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Adultery मौके पर चौका
#69
Heart 
मैं भी चुपचाप अपने कमरे में आया और एक बार जोरदार मुठ मारी और फिर सुबह का इंतज़ार करते हुए सो गया। अगले दिन सुबह साधना ने मुझे उठाया, आँख खुली तो वो मेरे सामने खड़ी थी चाय का कप लेकर…

साधना को देखते ही रात का नजारा एक दम से आखों के सामने घूम गया, मन में तो आया कि पकड़ कर अभी चोद दूँ पर जब आग उधर भी लगी थी तो मैंने पहल करना सही नहीं समझा।

साधना नहा कर तैयार होकर आई थी, बढ़िया सा परफ्यूम लगाया हुआ था, बदन महक रहा था साधना का… मुझे खुद पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।

साधना चाय मेरे हाथ में पकड़ा कर जाने लगी तो मैंने तारीफ़ करते हुए बोल ही दिया– "क्या बात है साधना… आज तो सुबह सुबह ही तैयार हो गई?"

"नहीं ऐसी कोई बात नहीं है… मैं तो हर रोज सुबह सुबह ही तैयार हो जाती हूँ"

"वैसे एक बात कहूँ… बहुत खूबसूरत लग रही हो आज" -औरतों वाला वही पुराना पैंतरा मैंने आज़माते हुए कहा।

साधना ने कोई जवाब नहीं दिया बस एक स्माइल दे कर वो कमरे से बाहर चली गई।

घड़ी देखी तो दस बजने वाले थे, ट्रेनिंग साढ़े दस तक शुरू हो जाती थी। मैं जल्दी से उठा और तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ भागा। जैसे ही बाथरूम के पास पहुँचा, तभी दिव्या बाथरूम से बाहर निकली, मुझे देख कर उसने एक सेक्सी सी स्माइल दी और चली गई।

नहाने के बाद याद आया कि मैं आज भी अंडरवियर कमरे में ही भूल गया था पर अब शर्माने की जरूरत नहीं थी बल्कि साधना और दिव्या को कुछ दिखाने की जरुरत थी।

मैंने बनियान पहनी और तौलिया लपेट कर ही बाथरूम से बाहर आ गया। दिव्या रसोई में थी और आरती बाथरूम के सामने बनी एक अलमारी में से कुछ सामान निकाल रही थी।

जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर आया, दरवाजे की आवाज सुनकर साधना का ध्यान मेरी तरफ हुआ, तभी मैंने जानबूझ कर अपने हाथ में पकड़े हुए कपड़े नीचे गिरा दिए।

साधना मेरे पास आकर मेरे कपड़े उठाने लगी। उसी समय मैं भी कपड़े उठाने के लिए नीचे बैठा। यही वो क्षण था जब मेरे तौलिये ने मेरे बदन का साथ छोड़ दिया, मेरा साढ़े सात इंच का लम्बा और लगभग तीन इंच का मोटा लंड एकदम से साधना के सामने सलामी देने लगा।

मैं जल्दी से उठा तो तौलिया नीचे गिर गया, लंड अब बिलकुल साधना के मुँह के सामने था। मैंने सॉरी बोलते हुए जल्दी से तौलिया उठाया और भाग कर कमरे में चला गया।

मैंने अपना काम कर दिया था, अब जो भी होना था वो साधना या दिव्या की तरफ से होना था। कमरे में जाकर मैं तैयार हुआ, तभी दिव्या कमरे में आई और मुझे नाश्ते के लिए बुलाने लगी।

बाहर आया तो मैंने देखा साधना और दिव्या टेबल पर बैठे मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे। मैं सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और चुपचाप नाश्ता करने लगा। साधना मुझे ही घूरे जा रही थी जबकि दिव्या बिना इधर उधर देखे नाश्ता कर रही थी। नाश्ता करने के बाद दिव्या बर्तन उठा कर रसोई में चली गई।

मैंने मौका देखा और साधना को देखते हुए बोला– "वो क्या है साधना… जो कुछ भी हुआ मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ… तभी मैं होटल में रुकने को बोल रहा था। अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं आज किसी होटल में चला जाता हूँ"

"अरे सग़ीर… तुम इतना परेशान क्यूँ हो रहे हो… हो जाता है ऐसा कभी कभी… और हाँ… कहीं जाने की जरूरत नहीं है… जब तक आगरा में हो, तब तक तुम हमारे साथ ही रहोगे… समझे…" -बोलकर साधना ने एक कातिलाना स्माइल दी।

मैं तो खुद भी यही चाहता था, मैंने अपना लैपटॉप उठाया और फिर घर से निकल गया।

पहली ट्रेनिंग के बाद मैं लगभग एक बजे फ्री हो गया। वैसे तो मुझे दूसरी ट्रेनिंग भी अटेंड करनी थी पर चूत के रसिया को अब चूत नजर आने लगी थी तो सोचा कि अब बाकी की ट्रेनिंग कल करेंगे।

मैंने गाड़ी उठाई और वापिस घर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में से मैंने कुछ खाने पीने का सामान लिया और दस मिनट के बाद ही मैं साधना के घर के सामने था, दरवाजे पर पहुँच कर डोर-बेल बजाई।

दरवाजा साधना ने खोला, अभी तक वो सुबह की तरह ही महक रही थी- "अरे सग़ीर, आज तो बड़ी जल्दी आ गए?"

