Thread Rating:
  • 2 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मौके पर चौका
#65
Heart 
जैसा कि आप लोगों को पता है मेरा एक इलेक्ट्रॉनिक्स एन्ड इलेक्ट्रिकल्स का शोरूम है जहाँ में डेली बैठता हूँ। चूँकि मैंने इंजिनिअरींग की है तो फिलिप्स कंपनी कि तरफ से एक ऑफर आया कि 'आप खुद एक इंजीनियर है तो आप को सभी प्रोडक्ट की डिटेल नॉलेज के लिए कंपनी एक ट्रेनिंग दे रही है जिसमे आपका फाइव स्टार होटल में रहना खाना फ्री होगा। दिन में चार -चार घंटे के दो ट्रेनिंग प्रोग्राम रोज़ एक हफ्ते तक होंगे। + आने जाने का पेट्रोल या एसी ट्रैन का किराया मिलेगा' मैंने घर पर अम्मी और अब्बू को बताया कि बहुत अच्छा प्रोग्राम है तो उन्होंने जाने की परमिशन दे दी।

दो दिन पहले पता चला कि ट्रेनिंग आगरा शहर में होटल मुग़ल शेरेटन में होगी। मेरा नाम से एक रूम भी बुक करवा दिया गए है।

तभी मेरा एक फ्रेंड राजेश आया उसे पता था कि मैं आगरा जा रहा हूँ तो वह एक बड़ा सा पैकेट लेकर आया कि आगरा में कोई जयपुर हॉउस कॉलोनी है उसमे उसकी बुआजी रहतीं है तो प्लीज ये पैकेट उन तक पहुंचा दूँ, साथ ही मुझे दो हज़ार रुपये देते हुए कहा कि जब आगरा जा ही रहे हो तो हरी पर्वत चौराहे पर एक पंछी पेठा स्टोर है, उसके यहाँ से दो तीन तरह के पेठा लेते आना वैसे तो उसके यहाँ पेठा की पचासो वेराइटी है पर तुम केसर और सादा वाला ही लेते आना। एक एक डिब्बा मेरी तरफ से अपने लिए भी ले लेना।

तब मुझे ध्यान आया कि आगरा तो पेठा के लिए मशहूर है, तो मैंने भी कुछ डिब्बे अपने और रिश्तेदारों के लिए लेने का सोच लिया।

ट्रेनिंग से एक दिन पहले रात को डिनर वगैरह करके मैं इत्मीनान से ग्यारह बजे के आसपास आगरा के लिए निकल लिया।

सुबह सुबह साढ़े पांच बजे के करीब आगरा पहुँच कर मैंने सोचा कि पहले दोस्त का सामान उसकी बुआजी को दे आता हूँ, उनके यहाँ चाय पीकर इत्मीनान से फिर होटल में चेक इन करते हैं। बस फिर मैंने अपनी गाड़ी दोस्त के बताये एड्रेस की तरफ घुमा दी।

लगभग आधा घंटे के बाद मैं दोस्त के बताये पते के सामने था। मैंने बेल बजाई तो कुछ देर बाद एक लगभग तीस पैतीस की उम्र की भरे भरे शरीर वाली औरत ने दरवाजा खोला।

मैंने अपने दोस्त का नाम बताया और बताया कि उसने अपनी साधना बुआ के लिए कुछ सामान भेजा है।

तो वो बोली- "मैं ही साधना हूँ, आप अंदर आ जाइए"

मैं सोच रहा था कि मेरी अम्मी की उम्र की कोई बूढी औरत उसकी बुआ होगी पर ये तो बड़ी मस्त थी। जैसे ही वो मुड़ कर अन्दर की तरफ चली तो उनकी मटकती गांड देख कर मेरे लंड ने एकदम से सलामी दी। आखिर मैं ठहरा चूत का रसिया।

साधना का पूरा भरा भरा शरीर, मस्त बड़ी बड़ी चूचियाँ जो उसके सीने की शोभा बढ़ा रही थी, हल्का सा उठा हुआ पेट पतली कमर के साथ मिलकर शरीर की जियोग्राफी को खूबसूरत बना रहा था, उसके नीचे मस्त गोल गोल मटकी जैसे थोड़ा बाहर को निकले हुए चूतड़ जो उसकी गांड की खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे थे।

आप भी सोच रहे होंगे कि शरीर की इतनी तारीफ़ कर दी, चेहरे की खूबसूरती के बारे में एक भी शब्द नही लिखा। अजी, इतने खूबसूरत बदन को देखने में इतना खो गया था कि चेहरे की तरफ तो निगाह गई ही नहीं।

खैर जब अन्दर पहुंचे तो बुआ ने मुझे बैठने के लिए कहा तो मेरी नजर उनके चेहरे पर पड़ी। जब बदन इतना खूबसूरत था तो चेहरा तो खूबसूरत होना ही था। रंग जरूर थोड़ा गेहुआ था पर चेहरे की बनावट और खूबसूरती में कोई कमी नहीं थी, ऐसी खूबसूरती की देखने वाला देखता रह जाए। कमजोर लंड वालो का तो देख कर ही पानी टपक पड़े। मुझे बैठा कर बुआ रसोई में चली गई और कुछ देर बाद चाय और नाश्ता लेकर वापिस आई।

