22-05-2024, 08:41 AM
माय गॉड… क्या मेरे रहते भी मामाजी इतनी हिम्मत कर सकते हैं? क्या वो सलोनी को छूने जा रहे हैं? क्या करूँ… क्या उनको रोकूँ?
अगर सलोनी ने कुछ ऐतराज किया तो क्या होगा? फालतू में यहाँ पंगा हो जायेगा। फिर सोचा कि रहने दूँ, जो होगा देखा जायेगा।
मैं अपने काम में लगा रहा, मैंने अपना हाथ जैसे ही सलोनी के चूतड़ों से हटाया, आश्चर्य रूप से मामाजी ने तुरन्त ही अपना हाथ वहाँ रख दिया।
मैंने सोचा अब पंगा होने वाला है मगर कुछ नहीं हुआ, सलोनी ने कुछ भी नहीं बोला। मामा जी का हाथ अब सलोनी के चूतड़ के ऊपर था, मुझको यह भी अहसास हो रहा था कि उन्होंने हाथ को केवल रखा ही नहीं था बल्कि वो अपने हाथ को चारों ओर घुमा भी रहे थे।
मेरे दोनों हाथ का पता सलोनी को होगा तो जरूर पर वो फिर भी मामा जी के हाथ के बारे में जानबूझ कर भी कुछ नहीं बोल रही थी। मैंने देखा कि मामाजी वैसे सलोनी से कुछ दूर ही लेटे थे परन्तु उनका हाथ आसानी से सलोनी के चूतड़ पर पहुँच रहा था और उनकी इतनी हिम्मत भी हो गई थी कि वो उसको केवल रखे हुए ही नहीं थे बल्कि इधर उधर घुमा भी रहे थे।
सलोनी की ओर से कोई विरोध ना होते देख मैंने भी कुछ ऐसे ही मजा लेने की सोची। मैं अपने हाथ को सलोनी की पीठ पर बंधी डोरी पर ले गया और डोरी का सिरा ढूंढ कर खींच दिया।
ब्लाउज का बंधन ढीला होते ही उसके सुकोमल चूची आज़ाद हो गई, अब सलोनी की चूची ब्लाउज के नीचे से बाहर आकर मेरे सीने से लग रही थी। मैंने एक चूची पूरी बाहर निकाली, उसको अपने हाथ में ले मसलने लगा।
अब बड़ा ही मजेदार नजारा बन चुका था…
मेरे हाथ में सलोनी की चूची थी जिसको मैं मसल रहा था, सलोनी के हाथ में मेरा लण्ड था जिसे वो हिला रही थी और उसके पीछे मामाजी का हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था जिनको वो ना जाने कैसे कैसे मसल रहे थे।
तभी मैंने सलोनी के होंठों के बीच अपने एक हाथ का अंगूठा डाल उसको लण्ड चूसने को बोला। सलोनी बिना किसी शर्म के पूरी तरह चादर से बाहर आ अपने घुटनों के बल होकर मेरे लण्ड को अपने मुँह में दबा कर चूसने लगी। वो बहुत ही सेक्सी तरीके से बैठी थी, उसकी पीथ ठीक मामाजी की ओर थी।
मैंने ध्यान दिया कि सलोनी का पेटीकोट सरककर उसके चूतड़ के ऊपर को हो गया है फिर भी मामाजी के लेटे होने से उनको नीचे से काफी कुछ दिख रहा होगा। सलोनी मेरे लण्ड को पूरा अपने मुँह में दबाकर बहुत ही आवाज करते हुए उसको चूस रही थी।
मैंने भी अपना हाथ एक बार फिर से उसके चूतड़ पर रख सलोनी के पेटीकोट को खींच कर कमर से भी ज्यादा ऊपर कर दिया। अब तो मामाजी को उसके चूतड़ और बीच की दरार के अलावा चूत के दर्शन भी हो रहे होंगे।
मैं बस इन्तजार कर रहा था कि क्या वो अब कुछ करेंगे? या फिर देखते ही रहेंगे??
सलोनी ने अपने थूक से मेरे लण्ड को पूरा भिगो दिया था, उसके चूसने से ऐसे आवाजें आ रही थी कि कोई अगर कमरे के बाहर से भी सुन रहा होगा तो उसको एकदम पता चल जाता कि लण्ड चुसाई चल रही है।
सलोनी आधे से ज्यादा लण्ड कस कर मुँह में दबा लेती, फिर गप्प की आवाज से बाहर निकालती, जैसे किसी ने कोई कोल्ड ड्रिंक की बोतल का कॉक खोला हो!
इतना सेक्सी माहौल हो रहा था कि मैं ये सोच रहा था कि मामाजी का क्या हो रहा होगा?
