22-06-2019, 05:22 PM
सविता आटो से ऊतरती हुई रमेश भैया को उंगली के ईशारे से अपने पास बुलाई फिर उस आदमी से कुछ बोली। वह व्यक्ति अपने पाकेट से कुछ हरे हरे नोट रमेश भैया के हाथों में डालकर ,सविता के कमर में हाथ डालकर वापस ढाबे कि ओर बढ चला। अनजान लोगों से तो मैं भी चुद चुकी थी, पर ईस तरह कि मोल भाव नही देखी थी ।उत्सुकता वश मैं सविता को ऊस व्यक्ति के साथ जाते देख रही थी ।उन दोनो को आते देख दो नवजवान जो ढाबे के सामने रखे कुर्सियों पर बैठे थे,वे सविता और उसके साथ वाले व्यक्ति के पास आ गए, उनमें से एक नवजवान ने अपनी हाथ बढा कर सविता के चुंचियों के तरफ ईशारे से कुछ बोला, दूर से मुझे उस जवान व्यक्ति के हाथ कि उंगलियां सविता कि चुंचियों को जैसे छु रहा था। ईधर रमेश भैया आटो बढा चुके थे,, और एक मोड के आते ही सभी नजर से ओझल हो गया। हम सभी भी अपने अपने सिट पर बैठ ग्इ थी। अभी मैं और ऊषा भाभी पिछली सिट पर और सीमा दामोदर के साथ अगली सीट पर। रमेश भैया ड्राइवर के सीट पर अकेले बैठे आटो चला रहे थे ।थोरी दूर आटो के बढने पर सड़क खाली ही थी, ईक्का दूक्का लोग ही कहीं नजर आ रहे थे। मैं बोली उषा भाभी आपन कुछ बताई, ई सविता भाभी के बारे में भी।