जब से आया था तब से मुझे घर में साधना बुआ के सिवा कोई भी नजर नहीं आया था। अभी तो सुबह के लगभग सात बजे का समय था और बुआ अकेली थी। नाश्ता करते समय बुआ मेरे सामने ही बैठ गई और राजेश की फॅमिली के बारे में बात करने लगी।

मुझे आये लगभग आधा घंटा हो चुका था, अब मुझे वहाँ से निकलना था, होटल पहुँच कर ट्रेनिंग के लिए तैयार भी होना था। बुआ की खूबसूरती को देखते हुए मैं इतना खो गया था कि मेरा मन ही नहीं कर रहा था वहां से जाने का… पर जाना तो था ही।

कहते हैं ना कि ‘अगर आप शिद्दत से किसी चीज़ को चाहो तो पूरी कायनात आपको मिलाने पर लग जाती है' पर यह भी सच है कि कमीने लोगों कि ऊपर वाला बहुत जल्दी सुनता है। यही कुछ मेरे साथ भी हुआ।

जब चलने लगा तो बुआ ने पूछा कि कितने दिन के लिए आये हो और कहाँ रुक रहे हो?

तो मैंने बोल दिया- "एक हफ्ता रुकूँगा आगरा में, एक होटल में कमरा बुक है"

"अरे! होटल में क्यूँ? तुम्हारे दोस्त की बुआ का घर है तो होटल में क्यों रुकोगे?"

"नहीं बुआ जी, मेरा काम कुछ ऐसा है कि रात को देर सवेर तक काम करना पड़ता है और घर पर रहकर आप लोगों को तकलीफ होगी, तो मेरे ख्याल से होटल ही ठीक है"

"तुम ठीक तो हो? बुआ भी कहते हो और बुआ की बात भी नहीं मानते, मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी तुम्हारे यहाँ रहने से, उल्टा मुझे कंपनी मिल जायेगी तुम्हारे यहाँ रहने से"

"वो कैसे?"

"तुम्हारे फूफा जी एक महीने के लिए सिंगापुर गये हुए हैं, उनका इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का काम है ना तो घर पर सिर्फ मैं और मेरी ननद ही है, तुम्हारे यहाँ रहने से हम अकेली औरतें भी सेफ महसूस करेंगी"

"पर…मैं…"

"सग़ीर बेटा जैसा मेरे लिए राजेश है वैसे ही तुम, अगर तुम हमारे पास रुकोगे तो हमें ख़ुशी होगी, बाकी तुम्हारी मर्जी" -साधना बुआ ने थोड़ा सा मायूसी भरी आवाज में कहा तो मैं रुकने के लिए राज़ी हो गया और फिलिप्स के एरिया मैनेजर को फोन करके बता दिया कि मेरा रूम किसी और को देकर एडजस्ट कर ले। मैं यहाँ अपने रिलेशन में रुक रहा हूँ।

सच कहूँ तो मेरे अन्दर का कमीनापन जागने लगा था, दिमाग में बार बार आ रहा था कि अगर पास रहेंगे तो शायद साधना जैसी खूबसूरत बला की जवानी का रसपान करने का मौका मिल जाए।

वैसे साधना बुआ ने अपनी ननद का जिक्र भी किया था पर वो इस समय घर पर नहीं थी।

दो दो चूत घर पर अकेली मिले तो कमीनापन कैसे ना जाग जाए। मैंने गाड़ी में से अपना सामान निकाला और अन्दर ले आया। बुआ ने मेरे लिए एक कमरा खोल दिया जिसका एक दरवाजा बाहर की तरफ भी खुलता था।

मैंने सामान रख लिया तो बुआ ने एक चाबी मुझे दी और बोली- "देर सवेर जब भी आओ, यह दरवाजा खोल कर तुम आ सकते हो। जब तक यहाँ हो, इसे अपना ही घर समझो। मेरे लिए जैसा राजेश वैसे ही तुम हो"

बिजनेसमैन हर चीज का हिसाब लगा लेता है। पहली बात यहाँ रहने से घर का खाना मिलेगा और दूसरी बात कि अगर होटल में किसी चूत का इंतजाम करता तो पैसा खर्च करना पड़ता पर यहाँ अगर साधना बुआ से बात बन गई तो चूत भी फ्री में और अगर ननद की भी मिल गई तो एक्स्ट्रा बोनस।

मैंने अपना सामान कमरे में रखा ही था कि साधना बुआ आई, बोली- "नहाना हो तो दरवाजे से निकलते ही बाथरूम है"

नहाना तो था ही, रात भर के सफ़र की थकान जो उतारनी थी, मैं बुआ के साथ गया तो बुआ ने बाथरूम दिखा दिया। बाथरूम का दरवाजा कमरे में तो नहीं था पर था कमरे से बिल्कुल लगता हुआ।

मैंने बैग में से अपने कपड़े और तौलिया निकाला और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।

बाथरूम में घुसते ही पहले फ्रेश हुआ फिर कपड़े निकाल कर नहाने लगा। नहाने के बाद जब कपड़े पहनने लगा तो देखा कि अंडरवियर तो बैग में ही रह गया है। जो पहना हुआ था वो गीला हो चुका था।

घर पर होता तो आवाज लगा कर मांग लेता पर यहाँ तो आवाज भी नहीं लगा सकता था। मैंने तौलिया लपेटा और जल्दी से कमरे में घुस गया।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply


Messages In This Thread
मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 28-05-2024, 12:41 PM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)