29-05-2024, 08:52 PM
"अच्छा अच्छा, लेकिन बात झूठ निकली तो आज से आपका नाम गांड़श्याम। ठीक है?" मैं नर्वस मुस्कान के साथ बोली, हालांकि अब भी मैं आशंकित थी।
"ठीक है ठीक है।" घनश्याम जल्दी से बोला। उसके बोलने की देर थी कि बूढ़े जग्गू को तो मानो हरी झंडी मिल गयी। मेरी गांड़ चोदने के लिए उतावला बूढ़ा जो अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूरी तरह तैयार था, अब फिर से अपने लंड को मेरी गुदा के दरवाजे पर टिका कर धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा। मुझे अहसास होने लगा कि मेरी गुदा का मुंह धीरे धीरे खुल रहा था। जैसे जैसे उसके लंड का दबाव बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे मेरी गांड़ फैलती जा रही थी। एक सीमा तक तो फैला, लेकिन उसके बाद मुझे दर्द होने लगा।
"आआआआआआह आआआआआआह दर्द हो रहा है बाप रेएएएए बाआआआआआप....." मैं पीड़ा से छटपटाने लगी ही थी कि फुच्च से उसके लंड का सुपाड़ा मेरी गांड़ में घुस गया।
"बस बस मेरी बच्ची हो गया। जो होना था हो गया, अब दर्द नहीं होगा।" गंजू मुझे सांत्वना देते हुए मेरी चूचियों को सहलाने और मसलने लगा और साथ ही साथ अपने लंड पर दबाव बढ़ाता चला गया।
"आआआआआआह नहींईंईंईंईंईंईं ओओओहहह...." मेरी घुटी घुटी चीख निकल गई। यह पीड़ा उस पहली पीड़ा से कुछ कम थी जब उसके लंड का सुपाड़ा प्रवेश कर रहा था।अब तो जैसे जैसे जग्गू अपने लंड पर जोर डालता जा रहा था वैसे वैसे सरसराता हुआ उसका लंड अंदर घुसता चला जा रहा था। मेरी गुदा मार्ग की हालत अब फटी तब फटी वाली होने लगी थी।
"बस बस हो गया हो गया अब और नहीं।" मैं दर्द से कराहते हुए बोली।
"बस बस बिटिया हो गया बस थोड़ा सा और हिम्मत करो।" गंजू आधा लंड घुसेड़ने के बाद रुक कर बोला।
"ओओओओओ ओओओहहह...और कितना?"
"बस थोड़ा सा और" कहकर उसने थोड़ा और जोर लगाया तो उसका पूरा लंड अंदर चला गया।
"हाय हाय फट गई फट गई मेरी गांड़ फट गई।" मैं चिल्ला उठी।
"कुछ नहीं हुआ मेरी बच्ची, अब तुम्हें अच्छा लगेगा। तुम बस देखती जाओ। आआआआआआह बहुत जानदार गांड़ है मेरी बच्ची। दिल खुश हो गया।" पूरा घुसाने के बाद मेरी गांड़ पर थपकियां देते हुए बोला।
"मुझे लग रहा है मेरी गांड़ सचमुच फट गई है।" मैं अपनी गांड़ की तरफ हाथ ले जाकर बोली। हाथ से छूने पर पता चल गया कि उसका लंड पूरा जड़ तक घुस चुका था लेकिन मेरी गांड़ सही सलामत थी। हां सख्ती से उसके लंड को मेरी गांड़ ने जकड़ रखा था।
"अरे नहीं फटी मेरी बन्नो, तेरी गांड़ फैल गई। अब तुझे मजा आएगा।" सामने से घनश्याम मुझे सांत्वना देते हुए बोला।
"चुप हरामी, लंड मेरी गांड़ में घुसा है कि आपकी गांड़ में घुसा है? बड़े आए मुझे बताने कि नहीं फटी है। मुझे पता है कि मेरी गांड़ की हालत क्या है।" मैं डांटती हुई घनश्याम से बोली। हालांकि अब दर्द काफी कम हो गया था।
"अरे बिटिया, घंशू की बात छोड़ो और बताओ कि अब कैसा लग रहा है?" जग्गू पीछे से बोला।
"ऊऊऊऊऊहहहह अब ठीक लग रहा है।" मैं बोली। सचमुच अब ठीक लग रहा था। हल्का दर्द अभी भी था लेकिन यह एक अद्भुत अनुभव था। मुझे अपने अंदर एक अजीब तरह की परिपूर्णता का अहसास हो रहा था। मेरी चूत में घनश्याम का लंड और गांड़ में गंजू का लंड और दोनों लंड एक से बढ़कर एक।
