29-05-2024, 02:05 PM
मामाजी- अभी कुछ समय के लिए तो बुझ ही गई… देखो कितना शान्त है और सॉरी यार.. इसी के कारण तो यह सब हुआ। जब तुम अंकुर का लण्ड चूस रही थी, तभी इसने तुम्हारे ये फूले हुए चूतड़ और चिकनी चूत को देख लिया था। फिर तो इसने बवाल ही खड़ा कर दिया और इसकी मर्जी के आगे मुझे झुकना ही पड़ा।
सलोनी- ओह भगवान… अपने वो सब देख लिया था… अब देखा ना आपने? वो तो ठण्डे होकर चले गए और मैं यहाँ… सच में मैं हल्की नींद में थी और तो यही समझी कि वो ही हैं मेरे पास…
मामाजी- अरे यार, कुछ गलत नहीं हुआ… तुम वो बताओ, जो बता रही थी।
सलोनी- वही तो बता रही हूँ… तब भी ऐसा ही हुआ था, हमारी शादी के कुछ दिनों बाद की बात है, हम जयपुर गए थे, मई का महीना था, बहुत गर्मी थी वहाँ पर… इनको कम्पनी की ओर से होटल का कमरा मिला था, पर ये अपने एक दोस्त के यहाँ रुके थे। शाहरूख नाम था उनका, अंकुर के बहुत पक्के दोस्त हैं।
सलोनी के मुख से यह बात सुन मुझे शाहरूख और वो पूरी घटना याद आ गई। वह बिल्कुल सच बोल रही थी… पर शाहरूख… क्या वह भी? यह जानकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।
मैं ध्यान से आगे सुनने लगा…
सलोनी- मैं तो देखकर डर ही गई थी, वो शाहरूख साहब बहुत लम्बे-चौड़े थे और लम्बी दाढ़ी थी उनकी! पहले पहल तो देख कर ही डर लगा पर बाद में अच्छा लगने लगा। उनका स्वाभाव बहुत ही अच्छा था, बहुत ही मजाकिया थे तो बहुत जल्दी हम दोस्त बन गए।
बस एक ही परेशानी थी, मई महीने के आखिरी दिन थे, बहुत गर्मी थी, उनका घर एक ही कमरे का सेट था… मेरे पास भी बहुत ही हल्के कपड़े थे, शॉर्ट्स, स्कर्ट और हल्के छोटे टॉप वगैरा…
वैसे भी मुझे और अंकुर को मॉडर्न ड्रेसेज़ ही पसन्द हैं। फिर अब तो हम टूर पर थे तो मैंने वैसे कपड़े ही पहन रखे थे, नाइटी भी पारदर्शी और जांघों तक की ही थी। बस सफर के लिए ही मैंने कैप्री और शर्ट पहनी थी, उस में भी बहुत गर्मी लग रही थी।
15 दिन का टूर था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहनूँ?
मगर सच अंकुर इस मामले में बहुत सुलझे हुए हैं, उन्होंने कहा- अरे यार क्यों तकल्लुफ करती हो? यह समझो हम बाहर ही हैं और कौन तुम्हें देख रहा है। यह शाहरूख तो वैसे भी खुद को खुदा के हवाले कर चुका है, इसीलिए इसने शादी तक नहीं की, इसको तुम से कोई मतलब नहीं…
मेरे मन से सभी शंका दूर हो गई और मैंने एक शार्ट और टॉप पहन लिया।
अंकुर को तो सब नॉर्मल ही लगा पर औरत तो गैर मर्द की आँखें एकदम समझ जाती है। शाहरूख मुझे चोर निगाहों से बार बार देख रहे थे, मुझे उनकी इस अदा पर हंसी ही आ रही थी तो मैंने इसको ज्यादा तूल नहीं दिया।
दो दिन तक तो सब ठीक रहा, शाहरूख हम दोनों से और भी ज्यादा खुल गए, हम एक साथ घूमने जाते, साथ साथ खेलते खाते। पर अंकुर अपने ऑफिस टूर पर थे तो जब अंकुर काम से जाते तो हम दोनों खूब बातें करते।
पर मैंने महसूस किया कि मेरे कपड़ों से बाहर झांकते जिस्म को देख वो शाहरूख साहब बेचैन हो जाते… पर इस सब में मुझे मजा ही आ रहा था इसलिए मैंने इस ओर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया। हम सब एक ही कमरे में सोते थे, अंकुर और मैं तो उनके बेड पर और शाहरूख साहब नीचे अपना बिस्तर लगाते थे।
मगर तीसरी रात को मुसीबत आ ही गई वो भी अंकुर के कारण ही, उस रात अंकुर का मूड सेक्स का करने लगा। मैंने मना भी किया पर वो माने ही नहीं, बोले ‘अरे शाहरूख तो सो रहा है। कुछ नहीं होगा…!’
