सामने नंगी ही खड़ी हो गई और अपनी चूत का मुआयना करने लगी। देखने में मेरी चूत का साईज सामान्य ही दिखाई दे रहा था लेकिन थोड़ी बाहर की ओर उभर आई थी जो कि स्वाभाविक भी था, आखिर इतना लंबा खीरा और इतना मोटा बैंगन जो मेरी चूत में अंदर बाहर हुआ था, थोड़ी सूजन तो होनी ही थी मगर मुझे इसकी परवाह नहीं थी। एक संतोष था कि अब मैं लंबे मोटे लंड से चुदवाने के लिए पूरी तरह सक्षम हूं। फिर मैं बाथरूम में जाकर अच्छी तरह से अपनी चूत को साफ़ किया और पुनः बिस्तर पर आ कर निश्चिंत हो कर पसर गई और कब निद्रा देवी के आगोश में चली गई पता ही नहीं चला।