28-05-2024, 02:25 PM
कमरे में घुसा तो देखा कि एक अट्ठारह बीस साल की लड़की पौंछा लगा रही थी, मैं उसको देख कर चौंक गया और वो मुझे देख कर। वो हतप्रभ सी मेरी ओर देख रही थी और मैं उसे। अचानक उसने शर्मा कर अपना मुँह दूसरी और फेर लिया।
उसके मुँह फेरने के बाद मुझे कुछ होश आया तो देखा कि मेरा तौलिया खुल कर मेरे पाँव में पड़ा था और मैं नंगा खड़ा था उस लड़की के सामने। लंड तना हुआ तो नहीं था पर हल्की हल्की औकात में जरूर था। मैंने हाथ में पकड़े हुए कपड़े बेड पर फेंके और झुक कर अपना तौलिया उठाया। वो लड़की हँसती हुए मेरे पास से निकल कर बाहर चली गई।
क्या यह साधना बुआ की ननद है? मैं सोच रहा था पर वो बुआ की ननद नहीं थी बल्कि वो घर पर झाड़ू पौंछा करने वाली थी। नाम पहले मैंने नहीं पूछा था पर बाद में बुआ ने बताया था, उसका नाम शबनम था पर सब उसको शब्बो कहते थे।
तीसरी चूत… मेरे मन में फिर से एक लड्डू फूटा… सोच कर ही लंड अंगड़ाइयाँ लेने लगा था, उसे समझ में आ रहा था कि तीन में से एक आध चूत तो जरूर उसको मिलने वाली थी अगले पाँच-सात दिन में। तीन तीन चूतों के बारे में सोच सोच कर ही लंड करवटें लेने लगा था। जबकि अभी तक तीसरी चूत वाली के दर्शन नहीं हुए थे पर उम्मीद थी कि वो भी मस्त ही होगी।
तीन तीन चूतों के बारे में सोच सोच कर ही मैं तैयार हुआ और ट्रेनिंग के लिए होटल को निकल गया। होटल में ही मुझे शाम के पांच बज गए, मुझे खाली हाथ वापिस जाना अच्छा नहीं लग रहा था सो मैंने कुछ मिठाई और फल ले लिए। गाड़ी की पार्किंग के पास ही एक फूल वाला बैठा हुआ था तो बिना कुछ सोचे समझे ही मैंने एक छोटा सा गुलाब के फूलों का बुके भी ले लिया।
छ: बजे वापिस बुआ के घर पहुँचा। घण्टी बजाई तो दरवाजा एक तेईस-चौबीस साल की लड़की ने खोला, चेहरा खूबसूरत था तो मेरी नजरें उसके चेहरे पर चिपक गई। अभी वो या मैं कुछ बोलते कि बुआ आ गई और मुझे देखते ही बोली- “तुम आ गए”
उस लड़की ने बुआ की तरफ मुड़ कर देखा तो बुआ ने मेरा परिचय करवाया। यह लड़की बुआ की ननद थी, नाम था दिव्या। उन्होंने मुझे अन्दर आने के लिए कहा तो मैं उनके पीछे पीछे अन्दर आ गया।
मैंने फल और मिठाई मेज पर रखी तो बुआ ने उसके लिए थैंक यू बोला। मैं सोफे पर बैठ गया तो दिव्या मेरे लिए पानी लेकर आई।
जब वो मेरे सामने से मुझे पानी दे रही थी यही वो क्षण था जब मैंने दिव्या को ध्यान से देखा। दिव्या का कद तो कुछ ज्यादा नहीं था पर उसके पतले से शरीर पर जो चूची रूपी पहाड़ियाँ बनी हुई थी वो किसी की भी जान हलक में अटकाने के लिए काफी थी। उसकी कसी हुई टाइट टी-शर्ट में ब्रा में कसी चूचियों की गोलाइयाँ अपने खूबसूरत आकर को प्रदर्शित कर रही थी। पतला सा पेट और साइज़ के साथ मेल खाते मस्त कूल्हे… अगर कद को छोड़ दिया जाए तो कुल मिलाकर मस्त क़यामत थी।
बुआ और मैं बैठे घर परिवार की बातों में मस्त थे तभी दिव्या चाय बना कर ले आई और हम तीनों बैठ कर चाय पीने लगे। मैंने दिव्या से बात शुरू करने के लिए पूछा- “आप क्या करती हैं दिव्या जी?”