और उन्होंने मेरी कच्छी और ब्रा निकाल दी पर मैंने नाइटी नहीं निकालने दी, नाइटी वैसे भी बहुत छोटी और नेट वाली थी, उन्होंने उसको मेरी गर्दन तक सिमटा दिया और मेरी चूचियों और फ़ुद्दी को खूब चूसा।
मैं बहुत ही गर्म हो गई तो उन्होंने अपने लौड़े को भी मुझसे चुसवाया। मैं तो बिल्कुल भूल सी ही गई थी कि शाहरूख भाई भी इसी कमरे में सो रहे हैं। मैंने अपने होंठों से चूस-चूस कर ही उनके लण्ड का पानी निकाल दिया। उन्होंने फिर मेरे जिस्म से खेलना शुरू कर दिया, तभी उनके सेलफ़ोन पर किसी का मैसेज आ गया।
उन्हें उसी समय किसी से मिलने जाना पड़ गया था। उफ्फ… वो उनका ऑफिस का काम… और क्या… वो खुद तो शान्त हो गए थे पर मैं अभी भी अपनी अन्तर्वासना की आंच में सुलग रही थी… पर मैं कर ही क्या सकती थी?
ये अंकुर तो जाने कब तैयार होकर चले गए, पता ही नहीं चला, मुझे भी हल्की सी झपकी आ गई थी पर जिस्म में इतनी बेचैनी थी कि उठकर ब्रा पैंटी भी नहीं पहनी। बस नाइटी को थोड़ा सा सही करके लेट गई।
ये शायद जाते हुए मेरे बदन को चादर से ढक गए होंगे पर गर्मी के कारण वो मैंने खुद हटा दी होगी। इस बीच शाहरूख भाई उठे होंगे और उन्होंने मेरे नंगे अंगों को देख लिया था। यह बात उन्होंने ही मुझे बताई थी।
फिर नीचे सोने से अपनी कमर में दर्द के कारण वो मेरे पास बिस्तर ही लेट गए थे। उनके मजबूत बदन पर केवल एक लुंगी ही थी, मेरी जब आँख खुली तो उनकी लुंगी खुली पड़ी थी, वो मेरे बदन से बिल्कुल चिपके लेटे थे। मैं तो उनका लौड़ा देखती रह गई, बहुत लम्बा और मोटा था।
वैसे तो अंकुर का बहुत ही अच्छा है पर उसका लण्ड 6 इंच के आस पास ही है।
मैंने इतना बड़ा और अजीब तरह का कभी नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी चमड़ी उतार दी हो।
मामाजी- हाँ बेटा.. उनका ऐसा ही होता है, उनका खतना कराया जाता है इसलिए खाल काट दी जाती है। उससे चुदाई का मजा कुछ अलग सा आता है। इसीलिए औरतें अगर एक बार उस तरह के लण्ड से चुदवा लेती हैं तो उनकी दीवानी हो जाती हैं… है ना?
सलोनी- हाँ मामाजी, आप ठीक कह रहे हैं। मैं भी उसको देख कर बहुत ही ज्यादा उत्सुक हो गई थी। एक तो पहले ही अंकुर मुझे प्यासी छोड़ गए थे और फिर उस जैसे लौड़े को देख मेरी बुरी हालत हो गई थी। पर शाहरूख भैया का डर ही था, मैं बस उसको देख रही थी मगर उसको छूने का बहुत मन था।
तभी एक आईडिया मेरे मन में आया! मैं, रानी और उसका पति, तीनों दरवाजे से ऐसे चिपके थे जैसे उस पर गोंद लगा हो। हम तीनों ही सलोनी के उस राज का एक एक शब्द सुनना चाहते थे। मेरा तो फिर भी सही था और रानी के पति का भी, क्योंकि वो मजा लेते हुए अपना लण्ड रानी के हाथ से हिलवा रहा था परन्तु रानी भी इसमें पूरा रस ले रही थी, उसको बहुत मजा आ रहा था।
शाहरूख मेरा बहुत पुराना दोस्त है पर लड़कियों से हमेशा दूर रहता था, वो बहुत ही स्मार्ट है इसलिए हर लड़की उसको लाइन देती है मगर उसने किसी को घास नहीं डाली। इसीलिए उस समय मैंने सलोनी को उसके सामने बिल्कुल फॉर्मल रहने को कहा था, मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि वह सलोनी के साथ कुछ करेगा।
मगर अब तो मामला कुछ और ही लग रहा था! क्या सलोनी के कामुक बदन से शाहरूख जैसे आदमी का ईमान डोल गया था? मुझे यह सब सुनकर गुस्सा बिल्कुल नहीं आ रहा था बल्कि मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था, सलोनी भी अपके इस गुप्त राज भरी घटना को बहुत रस ले ले कर सुना रही थी।
सलोनी- मैंने जैसे ही खुद को उस आईने में देखा, मैं खुद ही शर्म के मारे झेंप गई, इस बीच में मैंने खुद की ओर ध्यान ही नहीं दिया था, मेरी महीन सी नाइटी मेरी कमर के ऊपर तक सिमट गई थी, चड्डी और ब्रा तो थी ही नहीं, वो तो अंकुर ही खोलकर चले गए थे तो मैं कमर से नीचे हलफ़ नंगी थी, मतलब मेरे खुले हुए नंगे कूल्हे शाहरूख भाई के सामने थे, जिनको देखकर ही वे अपना लण्ड सहला रहे थे।
अब मैं खुद को ढक भी नहीं सकती थी वरना उनको पता चल जाता कि मैं जाग रही हूँ तो मैं ऐसे ही चुपचाप लेटी रही। तभी मुझे अपने चूतड़ों पर एक भारी हथेली का एहसास हुआ, शाहरूख भाई का ईमान भी डोल गया था, उन्होंने अपना हाथ मेरे चिकने चूतड़ों पर रख दिया था तो मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी।
contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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