"सुबह वाली ट्रेनिंग के बाद दो घंटे का ब्रेक था तो सोचा कहाँ इधर उधर भटकूंगा, घर ही चलता हूँ"

"यह तुमने बहुत अच्छा किया… मैं भी अकेली बोर हो रही थी… खाना खाओगे?"

"नहीं साधना… वो सुबह बहुत हैवी नाश्ता हो गया था… खाना खाने का बिल्कुल भी मन नहीं है"

"ओके जैसी तुम्हारी मर्जी… भूख लगे तो बता देना..."

"दिव्या… कहाँ है?"

"वो अपने कॉलेज गई है… चार बजे तक आएगी" -बोलकर साधना रसोई में चली गई।

मैं कुछ देर तो वहीं बैठा रहा फिर उठकर कमरे में चला गया, जाकर मैंने अपने कपड़े बदले और एक टी-शर्ट और लोअर डाल कर वापिस बाहर आकर बैठ गया। तभी साधना ट्रे में दो गिलास जूस के लेकर आ गई।

जब उसने मेरे सामने झुक कर मुझे गिलास पकड़ाया तो मन किया कि अभी उसकी चूचियां पकड़ लूँ।

"साधना! एक बात पूछूँ?"

"अरे… पूछो ना…"

"सुबह वाली बात का तुम्हें बुरा तो नहीं लगा?"

"नहीं यार… तुमने कौन सा जानबूझ कर कुछ किया था… फिर तुम तो अब घर के ही मेंबर जैसे हो…"

थोड़ी देर चुप रही पर मैंने महसूस किया कि मेरे सुबह वाली बात शुरू करने से साधना थोड़ा अलग रंग में आने लगी थी।

"सच कहूँ मुझे तो बहुत शर्म आई जब देखा कि मैं तुम्हारे सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हूँ…"

फिर भी साधना कुछ नहीं बोली पर उसकी आँखें उसके मन का राज खोल रही थी जिनमे मुझे थोड़ा थोड़ा वासना के डोरे नजर आने लगे थे।

"साधना… तुमने तो मुझे बिल्कुल नंगा देख लिया…आज तक मेरी अम्मी के सिवाय किसी ने मुझे नंगा नहीं देखा" -मैंने साधना की आँखों में झांकते हुए एक और दांव खेला।

"सग़ीर! प्लीज कुछ और बात करो ना…"

"और क्या बात करूं साधना… झूठ नहीं बोलूँगा… जब से मैं आगरा आया हूँ तुम्हारी खूबसूरती का दीवाना सा हो गया हूँ"

साधना चुप रही।

"सच कह रहा हूँ साधना… अगर तुम मेरे दोस्त की बुआ ना होती तो मैं कब का तुम्हें अपनी दोस्ती का ऑफर कर चुका होता"

"रहने दो रहने दो… अब इतना भी मत चढ़ाओ मुझे… मुझे जमीन पर ही रहने दो!"

"साधना… एक बात पूछूँ?"

"हाँ पूछो..."

"आपके पति आपसे इतने इतने दिन दूर रहते हैं… दिल लग जाता है तुम्हारा?" -मैंने उस की दुखती रग को छेड़ा।

साधना मेरी बात सुनकर कुछ चुप सी हो गई, उसके चेहरे के भाव उसके दिल का हाल बयाँ कर रहे थे। वैसे तो मैं उसके दिल का हाल रात को ही जान गया था।

मैं उठा और साधना के पास जाकर बैठ गया, मेरे बैठते ही वह उठ कर जाने लगी तो मैंने बिना अंजाम की परवाह किये साधना का हाथ पकड़ लिया।

वह अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश करने लगी तो मैंने थोड़ा जोर लगा कर उसको अपनी तरफ खींचा तो वो कटे पेड़ की तरह मेरे ऊपर गिर गई।

मैंने उसको सँभालते हुए उसकी कमर में हाथ डाला तो साधना के मुलायम और गुदाज बदन के एहसास ने मेरे दिल में हलचल पैदा कर दी।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 29-05-2024, 01:48 PM



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