"ठीक है ठीक है।" घनश्याम जल्दी से बोला। उसके बोलने की देर थी कि बूढ़े जग्गू को तो मानो हरी झंडी मिल गयी। मेरी गांड़ चोदने के लिए उतावला बूढ़ा जो अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूरी तरह तैयार था, अब फिर से अपने लंड को मेरी गुदा के दरवाजे पर टिका कर धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा। मुझे अहसास होने लगा कि मेरी गुदा का मुंह धीरे धीरे खुल रहा था। जैसे जैसे उसके लंड का दबाव बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे मेरी गांड़ फैलती जा रही थी। एक सीमा तक तो फैला, लेकिन उसके बाद मुझे दर्द होने लगा।
"आआआआआआह आआआआआआह दर्द हो रहा है बाप रेएएएए बाआआआआआप....." मैं पीड़ा से छटपटाने लगी ही थी कि फुच्च से उसके लंड का सुपाड़ा मेरी गांड़ में घुस गया।
"बस बस मेरी बच्ची हो गया। जो होना था हो गया, अब दर्द नहीं होगा।" गंजू मुझे सांत्वना देते हुए मेरी चूचियों को सहलाने और मसलने लगा और साथ ही साथ अपने लंड पर दबाव बढ़ाता चला गया।
"आआआआआआह नहींईंईंईंईंईंईं ओओओहहह...." मेरी घुटी घुटी चीख निकल गई। यह पीड़ा उस पहली पीड़ा से कुछ कम थी जब उसके लंड का सुपाड़ा प्रवेश कर रहा था।अब तो जैसे जैसे जग्गू अपने लंड पर जोर डालता जा रहा था वैसे वैसे सरसराता हुआ उसका लंड अंदर घुसता चला जा रहा था। मेरी गुदा मार्ग की हालत अब फटी तब फटी वाली होने लगी थी।
"बस बस हो गया हो गया अब और नहीं।" मैं दर्द से कराहते हुए बोली।
"बस बस बिटिया हो गया बस थोड़ा सा और हिम्मत करो।" गंजू आधा लंड घुसेड़ने के बाद रुक कर बोला।
"ओओओओओ ओओओहहह...और कितना?"
"बस थोड़ा सा और" कहकर उसने थोड़ा और जोर लगाया तो उसका पूरा लंड अंदर चला गया।
"हाय हाय फट गई फट गई मेरी गांड़ फट गई।" मैं चिल्ला उठी।
"कुछ नहीं हुआ मेरी बच्ची, अब तुम्हें अच्छा लगेगा। तुम बस देखती जाओ। आआआआआआह बहुत जानदार गांड़ है मेरी बच्ची। दिल खुश हो गया।" पूरा घुसाने के बाद मेरी गांड़ पर थपकियां देते हुए बोला।
"मुझे लग रहा है मेरी गांड़ सचमुच फट गई है।" मैं अपनी गांड़ की तरफ हाथ ले जाकर बोली। हाथ से छूने पर पता चल गया कि उसका लंड पूरा जड़ तक घुस चुका था लेकिन मेरी गांड़ सही सलामत थी। हां सख्ती से उसके लंड को मेरी गांड़ ने जकड़ रखा था।
"अरे नहीं फटी मेरी बन्नो, तेरी गांड़ फैल गई। अब तुझे मजा आएगा।" सामने से घनश्याम मुझे सांत्वना देते हुए बोला।
"चुप हरामी, लंड मेरी गांड़ में घुसा है कि आपकी गांड़ में घुसा है? बड़े आए मुझे बताने कि नहीं फटी है। मुझे पता है कि मेरी गांड़ की हालत क्या है।" मैं डांटती हुई घनश्याम से बोली। हालांकि अब दर्द काफी कम हो गया था।
"अरे बिटिया, घंशू की बात छोड़ो और बताओ कि अब कैसा लग रहा है?" जग्गू पीछे से बोला।
"ऊऊऊऊऊहहहह अब ठीक लग रहा है।" मैं बोली। सचमुच अब ठीक लग रहा था। हल्का दर्द अभी भी था लेकिन यह एक अद्भुत अनुभव था। मुझे अपने अंदर एक अजीब तरह की परिपूर्णता का अहसास हो रहा था। मेरी चूत में घनश्याम का लंड और गांड़ में गंजू का लंड और दोनों लंड एक से बढ़कर एक।