08-06-2024, 10:07 PM
"क्या हुआ, एक दम चुपचाप हो गयी हो?" घनश्याम की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ। वह सामने सड़क पर नजरें जमाए हुए बोला।
"अं ... बस ऐसे ही। सोच रही हूं कि कुछ गलत तो नहीं हुआ।" मैं जैसे तंद्रा से जाग उठी।
"ओह तो अभी भी सही ग़लत के बीच में लटक रही हो। मेरी समझ से, जो अच्छा लगे वह सही और जो बुरा लगे वह ग़लत।" वह मुझ नादान को अपने कुतर्क से मेरी मति भ्रष्ट करते हुए बोला।
"अच्छा ऐसा?" मैं उसकी ओर देखते हुए बोली। मैं जानती थी कि यह कुतर्क है लेकिन मेरे अंदर जो वासना की देवी का वास हो चुका, उसने मुझसे कहा कि बेकार बहस में मत पड़ पगली और खुले मन से जिंदगी का मजा ले। मैंने देखा कि बीच-बीच में वह अपने पैंट के ऊपर से लंड को सहलाता जा रहा था और उसके होंठों पर मुस्कान थी।
"हां ऐसा। सच बोलो, तुम्हें हम दोनों के साथ यह सब करने में कैसा लगा?"
"अ अच्छा तो लगा। लेकिन.. .. "
"लेकिन क्या? जो हुआ वह आज नहीं तो कल होना ही था। हम दोनों नहीं होते तो कोई और होते। होते कि नहीं?"
"अ अ शायद हां।" असमंजस में मेरे मुंह से निकला।
"शायद नहीं। जरूर होता। इस सच्चाई से तुम इनकार नहीं कर सकती हो।" वह बोला। सच ही तो बोल रहा था वह। जैसी मेरी संगति थी, जो कुछ मेरे साथ हो रहा था उससे मेरे अंदर जो परिवर्तन हो रहा था, मेरी शारीरिक भूख में जो इजाफा हो रहा था और इस कामुक खेल के प्रति मेरा लगाव बढ़ता जा रहा था, उसके कारण आज नहीं तो कल यह तो होना ही था। कल तक सिर्फ घुसा मेरी जिंदगी में था और आज घनश्याम और गंजू का नाम भी इस सूची में दर्ज हो गया था। इन सबका परिणाम आगे चल कर क्या होगा, उस उम्र में यह सोचने की परिपक्वता मुझमें तो थी ही नहीं, जिसका पूरा लाभ ये बूढ़े उठा रहे थे।
"आप ठीक कह रहे हैं। मैं कहां इनकार कर रही हूं। आप उम्र में मुझसे काफी बड़े हैं, आप मुझसे ज्यादा जानते हैं।" मैं बोली।
"बड़ी अच्छी बच्ची हो तुम। आज तुमने साबित कर दिया पता कि तुम्हारे अंदर कितनी क्षमता है। सिर्फ क्षमता ही नहीं, हिम्मत भी है। आम तौर पर हम जैसे मर्दों को झेलना सबके बस की बात नहीं है। लेकिन तुम सबसे अलग हो, अनमोल हो, अद्भुत हो। आज पता चला कि तुम जितनी सुंदर और सेक्सी ऊपर से दिखाई देती हो, अंदर से भी उतनी ही जबरदस्त हो। बहुत गजब का मजा देती हो। मैं सोच रहा था तुम केवल ऊपर ऊपर से मुझ बूढ़े को ललचा कर मजा ले रही हो, लेकिन जब वास्तव में समय आया तो तुमने दिखा दिया कि हमें भरपूर खुशी देने का गुण भी है तुम्हारे अंदर। मुझे जिंदगी में पहली बार किसी को चोदने का इतना आनंददायक अनुभव हुआ। देखो तो, बेचारा बूढ़ा गंजू भी कितना खुश हुआ। मैंने आज तक गंजू को इतना खुश कभी नहीं देखा था। अब तो गंजू दादा का आशीर्वाद भी तुम्हें मिल गया है। गंजू दादा का आशीर्वाद मतलब समझती हो? अब तुम्हें किसी से कोई डर भय नहीं होना चाहिए। हमें और क्या चाहिए, बस तुम इसी तरह हम बूढ़ों को खुशी देती रहो। दोगी ना?" घनश्याम मुझे देखते हुए बोला।
"बस बस, बड़े आए मेरी प्रशंसा करने वाले। मुझे क्या पता कि कौन कैसे खुश होता है। यह तो आप लोग जैसा मेरा इस्तेमाल करके मुझे सिखा रहे हैं, सीख रही हूं। अब यह सही है या ग़लत यह तो आप लोगों को मुझसे बेहतर पता है, आखिर आप लोगों ने मुझसे ज्यादा दुनिया देखी है, लेकिन सिखाने के चक्कर में आप लोगों ने आज शुरू में मुझे कितनी पीड़ा दी है उसका कुछ पता है? मेरी छाती को कितनी बुरी तरह निचोड़ रहा था आपका गंजू बुढ़ऊ पता है?" मैं बोली। सचमुच मेरी चूचियों को गंजू ने बड़ी बुरी तरह दबा दबा कर चोदा था। बाथरूम में मैंने देखा था कैसे लाल कर दिया था मेरी चूचियों को। ऐसा लग रहा था जैसे दबा दबा कर फुला दिया हो। ब्रा पहनना भी मुश्किल हो रहा था। दर्द का भी अहसास हो रहा था।
"अं ... बस ऐसे ही। सोच रही हूं कि कुछ गलत तो नहीं हुआ।" मैं जैसे तंद्रा से जाग उठी।
"ओह तो अभी भी सही ग़लत के बीच में लटक रही हो। मेरी समझ से, जो अच्छा लगे वह सही और जो बुरा लगे वह ग़लत।" वह मुझ नादान को अपने कुतर्क से मेरी मति भ्रष्ट करते हुए बोला।
"अच्छा ऐसा?" मैं उसकी ओर देखते हुए बोली। मैं जानती थी कि यह कुतर्क है लेकिन मेरे अंदर जो वासना की देवी का वास हो चुका, उसने मुझसे कहा कि बेकार बहस में मत पड़ पगली और खुले मन से जिंदगी का मजा ले। मैंने देखा कि बीच-बीच में वह अपने पैंट के ऊपर से लंड को सहलाता जा रहा था और उसके होंठों पर मुस्कान थी।
"हां ऐसा। सच बोलो, तुम्हें हम दोनों के साथ यह सब करने में कैसा लगा?"
