01-06-2024, 10:46 AM
"बहुत बढ़िया। अब आएगा मजा, तुमको भी और हमको भी। चल रे घंशू।" कहकर वह भी मेरी चुतड़ के नीचे हाथ डालकर मुझे ऊपर उठाने लगा। एक साथ घनश्याम का लंड चूत से और गंजू का लंड गांड़ से बाहर निकलने लगा। उफ उफ यह तो चमत्कार हो गया। मेरा दर्द कहां छूमंतर हो गया पता ही नहीं चला। फिर एक साथ दोनों मुझे नीचे उतारने लगे, दोनों के लंड फिर मेरे अंदर घुसने लगे। दोनों के लंड का घर्षण मुझे कितना आनंद दे रहा था मैं बता नहीं सकती। मेरी चूत और गांड़ के अंदर एक अजीब सी सुरसुरी हो रही थी। चूत और गांड़ के मुंह में और अंदर की संवेदनशील दीवारों में स्थित संवेदक ग्रंथियों द्वारा प्रेषित दोनों लंडों के घर्षण से उत्पन्न तरंगें तन मन को अद्भुत आनंद से भर रहा था। अब दोनों के लंड एक साथ मेरी अलग अलग छिद्रों में अंदर बाहर होने लगे। पहले आहिस्ता आहिस्ता, फिर इस क्रिया की रफ्तार बढ़ने लगी। वे न सिर्फ मुझे ऊपर नीचे कर रहे थे, बल्कि अपनी अपनी कमर को जुंबिश भी दे रहे थे, फलस्वरूप उनकी ठापों में अतिरिक्त बल का प्रभाव मैं अच्छी तरह से अनुभव कर रही थी। मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी प्रथम बार युगल चुदाई के अभूतपूर्व आनंद से परिचित हो रही थी। यह एक रोमांचक अनुभव तो था ही, मेरे सेक्स जीवन में एक नया अध्याय भी जोड़ गया था। उस युगल चुदाई के अद्भुत आनंद में खोती जा रही थी। अब वे दोनों मेरे शरीर को हवा में उठा कर उछाल उछाल कर चोद रहे थे और मैं सारा डर भय और लाज शर्म को तिलांजलि दे कर पूरे तन मन से उस कामुकता भरे खेल में बड़े आनन्द से अपनी सहभागिता निभाने लगी थी। मुझे लग रहा था जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं।
जो डर भय, शरम लिहाज मेरे अंदर कुछ देर पहले था, वह कब का छूमंतर हो चुका था और अब मैं बेशर्मी की सारी सीमाएं तोड़ कर उस कामुक खेल में उन्मुक्त सक्रिय सहभागिता निभाते हुए उस नयी तरह की युगल संभोग का भरपूर आनंद लेने लगी थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई ऐसा वाद्ययंत्र थी जिसपर उन दोनों बुड्ढे जुगलबंदी कर रहे हों। हरेक ठाप तालबद्ध था और मेरे अंदर से आहों और सिसकारियों के रूप में मानो मधुर तरंगें निकल रही थीं। मुझे पता नहीं था कि करीब दस पंद्रह मिनट की वह अथक चुदाई मेरी आने वाली जिंदगी में कितनी बड़ी भूमिका निभाने वाली है। हम तीनों के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था सिवाय आहों और सिसकारियों के। करीब दस मिनट बाद,
"अरी मांआंआंआंआंआं की लौड़ीईईईईईई, आआआआआआह......" कहते हुए घनश्याम अपना पूरा लंड मेरे अंदर घुसेड़ कर रुक गया और तभी उसके लंड से गरमागरम वीर्य लावा की तरह मेरी चूत में फर्र फर्र छूटने लगा। घनश्याम का वीर्य मेरी कोख में गिर रहा था जिससे मेरी कोख सराबोर हो रही थी। यह मेरे लिए बड़ा ही आनंददायक पल था। मैं भी खुद को रोक नहीं पाई और लो मेरा भी काम तमाम हो गया।
"आआआआआआह ओओओहहह इस्स्स्स्स ......" मैं आहें भरते हुए उसके जिस्म से चिपक कर स्खलन का आनंद लेने लगी। खल्लास हो कर घनश्याम तो ढीला पड़ गया था लेकिन गंजू रुका नहीं। उसे भी पता चल गया था कि घनश्याम खल्लास हो गया है। वह अब अकेले ही मुझे अपनी हथेलियों पर थाम कर अपनी रफ़्तार दुगुनी कर दिया।
"तू छोड़ कर हट जा घंशू। हम जानते हैं कि तेरा काम हो गया। तेरे अधूरे काम को अब हम अकेले पूरा करेंगे।" पीछे से गंजू हांफते हुए बोला। हे भगवान, मैं तो झड़ गई थी, मेरा सारा जोश ठंढा पड़ रहा था लेकिन अब गंजू मेरे ठंढे पड़ते शरीर में फिर से नयी जान फूंक कर अपनी जिस्मानी भूख को पूरी तरह शांत करके ही छोड़ने वाला था।
