19-05-2024, 03:11 PM
अचानक कार रुक गयी। कार के रुकते ही मेरी आंखें खुलीं तो मैंने पाया कि हमारी कार एक ऐसी जगह में खड़ी थी जहां एक तरफ ऊंची ऊंची चट्टानें थीं और दूसरी तरफ घनी झाड़ियां। चट्टानों और झाड़ियों के बीच एक कच्चा समतल रास्ता था जिसपर सिर्फ एक चारपहिया ही चल सकता था। मुझे पता नहीं था कि यह कौन सी जगह थी।
"हम यह कहां आ गए हैं?" मैं उस सुनसान जगह के चारों ओर देखती हुई घबराई आवाज में बोली।
"वहीं, जहां हमें इस वक्त आना चाहिए था। थोड़ा और आगे चलते हैं। वह जगह और सुरक्षित है।" कहकर वह कार को थोड़ा और आगे लेकर बाईं ओर मोड़ दिया और देखते ही देखते हम ऊंची ऊंची झाड़ियों के बीच एक छोटे से खुले स्थान में थे। अब हमारे चारों ओर ऊंची ऊंची झाड़ियां थीं। यह मेरे लिए बिल्कुल नयी जगह थी। एकदम सुनसान। हाय राम, इस सुनसान स्थान में यह बुड्ढा मेरे साथ क्या करने जा रहा था वह मुझसे छिपा हुआ नहीं था। उस सुनसान स्थान में मुझे एक अनजानी सी घबराहट का आभास होने लगा था।
"नहीं, प्लीज़, मुझे वापस जाना है।" मैं सचमुच भयभीत थी।
"यहां तक आने के बाद बिना कुछ किए वापस जाने का ख्याल तो भूल ही जाओ। अब कार से नीचे उतरो।" वह मुझे हुक्म देने लगा।
"नहीं। मैं नहीं उतरूंगी।" मैं बोली।
"खुद उतरोगी या खींच कर उतारूं?'" उसके चेहरे का भाव अब बिल्कुल बदल चुका था। उसकी आंखों में वही घुसा वाली शिकारी सी चमक मुझे दिखाई दे रही थी। मैं अब भी कार से उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। मेरी झिझक को देख कर वह कार से नीचे उतरा। उसने मेरी ओर आ कर कार का दरवाजा खोला और मेरी बांह पकड़ कर किसी गुड़िया की तरह झटके से बाहर खींच लिया। मैं उसके एक ही ताकतवर झटके कार से बाहर आ गई और नीचे गिरने ही वाली थी कि उसने मुझे बांहों में कस लिया। मैं उसकी मजबूत बांहों में परकटी पंछी की भांति छटपटाने लगी।
"प्लीज़ मुझे जाने दीजिए।" मैं गिड़गिड़ाने लगी।
"क्यों छोड़ दूं?'"
"मुझे आपसे डर लग रहा है।" मैं रोनी सूरत बना कर बोली
"अबतक डर रही हो? किसलिए डर रही हो? मैं तुम्हें खा थोड़ी ना जाऊंगा। बस थोड़ा मज़ा ले लेने दो और तुम भी मजा ले लो। यही तो चाहती थी ना तुम?'" वह मुझे ज़मीन पर उतार कर बोला।
"चाहती थी मगर यहां इस तरह....?" मैं इस वक्त उसके रूप को देखकर सचमुच भयभीत हो रही थी और किसी तरह बच निकलने की जुगत सोच रही थी।
"फिर किस तरह?"
"फिलहाल तो मुझे वापस ले चलिए।"
"यह तो हो नहीं सकता। इतनी हिम्मत करके तो तुम्हें यहां तक लाया हूं, ऐसे ही वापस कैसे जाने दूं?"
"यहां मुझे डर लग रहा है।" मैं बहाना बनाकर बच निकलना चाहती थी।
"अच्छा तो यह बात है? समझ गया। तुम्हारा डर आज हमेशा के लिए खत्म कर देता हूं। ठीक है चलो मेरे साथ।" वह अपना झूलता लंड पैंट के अंदर किया और चेन बंद करके बेल्ट कस लिया फिर मेरा हाथ पकड़ कर खींचता हुआ आगे चलने लगा। मैं उसके साथ खिंचती चली जा रही थी। मैं भूल ही गई थी कि मेरी टॉप के ऊपरी दो बटन खुले हुए थे और मेरी चूचियां बाहर झांक रही थीं। मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था। कोई जुगत नहीं सूझ रही थी। कार वहीं खड़ी थी और वह मुझे खींचते हुए कुछ आगे तक बढ़ा। झाड़ियों को पार करने पर मुझे एक पुआल के छप्पर वाली मिट्टी की दीवारों वाली झोपड़ी दिखाई दी। वह मुझे खींचते हुए उसी झोपड़ी की ओर बढ़ा। झोपड़ी के छत पर सोलर पैनल लगा हुआ था। झोपड़ी के पास पहुंच कर मैंने देखा कि सामने का जर्जर दरवाजा बंद था।
"इस झोपड़ी में?'" मैं और घबरा गई।
"यहां तुम्हें डर नहीं लगेगा।" कहकर वह दरवाजा खटखटाने लगा।
"कौन है भाई?" अंदर से आवाज आई और साथ ही दरवाजा खुला। दरवाजा चर्र की आवाज से खुला। सामने एक काला सा लंबे कद का सफेद दाढ़ी वाला, करीब साठ साल का, मजबूत कद काठी वाला गंजा बूढ़ा, मात्र एक पैजामा में खड़ा हुआ था। उसका चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था और उसकी बाईं आंख के नीचे गाल पर एक लंबा घाव का निशान था।