जब सलोनी मेरे से चिपकी थी तब तो उन्होंने उसके चूतड़ों को छूआ था पर इस समय सलोनी के नंगे चूतड़ खुली अवस्था में उनके बहुत पास थे पर वो खुद पर काबू किये हुए थे। अभी तक उनका हाथ वहाँ नहीं आया था, शायद उनको डर था कि इस समय सलोनी को पता चल जायेगा और वो शोर मचा देगी इसीलिए वो अपने हाथों को रोके हुए थे।
फिर सलोनी के इतने गर्म प्रयास से मेरे संयम जवाब दे गया और मेरे लण्ड से मलाई की पिचकारी छूट गई।
अह्ह्हाआ… अह्हह… आह्ह्ह…हओहह… आआह्ह्ह…! आह्ह्ह्ह्ह… और मैंने कई पिचकारियाँ सलोनी के मुख पर ही छोड़ दी, थोड़ी मलाई तो उसके खुले हुए मुँह में गई।
सलोनी ने चाट चाट कर मेरे लण्ड को अच्छी तरह साफ़ कर दिया।
मैंने मामाजी की ओर देखा, उनका हाथ चादर के नीचे उनके लण्ड पर ही था, चादर से उनके खड़े हुए लण्ड के आकार का पता चल रहा था और ये भी दिख रहा था कि उनका हाथ भी वहीं है, वो लगातार खुद ही उसको मसल रहे थे।
तभी मैंने सलोनी को हल्का सा धक्का दिया, वो घुटनों से उठकर पीछे को गिरी।
मामाजी ठीक उसके पीछे थे, सलोनी उनके लण्ड वाले हिस्से पर ही बैठ गई।सलोनी के हाथ मामाजी के दूसरी ओर टिक गए मगर चूतड़ ठीक लण्ड के ऊपर थे।
सलोनी का पेटीकोट हल्का सा नीचे हो गया था पर चूतड़ों के ऊपर नहीं था। अतः सलोनी के पूर्णतया नंगे चूतड़ मामाजी के लण्ड के ऊपर थे। सलोनी हिल भी नहीं रही थी, शायद डर की वजह से! और उठ भी नहीं पा रही थी। मैंने ही उठकर उसको बैलेंस किया और नीचे को करके उसके पेटीकोट को फिर से पेट तक ऊँचा कर दिया, सलोनी के दोनों पैर खोलकर उसकी चूत के ऊपर जोर से चाटा।
‘आःह्हाआआह…’ एक जोरदार सिसकारी सलोनी ने ली।
मैंने ऊपर को देखा, सलोनी केवल इतना ही नीचे आई थी कि उसका सर मामाजी के कमर के ऊपर था, बाकी शरीर जरूर नीचे आ गया था। मामाजी भी सांस रोके सब कुछ देख रहे थे, उन्होंने एक बार भी हिलने तक की कोशिश नहीं की थी।
मैंने सलोनी को हल्का सा बायीं ओर किया, अब सलोनी का सर ठीक मामाजी के लण्ड के ऊपर था। मैं आराम से उल्टा लेटकर सलोनी की चूत को चाटने लगा।
सलोनी- अह्ह्हाआआ आह्ह आआअह्ह्ह ओह्ह्ह उफ़्फ़ आह्ह्ह्हाआ अह्ह!
उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी।
उसका सर अब मामाजी के लण्ड पर था, जिसके हिलने से मामाजी को वाकयी बहुत मजा आ रहा होगा। मैंने और भी मजा लेने की सोची, सलोनी के पैरों को पकड़ मैंने उसको उल्टा कर दिया तो अब सलोनी का चेहरा लण्ड के ऊपर हो गया। मैंने बिना उसको हिलाये सलोनी के मदमस्त चूतड़ों को काटना शुरू कर दिया। सलोनी ने भी अपना मुँह मामाजी के लण्ड से नहीं हटाया।
मैं चूतड़ों को मसलते हुए और काटते हुए ही तिरछी नजर से सलोनी के चेहरे को देखता रहा। सलोनी सिसकारी लेते हुए ही पहले तो अपने गालों को ही वहाँ रगड़ रही थी, फिर उसने जरा सा उठकर उसको देखा और अपने होंठ वहाँ रख दिए।
कुछ देर तक वो ऐसे ही लेटी रही।
मैंने भी उसकी दोनों टांगों को खोलकर गैप कर दिया जहाँ से उसकी चूत का त्रिकोण फिर से दिखने लगा। मैं अपनी जीभ की नोक से उस जगह को कुरेदने लगा। मुझे पता था कि यह चूत का सबसे संवेदनशील भाग होता है, यहीं लण्ड प्रवेश करता है, पीछे से चाटने में यह भाग सबसे ऊपर होता है तो जीभ की नोक आसानी से इसमें प्रवेश कर जाती है।
मैंने सलोनी के चूतड़ों को और भी उठाने के लिए उसकी कमर में नीचे हाथ डाल उसको ऊँचा किया इससे उसका मुँह मामाजी के लण्ड से चिपक गया। मेरी जीभ सलोनी के चूत का स्वाद ले रही थी और आँखें उसके चेहरे की ओर ही थीं।तभी सलोनी ने अपना चेहरा जरा सा हटाकर अपने बाएं हाथ से मामाजी का लण्ड पकड़ लिया। चादर के अन्दर होने पर भी वो लगभग नंगा सा ही देख रहा था।
CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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