"अ अच्छा तो लगा। लेकिन.. .. "
"लेकिन क्या? जो हुआ वह आज नहीं तो कल होना ही था। हम दोनों नहीं होते तो कोई और होते। होते कि नहीं?"
"अ अ शायद हां।" असमंजस में मेरे मुंह से निकला।
"शायद नहीं। जरूर होता। इस सच्चाई से तुम इनकार नहीं कर सकती हो।" वह बोला। सच ही तो बोल रहा था वह। जैसी मेरी संगति थी, जो कुछ मेरे साथ हो रहा था उससे मेरे अंदर जो परिवर्तन हो रहा था, मेरी शारीरिक भूख में जो इजाफा हो रहा था और इस कामुक खेल के प्रति मेरा लगाव बढ़ता जा रहा था, उसके कारण आज नहीं तो कल यह तो होना ही था। कल तक सिर्फ घुसा मेरी जिंदगी में था और आज घनश्याम और गंजू का नाम भी इस सूची में दर्ज हो गया था। इन सबका परिणाम आगे चल कर क्या होगा, उस उम्र में यह सोचने की परिपक्वता मुझमें तो थी ही नहीं, जिसका पूरा लाभ ये बूढ़े उठा रहे थे।
"आप ठीक कह रहे हैं। मैं कहां इनकार कर रही हूं। आप उम्र में मुझसे काफी बड़े हैं, आप मुझसे ज्यादा जानते हैं।" मैं बोली।
"बड़ी अच्छी बच्ची हो तुम। आज तुमने साबित कर दिया पता कि तुम्हारे अंदर कितनी क्षमता है। सिर्फ क्षमता ही नहीं, हिम्मत भी है। आम तौर पर हम जैसे मर्दों को झेलना सबके बस की बात नहीं है। लेकिन तुम सबसे अलग हो, अनमोल हो, अद्भुत हो। आज पता चला कि तुम जितनी सुंदर और सेक्सी ऊपर से दिखाई देती हो, अंदर से भी उतनी ही जबरदस्त हो। बहुत गजब का मजा देती हो। मैं सोच रहा था तुम केवल ऊपर ऊपर से मुझ बूढ़े को ललचा कर मजा ले रही हो, लेकिन जब वास्तव में समय आया तो तुमने दिखा दिया कि हमें भरपूर खुशी देने का गुण भी है तुम्हारे अंदर। मुझे जिंदगी में पहली बार किसी को चोदने का इतना आनंददायक अनुभव हुआ। देखो तो, बेचारा बूढ़ा गंजू भी कितना खुश हुआ। मैंने आज तक गंजू को इतना खुश कभी नहीं देखा था। अब तो गंजू दादा का आशीर्वाद भी तुम्हें मिल गया है। गंजू दादा का आशीर्वाद मतलब समझती हो? अब तुम्हें किसी से कोई डर भय नहीं होना चाहिए। हमें और क्या चाहिए, बस तुम इसी तरह हम बूढ़ों को खुशी देती रहो। दोगी ना?" घनश्याम मुझे देखते हुए बोला।
"बस बस, बड़े आए मेरी प्रशंसा करने वाले। मुझे क्या पता कि कौन कैसे खुश होता है। यह तो आप लोग जैसा मेरा इस्तेमाल करके मुझे सिखा रहे हैं, सीख रही हूं। अब यह सही है या ग़लत यह तो आप लोगों को मुझसे बेहतर पता है, आखिर आप लोगों ने मुझसे ज्यादा दुनिया देखी है, लेकिन सिखाने के चक्कर में आप लोगों ने आज शुरू में मुझे कितनी पीड़ा दी है उसका कुछ पता है? मेरी छाती को कितनी बुरी तरह निचोड़ रहा था आपका गंजू बुढ़ऊ पता है?" मैं बोली। सचमुच मेरी चूचियों को गंजू ने बड़ी बुरी तरह दबा दबा कर चोदा था। बाथरूम में मैंने देखा था कैसे लाल कर दिया था मेरी चूचियों को। ऐसा लग रहा था जैसे दबा दबा कर फुला दिया हो। ब्रा पहनना भी मुश्किल हो रहा था। दर्द का भी अहसास हो रहा था।