"दिव्या जी? सग़ीर जी, आप मुझे सिर्फ दिव्या कहो तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा"
"सॉरी फिर तो तुम्हें भी मुझे सग़ीर ही कहना पड़ेगा… सग़ीर जी नहीं"
तभी बुआ भी बोल पड़ी- "फिर ठीक है, तुम मुझे भी साधना कह कर बुलाओगे, बुआ जी नहीं… बुआ जी सुनकर ऐसा लगता है जैसे मैं बूढ़ी हो गई हूँ" -कहकर साधना बुआ… सॉरी साधना हँस दी, साथ में हम भी हँस पड़े।
कुछ देर की बातों में दिव्या और साधना मुझसे घुलमिल गई थी। कुछ देर बातें करने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और फिर चेंज करने के बाद तौलिया लेकर बाथरूम में घुस गया।
बाथरूम में जाकर नहाया और लोअर और बनियान पहन कर जैसे ही मैं अपने रूम में आया तो दिव्या कमरे में थी। उसका कुछ सामान उस कमरे में था जिसे वो लेने आई थी। इतनी चूतों का मज़ा लेने के बाद मुझे यह तो अच्छे से पता है कि कोई भी लड़की या औरत सबसे ज्यादा खुश सिर्फ अपनी तारीफ़ सुनकर होती है।
जैसे ही दिव्या अपना सामान लेकर कमरे से जाने लगी तो मैंने बड़े प्यार से दिव्या को बोल दिया- “दिव्या.. अगर बुरा ना मानो तो एक बात बोलूँ?”
“क्या?”
“तुम बहुत खूबसूरत हो… मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखी”
“हट… झूठे…”
“सच में दिव्या… झूठ नहीं बोल रहा… तुम सच में बहुत खूबसूरत हो!”
“ओके… तारीफ के लिए शुक्रिया… अब जल्दी से तैयार होकर आ जाईये… भाभी ने खाना तैयार कर लिया होगा” -कह कर दिव्या एक कातिल सी स्माइल देते हुए कमरे से बाहर निकल गई।
दिव्या की स्माइल से मुझे इतना तो समझ आ चुका था कि अगर कोशिश की जाए तो दिव्या जल्दी ही मेरे लंड के नीचे आ सकती है। पर साधना भी है घर में… थोड़ा देखभाल कर आगे बढ़ना होगा।
अभी सिर्फ आठ बजे थे और इतनी जल्दी मुझे खाना खाने की आदत नहीं थी, मैंने अपना लैपटॉप खोला और दिन की ट्रेनिंग की रिपोर्ट तैयार करने लगा। कुछ देर काम करने के बाद मुझे बोरियत सी महसूस होने लगी तो मैंने लैपटॉप पर एक ब्लू फिल्म चला ली और आवाज बंद करके देखने लगा।
ब्लूफिल्म देखने से मेरे लंड महाराज लोअर में तम्बू बना कर खड़े हो गए। मुझे ब्लूफिल्म की हीरोइन साधना बुआ सी नजर आने लगी थी।
अचानक मेरे मुँह से निकला- "हाय… साधना बुआ क्या मस्त माल हो तुम"
और यही वो क्षण था जब साधना बुआ ने कमरे में कदम रखा। बुआ को कमरे में देख मैं थोड़ा घबरा गया, मैंने जल्दी से लैपटॉप बंद किया और साधना की तरफ देखने लगा।
"सग़ीर! कहाँ मस्त हो? कब से आवाज लगा रही हूँ, खाना तैयार है आ जाओ"
"वो बुआ… सॉरी साधना... मुझे जरा लेट खाने की आदत है तो बस इसीलिए"
"चलो कोई बात नहीं कल से लेट बना लिया करेंगे पर आज तो तैयार है तो आज तो जल्दी ही खा लेते है नहीं तो ठंडा हो जाएगा"
"ओके… आप चलिए मैं आता हूँ"
जैसे ही साधना वापिस जाने के लिए मुड़ी मैं खड़ा होकर अपने लंड को लोअर में एडजस्ट करने लगा और तभी साधना मेरी तरफ पलटी। मेरा लंड लोअर में तन कर खड़ा था, साधना हैरानी से मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसकी नजरों का पीछा किया तो वो मेरे लंड को ही देख रही थी जो अपने विकराल रूप में लोअर में कैद था। वो बिना कुछ बोले ही कमरे से बाहर निकल गई। मैं थोड़ा घबरा गया था कि कहीं वो बुरा ना मान जाए पर मेरे अनुभव के हिसाब से बुरा मानने के चांस कम थे।
मैं अपने लंड को शांत कर लगभग पाँच मिनट के बाद बाहर आया तो टेबल पर खाना लग चुका था और वो दोनों मेरा इंतजार कर रही थी। वो दोनों टेबल के एक तरफ बैठी थी तो मैं टेबल के दूसरी तरफ जाकर बैठ गया।
दिव्या एक खुले से गले की टी-शर्ट पहने हुई थी और साधना अभी भी साड़ी पहने हुए थी। जैसे ही मैं अपनी जगह पर बैठा तो दिव्या उठ कर सब्जी वगैरा मेरी प्लेट में डालने लगी। क्यूंकि वो मेज के दूसरी तरफ थी तो उसको ये सब थोड़ा झुक कर करना पड़ रहा था, झुकने के कारण उसके खुले गले में से उसकी मस्त गोरी गोरी चूचियाँ भरपूर नजर आ रही थी।
CONTD ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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