"हम यह कहां आ गए हैं?" मैं उस सुनसान जगह के चारों ओर देखती हुई घबराई आवाज में बोली।
"वहीं, जहां हमें इस वक्त आना चाहिए था। थोड़ा और आगे चलते हैं। वह जगह और सुरक्षित है।" कहकर वह कार को थोड़ा और आगे लेकर बाईं ओर मोड़ दिया और देखते ही देखते हम ऊंची ऊंची झाड़ियों के बीच एक छोटे से खुले स्थान में थे। अब हमारे चारों ओर ऊंची ऊंची झाड़ियां थीं। यह मेरे लिए बिल्कुल नयी जगह थी। एकदम सुनसान। हाय राम, इस सुनसान स्थान में यह बुड्ढा मेरे साथ क्या करने जा रहा था वह मुझसे छिपा हुआ नहीं था। उस सुनसान स्थान में मुझे एक अनजानी सी घबराहट का आभास होने लगा था।
"नहीं, प्लीज़, मुझे वापस जाना है।" मैं सचमुच भयभीत थी।
"यहां तक आने के बाद बिना कुछ किए वापस जाने का ख्याल तो भूल ही जाओ। अब कार से नीचे उतरो।" वह मुझे हुक्म देने लगा।
"नहीं। मैं नहीं उतरूंगी।" मैं बोली।
"खुद उतरोगी या खींच कर उतारूं?'" उसके चेहरे का भाव अब बिल्कुल बदल चुका था। उसकी आंखों में वही घुसा वाली शिकारी सी चमक मुझे दिखाई दे रही थी। मैं अब भी कार से उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। मेरी झिझक को देख कर वह कार से नीचे उतरा। उसने मेरी ओर आ कर कार का दरवाजा खोला और मेरी बांह पकड़ कर किसी गुड़िया की तरह झटके से बाहर खींच लिया। मैं उसके एक ही ताकतवर झटके कार से बाहर आ गई और नीचे गिरने ही वाली थी कि उसने मुझे बांहों में कस लिया। मैं उसकी मजबूत बांहों में परकटी पंछी की भांति छटपटाने लगी।
"प्लीज़ मुझे जाने दीजिए।" मैं गिड़गिड़ाने लगी।
"क्यों छोड़ दूं?'"
"मुझे आपसे डर लग रहा है।" मैं रोनी सूरत बना कर बोली
"अबतक डर रही हो? किसलिए डर रही हो? मैं तुम्हें खा थोड़ी ना जाऊंगा। बस थोड़ा मज़ा ले लेने दो और तुम भी मजा ले लो। यही तो चाहती थी ना तुम?'" वह मुझे ज़मीन पर उतार कर बोला।
"चाहती थी मगर यहां इस तरह....?" मैं इस वक्त उसके रूप को देखकर सचमुच भयभीत हो रही थी और किसी तरह बच निकलने की जुगत सोच रही थी।
"फिर किस तरह?"
"फिलहाल तो मुझे वापस ले चलिए।"
"यह तो हो नहीं सकता। इतनी हिम्मत करके तो तुम्हें यहां तक लाया हूं, ऐसे ही वापस कैसे जाने दूं?"
"यहां मुझे डर लग रहा है।" मैं बहाना बनाकर बच निकलना चाहती थी।
"अच्छा तो यह बात है? समझ गया। तुम्हारा डर आज हमेशा के लिए खत्म कर देता हूं। ठीक है चलो मेरे साथ।" वह अपना झूलता लंड पैंट के अंदर किया और चेन बंद करके बेल्ट कस लिया फिर मेरा हाथ पकड़ कर खींचता हुआ आगे चलने लगा। मैं उसके साथ खिंचती चली जा रही थी। मैं भूल ही गई थी कि मेरी टॉप के ऊपरी दो बटन खुले हुए थे और मेरी चूचियां बाहर झांक रही थीं। मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था। कोई जुगत नहीं सूझ रही थी। कार वहीं खड़ी थी और वह मुझे खींचते हुए कुछ आगे तक बढ़ा। झाड़ियों को पार करने पर मुझे एक पुआल के छप्पर वाली मिट्टी की दीवारों वाली झोपड़ी दिखाई दी। वह मुझे खींचते हुए उसी झोपड़ी की ओर बढ़ा। झोपड़ी के छत पर सोलर पैनल लगा हुआ था। झोपड़ी के पास पहुंच कर मैंने देखा कि सामने का जर्जर दरवाजा बंद था।
"इस झोपड़ी में?'" मैं और घबरा गई।
"यहां तुम्हें डर नहीं लगेगा।" कहकर वह दरवाजा खटखटाने लगा।
"कौन है भाई?" अंदर से आवाज आई और साथ ही दरवाजा खुला। दरवाजा चर्र की आवाज से खुला। सामने एक काला सा लंबे कद का सफेद दाढ़ी वाला, करीब साठ साल का, मजबूत कद काठी वाला गंजा बूढ़ा, मात्र एक पैजामा में खड़ा हुआ था। उसका चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था और उसकी बाईं आंख के नीचे गाल पर एक लंबा घाव का निशान था।