तभी घनश्याम मुझे छोड़कर हट गया। उसका लंड मुरझा कर छ: इंच का रह गया था। उसका लंड वीर्य और मेरी चूत रस से सना हुआ चमचमा रहा था। जैसे ही घनश्याम हटा, गंजू ने मेरी गांड़ से अपना लंड निकाल लिया और एक झटके में मुझे किसी गुड़िया की तरह पलट कर मुझे गद्देदार बिस्तर पर पटक दिया। अब वह आंखें फाड़कर कर मुझे सर से पांव तक मुझे अपलक देखे जा रहा था।
"वाह, इसे कहते हैं माल। जबरदस्त। इतनी खूबसूरत। घंशू मादरचोद, कहां हम इसकी गांड़ देख कर पगलाए जा रहे थे और कहां तू इसकी चमचमाती चूत की चटनी बना रहा था। गजब है रे तू लौंडिया और गजब है तेरी जवानी। हमारी जिंदगी संवर गई। ऐसी लौंडिया जिंदगी में पहली बार मिली है। घंशू, हम का मुंह से तुमको धन्यवाद कहें। चल री बिटिया अब हमारा लौड़ा को डुबकी लगाने दे।" गंजू लार टपकाते हुए बोला।
जो डर भय, शरम लिहाज मेरे अंदर कुछ देर पहले था, वह कब का छूमंतर हो चुका था और अब मैं बेशर्मी की सारी सीमाएं तोड़ कर उस कामुक खेल में उन्मुक्त सक्रिय सहभागिता निभाते हुए उस नयी तरह की युगल संभोग का भरपूर आनंद लेने लगी थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई ऐसा वाद्ययंत्र थी जिसपर उन दोनों बुड्ढे जुगलबंदी कर रहे हों। हरेक ठाप तालबद्ध था और मेरे अंदर से आहों और सिसकारियों के रूप में मानो मधुर तरंगें निकल रही थीं। मुझे पता नहीं था कि करीब दस पंद्रह मिनट की वह अथक चुदाई मेरी आने वाली जिंदगी में कितनी बड़ी भूमिका निभाने वाली है। हम तीनों के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था सिवाय आहों और सिसकारियों के। करीब दस मिनट बाद,
"अरी मांआंआंआंआंआं की लौड़ीईईईईईई, आआआआआआह......" कहते हुए घनश्याम अपना पूरा लंड मेरे अंदर घुसेड़ कर रुक गया और तभी उसके लंड से गरमागरम वीर्य लावा की तरह मेरी चूत में फर्र फर्र छूटने लगा। घनश्याम का वीर्य मेरी कोख में गिर रहा था जिससे मेरी कोख सराबोर हो रही थी। यह मेरे लिए बड़ा ही आनंददायक पल था। मैं भी खुद को रोक नहीं पाई और लो मेरा भी काम तमाम हो गया।
"आआआआआआह ओओओहहह इस्स्स्स्स ......" मैं आहें भरते हुए उसके जिस्म से चिपक कर स्खलन का आनंद लेने लगी। खल्लास हो कर घनश्याम तो ढीला पड़ गया था लेकिन गंजू रुका नहीं। उसे भी पता चल गया था कि घनश्याम खल्लास हो गया है। वह अब अकेले ही मुझे अपनी हथेलियों पर थाम कर अपनी रफ़्तार दुगुनी कर दिया।
"तू छोड़ कर हट जा घंशू। हम जानते हैं कि तेरा काम हो गया। तेरे अधूरे काम को अब हम अकेले पूरा करेंगे।" पीछे से गंजू हांफते हुए बोला। हे भगवान, मैं तो झड़ गई थी, मेरा सारा जोश ठंढा पड़ रहा था लेकिन अब गंजू मेरे ठंढे पड़ते शरीर में फिर से नयी जान फूंक कर अपनी जिस्मानी भूख को पूरी तरह शांत करके ही छोड़ने वाला था।
तभी घनश्याम मुझे छोड़कर हट गया। उसका लंड मुरझा कर छ: इंच का रह गया था। उसका लंड वीर्य और मेरी चूत रस से सना हुआ चमचमा रहा था। जैसे ही घनश्याम हटा, गंजू ने मेरी गांड़ से अपना लंड निकाल लिया और एक झटके में मुझे किसी गुड़िया की तरह पलट कर मुझे गद्देदार बिस्तर पर पटक दिया। अब वह आंखें फाड़कर कर मुझे सर से पांव तक मुझे अपलक देखे जा रहा था।
"वाह, इसे कहते हैं माल। जबरदस्त। इतनी खूबसूरत। घंशू मादरचोद, कहां हम इसकी गांड़ देख कर पगलाए जा रहे थे और कहां तू इसकी चमचमाती चूत की चटनी बना रहा था। गजब है रे तू लौंडिया और गजब है तेरी जवानी। हमारी जिंदगी संवर गई। ऐसी लौंडिया जिंदगी में पहली बार मिली है। घंशू, हम का मुंह से तुमको धन्यवाद कहें। चल री बिटिया अब हमारा लौड़ा को डुबकी लगाने दे।" गंजू लार टपकाते हुए बोला।